RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
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गतान्क से आगे…………………………………….
मेरे चूम्मा चाटी से उसकी भी चूत गीली थी....पहली चुदाई का उस पर कोई निशान नहीं था ..चूत चमक रही थी ..मुझ से रहा नहीं गया ..मैने झूकते हुए उसकी चूत की फाँक को उंगलियों से फैला दिया और अपने होंठ गुलाबी फाँक में लगा बूरी तरह चूसने लगा ..बिंदु उछल पड़ी ,,उसकी चूत से रस की धार मेरे मुँह में फूट पड़ी
" हाआआआआऐयइ रे ..ऊवू मैं मर गेययी..भाई ..क्या कर रहे हो....आआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मेरे अंदर क्या कर दिया रे भाई...अयाया " कांप उठी बिंदु ....उसके चूतड़ उछल रहे थे..
मुझ से रुका नहीं गया ...
मैने चूसना बंद किया...अपना लौडा थामा और रख दिया उसकी चूत पर ..उसकी चूतड़ थामी और एक झटके में अंदर पेल दिया .....आधे से ज़्यादा लौडा अंदर फतच से फिसलता हुआ घूस गया..
" आआआः भाई ..ज़रा संभाल के दर्द होता है ...उफफफफ्फ़ ..मैं मर जाऊंगी भाई ..धीरे करो ना ..."
मेरा लौडा उसकी टाइट चूत में फँसा था ..मुझे होश आया ..मैने क्या कर दिया ..उफ़फ्फ़..बेचारी की चूत अभी भी पूरी तरह खुली नहीं थी ..
मैने उसे अपने से और चिपका लिया उसे चूमने लगा ..उसकी चुचियाँ सहलाने लगा
" ओह सॉरी बिंदु ..क्या करूँ ..तू ने मुझे पागल कर दिया था ना..."और मैं उसे और भी चूमने लगा ..
" भाई कोई बात नहीं ..मैं भी तो पागल हो गयी हूँ ना ..तेरे लौडे के लिए ....मैं समझती हूँ भाई..पर अभी नयी नयी चूत है ना भाई..ज़रा आराम आराम से करो ना ....मैं थोड़ी ना रोकूंगी.."
उफ़फ्फ़ बिंदु जैसी शर्मीली लड़की के मुँह से चूत और लौडा सुन के मैं और भी जोश में आ गया .. जवानी के जोश ने उसे कितना बेशर्म कर दिया था ..सब कुछ भूल गयी थी बिंदु ....
मैने अब धीरे धीरे से अपने और भी कड़क हुए लौडे को अंदर पेलना चालू कर दिया ...इस बार अंदर जाने में ज़्यादे तकलीफ़ नहीं हुई ..बिंदु ने भी अपने को बिल्कुल ढीला छोड़ दिया था और अपनी टाँगें और फैला दी थीं ...फिर एक और झटका दिया मैने और पूरे का पूरा लौडा अंदर था .....अयाया उसकी चूत से अब तो रस की गंगा बह रही थी ...मेरे लौडे और उसकी चूत की दीवार के बीच से रीस रही थी ...
मैने अब धक्के लगाने शुरू कर दिए ..अंदर बाहर ..अंदर बाहर ..पूरी जड़ तक ..फतच फतच की आवाज़ और बिंदु की सिसकारियाँ " हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई रे ....उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ..भाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ....आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ..इतना मज़ा ...ऊवू भाई हांईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईरे ... आज मेरी जान निकाल दो मेरे राजा भाई....आआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ..ये क्या हो रहा है...."
और मेरे धक्के भी ज़ोर पकड़ते गये ....और ज़ोर ...
