RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
मा की आँखें अभी भी बंद थीं , मैं झट से उठा , दरवाज़ा बंद किया और मा के बगल बैठ गया ....
मैं उसे निहारे जा रहा था ....उसकी खूबसूरती , उसकी आग भड़काने वाली जिस्म की उभार , चेहरे की मस्ती सब कुछ अपने अंदर ले रहा था ...
" ऐसे क्या देख रहा है रे..अपनी मा को कभी देखा नहीं क्या..?" मा ने अपनी आँखें पूरी तरह खोलते हुए कहा ..
" हां मा देखा है और हज़ारों बार देखा है ..पर इस तरह से आज तक नहीं..आज सिर्फ़ मैं तुम्हें देख रहा हूँ ..सिर्फ़ मैं .. ये मेरी ख्वाहिश थी ..और आज ये हक़ीकत है...उफ़फ्फ़ मा तुम कितनी खूबसूरत हो ....दुनिया की सब से खूबसूरत औरत ...ऊवू मा ..."
और मैं उसे उसकी बाहों से जकड़ता हुआ उठा लिया , अपनी तरफ खिचा और अपने से चिपका लिया ... उसे चूमने लगा ...बेतहाशा ..पागलों की तरह ..कभी गाल ..कभी होंठ कभी उसकी छाती ....उफ़फ्फ़ क्या करूँ मैं पागल था
मा ने अपने आप को मेरे हवाले कर दिया था ...अपने बेटे के हाथों वो भी मजबूर हो गयी थी ..उस ने भी आज तक अपनी जिंदगी में इतना प्यार नहीं देखा था ...उस ने आँखें बंद किए इस प्यार पे अपने आप को लूटा दिया
"हां ..हां जग्गू ..मुझे जी भर के प्यार कर रे...मैं कितना तडपि हूँ इस के लिए..तू जो चाहे कर ले ..मेरी प्यास बूझा दे रे....हाआँ बेटा ..मैं बहुत प्यासी हूँ ...." वो भी अपने हाथ मेरी पीठ पर रख मुझ से और भी चिपक गयी ...
दोनो एक दूसरे से चिपकी एक दूसरे में समा जाने को बेताब थे..
मैं उसके होंठ अपने होंठों में भर लिया चूसने लगा ....कभी नीचे , कभी उपर ..चूस्ता रहा ...मा ने अपना मुँह खोल दिया ...मैने अपना मुँह उसके अंदर डालने की कोशिश में उसे खाने लगा ..
चप चप उसके होंठों पर अपने होंठ लगा लगा चूसने लगा ..उसका गीलापन , उसका लार उसकी मुँह से मेरे अंदर जा रहा था ..मैं सब कुछ अपने गले से नीचे उतरता जा रहा था ..मा का अमृत अपने मुँह में ले रहा था ...कितना अजीब और कितना मीठा था मा का अमृत ...
उफ्फ मन भरता ही नहीं था ..बार बार चूस्ता ..मुँह हटाता ..फिर चूस्ता .....
दोनो हाँफ रहे थे ..लंबी लंबी साँसें ले रहे थे ...दोनो के होंठ और गाल थूक और लार से गीले हो गये थे ....
मैने मा की ब्लाउस खोल दी ..उसने अपने हाथ उपर करते हुए उसे बाहर निकल दिया ....और उसी झटके में मैने उसकी ब्रा भी निकाल दी ...
मैने मा को लिटा दिया खाट पर ...
उपर से नंगी थी ....छाती बिल्कुल नंगी ..सारी बीखरी थी ..खाट से नीचे लटक रही थी
मैं उसके ऊपर आ गया ...उसकी गोल गोल भारी चुचियाँ , सुडौल चुचियाँ ..देखता रहा ....
मा ने चुप चाप मेरे सर को थामते हुए अपनी छाती से लगा लिया ..और अपनी चूचियों पर दबाया ..जोरों से ...
