RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
मा और भी जोरों से हंस पड़ी..फिर बोली " अरे कल रात को जब मेरी चुदाई कर रहा था ना मुझे लगा तेरे बाल काफ़ी उग आए हैं तेरे हथियार के आस पास..अरे लड़ाई में जा रहा है , हथीयार तो चमका ले रे ...आ इधर आ..पॅंट खोल मैं देखती हूँ..मेम साहेब को खुश रखना है ना ..आ . शर्मा मत ..चल खोल पॅंट.."
मैं भुन भुनाता हुआ उसके और करीब गया" क्या मा ..तू भी ना....चल जल्दी कर जो करना है.."
और मैने पॅंट खोल दिया उर नीचे से नंगा हो गया ..
मा ने देखा ...." उफफफफफ्फ़.तू भी ना जग्गू..देख तो कितने बाल उग आए हैं...अरे चूत में जब लंड जाता है ना भोले राम..बाल होने से रुकावाट आती है..चिकना रहता है तो बिल्कुल चिपकता हुआ पूरे का पूरा चंदे से चमड़ा टकराता है ..तभी तो मज़ा है रे बूधू.."
और मुझे मेरे लंड को थामते हुए खिचते हुए बाथरूम के अंदर ले गयी..
सबून लगा कर अच्छे से मला और फिर मेरे सेफ्टी रेज़र से ही फटाफट बाल साफ कर दिए ...उफफफ्फ़ ..मा के बाल साफ करने से मेरी बूरी हालत हो गयी थी ..मेरा चिकना लौडा हवा से बातें कर रहा था ...
" लो अब इसे शांत कौन करेगा ...मा तुम भी ना देखो तो क्या हाल कर दिया तू ने..अब मैं क्या करूँ..??"मैने झल्लाते हुए कहा ..
मा मेरे चिकने लौडे को अपने हथेली से सहला रही थी , उसकी जोरों से हँसी निकल गयी ...
" हा ! हा!!...वाह .देख तो चिकना लंड कितना मस्त लगता है पकड़ने में ..मन करता है खा जाऊं ...ला इतने चिकने लंड को मैं ही खाती हूँ.. सब से पहले ..."
और मा मेरे लौडे को अपनी हथेली से हल्के हल्के दबाते हुए ..चॅम्डी आगे पीछे करते हुए ...नीचे बैठ गयी और जीभ लपलपाते हुए पूरे लौडे की लंबाई चाट गयी....हाथेलि से लौडे के नीचे जाकड़ लिया और मुँह में ले चूसने लगी जोरों से ....मैं तो कांप उठा ..मेरे घूटने मूड गये....मा जोरों से कभी होंठों से चूस्ति..कभी जीभ फिराती ..कभी सिर्फ़ हथेली से जोरों से जाकड़ लेती..मूठ मार देती ..और मैं आँखें बंद किए मस्ती में सिहारता जा रहा था....उफफफफफ्फ़..क्या चूसाई चल रही थी..मुझे ऐसा लग रहा था मेरे पूरे बदन से खून खिचता हुआ लंड के अंदर आता जा रहा हो..और मैं और नहीं टिक सका ..मेरे लौडे ने झटके खाने शुरू कर दिए..मा ने चूसना रोक दिया ..हथेली से जकड़े अपने मुँह पर मेरे लौडे की छेद रख ली ..और मैं जोरदार पीचकारी छोड़ दिया उसके मुँह में....छोड़ता रहा ....छ्छूड़ता रहा...मा मेरे पूरे वीर्य को अपने गले के नीचे उतारती गयी...और फिर लौडे को चाट चाट कर पूरा सॉफ कर दिया ...मेरा लौडा चमक उठा ....और शांत हो गया ..
मा उठ गयी ..मुझे गले लागया..और कहा" जा अब मेम साहेब की जम कर चुदाई कर .... देखना ना अब जल्दी नहीं झदेगा ....मैने झाड़ दिया ना..." और मेरे लौडे को मेरे पॅंट के अंदर डाल दिया .
मैं भी झूम उठा था ..मस्त हो गया था और उसी झूमते कदमों से मेम साहेब के बंगले की ओर चल दिया..
वहाँ पहून्च्ते ही दरवाज़ा खटखटाया अंदर से बड़ी मीठी सी आवाज़ आई " अरे जग्गू ..आ भी जा ना रे ...सब कुछ तो खुला है ...दरवाज़ा खुला है रे ...." और जोरदार हँसी की आवाज़ आई ...
मैं समझ गया आज मेरी खैर नहीं ... मेम साहेब की शन्नो ने काफ़ी हलचल मचा रखी है ....
मैं दरवाज़ा खोलता हुआ अंदर गया...मेम साहेब सोफे पर लेटी थीं ...उन्होने एक लंबा फ्रॉक पहना था ..सोफे पर लेटी थीं ...और फ्रॉक उनके घुटनों तक उठा हुआ था ..नीचे पैंटी वॅंटी कुछ नहीं ....उनकी भी चूत चमक रही थी ....एक भी बाल नहीं था वहाँ ...फूली फूली चूत .... और गुलाबी फाँकें ...मन किया उन्हें दबोच लूँ ...
उन्होने लेटे लेटे ही मुझे अपने पैरों के पास बैठने का इशारा किया ..
मैं बैठ तो गया ..पर मेरी निगाहें उनकी चूत पे ही अटकी थी...
मैने कहा " मेम साहेब .....ओउफफफफफफ्फ़ सॉरी सॉरी शन्नो ...हां शन्नो ..क्या है आज ..चलें बाहर ..कार की चाभी दो ना ....."
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