RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
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गतान्क से आगे…………………………………….
चूत मेरे लौडे के बिल्कुल करीब थी ..चू रही थी..मैने अपनी चूतड़ पीछे करते हुए एक जोरदार धक्का लगाया ..शन्नो हिल गयी ....और मेरा लौडा फत्च्फत्चता हुआ अंदर था .....फिसलता हुआ....उसकी चूत की फाँक चीरता हुआ ....
" हाइईईईईईईईईईई रे तेरी मा की चूत आबे गान्डू ये मेरी चूत है रे कोई रंडी का भोंसड़ा नही रे गान्डू ...उफफफफ्फ़ ..ज़रा संभाल के नहीं चोद सकता बे ..हरामी ..साला......उफफफफफ्फ़...हाीइ रे मज़ा भी तो आ रहा है .....उफफफफफफ्फ़...चल अब रुका क्यूँ..मार ना धक्का ...." शन्नो बड़बदाई जा रही थी..
" हां रे बूर्चोदि ..साली ले..ना ..ख़ाआ ना मेरा लौडा गापागप.....ले ले पूरे का पूरा ..साली इतनी चूदासी थी ..अब ले चुदाई का मज़ा .....ले मेरा मूसल लौडा अपनी चूत में ..ले ..साली ..ले ...मादरचोद ले..ना ..." और मैं भी उसे गालियाँ देता जा रहा था और चोदे जा रहा था ..चोदे जा रहा था..ठप ..ठप ..फतच फतच .....चिकना लंड और चिकनी चूत ..सटा सॅट ..सटा सॅट ..लौडा अंदर बाहर हो रहा था....
शन्नो की चूतड़ हर धक्के में उछल रही थी ...उसकी चूत की फाँक मेरे लौडे को जाकड़ती जा रही थी...कस्ति जा रही थी.....अपने हाथ मेरे कमर के गिर्द रखे ..टाँगों से मेरे चुतडो को जकड़े ...उपर नीचे करती जाती ....
" पेल ..राजा ..पेल हां रे चोदु राजा ..पेल और पेल ...बहनचोद पेल हां ....अयाया आआआः पेले जाअ रे ...फाड़ डाल ..चीथड़े कर डाल जग्गू ....मार डाल रे ...मादरचोद ..मार ना और माअर धक्के लगा ना...."शन्नो बूरी तरह चिल्लाए जा रही थी ....बडबडाये जा रही थी ....
और फिर उस ने बूरी तरह मुझे अपनी टाँगों से जाकड़ लिया ..मुझ से चिपक गयी ....अपनी चूत से मेरे लौडे को कस लिया ....मानो उसे चूस डालेगी ...कुछ देर तक लंड चूत से कस्ति ..फिर छोड़ती और फिर खूब जोरों से लंड अपनी चूत से जाकड़ ली ....उसका पूरा बदन ऐंठ गया ..अकड़ गया ...और वो हन्फ्ते हुए ढीली पड़ गयी ..उसके हाथ पैर ढीले हो गये और मेरे लंड ने उसके चूत की गर्म गर्म धार का बहाव महसूस किया ..
मैं गन्गना गया ..और जोरदार धक्के लगाए .....मेरा पूरा बदन सिहर रहा था ...कांप रहा था ..मैने उसे जाकड़ लिया ..अपना लंड अंदर डाले डाले ही उसे जकड़ा रहा और झटके पे झटके खाता हुआ मेरे लंड ने वीर्य उगलना शुरू कर दिया ....हर झटके में मैं सिहर उठता और उसे और भी जोरों से जाकड़ लेता ....
मैं भी हांफता हुआ उसके सीने पर ..उसकी गुदाज और मांसल चूचियों पर सर रखे ढेर हो गया...
और इसी तरह दिन ,रात , हफ्ते और महीने गुज़रते गये ....मेरी जिंदगी मा , शन्नो और मेरी दोनो प्यारी प्यारी बहनो के गिर्द घूमती रही ....मैं इन्ही चार लोगो में अपनी जिंदगी की सारी खुशियाँ , मस्ती और मज़े ढूँढ लेता ..
मैने अब अपनी एक खुद की कार धुलाई की एजेन्सी भी शुरू कर ली थी ...आस पास के काफ़ी बिल्डिंग्स में मेरे छोकरे सफाई किया करते ....अच्छी ख़ासी कमाई हो जाती थी..
मा अभी भी मेम साहेब के यहाँ काम करती , पर बिंदु और सिंधु ने अपने काम छोड़ दिए थे ...मेम साहेब के यहाँ ही मा को उसके काम में मदद कर देतीं..पर हम ने मेम साहेब का बांग्ला छोड़ा नहीं....इतना अच्छा घर और वो भी मुफ़्त..कहाँ मिलता इतने बड़े शहर में ...और साथ में शन्नो जैसी मस्त चूत ....
बस अच्छे दिन चल रहे थे ..
एक दिन शन्नो बड़ी उदास सी थी ..पूछने पर पता चला उसकी एकलौती बेटी और दामाद अब हमेशा के लिए इंडिया छोड़ यू एस ए में सेट्ल हो गये......शन्नो अपने आप को बहुत अकेला महसूस कर रही थी....
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