RE: Desi Sex Kahani कमीना पार्ट - II
वाकई मे मा के चूतड़ कविता से भी डबल थे
कविता तो मा के सेक्सी बदन से आधी नज़र आती थी और वह लाल रंग की पैंटी उनकी गंद मे इस कदर फसि हुई थी
कि मैं देख कर मस्त हो गया, तभी मोम मिरर के सामने से बेड की तरफ गई और उसकी मस्तानी चाल देख कर
मेरे लंड की नसे तन कर इतनी फुल गई जैसे अभी फट पड़ेगी, तभी मा बेड पर लेट गई और लाइट ऑफ कर दी,
मुझसे रहा नही जा रहा था और मैं कविता के पास जाकर उसकी गंद को अपने लंड से दबा कर लेट गया और फिर
ना जाने कब नींद आ गई
सोनू- कविता तुम्हारी ब्लू पैंटी बहुत अच्छी लग रही थी आज रेड वाली पहनना
कविता- हस्ते हुए अरे मैं तो आपको बताना ही भूल गई वह पैंटी तो मा जी ने ले ली है
उन्हे वह पैंटी बहुत पसंद आई है कल ही उन्होने वह पैंटी पहन ली थी,
सोनू- अरे मैं तुम्हारे लिए लाया था तुमने मोम को क्यो दे दी,
कविता- मुस्कुराते हुए अरे तो क्या हो गया मा जी पर वह पैंटी बहुत अच्छी लग रही थी,
सोनू- तूने देखी है मोम को पहने हुए
कविता-मेरा लंड पकड़ कर मसल्ते हुए, हाँ और तुम देख लेते तो अपनी मोम की मोटी गंद
मारने के लिए तड़प उठते, बहुत सेक्सी नज़र आ रही थी उसमे,
सोनू- अच्छा बहुत भारी चूतड़ है क्या मोम के
कविता- अरे तुम्हारा तो बस उनकी गंद की दरार मे मूह डाल कर चाटने का मन होने लगता
उस रात कविता ने काफ़ी गरम बाते की और फिर हम लोग गाँव चल दिए वहाँ से कविता अपने मयके चली
गई और मैं गाँव मे ही रुक गया
मेरी एक चाची जिसका नाम सविता था वह मा से मिलने के लिए आई, रंडी बड़ी मोटी गंद की मालकिन थी
बिल्कुल मा की तरह, उसकी मा से बनती भी बहुत थी उपर से नाभि के नीचे साड़ी बाँधने के कारण उसका
गुदाज पेट भी बिल्कुल मा की तरह ही नज़र आता था क्योकि मा भी साड़ी काफ़ी नीचे बाँधती थी मा के उभरे
हुए पेट को देख कर उसकी फूली चूत की कल्पना करना बड़ा आसान था, जैसे ही चाची झुकी उसके बाहरी चुतडो
पर मेरी निगाहे टिक गई लेकिन मुझे नही पता था कि मा मेरी नज़रो को ही देख रही थी, चाची की मोटी गंद को
देखते हुए अनायास मेरा हाथ अपने लोड्े पर चला गया और मैने अपना लोड्ा मसल्ते हुए चाची की गंद को जी भर
कर देखा लेकिन जैसे ही मेरी नज़र मा पर पड़ी हमारी नज़रे मिल गई और मैं सकपका गया और डर गया लेकिन मा
के चेहरे पर एक अजीब चमक और हल्की मंद मुस्कान देख कर ना जाने क्यो मेरा लंड झटके मारने लगा लेकिन मैं
जल्दी से वहाँ से उठ कर चला गया और फिर पूरा गाँव घूम कर रात को ही हर लोटा
रात को मा ने मेरे पसंद का खाना बनाया था खाना खाने के बाद
रति- सोनू ज़रा इधर आ
मा ज़मीन पर बिस्तेर लगा कर लेटी हुई थी और उसकी साड़ी उसके घुटनो तक थी पेर उसने मोडे हुए थे मैं तो उसकी
गोरी गुदाज पिंदलिया देख कर मस्त हो गया मेरी आँखे उस वक़्क्त और भी लाल हो गई जब मैने देखा कि मा की आँखे
बहुत कामुक नज़र आ रही थी
रति- सोनू बेटे ज़रा पेर दबा दे बड़ी अकड़न सी महसूस हो रही है, मैं तो जैसे इंतजार मे ही था मैने झट से
उसके पेरो को अपने हाथो मे थाम कर धीरे धीरे दबाने लगा,
रति- आह बड़ा अच्छा दबा रहा है सोनू बड़ा आराम मिल रहा है, मैं मा की गोरी गोरी टॅंगो को खूब मसल मसल
कर दबा रहा था और उसकी साड़ी के अंदर झाँकने की कोशिश कर रहा था, मा बड़े गौर से मेरा चेहरा देख रही
थी,
रति- सोनू थोड़ा उपर तक दबा ना, सबसे ज़्यादा दर्द तो जाँघो मे हो रहा है,
मेरा हाथ मा की मोटी मोटी गुदाज जाँघो तक पहुचा और मैने मा की मखमली चिकनी जाँघो को कुछ इस तरह से
दबाया जैसे कोई मर्द अपनी बीबी की मोटी जाँघो को उसे चोदने से पहले सहलाता और दबाता है मेरे रग रग मे
मस्ती भर गई और मा ने भी आँखे बंद कर ली लेकिन तभी मादरचोद चाची ना जाने कहाँ से आ तपकी और सारा
मज़ा किरकिरा हो गया
सविता- मुस्कुराते हुए क्या हो रहा है सोनू अपनी मा की बड़ी सेवा कर रहा है तू, कभी अपनी चाची के भी हाथ
पाँव दबा दिया कर,
मैने देखा उस समय मा का भी चेहरा मुरझा सा गया था जैसे उसकी मेहनत पर पानी फिर गया हो,
रति- आ सविता हो गया खाना पीना
सविता- हाँ दीदी हो गया तभी तो मैने सोचा कि तुम्हारे पास ही जाकर थोड़ी देर गप्पे मारती हू,
सोनू- मा मैं सोने जाउ
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