Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
10-15-2018, 10:57 PM,
#20
RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
10

गतान्क से आगे…………………………………….

उनकी ऐसी बातों से मुझे थोड़ी राहत मीली और मैं पीछे सरकता हुआ थोड़े आराम से बैठा ...

पर मैं सोचने लगा..इनके पास तो ड्राइवर है ..फिर इन्हें कार चलाना क्यूँ सीखना है ..और सीखना भी है तो मुझ से क्यूँ..? ड्राइवर से ही सीख लेतीं ....

उनकी नज़र मेरी तरफ ही थी ...उन्होने भाँप लिया मैं किसी सोच में हूँ ..

" क्या सोच रहा है तू...कोई प्राब्लम है सीखाने में..?"

" अरे नहीं मेम साहेब कोई प्राब्लम नहीं ..पर आप अपने ड्राइवर से ही क्यूँ नहीं सीख लेती?"

" हां रे सीख तो लेती उस से ..पर वो तो नौकरी छोड़ रहा है ..उसे यहीं कॉर्पोरेशन में नौकरी मिल गयी ..एक दो दिनों में चला जाएगा ..मैने सोचा मेरी गाड़ी ज़्यादा चलती नहीं दूसरा ड्राइवर क्यूँ रखूं..क्यूँ ना खुद ही ड्राइविंग सीख लूँ ... ?" और अब उनका दूसरा हाथ मेरी जाँघ पर था ... और उन्होने बड़े ही आराम से रखा .जैसे ये बस ऐसे ही हो गया हो ...

पर मेरी तो साँस अटक गयी ... एक हाथ से मेरा कंधा दबा रही थी और दूसरा हाथ मेरी जाँघ..

और मैं बीच में उनके भारी और मांसल हथेलियों की गर्मी से कांप उठा था ...उनके पर्फ्यूम से मदहोशी छा रही थी...सीधा असर उसका मेरे पॅंट के अंदर हो रहा था ...

" हां मेम साहेब बात तो आप ठीक कह रही हैं ... " मेरी आवाज़ थोड़ी भर्राइ थी.

" तो मैं ये समझ लूँ ना के तू मुझे सीखायगा कार चलाना..??"

" हां मेम साहेब ..क्यूँ नहीं ...मुझे कोई दिक्कत नहीं ..आप बताइए कब आऊ..??" मुझे मा की बात याद थी के "मेम साहेब जो भी कहें हां कर देना" ... और मैने मा की बात रख ली ..पर यह बात और थी के इस " हां " में मेम साहेब का भी कितना " हाथ " था ....

" वाह ...तो फिर कल से शुरू कर दें ...तू कल से ठीक 4 बजे शाम को आ जाना ...और अंधेरा होने से पहले तक जितना हो सकेगा सीख लेंगे ..." और उनकी मेरे जाँघ के उपर वाली हथेली थोड़ी सी नीचे सरक गयी थी "अंजाने" में ही मेरे कड़क लंड को छू रही थी ...

मैं फिर से चौंक गया ..और उनकी तरफ देखा ...मेरी हिम्मत कुछ बढ़ गयी,,..अपनी आँखें उनकी आँखों में डालते हुए , एक टक देखता रहा और फिर कहा...उनकी आँखें भी मुझे एक टक देख रही थी ...

" तो ठीक है मेम साहेब ...कल से शुभ काम शुरू करते हैं ..मैं चलूं अब..?" मैं उनकी आँखों में झाँकते हुए कहा

" हां रे ज़रूर ..कल से आ जाना ठीक 4 बजे..." और मैं उठता उस से पहले उनके दोनो हाथों ने फिर कमाल दिखाया ...कंधे को जोरों से दबाया और जाँघ की हथेली ने उंगलियो को और नीचे पहूंचाते हुए मेरे कड़क लंड को सहला दिया ....

फिर से हम दोनो एक दूसरे की आँखों में झाँक रहे थे ....

हम दोनो उठे...मेरी आँखों में तड़प थी , उनकी आँखों में चमक और होंठों पर एक शरारती मुस्कान .....

मैं मेम साहेब के ड्रॉयिंग रूम से बाहर आया...राहत की सांस ली....पर मेरी उलझन और भी बढ़ गयी...क्या जो भी अंदर हुआ अभी अभी ..सब सच था यह सपना...मेम साहेब का इतने हंस हंस के इतने प्यार से मुझ से बातें करना..उनकी उंगलियों का मेरे लौडे को छूना और सहलाना...मुझे कंधों से जकड़ना ....ये सब बस ऐसे ही अंजाने में हो गया यह फिर किसी और मतलब से ...

इन सब सवालों के जाल में मैं बूरी तरह फँसा था .. मेम साहेब की बातों का ग़लत मतलब निकाल अगर मैं कुछ बेवकूफी कर दिया तो लेने के देने पड़ जाएँगे ...उनका हमारे उपर काफ़ी अहेसान था ...एक भी ग़लत कदम और हम फिर से झोपड़ी वाली गली में ....मुझे बहुत फूँक फूँक कर कदम उठाना था ...तभी मेरे दिमाग़ में मा की तस्वीर कौंध गयी ..जब वो बंगले से बाहर आ रही थी उसके चेहरे पर अजीब सी मुस्कान थी .....मतलब इन सब बातों का मा से भी कोई ताल्लुक है ....मा से पता किया जाए ....

और मैं तेज़ कदमों से अपने घर पहून्चा ...

मा किचन में थी और सिंधु और बिंदु अभी तक आए नहीं थे ...