मेरे चेहरे पर ऐसा महसूस हुआ जैसे किसी तकिये से लगा हो , मैने अपनी हथेलियों से उसकी चूचियाँ मसल रहा था और चूस रहा था ..बारी बारी दोनो चूचियों को ..अपनी मा की चुचियाँ ,,जिन से मैं दूध पीता था ..आज फिर से उन्हें चूस रहा था ...मा के हाथ मेरे सर सहला रहे थे
" हां बेटा ..अपनी मा को चूस ..तेरा ही तो है रे ..चूस ले जी भर ....अपनी भूख मीटा ले ..."
और मेरा चूसना और भी ज़ोर पकड़ लिया ..मानो मैं पूरी की पूरी चूची मुँह से अंदर ले लूँ
मा सिसक रही थी..कराह रही थी ..मेरी पीठ ..मेरा सर सहला रही थी
मेरा लौडा उसकी जांघों के बीच उसकी सारी के उपर से ही उसकी चूत से टकराए जा रहा रहा था ..मैं ज़ोर और ज़ोर से उसे जांघों के बीच दबाए जा रहा था
सारी के उपर से ही उसकी चूत के गीलेपन को मैने महसूस किया ....जितनी बार उसकी चूची चूस्ता ..उतनी बार उसकी चूत से पानी का धार फूट पड़ता ....
मैं तड़प रहा था ..मा बहाल थी ..बार बार मेरे लौडे को अपनी चूत से रगड़ रही थी
" मा , सारी उतार ना .?" मैने उस से धीमी आवाज़ में कहा ..
" हां बेटा ..मेरा राजा बेटा ..तू ही उतार दे ना ....बस जो जी में आए कर ना ..मैं तो बिल्कुल तुम्हारी हूँ ना ....कुछ भी कर ले ..." उस ने तडपति हुई आवाज़ में कहा ...
मैं फ़ौरन उसकी सारी उतारी , उसके पेटिकोट का नाडा खिचाता हुआ उसके पैरों को उठा पैरों से बाहर कर दिया ..और फिर अपने कपड़े भी उतार दिए ..
अब मेरे सामने मा नंगी लेटी थी ..बिल्कुल नंगी....उसकी आँखें बंद थीं और होंठों पर हल्की मुस्कुराहट ...पैर फैले हुए ..चूत के उपर हल्के हल्के बाल ...और उसके बीच चूत की गुलाबी फाँक ...आह साँवली चूत के बीच उसका गुलबीपन निखर रहा था...और इतनी गीली थी उसकी गुलाबी फाँक ..चमक रही थी ...
मैं उसकी टाँगें फैलाते हुए चूत की पंखुड़ियों को अपनी उंगलियों से अलग किया और झूक गया उसकी चूत पर, और अपने होंठों से चूत को जकड़ता हुआ जोरों से चूसा ......
मा उछल पड़ी .उसके चूतड़ हवा में उछल गये ..मैने अपने हाथों को उसकी चूतड़ के नीचे लगाते हुए उसे जाकड़ लिया ....और फिर और भी जोरों से चूसने लगा ..उसका सारा रस मेरे मुँह में जा रहा था ....अया , मा तड़प रही थी ,...उसके चूतड़ मेरे हाथों में कांप रहे थे उसकी टाँगें थरथरा रही थी ...मा सिसक रही थी ...ऐसा उसके साथ आज तक नही हुआ था ..मैं लगातार चूसे जा रहा था .... मा की चूत फडक्ने लगी .मेरे होंठों ने महसूस किया ....मैं फिर भी चूस्ता रहा ...मा अकड़ गयी ...उसके चुतडो ने मेरे हाथों की जाकड़ के बावजूद उछाल मारा ...और झटके खाने लगी और एक जोरदार फवारा मेरे मुँह के अंदर गया ..और मा ढीली पड़ गयी ... शांत हो गयी ...
