Mastram Kahani यकीन करना मुश्किल है
10-12-2018, 01:17 PM,
#38
RE: Mastram Kahani यकीन करना मुश्किल है
हम लोग आख़िर कार वापस अपने ससुराल आ गये थे. सब बहोत खुश थे लेकिन मैं ना जाने क्यूँ खुश नही थी. मुझे अचानक ही इनायत से नफ़रत सी होने लगी थी, मैने उससे बात करना भी बंद सा कर दिया था. वो भी शायद ये नोटीस कर चुका था. घर पर आकर मेरी सास और मेरी ननद ने हमारा शानदार वेलकम किया. अब मेरी सास पहले की तरहा मुझसे खफा नही दिखती थी लेकिन फिर भी वो थोड़ा रिज़र्व रहती थी. मैने सर दर्द और थकावट का बहाना कर के इनायत से थोड़ी दूरी बनाई थी. दो दिन बाद ही मैने इनायत से अपने घर जाने के लिए इजाज़त माँगी , उसने बिना किसी हिचक के मुझे इजाज़त दे दी.
घर पर आकर मुझे करार आया. घर पर मैने अपनी उलझन और परेशानी किसी को नही दिखाई. घर पर सब खुश थे और अब मेरे भाई आरिफ़ के लिए रिश्ते देखे जा रहे थे लेकिन इस बार मेरी खाला को इन सब मामलो से दूर रखा था. शायद अब उनपर हमारे घर मे किसी को भरोसा ही ना था.
मेरी मा ने फ़ुर्सत निकाल कर मुझसे बात करनी चाही, वो शायद इस बात से ज़्यादा परेशान थी कि शौकत भी अपनी बीवी के साथ मेरे संग घूमने गया था. सुबह जब भाई और बाबा काम पर चले गये तो वो मुझसे मेरे हाल चाल पूछने लगी.

अम्मा: "बेटी कैसा रहा तुम्हारा सफ़र, तुम्हारे साथ वो खबीस भी गया था ना, उसने तुम्हे परेशान तो नही किया?"
मैं:"नही अम्मा बिल्कुल परेशान नही किया, वो तो अब मुझसे काफ़ी अच्छे से पेश आया था, मुझे वहाँ घूम कर बड़ा मज़ा आया"
अम्मा: "अच्छा हुआ बेटी, मैं तो बड़ी फ़िकरमंद थी, लेकिन उससे तुम अभी थोड़ा होशियार ही रहना कहीं उसके भोलेपन में कोई साज़िश ना छुपी हो."
मैं:"आप फिकर ना करो अम्मा, ऐसा कुछ नही होगा, वो ऐसा इंसान नही है , खैर ये सब आप छोड़ो ये बताओ कि भाई की शादी के क्या हाल हैं, उन्हे कोई लड़की पसंद आई कि नही?"
अम्मा:"इसी बात का तो रोना है बेटा हम तो कई लड़किया देख चुके हैं लेकिन ये तो सब को ही नापसंद कर देता है, ना जाने क्या चल रहा है इसके दिमाग़ में?"
मैं:"कहीं किसी लड़की के साथ दिल को नही लगा रखा जनाब ने?"
अम्मा:"अर्रे मैं तो ये भी पूंछ चुकी हूँ लेकिन साहब कुछ कहते ही नही, तुम्हारे बाबा भी साफ साफ पूंछ चुके हैं कि कोई लड़की पहले से पसंद है तो बता दो, हम उसके यहाँ तुम्हारा रिश्ता लेकर चले जाएँगे"
मैं:"तो क्या कहा भाई ने?"
अम्मा:"कहा क्या, कुछ भी नही, ना जाने ये ऐसा क्यूँ कर रहा है, कहता है कि थोड़ा रुक जाओ, अभी मैं शादी नही करना चाहता"
मैं:"तो हर्ज ही क्या है, रुक जाओ ना, लड़को की कोई उमर थोड़े ही ना देखी जाती है"
अम्मा:"वो तो ठीक है बेटा लेकिन हम मिया बीवी भी अरमान रखते हैं, कौन नही चाहता कि वो अपने नाती पोते देखे, और हम भी तो अपनी ज़िम्मेदारियो से फारिघ् होना चाह रहे हैं, ये कोई क्यूँ नही देखता, क्या भरोसा हम बुड्ढे लोगो की ज़िंदगी का, क्या पता कब हमारी शाम ढल जाए"
मैं:"अम्मा ऐसा क्यूँ कहती हो,आप लोगो से सिवा हमारा है ही कौन,किस के सहारे हम जी सकते हैं आप दोनो के सिवा"
अम्मा:"बेटा, कोई ज़िंदगी भर तो साथ नही रह सकता ना, ये कुदरत का उसूल है कि जब चिड़िया के बच्चे अपना खाना ढूँढना और उड़ना सीख लेते है तो उन्हे अपने मा बाप का घर छोड़ना ही होता है, अपनी नयी दुनिया बसाने के लिए, समझी"
मैं:"अम्मा ये सब बातें ना किया करो, मेरा दिल डूबने लगता है"
अम्मा:"अच्छा नही कहूँगी बाबा, लेकिन तू ही बता कि क्या मैं कुछ ग़लत कहती हूँ"
मैं:"ठीक है अम्मा, मैं भी भाई को एक बार समझा कर देख लेती हूँ शायद मेरी बात का कोई असर हो"
अम्मा:"ठीक है बेटी, तुम भी कोशिश कर के देख लो"

