RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
बिंदु ने झट मेरा हाथ हटा दिया.."भाई तुम हाथ मत लगाओ..मा ने क्या कहा.? जो भी करना है हम करेंगे .." और ये बोलते हुए उस ने अपनी चुचियाँ अपने हाथों से दबाते हुए एक चूची मेरे मुँह में डाल दी..और कहा " लो चूसो ...जितना चाहे चूसो भाई .."
मैं मस्ती से बैठा बैठा बिंदु के सीने से लगा उसकी चूची चूस्ता रहा ...
बिंदु ने अब मेरे पॅंट के बटन खोलते हुए उसे मेरे घूटनों से नीचे कर दिया और पूरा बाहर कर दिया ...और फिर अपनी सारी भी खोल दी ....
अब हम दोनो सिर्फ़ अंडरवेर और पैंटी में थे..मेरा लौडा मेरी अंडरवेर के अंदर फन्फना रहा था..मानो अंडरवेर फाड़ के बस अब बाहर आया तो तब ...
उधर मा और सिंधु दोनो अब तक पूरी तरह से नंगी हो कर हमारी ओर देख रहे थे...
बिंदु ने झट मेरे अंडरवेर के अंदर अपने हाथ ले जाते हुए उसे भी उतार दिया ..और अपनी पैंटी भी उसी झटके के साथ अपने पैरों से नीचे कर दी...
मैं अभी अभी उसकी चूची मुँह में डाले चूसे जा रहा था ..उसकी सिसकारियाँ निकल रही थी...उसकी चूत से गीलापन सॉफ झलक रहा था ..और हमें देख सिंधु और मा भी गरम हो रही थी,...
फिर सिंधु ने मा की ओर देखते हुए कहा .." उफफफफफफ्फ़..माआ जल्दी करो ना जो भी करना है...बोल ना अब क्या करें .?" और उस ने अपनी टाँगों के बीच अपनी उंगलियाँ डाल अपनी चूत की फाँक सहलाना चालू कर दिया ..
मा हम लोगो की हालत पर हँसने लगीं " अरे अभी तो खेल शुरू भी नहीं हुआ और तीनों इतने गरम होते जा रहे हो..देख ना जग्गू का लौडा ..उफफफ्फ़..कैसा फन्फना रहा है ..चल बता पहले कौन उसका लौडा अपनी चूत में लेगा ...? "
सिंधु ने अपना हाथ उठाते हुए कहा " मा ..मैं लूँगी ..हां ..कब से मैं तड़प रही हूँ...देख ना मेरी चूत की हालत .."
और उस ने अपनी टाँगें फैलाते हुए अपनी चूत मा को दिखाई ...बिंदु ने भी झांका उसकी बूरी तरह गीली चूत की तरफ...
" चलो ठीक है , फिर आज का खेल शुरू करते हैं ...चल जग्गू तू अपना लौडा उपर रखते हुए बिस्तर पर लेट जा .." मा ने मेरी ओर देखते हुए कहा ...
पर उसी वक़्त बिंदु ने कहा.." मा..खाट पे उतना मज़ा नहीं आएगा ..हम चारों को उसमें आने में दिक्कत होगी..मैं बड़ा गद्दा नीचे बिछा देती हूँ..नीचे मस्ती करेंगे ..क्यूँ ठीक है ना..?"
"ह्म्म्म्म...हां रे बिंदु तेरा कहना सही है...चल जल्दी कर गद्दा बिछा दे ...कितनी होशियार हो गयी है रे तू..." मा ने कहा ..
" भाई मेरी चुचियाँ अपने मुँह से बाहर कर ना ..गद्दा बिछा लूँ , फिर चूसना.." और ऐसा कहते हुए उस ने अपनी चुचियाँ हटा ली मेरे मुँह से..हम सब खड़े हो गये और बिंदु ने फटपट नीचे फर्श पर गद्दा बीचा दिया ....
" चल रे जग्गू लेट जा गद्दे पर ..लौडा उपर रखना ..." मा ने मुझे ऑर्डर मारा ..और मैं फॅट से अपने फनफनाते हुए , तन्नाए लौडे को उपर रखते हुए लेट गया ..अपने हाथों से थामता हुआ उसे हिला हिला कर सब को दिखाता हुआ गद्दे पर लेट गया ...