मैने स्टील वाली कुर्सी उठाई और किचन के अंदर गया ..मैं कुर्सी उसके बगल रख बैठ गया ...

मा ने पूछा " आ गये बेटा..? क्या बोली मेम साहेब ..?"

मैं बोला " वो मुझ से ड्राइविंग सीखना चाहती हैं .." मेरी आवाज़ में थोड़ी परेशानी झलक रही थी ...

" तो सीखा दे ना ...इसमें तेरे को क्या मुश्किल है ..?"

" मा ..पर जाने क्यूँ मुझे लगता है वो कुछ और भी करना चाहती हैं..जो शायद मेरे लिए मुश्किल है .." मैने सीधा सा जवाब दिया

" क्या मतलब रे तेरा ..? " मा ने मेरी तरफ देखते हुए कहा ..मानो उसे कुछ पता ही नहीं.

" मा अब मैं कैसे बताऊं ... ?" मैने नाटक किया, देखते हैं मा क्या बोलती है ..

" अरे वाह इतना बड़ा गबरू जवान है..और तेरे को बताने में मुश्किल हो रही है..बोल ना रे ..तेरे को क्या लगा ..वो और क्या चाहती है...?" मा के चेहरे पर फिर से वोई अजीब सी मुस्कान थी..

" अच्छा ..बताता हूँ ..पर पहले तू बता मा ..तू आज बार बार ये मुस्कान क्यूँ फेंके जा रही है मेरे उपर ...?? जब तू वहाँ से बाहर निकली तब भी बड़ी मुस्कुरा रही थी..और अभी फिर वोई मुस्कुराहट..??" मैने मा की आँखों में देखता हुआ कहा ..

इस बार मा जोरों से हंस पड़ी ...और कहा " तू साला भोले का भोला ही रहेगा ...." फिर बात बदलते हुए कहा " अछा तू पहले बता मेम साहेब ने ऐसा क्या किया के तेरे मन में ये बात आई के वो कुछ और भी चाहती है ...फिर मैं भी बताऊँगी .."

और फिर मैने मेम साहेब का मेरे लौडे को सहलाने वाली बात बताई.....

मा फिर से जोरों से हँसी और कहा

" अरे तू है ही ऐसा ...लंबा , चौड़ा ...और मासूम सा चेहरा ...हो सकता है उसका दिल तेरे पर आ गया होगा ..?" और फिर हँसने लगी ..

" देख मा ... मज़ाक छोड़ और सॉफ सॉफ बोल ना वो क्या चाहती है...."

" अरे बेटा मैं क्या जानूं..उनके दिल की बात..तू ही पूछ ले ना ...?" और फिर वोई मुस्कान..

" देखो मा मज़ाक छोड़...मैं किसी को पूछने वूच्ने वाला वाला नहीं ....अगर वो कुछ और चाहती है ..मैं तो साफ मना कर दूँगा ...मैं सिर्फ़ इतना जानता हूँ के मैं तुम तीनों को छोड़ और किसी के साथ और कुछ नहीं कर सकता ..." मैने अपनी चाल चल दी ...

मा फिर से हँसने लगी ..

" अच्छा ..ऐसा क्या है बेटा जो तू हम से करता है पर किसी और से नहीं कर सकता..??" उसकी आँखों में शरारत सॉफ सॉफ झलक रही थी ...

मैं झूंझला उठा मा की शरारती अदाओं से ...मैने देखा सीधी उंगली से काम चलने वाला नहीं..उंगली टेढ़ी करो और लौडा सीधा..तभी मा कुछ उगलेगी ...

" ह्म्‍म्म ..तो मेरी मा को अभी तक ये पता नहीं ...ठीक है बताता हूँ..."

और ये कहता हुआ पॅंट की ज़िप खोली लौडा बाहर निकाला ..मा को उसकी कमर से जकड़ता हुआ उसकी सारी घुटनों तक कर दिया और उसे अपने लौडे पर बिठा दिया...

उसकी चूतड़ की फाँक में मेरा लौडा धँस गया ..मा चीहुंक

उठी..

" अरे अरे ये क्या कर रहा है...बेशरम ..."

मैने उसे जाकड़ लिया ..उसकी चुचियाँ दबाते हुए ..उसके होठ चूसने लगा ..

मा मेरी गोद में मुझ से छूटने को कसमसा रही थी ...

"कुछ नहीं कर रहा मा ..बस बता रहा हूँ ..मैं क्या करता हूँ.."

" तू बड़ा बेशरम हो गया है ...तू मानेगा नहीं ...ठीक है बाबा छोड़ ना मुझे ..बताती हूँ मेम साहेब क्या चाहती हैं..." मा ने मुझ से छूटने की नाकाम कोशिश करते हुए कहा ...

मैने उसे छोड़ा ..उसकी सारी नीचे कर दी ..पर गोद से हटाया नहीं ...

" ह्म्‍म्म्म..ये हुई ना बात ...चल जल्दी बता....." मैने मा का चेहरा अपनी तरफ करते हुए कहा

" बेटा वो तेरा मस्त , लंबा , मोटा लौडा अपनी चूत में लेना चाहती है ...."

" पर मा मैं सॉफ सॉफ बोल रहा हूँ...ये लौडा सिर्फ़ तुम तीनों के लिए है...बस..."

ये बात सुनते ही मा ने मुझे गले लगा लिया ..मुझे चूम लिया ...

" वाह रे वाह मेरा राजा बेटा ..मैं तो बस निहाल हो गयी तेरे प्यार से ..पर फिर भी ..."

"फिर भी क्या..? " मैने पूछा
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