RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
बिंदु का तो चेहरा देखने लायक था ...गाल एक दम लाल हो गये थे ....
फिर उस ने अपनी शर्मीली आवाज़ में कहा...
" क्या मा तू भी कैसी कैसी बातें करती है...वो तो है ही बेशरम ...साली खुद तो सब से पहले भाई का मोटा लंबा लौडा अंदर ले ली ..और अब उद्घाटन मेरा करवा रही है .... " बिंदु ने भी बराबरी में जवाब दिया ...
मैने ताली बजाते हुए कहा " सब्बाश बिंदु ....चल आज तू ने भी कुछ तो बोला ...."
मा भी बोली " हां रे देख तो आज बिंदु भी बोल रही है..."
सिंधु कहाँ चुप रहती ..उस ने फिर से मेरे लौडे को जकड़ते हुए कहा " सब भाई के हथियार का कमाल है मा ..."
मा जोरों से हंस पड़ी.." वाह रे भाई के लंड की दीवानी..तुझे हर बात में उसके हथियार का कमाल नज़र आता है ..ज़रा सुनूँ तो वो कैसे...?" मा की आँखों में फिर से वोई चमक और भूख दिखी.
सिंधु ने मेरे लंड को और भी अच्छे से जाकड़ लिया और मा और बिंदु की ओर करते हुए कहा
" देख ..इस हथियार ने आज बिंदु की चूत खोल दी ...और साथ साथ उसका मुँह भी खुल गया ..क्यूँ ठीक कहा ना मैने,,..?"
इस बात पर हम सब के साथ साथ बिंदु भी जोरों से हंस पड़ी और कहा ....
" उफफफफ्फ़.सिंधु..तू भी ना.... बात में तुझ से कोई जीत नहीं सकता.."
वैसे बात सिंधु की बिल्कुल सही थी ...अब धीरे धीरे बिंदु भी काफ़ी खुलती जा रही थी ..और घर में एक बड़ा ही मस्त माहौल होता जा रहा था ....
सिंधु अभी भी मेरे बगल बैठी मेरे हथियार को जकड़े थी ....
मैं आगे की ओर झूकता हुआ थाली से मीठा उठाया और बिंदु को कहा
" पास आ ना बिंदु ...चल तेरी उद्घाटन की खुशी में तेरा मुँह मीठा करता हूँ ... आ ना रे .."
बिंदु चाहे कितनी भी खुल जाए पर उसकी नज़ाकत तो रहेगी ही..उस ने शरमाते हुए ...आँखें नीची करते हुए अपना चेहरा मेरी ओर किया और मुँह खोल दिया ..
मैने पहले उसके होंठ चूमे और मीठा मुँह में डाल दिया ...
सिंधु उछल पड़ी .." वाह भाई ..मान गये ...तुस्सी ग्रेट हो...".और उस ने मेरे लौडे को छोड़ते हुए मीठा उठाई और मेरे मुँह में डाल दिया ..मैने भी उस के और मा के मुँह में मीठा डाली और फिर सब के सब खाने पर टूट पड़े...
खाते वक़्त खुशी के मारे मा की आँखों से आँसू टपक रहे थे ..
" आज पहली बार इतनी खुशी इस घर में आई है..बेटा मैं तो निहाल हो गयी .... तेरे जैसा बेटा और भाई सभी मा और बहनो को मिले ..." माँ ने अपने आँचल से अपने आँसू पोंछते हुए कहा ..
इस बार बिंदु भी बोल उठी " हां मा तू कितना सच बोल रही है...भाई हो तो मेरे जग्गू भाय्या जैसा .."
और उस ने मेरे गाल चूम लिए .
सिंधु ने भी मेरे से चिपकते हुए मेरी दूसरी गाल चूम ली ...
हम सब हँसी , मज़ाक के माहौल में खाना खाते रहे...
कहते हैं ना चुदाई के बाद लौडे की भूख तो शांत हो जाती है ..पर पेट की भूख जाग उठ ती है..मुझे भी बिंदु की चुदाई के बाद जोरों की भूख लगी थी , और आज ही बढ़िया खाना भी था ..छक के खाया मैने ...और शायद सब ने ....