"सिंधु बेटा ..चल जा अपनी चूत फैला ले अपनी उंगलियों से और बैठ जा उसके लौडे पर अपनी चूत डालते हुए और चोद डाल जग्गू को ...खूब अच्छे से चोद्ना ..जैसे वो चोद्ता है हम सब को ..ठीक है ना..?? " मा ने सिंधु को समझाते हुए कहा ..
सिंधु अपने पैरों को मेरी टाँगों के दोनो ओर करते हुए ..अपनी चूत फैलाए मेरे लौडे पर अपनी गीली चूत रख दी...और धीरे धीरे बैठती गयी मेरे लौडे पर .....उफफफफफ्फ़..कितनी टाइट थी उसकी चूत..अभी भी उसकी चूत पूरी तरह खुली नहीं थी ..मुझे महसूस हुआ किसी ने मेरे लौडे को बूरी तरह जकड़ा हुआ है ..मैं भी नीचे से अपने लौडे को उसकी चूत के अंदर उपर की ओर करता रहा ..पूरा लौडा उसकी चूत में धँस गया ...मानो साँप अपने बिल में घूस गया हो..सिंधु के मुँह से हल्की सी चीख निकल गयी ...
मैने फ़ौरन थोड़ा उठते हुए सिंधु को अपनी बाहों में भर लिया ..उसकी चूत के अंदर अपना लौडा रहने दिया और उसे चूमने लगा ...सिंधु भी मेरे लौडे पर अपनी चूत रखे ही मुझ से लिपट गयी ...मैं उसके होंठ चूस रहा था ..उसकी चूचियों से खेल रहा था..हल्के हल्के दबाता जा रहा था ..उसे राहत मिली ....
मा हमारी तरफ देख रही थी , सिंधु के चेहरे पे दर्द का निशान अब नहीं था ...और उसकी चूत से काफ़ी पानी रीस्ता जा रहा था..मेरा लौडा उसके रस से सराबोर था ..
" बेटी दर्द कम हुआ..??" मा ने सिंधु की पीठ सहलाते हुए कहा ..
"हां मा ..." सिंधु ने कहा
'चल अब फिर से धक्के लगा ..अब ज़रा तेज़ लगाना ..ठीक है ..चोद अब अपने भाई को ..खूब चोद .जितना दिल चाहे चोद " मा ने कहा
सिंधु ने अब फिर से धक्के लगाने शुरू किए....मेरे चूमने और उसकी चुचियाँ दबाने से उसकी चूत काफ़ी गीली हो गयी थी..अब बड़े आराम से उसकी चूत मेरे लौडे पर उतरती जा रही थी...
मैं भी नीचे उसके धक्कों के साथ अपनी कमर उठा उठा कर साथ देता जाता..उफ़फ्फ़ ..मज़े में थे हम दोनो ..उसकी किलकरियाँ निकल रही थी ..अपनी चूतड़ उछाल उछाल कर सिंधु चोदे जेया रही थी अपने भाई को..और भाई चूद रहा था ...
इधर मा ने बिंदु को कहा " बेटी अपनी चूत मेरे मुँह पर रख और तू जग्गू के होंठ चूस ...अपनी टाँगें पूरी फैला दे रे ...चूत की फाँक मेरे मुँह से लगा ..ठीक है..??"
और मा मेरे से कुछ दूर हट कर लेट गयी ...बिंदु ने अपनी टाँगें फैला दी , चूत भी फैला दी ..और मा के मुँह से लगाते हुए अपना चेहरा मेरी ओर किया और जोरों से मेरे होंठ चूसना चालू कर दिया ....
जैसे जैसे मा उसकी चूत की फाँक पर अपनी जीभ फिराती..अपनी जीभ उसकी गीली चूत की फाँक में घूसेड़ती ...उसकी चूत अपने होंठों से चूस्ति ..अपनी उंगलियाँ उसकी चूत में डालती... उसका मेरे होंठों को चूसना भी ज़ोर पकड़ता जाता..मैं तो पागल हो उठा ..दोनो बहेनें अपने भाई पर टूट पड़ी थी ..एक चूत से लौडे को चूस रही थी, चोद रही थी...और दूसरी मेरे होंठ..जीभ ..तालू मुँह का कोना कोना चूसे जा रही थी, अपनी थूक और लार से मेरा मुँह भरती जा रही थी ....बिंदु के चूतड़ भी मा के उस की चूत चुसाइ , घिसाई और उंगलियों से चुदाई के मारे उछाल पर उछाल मार रहे थे .....
क्रमशः…………………………………………..
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