RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
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गतान्क से आगे…………………………………….
मैं तो मेम साहेब के इस रूप को देख हैरान था ..परेशान था..कहाँ तो हमेशा एक दम सीरीयस सी , कर्कश और तीखी आवाज़ों वाली ..और आज बिल्कुल उल्टा..एक दम बिंदास ...कोई झिझक नहीं ..कोई परेशानी नहीं.... एक जवान लड़की की तरह जो अपने प्रेमी के साथ मज़े लूट रही हो..जिंदगी की सारी खुशियाँ समेट लेने को उतारू ....सिर्फ़ एक ही मक़सद था जिंदगी भरपूर जीने का...जिंदगी का पूरा लुत्फ़ उठाने का..
मैं उनकी चूची भरपूर चूस रहा था ..फिर सांस लेने को रुका ... उनकी आँखो में देखा ....उन्की आँखें कह रही थी .." क्या हुआ..रुक क्यूँ गये..?"
मैने उनके चेहरे को अपने हाथों से थामा , उन्हें चूम लिया और फिर उनकी आँखों में झाँकता हुआ कहा " मेम साहेब एक बात पूछूँ..? "
उन्होने भी मेरे होंठों को चूमते हुए कहा " हां रे पूछ ना ..क्या पूछना है..?"
" मेम साहेब ..मैं कल से ही देख रहा हूँ..आप कितनी बदली बदली हैं..कहाँ तो रोज का गुस्सा , चिल्लाना औरों पर , हमेशा चेहरे पर चिड़चिड़ाहट ...और कहाँ ये अब सिर्फ़ प्यार , मस्ती एक दम बिंदास ....क्या हो गया ये अचानाक आप को..?"
मेरी बात सुन मेम साहेब ने भी मेरे चेहरे को थाम लिया और मेरी आँखों में देखते हुए कहा " क्यूँ तुझे मेरा ये रूप पसंद नहीं आया..?/"
मैने बड़े प्यार से उनकी चूची दबाने लगा ..उनके भरे भरे पेट पर हाथ सहलाया उन्हें अपने सीने से लगा लिया और कहा ." क्या आप को ऐसा लगा मेम साहेब ..?? "
मेम साहेब मेरे सीने से चिपकी रही ..सिर्फ़ अपना सर उठाया और मेरी तरफ देखते हुए कहा " नहीं रे ..तुम ने तो मुझे निहाल कर दिया ..इतना प्यार किया और सॉफ सॉफ बोलूं तो ऐसा चोदा है मुझे आज तक किसी ने नहीं चोदा रे ....और मेरे इस बिंदास रूप में वापस लौटने की वाज़ेह तुम ही हो जग्गू ..सिर्फ़ तुम ..अगर तुम नहीं आते ना तो मैं बस वैसे ही अपने गुस्से और चिड़चिड़ाहट की आग में झुलस झुलस के मर जाती....हां मर जाती .."
मैं उनकी इस बेबाक बात से सन्नाटे में आ गया ..कहाँ मैं एक मामूली कार सॉफ करनेवाला उनकी नौकरानी का बेटा ..और कहाँ इस मामूली आदमी ने इनकी जिंदगी का रुख़ ही बदल दिया .....मैं हैरान था ..मेरे जहेन में हज़ारों सवाल उठ खड़े हुए ....
मेरे चेहरे पे एक उलझन थी , मैने फिर से एक सवाल किया .." मुझे तो ऐतबार ही नहीं हो रहा मेम साहेब ..मैं एक मामूली सा आदमी , इतना बड़ा बदलाव ले आया आप के अंदर ? पर वो कैसे ..??"
उन्होने ने अपने उंगलियों से मेरे गाल पकड़ लिए और मुझे चूम लिया " वो ऐसे ..मेरे भोन्दु राजा ...सुन ...तू जब आया यहाँ ना तेरे मस्त ,अल्हाड , बेफिक्र पर फिर भी इतना ज़िम्मेदार और सीरीयस सा रूप देख मैं मर मिटी... मैं इतने दिनों तक रोज तुझे देखती ...तेरी चाल में एक भरोसा है...बड़े नपे तुले कदम हैं तेरे ... इतने भरोसे से भरे है तेरे कदम जग्गू ..कोई भी इन कदमों के साथ दुनिया की आखरी छोर तक चल सकता है ... और जब कल तेरे लौडे को मैने अपनी उंगलियों से छुआ..जब तू पहली बार मुझ से मिलने आया था कल ...रही सही कसर भी पूरी हो गयी ...उफ़फ्फ़ कितना कड़क था..मानो किसी चूत को रौंद डालेगा ....और आज जब तू ने मुझे चोदा .....सही में तू ने रौंद डाला मुझे ...मेरे रोम रोम को जगा दिया तू ने ..तेरे धक्कों ने मेरी पोर पोर खोल दी ..मेरा पूरा बदन कांप उठा ...मेरे सोए अरमान ..मेरा सोया हुआ समय ...सब कुछ वापस आ गया ...जग्गू तू ने आज तक सोती हुई शन्नो को जगा दिया रे ..हां रे जग्गू, शन्नो आज फिर वापस आ गयी है ..."
