Mastram Kahani यकीन करना मुश्किल है
10-12-2018, 01:11 PM,
#13
RE: Mastram Kahani यकीन करना मुश्किल है
इनायत की नज़रें अब मेरे सीने पर जा टिकी थी और मैं अपने दोनो हाथो से उनसे छिपा रही थी. जैसी ही घर पर

पहुँचे मैं भाग कर बिल्डिंग मे घुस गयी.
दरवाज़ा खोला और अपने बेडरूम मे भाग कर पहुँची, सोच रही थी कि जल्दी से कपड़े चेंज कर लूँ ताकि

सर्दी ना लगे और मैं चाइ बना का इनायत को भी दे दूं. मैने जल्दी से अपना ब्लाउस उतारा और पेटिकोट भी

उतार दिया. अब मैं बिल्कुल नंगी थी, ठंडी हवा मेरे जिस्म मे कपकपि पैदा कर रही थी. इतने मे पीछे से

इनायत की आवाज़ आई कि "आरा . पैसे हैं क्या ?" जब मुझे अपनी ग़लती का एहसास हुआ तब तक मैं उसके सामने

बिल्कुल नंगी खड़ी थी, मुझे ख़याल आया तो मैने अपने दोनो हाथो से अपने सीना को छिपा लिया लेकिन ऐसा करने

से मेरी नीचे की नंगी जगह नुमाया हो गयी, फिर मैने अपने नीचे हाथ बढ़ाया तो सीना नज़र आने

लगा. मुझे ऐसी हालत मे देखकर इनायत भी हवास खो बैठा था कि उसने मेरी तरफ चादर फेक दी जिससे मैने

खुद को ढका तब जाकर मेरे होश ठिकाने आए और मुझे उसके सवाल का ख्याल आया वो मुझसे खुल्ला

पैसे माँगने आया था, शायद ऑटो वाले को देने थे. मैने अब दरवाज़ा बंद किया.
लौटकर जब इनायत आया तो मैं चाइ बना रही थी. मैने कुछ पकोडे ताल लिए थे और अब मैं बाल्कनी मे एक कुर्सी

बार बैठी कुद्रत का हसीन नज़ारा देख रही थी. इनायत मेरे पीछे ही बैठा था अचानक ज़ोर से बिजली काड्की और

मैं अपने ख़यालों से झटके से बाहर आई लेकिन मैं इतना चौक गयी थी कि मैं कुर्सी से लुढ़क सी गयी थी.

इनायत मे मुझे रोकना चाहा लेकिन वो खुद नीचे जा गिरा और मैं उसकी गोद मे जा गिरी, मुझे कुछ सख़्त

चीज़ के एहसास अपने चूतडो पर हुआ. जब मुझे अंदाज़ा हुआ तो मैं शरमा सी गयी. इनायत ने अपनी बाँहे

मेरी कमर मे डाल दी थीं. मैं उठना चाहती थी लेकिन इनायत ने मुझे रोक लिया. अब वो मुझे धीरे धीरे

सहला रहा था. उसके गरम हाथ मेरी कमर मे गुदगुदी सी कर रहे थे. मैने इनायत से अलग होकर उतना

चाहा तो मैं उसपर ही गिर पड़ी. अब उसने मेरी पीठ पकड़ कर मेरे होंठो पर होंठ रख दिए.मैं अब अजब

हालत मे थी, लेकिन अब खुद को अलग नही कर पा रही थी.

इनायत अब मेरे होंटो को चूसने लगा तो मैं भी उसका साथ देने लगी. उसके जिस्म की गर्मी पाकर अच्छा लग रहा

था. इतने मे इनायत ने मुझे उठने को कहा , मैं समझ ना सकी कि क्या हो गया है,इनायत उठा और उसने मुझे

अपनी बाहों मे उठा लिया. मैं कहने लगी कि इनायत मुझे नीचे उतारो लेकिन वो कहाँ सुनने वाला था. उसने

मुझे बिस्तर पर लिटा दिया अब वह मेरे उपर आकर मेरे होंटो को दोबारा चूसने लगा. अब उसके हाथ मेरे

सीने को सहला रहे थे. मैने सिर्फ़ मॅक्सी पहनी थी.इस वजह से मेरे सीने से ब्रा आज़ाद थी. जैसी ही उसके हाथो

ने मेरे सीने को छुआ मैं काँप गयी लेकिन मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था.इनायत के हाथ कमाल कर रहे

थे.उसने मेरी मॅक्सी के सारे बटन खोल दिए थे और अब उसके हाथ मेरे नंगे सीने को सहला रहे थे, मेरे

मूह से आआआआआआहह,सीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई, ओह की आवाज़ आ रही थी. इनायत ने मेरी मॅक्सी

के उपर से ही मेरी टाँगो के दरमिया हाथ लेजाना चाहा तो मैने अपने एक हाथ से उसे रोकना चाहा लेकिन

मेरे हाथ को उसने अलग कर दिया. अब एक बार दोबारा उसने मुझे उठने को कहा तो मैं अंदाज़ा नही लगा पाई

कि वो चाहता क्या है लेकिन मैं बिना सवाल किए खड़ी हो गयी. वो नीचे झुका और मुझे हाथ उपर करने को

कहा. मैने हाथ उपर ही किए थे कि मुझे अंदाज़ा हो गया कि वो क्या करना चाहता है.लेकिन देर हो चुकी थी और

वो एक झटके मे मेरी मॅक्सी मेरी जिस्म से उतार चुका था. जैसी ही उसने उपर से नीचे मेरे जिस्म को देख उसकी

आँखो मे नशा का झलक उठा. मैने अपने आप को अपने दोनो हाथो से ढकना चाहा लेकिन वो मेरे हाथ

पकड़ चुका था.
"आरा , क्या चीज़ हो तुम, तुम्हारी चूचिया तो कमाल हैं" ये कहते ही उसने मुझे फिर बिस्तर पर लिटा दिया. वो

मेरी राइट तरफ था और उसने मेरे लेफ्ट चूची को अपने मूह मे लिया और अपने लेफ्ट हॅंड से मेरी राइट साइड की चुची

को हाथ से दबाने लगा. मेरे मूह से फिर आआआआआहह,उूुुउउइईईईईईई माआआआ की आवाज़ ही निकल

सकी. अब उसकी रफ़्तार तेज़ हो रही थी, मैं भी अपने हाथ से उसका सर अपने सीने पर दबा रही थी. मेरे जिस्म से

कोई फव्वारा आज़ाद होना चाहता था. वो फुव्वारा मेरी टाँगो के दरमियाँ से बाहर निकल रहा था. मेरे जिस्म के

अकड़न सी पैदा हुई थी और मैं ढीली पड़ने लगी थी लेकिन इनायत अब मेरे सीने से अलग ही हुआ था कि उसने उठा

कर अपने सारे कपड़े उतार फेंके. अब वो भी मैदान मे नंगा खूद पड़ा. उसका हथियार देख कर तो मेरे

होश उड़ गये. मैने सोचा ना था कि किसी आदमी का इतना बड़ा भी ही सकता है, ये लघ्भग 7 इंच का मोटा सा

मूसल रहा होगा. उसने मेरे चुतडो के नीचे तकिया रखा ही था कि मैं बोल उठी "नहीं इनायत ऐसा ना करो,

तुम्हारा तो सांड़ की तरहा मोटा है, तुम्हारे भाई का इतना बड़ा नही है, मुझे डर लगता है,प्लीज़ कॉंडम तो

पहेन लो".
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