RE: Gandi Kahaniya एक आहट जिंदगी की
अंजुम उन्दोनो के सामने आकर खड़ा हो गया……और रफ़ीक से बुलाने के कारण पूछने लगा….
रफ़ीक: अंजुम बाबू जी के लिए कोई रूम रेंट पर ढूँढ दे…..
अंजुम: जी बड़े साहब….मैं जल्द ही ढूँढ देता हूँ….कितनी रेंज चलेगी.
राज : अगर 2-3 हज़ार रेंट भी होगा तो भी चलेगा….
रफ़ीक: और हां रूम के पास कोई अच्छा सा ढाबा ज़रूर होना चाहिए. ताकि बाबू जी को खाने पीने की तकलीफ़ ना हो….
अंजुम: (थोड़ी देर सोचने के बाद) बाबू जी अगर आप चाहे तो….मेरे घर मे भी एक रूम खाली है ऊपेर छत पर…..बाथरूम टाय्लेट सब अलग है ऊपेर. और रही खाने की बात तो…आपको मेरे घर पर घर का बना खाना भी मिल जाएगा…क्या कहते है आप. ?
राज: ठीक है मैं तुम्हे शाम को बताउन्गा…
अंजुम के जाने के बाद राज ने रफ़ीक से पूछा कि, क्या अंजुम के घर पर रहना ठीक होगा….तो उसने हंसते हुए बोला….यार राज तू आराम से वहाँ रह सकता है…वैसे तुझे पता है कि, ये जो अंजुम है ना बड़ा पियाक्कड किसम का आदमी है. रोज रात को दारू पीए बिना नही सोता….और जब तुमने 3 हज़ार देने की बात की तो साले ने सोचा होगा….चलो दारू के पैसो का अलग से इंतज़ाम हो गया….
शाम को जैसे ही राज अपने कॅबिन से बाहर निकला. तो अंजुम बाहर डोर पर ही खड़ा था….वो राज को देखते ही बोल पड़ा….साहब चलिए आप मेरे घर पर. रूम देख लेना….अगर आपको पसंद आए तो रह लेना वहाँ पर…..राज ने अंजुम की बात मान ली. और उसके साथ उसके घर की तरफ चल पड़ा… खैर वो दोनो ऑटो से घर पहुँचे…तो अंजुम ने, डोर बेल बजाई. बाहर से घर की हालत से पता चल रहा था कि, उसका ये मकान काफ़ी पुराना है….बाहर दीवारो पर सीमेंट नही था….एंत सॉफ दिखाई दे रही थी….जिस पर फ़रोज़ी कलर का पैंट था……थोड़ी देर बाद डोर खुला…..तो अंजुम ने थोड़ा गुस्से से डोर खोलने वाले को कहा….”क्या हुआ इतनी देर क्यों लगा दी “ राज बाहर से घर की हालत को देख रहा था….अंजुम की आवाज़ सुन कर राज ने डोर पर नज़र डाली.
सामने 1**** साल की बेहद ही खूबसूरत गोरे रंग की लड़की खड़ी थी….उसके बाल खुले हुए थे…..और भीगे हुए थे…..शायद उसने थोड़ी देर पहले ही. बाल धोए थे….उसने वाइट कलर का सलवार कमीज़ पहना हुआ था…..जिसमे उसका बदन कयामत ढा रहा था…..राज को अपनी तरफ यूँ घुरता देख वो लड़की अंदर चली गयी……तभी अंजुम ने राज से कहा….”बाबू जी मेरी बेटी नाजिया है…..आइए अंदर चलते है…..” राज उसके साथ अंदर चला गया…..अंदर जाकर उसने राज को एक रूम मे चेर पर बैठाया……और बाहर डोर पर जाकर आवाज़ दी….”रुकसाना ओह्ह रुकसाना कहाँ मर गयी….जल्दी इधर आ…..” और फिर अंजुम राज के पास जाकर बैठ गया….मैं जैसे ही रूम मे पहुँची तो अंजुम मुझे देख कर बोले….
अंजुम: ये बाबू जी हमारे स्टेशन पर नये है…..इनको ऊपेर वाला कमरा दिखाने लाया था….अगर इनको रूम पसंद आया तो. कल से ये ऊपेर वाले रूम में रहेंगे….जा कुछ चाइ नाश्ते का इंतज़ाम कर…..