मैं आँखें फाडे उनकी तरफ देख रहा था...मेम साहेब एक के बाद एक बॉम्ब चोदे जा रही थीं ..मेरी उलझनें बढ़ती जा रही थी....मेरे अंदर धमाके पर धमाका होता जा रहा था... और अब ये शन्नो का धमाका ....
मैने पूछा.." शन्नो..ये शन्नो कौन है मेम साहेब ..."
मेम साहेब ने जोरदार ठहाके लगाते हुए कहा " हा हा हा !! अरे आँखें मत फाड़ ..तू ने तो मेरा सब कुछ फाड़ दिया रे...तू मेरे आज को फाड़ता हुआ, चीरता हुआ मेरे बीते हुए कल तक पहून्च गया ..अरे बाबा शन्नो मेरा ही नाम है ..आज तू ने उसे जगा दिया जग्गू ...तेरे सामने मेम साहेब मर गयी ....शन्नो जाग गयी..मैं मुस्लिम हूँ , मैं और तेरे मेरहूम साहेब , कॉलेज में साथ पढ़ते थे...और हमारा लव मॅरेज हुआ....
पर ये शन्नो तो और भी पहलेवाली है ...हां जग्गू तू ने मेरी शादी से पहले वाले दिनों की याद दिला दी..जब मैं पहली बार चुदी थी...उफफफफ्फ़ एक वो चुदाई थी और एक आज ....और इन दोनो चुदायों के बीच शादी के बाद जो हुई .उन्हें मैं भूल जाना चाहती हूँ..वो सिर्फ़ एक रस्म-निभानेवाली बात जैसी होती थी...उन्हें अपने बिज़्नेस और पैसों से ज़्यादा प्यार था ...कुछ दिनों तक तो सब कुछ ठीक था ..पर फिर वोई पैसा..पैसा ...और शन्नो इस पैसे की हाई तोबे में मर गयी....जिसे आज तुम ने फिर से जिंदा कर दिया .. "
मेरे जेहन में अब उनकी बात कुछ कुछ समझ आ रही थी...मैं उनकी तरफ देखता रहा ...
और सिर्फ़ इतना कहा.." अच्छा..तो आप को आज की चुदाई इतनी अच्छी लगी..." मेम साहेब अभी भी मेरे सीने से लगी थीं ...मैं उनकी चूचियों से खेल रहा था ....
उन्होने मेरे गाल सहलाते हुए कहा" हां रे जग्गू ....तेरे जोरदार धक्कों ने अब तक सोती हुई शन्नो को जगा दिया ..और आज मुझे ऐसा महसूस हुआ मैं अधेड़ मेम साहेब नहीं बल्कि शादी से पहलेवाली 24 साल की शन्नो हूँ...वोई अल्हड़ , मस्त और बिंदास शन्नो ....और जग्गू अब ये शन्नो वैसी ही रहेगी तेरे साथ ....समझे...? और तेरे लिए मैं मेम साहेब नहीं शन्नो हूँ..शन्नो ..फकत शन्नो .....और सुन आज से , अभी से तू मुझे शन्नो बुलाएगा ..शन्नो ....जग्गू ने शन्नो को जगा दिया ...अब दुबारा उसे मरने मत देना जग्गू ...आरसन के बाद तो फिर से जी उठी है ......."
और मेम साहेब...अरे नहीं नहीं ...शन्नो की आँखें भर आई थी..मेरी भी आँखें नम थीं...
मैने शन्नो को अपने सीने से और भी चिपका लिया ..बिल्कुल अपने करीब खिच लिया , उसके काँपते होंठों को अपने होंठों से लगाया उन्हें चूम लिया ...और कहा
" हां शन्नो ... अब तुझे मैं जिंदा रखूँगा ..जब तक मैं जिंदा हूँ..."
शन्नो मेरी बाहों में फूट फूट के रो रही थी..उसकी बड़ी बड़ी और चौड़ी सी आँखों से आँसू की मोटी मोटी बूंदे टपकती जा रही थीं .....शन्नो अपनी आँसू की बूँदो से मेम साहेब की यादों को , उनके अंदर की आग को , उनके दिल की इतने दिनों की भदास को धोए जा रही थी ....मीटाती जा रही थी...
अब मेम साहेब पूरी तरह से शन्नो थी ..मेरी बाहों में , मेरे सीने से लगी ... मुझे चूमते हुए , पुच्कार्ते हुए और अपनी सब से प्यारी चीज़ ..हां मेरे लौडे को अपने हथेली ओं में जकड़े सहलाए जा रही थी...
मैं पागल होता जा रहा था.इतनी देर के उसके जज़्बातों के तूफान ने मेरे अंदर भी तूफान मचा दिया था ..मेरा लौडा उसकी हथेली में फनफना रहा था .. अकड़ता जा रहा था ..
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