इस बात चीत के बाद हम मा बेटी दोपहर का खाना बनाने की तैयारी मे जुट गये. शाम को इनायत का फोन आया लेकिन मैं जितना ज़रूरी था उतनी ही बात की.
मुझे ये बात हर्ट कर गयी थी कि इनायत ने ताबू के बारे मे मुझसे सब छुपा कर रखा, मुझे ऐसा लग रहा था कि उसने मेरा और शौकत का यूज़ किया ताबू को पाने के लिए. मेरे दिल मे जो इज़्ज़त थी इनायत के लिए वो अब जाती रही. मुझे ताबू के वो क़हक़हे अभी भी याद थे कि जब वो मेरा मज़ाक उड़ा रही थी. मुझे अपने आप से घिन सी हो रही थी. मैने फ़ैसला कर लिया था कि जब तब इनायत और ताबू को उनकी इस बेशर्म चालबाज़ी के लिए गिला नही होता मैं उस वक़्त तक उनसे इसी तरहा फॉरमॅलिटी के साथ बात करती रहूंगी.
शाम वो आरिफ़ घर आया. वो अब एक एलेक्ट्रिकल स्टोर चलाता था, हमारे कस्बे मे ये एक ही दुकान थी इसलिए बहुत चलती थी, आरिफ़ ने दुकान को काफ़ी बढ़ा लिया था. वो काफ़ी मसरूफ़ रहता था लेकिन आज कल थोड़ा परेशान सा रहता था. हमारा घर ज़्यादा बड़ा नही था लेकिन ये काफ़ी आरामदेह था. छत पर इन दिनो शाम को बैठना सुकून देता था. हमारी छत आस पास के घरो से जुड़ी थी लेकिन पॅरपेट से घिरी थी. शाम वो जब पंछी झुन्दो मे अपने घरो को लौट रहे होते तो ये नज़ारा बड़ा हसीन लगता. शाम का ढलता सूरज और ठंडी हवा बड़ा सुकून देती थी. आस पास बड़े बड़े पेड़ और चारो तरफ फैली हरियाली एक दिलकश नज़ारा पेश करते थे. छत पर एक चारपाई पड़ी थी जिसपर हम कभी कभी जाकर बैठ जाया करते था. आज कल आरिफ़ छत पर ज़्यादा बैठ_ता था.
मैं भी शाम को छत पर आरिफ़ के लिए चाइ लेकर चली गयी. हम भाई बहेन आपास मे खुल कर बात नही करते थे. आरिफ़ शुरू से ही अलग खामोश रहने वाला लड़का था और मैं भी कुछ ऐसी ही थी.
मुझे छत पर आरिफ़ ने देख कर ऐसा महसूस किया जैसे वो अलग खामोसी से छत पर बैठना चाहता था.
मैं जानना चाहती थी कि क्या वजह है उसके शादी से इनकार करने की.

मैं:"आरिफ़ ये लो चाइ पियो"
आरिफ़:"नही मेरा मंन नही है"
मैं:"मंन क्यूँ नही है, क्या बात है"
आरिफ़:"अच्छा यहाँ रख दो, मंन होगा तो पी लूँगा"
मैं:"क्या बात है, आज कल बड़े रूखे से रहते हो, पता है अम्मा और बाबा कितने परेशान हैं इस बात को लेकर"
आरिफ़:"यार तुम भी अब मेरा दिमाग़ मत चाट उनकी तरहा"
मैं:"ठीक है अगर तुमको ऐसे ही रहना है तो रहो, किसी को क्या पड़ी है तुमसे इसरार करने की"
और ये कहकर मैं नीचे जाने लगी. मुझे नीचे जाता देखकर उसने मुझे आवाज़ दी, मैं पीछे मूडी तो उसने मुझे बुला लिया. मैं भी ना चाहते हुए वापस वही आकर बैठ गयी, फिर उसने मुझसे मेरे शौहर और ससुराल वालो के बारे मे पूछना चाहा

आरिफ़:"तुम अपने ससुराल वालो के बारे मे बताओ"
मैं:"देखो आरिफ़ बात मत बदलो"
आरिफ़:"नही मैं सच मे जानना चाहता हूँ"
मैं:"मैं अपनी नयी ज़िंदगी मे काफ़ी खुश हूँ, मेरी फिकर मत करो, अब मैं फिर से अच्छा महसूस करती हूँ, लगता है कि तकलीफ़ भरे दिन दूर हो गये, इनायत काफ़ी अच्छा इंसान है"
आरिफ़:"सुन कर बड़ा सुकून हुआ, अच्छा लग रहा है ये सब जान कर"
मैं:"हां, ये तो अच्छा हुआ लेकिन अब हम सब तुम्हे खुश देखना चाहते हैं"
आरिफ़:"मैं भी बहोत खुश हूँ"
मैं:"और बाबा और अम्मा, वो तो खुश नही हैं, उनके सर पर ज़िम्मेदारी का बोझ है और वो भी अपने पोते और पोतियो के साथ खेलना चाहते हैं, उनकी ख़ुसी के बारे मे तो सोचो"
Reply


Messages In This Thread
RE: Mastram Kahani यकीन करना मुश्किल है - by sexstories - 10-12-2018, 01:17 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,526,361 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 547,195 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,242,833 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 939,524 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,668,589 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,093,722 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,972,643 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,126,702 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,058,729 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 287,340 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 3 Guest(s)