RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
मैं एक मूर्ति की तरह खड़ा था ..मेरी आँखें चौड़ी थीं और दिल बाग बाग ...दीमाग में हलचल मची थी और लौडे में हरकत ...
मेरी हालत देखी उन्होने और हंसते हुए कहा " अरे खड़ा क्यूँ है रे..ये ले गाड़ी की चाभी और गॅरेज से कार निकाल ...."
उनकी आवाज़ से मैं चौंक पड़ा , जैसे किसी मीठे सपने से झकझोर के जगा दिया गया हो मुझे..
मैं आगे बढ़ा ...उनके हाथ से चाभी ली ..और बाहर निकल गया ...बाहर आ कर थोड़ी देर खड़ा रहा ..दिल की धड़कन शांत हुई ..फिर सामने गॅरेज की ओर बढ़ चला ..
कार निकाली ...और बरामदे की ओर ड्राइव करता हुआ उनके पोर्टिको में खड़ी कर दी ..
मेम साहेब बरामदे से नीचे आईं और सामने की सीट पर मेरे बगल बैठ गयीं ..
मैने पूछा " अच्छा मेम साहेब आप को गियर , क्लच और ब्रेक के बारे तो पता ही होगा ..?ये क्या हैं और कहाँ हैं..??"
" अरे मुझे कुछ मालूम नहीं ..मुझे सिर्फ़ इतना पता है कार में बैठ ते कैसे हैं . ..मुझे बस सवारी करनी आती है .." उन्होने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा ..
मैने जवाब दिया .." मतलब सब कुछ बताना पड़ेगा एक दम शुरू से..."
और मैने गियर पर हाथ रखा ..और कहा " मेम साहेब ..ये गियर है ..."
उन्होने झट मेरी हाथेलि पर ही अपनी मांसल , मुलायम और गर्म हथेली रख दी ...और हल्के से दबाते हुए कहा" ह्म्म्म.. तो ये छोटा सा डंडा गियर है...?"
"हां में साहेब ये गियर नहीं सही पूछें तो ये गियर स्टिक है ..और इसे आगे पीछे कर के ही गियर लगाते हैं ...और नीचे क्लच और उसके बगल में ब्रेक ..ये दोनो पैर से दबाते हैं.."और मैने दोनो को पैरों से दबाता हुआ दिखाया..
अभी तक उनकी हथेली मेरी हथेली पर ही थी ... अब वो मेरी हथेली अपनी हथेली से हल्के से थाम कर सहला रही थी ....उनके सहलाने से मेरे बदन में करेंट सी दौड़नी शुरू हो गयी ....इसका सीधा असर मेरे पॅंट के अंदर हो रहा था ..मेरा पॅंट उभरा था ....
मैने अपनी हथेली हटाने की कोशिश की , उन्होने हथेली मेरी हथेली से तो हटा लीं , पर फिर उसे मेरे घूटनों पर रखा और अपना चेहरा नीचे करते हुए कहा " अच्छा ...ज़रा दिखा तो क्लच और ब्रेक कहाँ हैं.."
मैने कहा .." मेरे पैरों की तरफ नीचे देखिए ना मेम साहेब ..बायें पैर के नीचे क्लच और दायें पैर के नीचे ब्रेक ..."
उन्होने नीचे झूकने के लिए अपनी हथेली मेरे बायें घूटने से हटाते हुए मेरे दायें घूटने पर रखना चाहा ..पर बीच में ही जाने क्यूँ उनकी हथेली रुक गयी और मेरे पॅंट की उभार पर आई और उसे जोरों से हथेली से थामते हुए चेहरा नीचे करते हुए कहा " ह्म्म्म ..देख रही हूँ..हां दिखा " और इतने देर में ही उन्होने मेरे उभार को मसल डाला जोरों से ...
मैं उछल पड़ा ...