खाने के बाद मैं तो खाट पे जाते ही लेट गया और , बाकी सब भी नीचे बिस्तर लगा लेट गये ..मा मेरे बराबर नीचे लेटी थी ...मैं उसी ओर करवट लिए उसे देख रहा था ...भरा भरा गदराया बदन ... मा काम से थकि थी ..सो रही थी ...उसकी करवट दूसरी तरफ थी ..उसकी चूतड़ मेरी ओर थी ... आज पहली बार उसकी चूतड़ इतने इतमीनान से देख रहा था..क्या गोलाई लिए हुए थे ...गोल गोल ... और सारी उसके चूतड़ की फाँक में घूसी हुई ... उसके चूतड़ के उभार बिल्कुल अछी तरह दिख रहे थे... मन तो किया के अपना मुँह चूतड़ में घूसा दूं और खा जाऊं ...
उसकी हर चीज़ मेरे लिए नायाब थी ... मा को देखते ही मुझे उस से लिपट जाने को जी करता ..उसमें समा जाने को जी करता था ...उस दिन कितना सुकून मिला था मा के साथ ..येई तो फ़र्क था उस में और बिंदु और सिंधु में ...बिंदु और सिंधु को चोद्ने के बाद मेरे लौडे की आग और भी भड़ाक जाती पर मा के पास मेरी प्यास और लौडे की आग शांत हो जाती...मा की रसीली चूत में लौडा शांत हो जाता और उसकी चूचियों चूसने से दिमाग़ शांत ...बिंदु को चोद्ने के बाद मेरे अंदर अभी भी आग लगी थी ...मैं बूरी तरह मा के पास जाना चाह रहा था ...जहाँ मेरी शांति थी ..हां मा सही में मेरी शांति थी ...
ऐसा सोचते सोचते ही मेरा लौडा तन्ना रहा था ...एक दम कड़क ..और मैं मा की ओर देखता हुआ अपने हाथ से लौडे को थामे धीरे धीरे हिलता जा रहा था ...दोनो बहेनें गाढ़ी नींद में थीं, मैं भी लौडा हिलाता जाने कब सो गया ..
नींद खुली तो देखा मेरी फूल्झड़ी सिंधु मेरे लौडे को थामे मुझे उठा रही थी ..
" भाई उठो , चलो चाइ पी लो ...सब तुम्हारे लिए बैठे हैं ..."
अच्छी नींद की वाज़ेह से मैं काफ़ी हल्का महसूस कर रहा था और सिंधु की हरकतों का जवाब देने को तैय्यार था ..
मैने उसे अपनी हाथों से थामा और अपने उपर लेता हुआ जोरों से भींच लिया और उसके होंठ चूसने लगा ...वो भी मुझ से लिपट गयी ...आख़िर सिंधु जो थी ..उसे तो बस मौका चाहिए ..
उधर चूल्हे के पास बिंदु और मा बैठे थे हमारे लिए ..
बिंदु बोली " देख ना मा ..तू ने सिंधु को भाई को उठाने को भेजा ..साली उसे क्या उठाईगी..खुद चिपक गयी है भाई से .. "
मा हँसने लगी और आवाज़ दी .." जग्गू बेटा चल उठ .. आ जा जल्दी चाइ पी ले और एक और अच्छी बात है आज की ..आ जा सुनाती हूँ.."
इस बात पर हम सब चौंक पड़े .." अच्छी बात..?? क्या है मा ..?? " मैने सिंधु के चेहरे को अलग करते हुए कहा
सिंधु ने भी कहा " वाह भाई ..क्या मौका देख तू ने बिंदु का उद्घाटन किया रे..."
और वो मेरे उपर से उठ ते हुए मेरा हाथ पकड़ मुझे भी उठाया और मुझे अपने से चिपकाते हुए उनकी ओर मुझे खिचते हुए चल पड़ी ..
