RE: Desi Sex Kahani कमीना पार्ट - II
रति- ठीक है बेटा
मैं वहाँ से उठ कर अपने कमरे मे आ गया तभी मेरे मन मे आया कि क्यो ना चाची और मा की बाते सुनू देखे
दो मस्त घोड़िया आधी रात मे क्या बाते करती है मैं अपने रूम मे ना जाकर मा के कमरे के बाहर ही चुपचाप
खड़ा हो गया,
सविता- रति के भारी चुतडो पर चिकोटी काटते हुए, क्यो दीदी इतनी रात तक जाग रही हो लगता है भैया की
याद आ रही है,
रति- मुस्कुराते हुए, भैया की याद ना आएगी तो क्या इतनी रात को तेरी याद सताएगी
सविता- दीदी जब चूत फूली होती है तब अपने जवान बेटे से पेरो की मालिश ना करवाया करो कही उसने जंघे
दबाते दबाते चूत दबा दी तो लेने के देने पड़ जाएगे,
रति- मुस्कुरकर बनावटी गुस्सा दिखाते हुए, अरे कुछ तो शरम कर सविता वह मेरा बेटा है,
सविता- जानती हू तुम्हारा बेटा है पर यह क्यो भूल जाती हो कि उसकी शादी हो चुकी है और अब तो वह रोज तुम्हारे
और मेरे जैसी औरत को नंगी करके चोद्ता है,
रति- चल अब चुप कर
सविता- अच्छा दीदी एक बात बताओ जब इन जवान लड़को से अपने पैर दबबाते है तो यह भी सोचते होंगे कि जाँघो
के उपर कैसी मस्त फूली हुई चूत होगी,
रति- क्यो नही सोचते होंगे और फिर सोनू तो शादीशुदा है वह तो सब जानता है कि औरत की चूत कैसी रहती है,
सविता- मुस्कुराते हुए, यही तो मैं कहना चाहती हू दीदी की जवान लोंडे से अपनी जंघे मत दब्वाया करो कही जोश
मे आकर तुम्हारी चूत दबा दी तो
रति- मुस्कुराते हुए, दबा देगा तो तेरे कौन से बाल झाड़ जाएगे, मेरा बेटा है मेरी चूत दबा भी देगा तो तेरा क्या
बिगड़ जाएगा,
मा की बाते सुन कर मैं तो एक दम मस्त हो रहा था और कान लगा कर दोनो की बाते सुन रहा था, मेरा लंड पूरी औकात
मे आ चुका था,
सविता- मूह बनाते हुए, भला मेरा क्या बिगड़ेगा मैं तो बस ऐसे ही कह रही थी,
रति- मुस्कुराते हुए इस बार सविता के चुतडो को दबाते हुए, लगता है देवेर जी के लोड्े मे अब वो धार नही बची
इसीलिए तू दिनभर पनियाई फिरती है
सविता- अरे दीदी अब क्या बताऊ, लंड डालते ही पानी छोड़ देते है यह उनकी रोज की आदत हो गई है,
रति- तो फिर तू क्या करती है
सविता- क्या करूँगी बस चूत सहला कर सो जाती हू
रति- कुछ सोचते हुए, हूँ
सविता- दीदी तुम्हे तो भैया खूब कस कस कर ठोकते होंगे ना
रति- मूह बनाते हुए अरे कहाँ रे उनका भी वही हाल है जो तेरे मरद का है, तेरा कम से कम रोज डालने की कोशिश
तो करता है, पर ये तो 4-5 साल से इन चीज़ो से दूर हो गये है अब महीने मे एक आध बार चोद्ते है वह भी 2-4
मिनिट के लिए और फिर झाड़ जाते है,
सविता- तो फिर दीदी तुम क्या करती हो
रति- मुस्कुराते हुए, मुझसे तो रहा नही जाता है, मैं तो चूत मे कुछ डाले बिना रह ही नही पाती हू इसलिए कुछ
ना कुछ डाल कर कम से कम आधा घंटा करना पड़ता है नही तो मुझे तो नींद ही नही आती,
सविता- दीदी वह तो ठीक है मैने भी कई बार ऐसा किया लेकिन दीदी लंड जैसा मज़ा नही मिलता है,
रति- हाँ वह तो है लंड की बात ही अलग होती है और फिर रति ने एक लंबी अंगड़ाई ली और कहा सविता आज तो बहुत
थक गई हू अब नींद आ रही है
सविता- ठीक है दीदी मैं भी चलती हू बहुत रात हो गई है,
सविता चाची के जाने के बाद मा सो गई और मैं उन दोनो की रसीली बाते सोचता हुआ आकर लेट गया, पर मेरे मन मे
एक इच्छा ज़रूर जाग्रत हो गई थी वह थी चाची और मा को खूब कस कस कर ठोकने की
सुबह उठ कर चाइ पीने के बाद जैसे ही मैं सविता चाची के घर गया और घर के अंदर घुसा आँगन के एक
कोने का नज़ारा
देख कर मेरी आँखे फटी की फटी रह गई सविता चाची पूरी नंगी खड़ी होकर नहा रही थी, हे उसके मोटे मोटे
गोरे गोरे भारी भरकम चुतडो को देख कर तो मैं पागल हो गया
कितने सुडोल और चौड़े थे उनके चूतड़, देख कर ऐसा लग रहा था कि जाकर उनकी मोटी गंद पर ज़ोर दार थप्पड़
मारु और उनके चुतडो को चौड़ा करके अपना लंड पेल दू, तभी सविता चाची की नज़र मुझ पर पड़ गई और वह एक
दम से मुझे देख कर अपना पेटिकोट उठा कर उसे अपने सीने से लगा लिया मैं जैसे ही पलट कर जाने को हुआ तभी
चाची ने मुझे आवाज़ देकर रोक दिया
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