मेम साहेब ने हंसते हुए कहा ..." क्या हुआ जग्गू ...? "
उनके चेहरे पे बड़ी शरारती सी मुस्कान थी और उनकी हथेली अभी भी वहीं के वहीं थी , और उनका मेरे लौडे को मसलना जारी था ..मेरा लौडा तन तना रहा था उनकी गर्म और नर्म हथेली की जाकड़ में ...
मैं उनकी तरफ देखा ..उनकी आँखों में एक अजीब ही चमक और मस्ती थी ...
अब तक मुझ में एक झिझक थी , एक शंका और डर ..पर उनके इस तरह से मेरे लौडे को पकड़ने से मैं समझ गया , मेम साहेब को ड्राइविंग से ज़्यादा ड्राइवर पसंद था ...और मुझे तो उनकी पसंद से मतलब थी ..उनकी खुशी में ही मेरी खुशी थी..हम सब की खुशी ..मा ने भी येई कहा था मुझे ....मैने मा की बात मान ली और मेम साहेब को खुश करने का मन बना लिया ..
मैने एक टक उनकी ओर देखते हुए कहा ..
" कुछ नहीं मेम साहेब ..लगता है आप को गाड़ी की गियर स्टिक से ज़्यादा मेरी गियर स्टिक पसंद आ अगयी है..देखिए ना कितने जोरों से आप ने मेरी स्टिक जाकड़ रखी है..."
मेरा जवाब सुन वो और भी जोरो से हंस पड़ी '' हां रे देर से ही सही ..पर अब तू सही रास्ते पर आ गया ...हां रे जिंदा गियर स्टिक पकड़ने में ज़्यादा मज़ा है ना ..."
पर तेरा स्टिक ढँका क्यूँ है ..इसे बाहर कर ना रे ..ज़रा देखूं तो कितना बड़ा है तेरा स्टिक..इतनी बड़ी गाड़ी को आगे बढ़ा सकता है या नहीं..? "
" अरे क्यूँ नहीं मेम साहेब ..बिल्कुल देखिए ..आप की गाड़ी है ..गियर स्टिक भी आप का ही है ..."
और मैने फ़ौरन उनकी हथेली अपने पॅंट के उपर से हटाता हुआ अपनी ज़िप खोल दी और अंडरवेर के साइड वाली फाँक से उसे बाहर कर दिया ...
मेरा लौडा फंफनाता हुआ कपड़ों से आज़ाद होता हुआ उछलता हुआ कड़क खड़ा लहराता हुआ हिल रहा था ...
मेम साहेब की चीख निकल गये "" उईईईईईईई....." उनकी आँखें चौड़ी थीं ..पूरे का पूरा 8" हवा में लहरा रहा था ...
" वाह रे वाह ...ये गियर स्टिक तो बुल्लडोज़ेर को भी हिला देगा रे जग्गू ."
और उनकी हथेली ने फिर से मेरे लौडे को बूरी तरह जाकड़ लिया और दबाने लगी . सहलाने लगी , उनकी आँखें बंद थीं ....और उनकी दूसरी हथेली की उंगलियाँ अपनी चूत सहला रही थी ...
मैं सिहर उठा ...उनके हाथेलि में मेरा लौडा और भी कड़क हो उठा ..
मेरा गला खुश्क हो चला था ...
मैने भर्राई आवाज़ में कहा
" मेम साहेब ...आप ने मेरा गियर स्टिक तो थाम लिया ..पर क्या मुझे अपनी स्टिक रखने की होल नहीं दिखाएँगी....?
देखिए ना कार की स्टिक कितनी मजबूती से अपने होल पर टीकी है मुझे भी तो अपनी स्टिक टिकने का होल देखने दें ..."
" अरे मना किस ने किया .खुद ही देख लो ना ... होल की साइज़ कैसी है..तेरी स्टिक के लिए ठीक है या नहीं ..अच्छे से जाँच लो ना जग्गू..."
क्रमशः………………………………………..
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