और फिर बिंदु की सीसकारीया चीख में बदल गयी ..:" भाई..भाई .....ऊवू भाई ..बस बस ...आआआआआआः " ..और वो अपनी चूतड़ उछाली..मेरे लौडे पर उसकी चूत के काँपने का . जकड़ने का और ढीली होने का ऐएहसास हुआ ..और बिंदु भी ढीली हो कर , टाँगें और हाथ फैला कर सूस्ट पड़ गयी ..उसकी चूत से गाढ़ा रस का रिसाव मेरे तननाए लंड पर महसूस हुआ ..मैं भी दो चार ज़ोर दार धक्के लगाता हुआ उसकी चूत में पीचकारी छोड़ दिया ..गर्म वीर्य की धार से बिंदु का सूस्त बदन भी गन्गना गया ..सिहर उठी बिंदु ..और मैं उसके सीने पर हांफता हुआ ढेर हो गया...
दो दो बार घमासान चुदाई से मैं पस्त हुआ सो रहा था ..के मेरे सीने पर कुछ गीला पन महसूस हुआ.मेरी आँखें खुल गयी ..देखा तो बिंदु जाग गयी थी और मेरी घूंडिया चूसे जा रही थी और हाथ नीचे किए मेरे मुरझाए लौडे से खेल रही थी ....
मैं चुप चाप लेता रहा और बिंदु को देखता रहा ...और मन ही मन सोचने लगा के लौडे और चूत का खेल भी क्या चीज़ है...बिंदु जैसी शर्मीली लड़की भी देखो कैसी बेशरम हो गयी ...
मैने कहा" बिंदु ..तुझे मेरा लौडा इतना अच्छा लगा रे ..? देख ना सब के सामने तो कितना शरमाती है और अभी कितने प्यार प्यार से सहला रही है...?"
मुझे जगा देख वो थोड़ी शरमाई और नज़रें नीची कर ली पर बोल उठी
" हां भाई ...तू ठीक ही कह रहा है..देखो ना मुझे क्या हो गया..मेरा हाथ खुद ही वहाँ चला गया "...और मेरे लौडे को जोरों से जाकड़ लिया " और तेरा लौडा भी तो कितना मस्त है रे ... कितना कड़क , मोटा और लंबा ...हाथ से पकड़ने में बड़ा अछा लगता है रे ..तभी तो साली सिंधु जब देखो इसे थाम्ति रहती है.."
मैने उसे अपने से चिपका लिया " बस अब क्या है..ये तो बस तुम सब के लिए ही है रे बिंदु ..जब मन आए थाम लिया कर ...."
तभी उसकी नज़र दीवाल पर लगी घड़ी की ओर गयी और वो चौंक्ति हुई बोली ..
" अरे बाप रे देख तो भाई 1230 बज गये ..अरे बाबा चल उठ ...मा और सिंधु आते ही होंगे ..."
मैने उसे फिर से जकड़ा और उसकी चुचियाँ दबा दी ...और कहा
" तो क्या हुआ मेरी बहेना रानी..अब तो सब कुछ हो गया सब से ..क्या छुपा है..आने दो ना उन्हें भी साथ लिटा देंगे ...."
उस ने मेरे गालों पर हल्का सा थप्पड़ लगाते हुए कहा
" चुप रे बेशरम ..ऐसा भी कहीं होता है ... " और अपने को छुड़ाने की कोशिश की
मैने उसे और भी चिपका लिया और कहा
" बस देखती जा बिंदु ये लौडे और चूत का खेल क्या क्या रंग दिखाता है...हम चार ही रहेंगे ..पर अब साथ रहेंगे हर समय ..सब काम साथ साथ करेंगे ...."
" हाई रे भाई..मैं तो शर्म से मर जाऊंगी रे ..ऐसा मत बोल ....."
" हा हा हा ! देख बिंदु ..पहले तू अकेले में भी कितना शरमाती थी ..पर देख अब तेरी हालत...? बस वैसे ही देखना कितना अच्छा लगेगा ...."
" ठीक है बाबा जब की जब देखी जाएगी..अभी तो उठ और कपड़े पहेन ...."