राज: अरी नही अंजुम भाई….इसकी कोई ज़रूरत नही है….
अंजुम: चलो बाबू जी चाइ ना सही एक-2 पेग हो जाए…..
राज : नही मैं पीटा नही….मुझे बस रूम दिखा दो….
राज ने अंजुम से झूट बोला था…..कि वो ड्रिंक नही करता…पर असल मे वो भी कभी-2 ड्रिंक कर लिया करता था….उसने एक बार मेरी तरफ देखा…..मैं सर झुकाए हुए उनकी बातें सुन रही थी…. अंजुम बोले चलिए बाबू जी आप को रूम दिखा देता हूँ….फिर राज अंजुम के साथ छत पर चला गया………
भले ही घर बहुत अच्छी हालत मे नही था….पर राज को रहने के लिए सही लगा. सोचा जब तक किसी अच्छी जगह का इंतज़ाम नही हो जाता….तब तक यही रह लेता हूँ. रूम देखने के बाद राज ने अंजुम से पूछा….”बताइए अंजुम भाई…कितना किराया लेंगे आप….” अंजुम ने राज की तरफ देखते हुए कहा….”बाबू जी रूम का 2 हज़ार और अगर घर का खन्ना चाहिए तो टोटल 4000 ……
राज ने खुशी-2 अंजुम को हाँ बोल दी….फिर राज अंजुम से मेरे उसके रिश्ते के बारे में पूछा….तो अंजुम ने बताया कि, मैं उसकी पत्नी हूँ…..
अंजुम: वो दरअसल बाबू ये बात ये है कि, नजीबा मेरी दूसरी बीवी है….जब मैं 25 साल का था….तब मेरी पहली शादी हुई थी…..और पहली बीवी से नाजिया का जनम हुआ…..लेकिन नाजिया के जनम के 13 साल बाद मेरी पहली पत्नी की मौत हो गयी.. फिर मेने अपनी बीवी की मौत के बाद 35 साल की उम्र मे नजीबा से शादी की. नजीबा की भी पहले शादी हुई थी…..लेकिन उसके पति की मौत हो गयी….. और बाद मे जब नजीबा 20 साल की थी….तब मेरी और नजीबा की शादी हुई…..
अब सारा मसला राज के सामने था…..थोड़ी देर बाद राज वापिस चला गया…अगले दिन अंजुम सुबह काम पर चले गये……दोपहर को अंजुम राज का सारा समान लेकर वापिस आए, और फिर राज का समान ऊपेर वाले रूम मे रख कर मुझसे कहा…..कि मैं और नाजिया दोनो मिल कर राज का समान सेट कर दें…..मेने और नाजिया ने ऊपेर वाले रूम मे राज का समान सेट कर दिया….और अच्छे से सॉफ- सफाई भी कर दी…..
फिर अंजुम शाम को राज के साथ घर वापिस आए, और उन्हे ऊपेर रूम मे ले गये….राज ने अपने रूम को देखा….जो शायद उसे पसंद आ गया था…..उनका पूरा समान पूरे तरीके से रख दिया था….
अंजुम: क्यों बाबू जी रूम पसंद आया ना…..
राज: हां ठीक है…..
अंजुम: अच्छा बाबू जी गरमी बहुत है…..आप नहा धो लो….फिर रात के खाने पर मिलते है…..उसके बाद हम नीचे आ गये….नीचे आने के बाद अंजुम ने मुझसे बोला कि जल्दी से रात का खाना तैयार कर दो…..मैं थोड़ी देर बाहर टहल कर आता हूँ,….ये कह कर अंजुम बाहर चले गये…..मैं जानती थी कि, अंजुम अब कही जाकर दारू पीने बैठ जाएँगे. और पता नही कब वापिस आएँगे….इसीलिए मेने खाना तैयार करना शुरू कर दिया….आधे घंटे मे मेने और नाजिया ने मिल कर खाना तैयार कर लिया….अभी मैं खाना प्लेट्स मे डाल ही रही थी कि, लाइट चली गयी…..ऊपेर से इतनी गरमी थी कि, नीचे तो साँस लेना भी मुस्किल हो रहा था…
|