" बेटा ..उफ़फ्फ़ ये कैसा सुख था......ऊवू मेरे लाल ....मेरे बच्चे.....ऊवू तू कितना प्यार करता है....आह मैं मर जाऊंगी तेरे प्यार में ....मैं निहाल हो गयी .....आ जा ..आ जा मेरे लाल....आ जा ना मेरे अंदर ...हां आ जा ..मेरे अंदर ....मैं फिर से अपने बच्चे को अपने अंदर डाल लूँगी....हां रे आ जा ना .....बस आ जा ..." वो मस्ती में बॅड बड़ा रही थी और मैं उसकी ऐसी बातों से बिल्कुल पागल हो उठा था
मा की चूत बहुत गीली थी ..और मेरा लंड बूरी तरह आकड़ा हुआ था ...उसकी चूत के होंठ कांप रहे थे
मैं घुटनों के बल उसकी टाँगों के बीच बैठ गया ..उस ने खुद ही अपनी टाँगें फैला दी ...हाथ बढ़ाया और मेरे लौडे को थाम लिया , अपने चूत पर लगा दिया ...."आ जा बेटा ..आ जा ...." और अपने चूतड़ उपर की साथ साथ मैने भी अपने लौडे को अंदर धँसाया ....चूत इतनी गीली थी ..पूरे का पूरा एक ही बार फिसलता हुआ जड़ तक पहून्च गाया..अपनी मा के अंदर समा गया ..
" आआआआआः ...ऊह .हां हां बेटा ..बेटा अयाया " मा ने अपनी टाँगें मेरे चुतडो पर रख उसे दबाती रही , " हां और अंदर हां जितना कर सकता है कर ना ..मेरे लाल..."
मैं भी कांप उठा ..मा ने चूत को टाइट कर ली , और मैं भी उसे जकड़ता हुआ लंड और भी अंदर डालने की कोशिश की ..मेरे बॉल्स और जाँघ उसकी चूत से चिपक गये ...मैं बिल्कुल मा के अंदर था , उस से चिपका .उस से लीप्टा , उसके होंठ चूम रहा था ..उसकी चुचियाँ मसल रहा था और दोनो लिपटे थे ...
मा मेरे लौडे को अपनी चूत से चूस रही थी..कभी चूत टाइट कर देती कभी ढीली ...उफ़फ्फ़ मैं तड़प रहा था ...मैं झेल नहीं सका ...मैं अपना लौडा अंदर किए ही बूरी तरह झड़ने लगा ..मा ने एक ही बार में अपने बेटे को चूस लिया था ...मेरा लंड बूरी तरह झटके ख़ाता रहा मा की चूत के अंदर ..मा ने मुझे अपने से लगाए रखा ..मैं उस से चिपका रहा ..झाड़ता रहा 'झाड़ता रहा .....और फिर मेरा लंड पूरा खाली हो गया अपनी मा की चूत में .....मैं मा की छाती पर ढेर हो गया ..उसकी चूचियों पर सर रखे ....मा की गोद में ....अपने स्वर्ग में ....
" हां बेटा ..आराम कर ..मेरे सीने से लगे रह बेटा .." मैं आँखें बंद किए पड़ा था ..मा मेरा सर सहला रही थी और मुझे चूमे जा रही थी ....
मैं दुनिया की सब से महफूज़ , शांत और सुख से भरपूर जगह .मा के सीने पर पड़ा रहा ...
मैं मा के सीने पर अपना सर रखे पड़ा था , मा मेरे बाल सहला रही थी ..और मैं उसके सीने से लगा उसकी चूचियों की गर्मी और नर्मी के अहसास के मज़े ले रहा था ...
तभी मा ने कहा " बेटा ...सच सच बता..क्या तू ने पहले भी किसी के साथ ये सब काम किया है ..?"
मैं उसके इस सवाल से थोड़ा चौंक गया ...अपना चेहरा उपर करते हुए पूछा
" क्यूँ मा ..तू ऐसा क्यूँ पूछ रही है ..?"
" अरे बता ना ..अब तो सब कुछ हो गया...छुपाने को क्या रखा है..?" मा ने कहा
" फिर भी मा बता ना ..तू बता फिर मैं बताता हूँ ..छुपाउंगा नहीं ...."