और ऐसा बोलती हुई बिंदु मुझे धकेल्ति हुई उठ गयी और अपने कपड़े उठा कोने की ओर चली गयी ..
मैं भी उठा और हाथ मुँह धो कपड़े पहेन खाट पर बैठ गया ..
थोड़ी देर बाद ही दरवाज़े पर खत खत हुई , मैं समझ गया दोनो आ गयी तीन ..मैने बिंदु की तरफ देखा ..वो भी कपड़े पहेन चूकी थी ..मैं दरवाज़े की तरफ गया और दरवाज़ा खोला ..
दोनो मा बेटी बाहर खड़े थे..
दरवाज़ा खुलते ही मा तो सीधे चूल्हे की तरफ चली गयी ..उसके हाथ में एक बड़ा सा पॉलितेन बॅग था ..और सिंधु मेरे सामने खड़ी मुझे नीहार्ते हुए बोली
" भाई चेहरा बड़ा थका थका लग रहा है तेरा ..लगता है बिंदु की तो तू ने अच्छे से ले ली .." और बिंदु की ओर देख जोरों से हँसने लगी ...
तब तक बिंदु भी पास आ गयी थी ... उसके चेहरे पर वोई शर्मीली मुस्कान थी ..
सिंधु बोल उठी " हाई रे देख तो कितना शर्मा रही है..साली पूरे का पूरा लंड ले ली और अब शर्मा रही है...बोल मज़ा आया ना..? "
" चुप कर बेशरम ..कुछ भी बोलती है ..." बिंदु बोलते हुए उसकी तरफ बढ़ती है उसे थप्पड़ लगाने को ..सिंधु उस से बचते हुए और जोरों से हंसते हुए मा की ओर चली जाती है ..मैं भी मुस्कुरा रहा था ..
" अरे बाबा ये हँसी मज़ाक छोड़ो और आ जाओ.....खाना लगाती हूँ मैं खाना तो खा लो ...."मा की आवाज़ आई .
खाने की बात से मुझे महसूस हुआ कि सही में जोरों की भूख लगी है ..मैं भी मा की ओर बढ़ा ..
वहाँ देखा तो दो थालियों में काफ़ी कुछ रखा था ..पुलाव और सब्जियाँ और कुछ मीठाइयाँ भी थी ..
" अरे वाह मा आज इतना सब कहाँ से ले आई ..??"
" अरे बेटा मिसेज़ केपर के यहाँ कल कीटी (किटी) पार्टी थी ..काफ़ी सामान बचा था ..उस ने मुझे दिया तुम सब के लिए ..."
मैं मन ही मन सोचा चलो बिंदु की पहली चुदाई का जश्न भी हो गया ...सिंधु के शरारती दिमाग़ में भी शायद येई बात आई..वो कहाँ चुप रहती
मेरे बगल में बैठती हुई उस ने मेरे लंड को कस के पकड़ लिया और सब को दिखाती हुई बोली
" वाह रे मा ..देख इस लंड का कमाल ...बिंदु की पहली चूड़ाई ऐसी जबरदस्त की और इतनी मस्त कि उस खुशी में देखो हमारे यहाँ मीठा और पकवानों का ढेर लग गया ".....और उसने मेरी ओर अपना चेहरा किए मुझे चूम लिया...
बिंदु की तो आँखें फ़ाटी की फ़ाटी रह गयी सिंधु की इस बेशर्मी से ...और मा की आँखों में एक चमक और लंड की भूक दिखी ...पर उसे छुपाने की नाकाम कोशिश में हंस पड़ी...और कहा
"अरे बिंदु ... ठीक ही तो कह रही है सिंधु ..आज तेरा उद्घाटन हो गया ..चल इसी खुशी में हम सब मीठा खाएँगे ....समझ ले भगवान भी खुश हो गया है ..वरना मीठा और पकवान का संजोग आज ही क्यूँ होता ....."
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