RE: Antarvasna kahani चुदासी चौकडी
4
गतान्क से आगे…………………………………….
मैं बैठ गया मा के बगल और उसकी ओर देखता हुआ कहना चालू रखा " मा सुनो...तू कहती है ना के मैं किसी और औरतों को भाव नहीं देता ...पर तू बता ..क्यूँ दूं..? जब तेरे और तेरी बेटियों जैसी औरतें मेरे साथ हैं ..मैं क्यूँ बाहर जाऊं..बोलो ना मा क्यूँ...? मा मैं तुम तीनों से बेहद प्यार करता हूँ और तेरी दोनो बेटियों के बारे मैं बोल सकता हूँ वो भी मुझे चाहती हैं और अपना सब कुछ मुझे दे सकती हैं ...तेरे उपर भी मैं अपनी जान दे सकता हूँ .बाहर से किसी को यहाँ आने की ज़रूरत नहीं ..ना किसी को बाहर जाने की ......मा मैं सारी जिंदगी तुम सब के साथ गुज़ार सकता हूँ ..अपनी सारी जिंदगी मा ..बोलो ना मंजूर है ....???"
मा ने जिंदगी देखी थी ..ग़रीबी की मार झेली थी ...और सब समझती थी .....
उसे मेरी बात पूरी तरह समझ में आ गयी थी ...पूरी तरह .
उसने मुझे गले लगा लिया ..मुझे चूमने लगी " मेरा बेटा बड़ा समझदार हो गया है ...बहुत समझदार..हां बेटा मुझे सब कुछ मंजूर है ..आज से इस घर में बस खूषियाँ ही खूषियाँ दिखेगी ..हम झोपड़ी में भी महलों की तरह रहेंगे ....."
मैं खुशी से झूम उठा ..मा से लिपट गया ..उसे पागलों की तरह अपने सीने से लगा लिया
"मा ..माआ तू सही में रानी बन कर रहेगी ..मेरी रानी......."
हमारे शोर गुल से मेरी बाकी दो रानियाँ भी जाग गयीं .....उन्होने मा बेटे को इस तरह चूमते देखा ...मैने उनकी तरफ आँख मार दी..दोनो मुस्कुरा उठीं ....
और दोनो बोल उठे " वाह भाई , आई तो तेरी रानी हो गयी और हम दोनो ...???"
"अरे मेरी तीन तीन रानियाँ हैं रे ..तीन तीन..." मैने अपनी आवाज़ थोड़ी उँची करते हुए कहा
और बाकी दोनो रानियाँ भी हम से लिपट गयीं ....
हम सब एक दूसरे से लिपटे एक दूसरे को चूम रहे थे और आनेवाले खुशियों की झलक से झूम उठे .........
मेरी तो खुशी के मारे जान ही निकल रही थी...उफफफफफ्फ़....मा ने सब कुछ मान लिया था ..मुझे तो ऐतबार ही नही हो रहा था...ये सपना है या सच.....मैं मा से बूरी तरह लिपट गया ...और मा को बोला "मा .मेरे गाल काट ना ...काट ना मा.."
मा ने हंसते हुए कहा " क्यूँ रे ..."
दोनो बहेनें मेरी पीठ से चिपकी थीं और मैं मा के उपर था.. सिंधु ने मेरा लंड अपनी मुट्ठी में भर उसे दबाती और फिर सहलाती जा रही थी....और बिंदु मेरी गर्दन पर अपने होंठ चिपकाए चूम रही थी ...
"अरे काट तो...ज़ोर से काट ना ..मुझे दर्द महसूस होना चाहिए ...मैं जान ना चाहता हूँ ये सपना है यह सच ....मा ...काट ना..." और मैने अपना गाल उनके मुँह पर रख दिया
" हाई रे मेरा बेटा मेरे लिए इतना पागल है .." और अपने दाँत से हल्के से काटा
" नहीं मा ज़ोर से काटो ना ..." और मा ने अपने दाँत मेरे गाल पे गढ़ा दिए ..दाँतों का निशान बन गया ;;मुझे कुछ दर्द हुआ ..
मेरे मुँह से एक मीठे दर्द की सिसकारी निकल गयी
"ओह माआ ये हकीकत है ...ऊवू मा ..माआ " और मैं उस से और भी बूरी तरह चिपक गया और उसके ब्लाउस के उपर से ही उसकी भारी भारी चुचियाँ चूसने लगा .... दोनो बहनो की हरकतों ने भी ज़ोर पकड़ लिया था ..
मा आँखें बंद किए अपने बेटे के इस तरह प्यार के अंदाज़ का महसूस करने लगी...
पर फिर भी मा में कुछ हिचक . शर्म थी और अपनी दोनो बेटियों के साथ होने की वजेह से वो खुल कर कुछ करना नहीं चाह रही थी
" जग्गू , कुछ तो शर्म कर रे ...बिंदु और सिंधु के सामने तो ये सब मत कर " उन्होने मेरे कान पर अपना मुँह रखते हुए धीमी आवाज़ में कहा ...
पर बिंदु को मा की बात समझ आ गयी...
वो झट उठ गयी ..अपने कपड़े ठीक किए और सिंधु से कहा
" सिंधु चल ना रे ज़रा बाहर घूम आते हैं..कुछ सब्जियाँ भी ले आएँगे रात के खाने के लिए ..."
मैं अभी तक मा की चूचियों पर अपना मुँह लगाए था
सिंधु भी समझ गयी ..वो भी खाट से उठ गयी ...
" हां रे बिंदु ..चल .... "
वाह रे वाह कितना अच्छा एक अनौखा समझौता इन लोगो ने कर लिया था ....
और दोनो बहेनें मुझे आँख मारती हुई साथ साथ निकल गयीं ..
|