हम दोनो भी वहाँ बिंदु और मा के सामने बैठ गये ..सिंधु मेरे से चिपकी बैठी थी ...मैं उसके पेट सहला रहा था ..
बिंदु खा जानेवाली निगाहों से हमें देख रही थी ..
सिंधु ने कहा .." अरे ऐसे क्या देख रही है..आ ना तू भी चिपक जा ...भाई का दिल और हथियार दोनो बहुत बड़ा है..क्यूँ है ना भाई..??" और मेरे लौडे को भी दबा दिया ..मैं सिहर गया ..
" चल बेशरम कहीं की , कुछ भी बकवास करती है ..." बिंदु ने चाइ का ग्लास मुझे थमाते हुए कहा
मैने एक हाथ से चाइ का ग्लास संभाला , दूसरा हाथ सिंधु के बदन से खेल रहा था ..
और सिंधु भी एक हाथ से चाइ पी रही थी और दूसरे हाथ से मेरे लौडे से खेल रही थी ..मा और बिंदु हमें देख मज़े ले रहे थे..
मैने कहा " हां मा बता ना क्या अच्छी खबर है ..?"
मा ने कहना शुरू किया" बेटा मिस्सेज़ केपर है ना , उनके बंगले का सर्वेंट क्वॉर्टर खाली है अभी..उन्होने हमें कहा है वहाँ आ जायें ..."
सुनते ही मैं उछल पड़ा ..." ये तो सही में बड़ी अच्छी बात है मा.."
मिसेज़ केपर जिनके यहाँ मा अभी सिर्फ़ झाड़ू पोंच्छा और बर्तन का काम करती थी ..काफ़ी पैसेवाली एक अधेड़ उम्र की औरत थी...उनका बंगला काफ़ी बड़ा था ...उनकी सिर्फ़ एक लड़की थी जो अपने पति के साथ बाहर रहती थी ..पति की मौत किसी बीमारी की वाज़ेह से तीन चार साल पहले हो गयी थी ..बेचारी अकेली थी ...और किटी पार्टी और ऐसी ही पार्टियों से अपना मन लगाती ..
" पर मा उनके यहाँ तो एक नौकरानी है ना ..?"" मैने कहा
" हां रे थी तो , पर उसकी चोरी की आदत से परेशान हो उस ने उसे निकाल दिया , और अब मेरे को बोलती है आ जाने को ..कोई ख़ास काम नहीं है ..सिर्फ़ उनका खाना बनाना ..बर्तन ,कपड़े , झाड़ू पोंच्छा ..और जो भी उपरी काम..पर मुझे बाकी काम छोड़ना पड़ेगा..सिर्फ़ उनका ही काम करना है ..."
सिंधु बिंदु तो बहुत खुश थे
बिंदु ने कहा " तो क्या है मा ...घर भी तो अच्छा है ना..इस झोपडे से तो लाख दर्ज़े अच्छा होगा ...अच्छा बाथरूम तो होगा ना वहाँ..?'
सिंधु ने पूछा " कमरे कितने हैं मा..??"
" हां रे बाथरूम भी है , किचन भी है और दो कमरे भी हैं..."
बाथरूम के नाम से बिंदु खिल उठी और दो कमरों के नाम से सिंधु ...
" ओओओह्ह्ह मा ..दो कमरे..?? उफ़फ्फ़ मज़ा आ गया ....एक कमरे में भाई रहेगा और बस हम तीनों में जिस का भी मन करे भाई के साथ ......उहह बस मा तुम हां कर दो ..."
हम सब सिंधु की बात से ठहाके मार रहे थे ...
" ये सिंधु भी ..बस इसके दिमाग़ में तो हमेशा एक ही बात रहती है.." बिंदु ने भुन्भूनाते हुए कहा ..
" अरे बाबा तुम दोनो लड़ना बंद करो ...... मैं उन्हें हां कर देती हूँ और मिस्सेज़ केपर कहें तो हम सब कल ही वहाँ चले जाएँगे .." मा ने आखरी फ़ैसला सुना दिया..
क्रमशः…………………………………………..
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