" ह्म्म्म्म मतलब तू पहले भी ये सब कर चूका है..तभी मैं कहूँ इतने अच्छे से कैसे कर लिया सब कुछ ..और जो चूसनेवाला काम ...उफफफफ्फ़ ..जग्गू अभी भी मुझे वहाँ गुदगुदी जैसा लग रहा है रे ....तेरे बाप ने तो चूसना तो दूर ...साले ने कभी हाथ तक नहीं लगाया.. सारी उपर की और बस चालू...और तीन चार बार अंदर बाहर करते ही साला झाड़ जाता था ..मैं कब से प्यासी थी बेटा...आज मुझे पता चला प्यार क्या चीज़ है ......" मा ने मेरे चेहरे को अपने हथेली से थामते हुए चूम लिया ...
" ऊवू मा ..मैं कितना खुश हूँ..तेरे को मेरे साथ इतना अच्छा लगा ....बस देखती जा मा मैं और भी कितना प्यार दूँगा तेरे को..तू संभाल नहीं सकेगी मा ...तेरे को मैं अपने प्यार से सराबोर कर दूँगा ...नहला दूँगा .." और मैं ऐसा कहता हुआ उसके होंठों को चूसने लगा ...
"अच्छा बेटा ये बता वो किस्मतवाली कौन थी रे..??" मा ने मेरे चेहरे को अपने होंठों से प्यार से अलग करते हुए कहा..
मैने मा की चुचियाँ हल्के हल्के मसल्ते हुए कहा
" देख मा ..बता तो दूँगा..पर तू गुस्सा तो नहीं करेगी ना ..?"
" गुस्सा..? क्यूँ ..?गुस्सा क्यूँ करूँगी बेटा ..तू इतना लंबा-तगड़ा जवान है ..कोई भी औरत तेरे साथ ये सब करके खुश होगी..तू अगर किसी से कर भी लिया तो कोई बड़ी बात नहीं..मैं तो बस इतना जान ना चाहती हूँ वो कौन थी जिस पर मेरा बेटा धूलक गया..?? बोल ना रे ...मैं बिल्कुल गुस्सा नहीं करूँगी..."
" ह्म्म्म तो सुन..वो कोई भी बाहर की नहीं थी मा ..मैने आज तक तुम तीनों के सिवा और किसी को भी अपना दिल नहीं दिया ..आज दिन में ही जब तू और बिंदु काम पर थी .. मैने सिंधु के साथ किया मा ....अपनी प्यारी बहेन के साथ .....तू नाराज़ तो नहीं है ना..? "
मा पहले तो थोड़ा चौंक गयी ... थोड़ी देर चुप रही ..फिर उस ने कहा
" ह्म्म्म्म तभी मैं कहूँ वो चलते वक़्त लड़खड़ा क्यूँ रही है....चलो आख़िर ये तो होना ही था ..एक ना एक दिन ... और अब तो मैने तुम्हारी बात मान ली है ....उसे काफ़ी दर्द हुआ होगा ना जग्गू .." मा की आवाज़ में बेटी का दर्द था ..
" नहीं मा कुछ ज़्यादा नहीं ..मैने बहुत ख़याल रखते हुए ये सब किया ..तू उस से पूछ लेना ना ...येई तो फ़ायदा है ना मा घर के आदमी से करने का....मैं आख़िर उसका भाई हूँ..अपनी प्यारी गुड़िया जैसी बहेन को दर्द कैसे दे सकता हूँ मा ..बताओ ना...?"
" हां बेटा येई सब तो सोच के मैने भी हां कर डी ... तू कितना समझदार है ..कितना प्यार करता है हम सब से ....इसलिए तुझे इतना ख़याल है हम सब का...वो भी जवान हैं ..शादी जाने कब होगी .. बाहर किसी के साथ मुँह काला करने से तो अच्छा है तू ही अपना भी और उनका भी ख़याल रखे .... "
" हां मा मैने भी तो येई सब सोच के तेरे से कहा ..."
" हां हां रे मेरा प्यारा , दुलारा बचा कितना समझदार है ...."
ये सुनते ही मैं अपनी मा को फिर से गले लगा लिया , उसके सीने से चिपक गया और होंठ फिर से चूसने लगा .....उफ़फ्फ़ मा के होंठ इतने रसीले , मुलायम और गर्म थे..उन्हें चूसने से कभी मन ही नहीं भरता ....
क्रमशः…………………………………………..
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