RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
मा ने मेरी ओर देखा ...मेरी आँखें चूत की भूख से लाल हो रही थी ..बेचैन थी...उन्होने मेरी बेचैनी और तड़प समझते हुए कहा " अरे बेटा मैं तो तेरे भले के लिए ही मना किया था ..तू कितना थक जाएगा ..उधर मेम साहेब और इधर हम सब ..किस किस का ख़याल रखेगा...?"
" मा तू समझती नहीं रे..ये आग कभी बूझती है क्या...जितना भी ठंडा करो और भड़क जाती है ...और जब तक मैं तुम तीनों को चोद ना लूँ ठंडा नहीं होता..और मेम साहेब के साथ तो आज मेरी आग और भी भड़क उठती है..वो आग हैं आग ...उन के पास कभी ठंडा नहीं हो सकता .और भी आग लग जाती है मा ..बोल मैं क्या करूँ ...?"
" हां रे मैं समझती हूँ..अभी बेचारी बहुत दिनों से भूक्खी हैं ना इसलिए ...कुछ दिनों में वो भी शांत हो जाएगी ..फिर सब ठीक हो जाएगा ..."
" पर मा अभी जो आग है मेरे अंदर उसका क्या करें...?"
" ओओओह्ह्ह..मेरा राजा बेटा ...मैं हूँ ना..सिंधु भी है बिंदु भी है ..मैने तो सिर्फ़ इसलिए मना किया था के तू आज थका सा होगा ..पर मुझे क्या मालूम था कि तू इतना पगला रहा है..चल पहले सब मिल कर खाना खा लेते हैं..फिर तेरी आग भी ठंडी कर देंगे ,,ठीक है ना ..?"
और फिर सिंधु और बिंदु ने खाना टेबल पर लगाया और हम सब बातें करते करते खाने लगे...
खाना ख़त्म होते ही मा ने सब को अपने रूम में जाने को बोला ..."तुम लोग मेरे रूम में जाओ मैं अभी आती हूँ हाथ मुँह धो के.."
थोड़ी देर में मा फ्रेश हो कर कमरे में आईं ..हम तीनों भाई बहेन खाट पर एक दूसरे से चिपके बैठे थे और मा की ओर देख रहे थे ....
मा ने कहा " देख सिंधु बिंदु..आज से जग्गू हमारे साथ
कुछ नहीं करेगा ..."
हम तीनों के चेहरे मुरझा गये उसकी बात सुन कर...
मा हमारे मुरझाए चेहरे को देख हँसने लगी और दोनो बहनो की ओर देख कर कहा .." अरे बेवकुफों..मैने सिर्फ़ जग्गू को मना किया है तुम्हें थोड़ी मना किया..जो करेंगे हम तीनों करेंगे ..जग्गू बस यह तो बैठा रहेगा यह फिर लेटा रहेगा जैसा इसका मन ...समझी .."
हम तीनों उसकी बातों से खिल उठे ...खास कर दोनो बहने तो उछल पड़ी ...
" ठीक है मा तो चल ना देर काहे की , शुरू करते हैं...भाई तू बैठा रह और देखता जा और मज़े ले.." सिंधु ने कहा
" बिंदु तू सब से पहले अपने भाई के कपड़े उतार, पहले एक कपड़ा उसका उतारना , फिर एक अपना ... ..और सिंधु तू मेरे कपड़े उतार ..बस वैसे ही जैसे बिंदु..एक मेरा और फिर एक अपना ...चल पहले एक दूसरे के कपड़े उतारते हैं फिर आगे बढ़ेंगे ..और जग्गू तू कुछ नहीं करेगा ..किसी को हाथ भी नहीं लगाएगा ..ठीक है ना..?"
और फिर दोनो बहेनें अपने अपने काम पर फटाफट लग गयीं..
बिंदु मेरे पैरों के बीच आ गयी , मेरी ओर देखी , बड़ी सेक्सी मुस्कान अपने होंठों पे लाते हुए ... उस ने सब से पहले मेरी शर्ट उतारी..फिर अपनी ब्लाउस ..ब्लाउस उतरते ही उसकी सुडौल चुचियाँ मेरी आँखों के सामने झलक रही थी, उसके सीने का उभार उसकी तेज़ साँसों के साथ उपर नीचे होता जा रहा था ...
फिर उस ने मेरी बनियान उतार दी ... और मेरे सीने पर हाथ फेरते हुए उस पर अपनी लप्लपाति , पतली और गीली जीभ फिराई..मैं तो बस मस्ती में बैठा था और मज़े लेटा जा रहा था..फिर उस ने अपनी ब्रा भी खोल दी ...उसका सीना अब बिल्कुल नंगा था ..और उसकी गोल गोल चुचियाँ मेरी आँखों के सामने उछल पड़ी..मैं उन्हें अपने हाथों से लपकते हुए दबाने लगा ..सहलाने लगा...
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