RE: Mastram Kahani यकीन करना मुश्किल है
ये बात करीब एक साल पहले की है, मेरे इम्तेहान का रिज़ल्ट आ चुका था. मैने बी.ए. पास कर लिया था, घर मे सब ने राहत की साँस ली. ऐसा नही था कि मेरी पढ़ाई पर ज़्यादा खर्चा हो रहा था लेकिन लड़कियो की पढ़ाई से फ़ायदा ही क्या होता है.
मैं खुश थी.
मेरी मा मुझे पढ़ाने के लिए बिल्कुल राज़ी ना थी. मैने भी ज़्यादा ज़िद्द नही की.
मा मेरी शादी के लिए बाबा को रोज़ कहने लगी,मेरे भी अरमान थे कि मैं कुछ बन जाउ लेकिन फिर मैं खामोश हो गयी.
फिर एक दिन ऐसा आया जब मुझे देखने के लिए लड़के वाले आने वाले थे. मैं थोड़ा घबरा सी गयी, मा तो मुझसे भी ज़्यादा घबराई हुई थी. मेरे पहनने के लिए कोई नये कपड़े भी ना थे. मैने अपनी खाला ज़ाद बहेन जो मेरी ही उमर और मेरे ही डील डौल की थी उससे कपड़े लिए. मेरी खाला जो मुझसे कई मकान दूर रहती थी घर पर आ गयी. उनका नाम हिना है. मेरी मा हयात उनको बहुत मानती हैं. खाला हिना पैसे के मामले मे हम से थोड़ा बेहतर हैं. उनके शौहर दिलशाद की सेमेंट की एजेन्सी है. मेरी खाला ने मेरी मा से कहा कि मुझसे कस्बे के ब्यूटी पार्लर भेज दें ताकि मैं खूबसूरत लगूँ. सुबह के 9 ही बजे थे. मेरी मा ने मुझे मेरे भाई के साथ कस्बे के एकलौते ब्यूटी पार्लर भेज दिया. मैं पहली बार ब्यूटी पार्लर गयी थी. वहाँ पर पहले से ही दो लड़किया थीं जिनके चेहरे पर कुछ लगा हुआ था. मैं अंदर दाखिल हुई तो, ब्यूटी पार्लर की लड़किया मुझे देखने लगी. उन्होने मुझे सर से पैर तक देखा और उनके चेहरे पर एक हसी सी आ गयी. शायद वो मुझपर और मेरी ग़रीबी पर हंस रही थी. एक लड़की जो लंबी सी थी उसने मुझे पूछा क्या करवाना है? क्या शादी के लिए तैय्यार होना है? मैने कहा की नही लड़के वाले देखने आ रहे हैं. मेरी इस बार पर वो दो लड़किया वो पहले ही से कुर्सी पर बैठी थीं खिलखिला कर हंस पड़ी. मैं शर्मसार सी हो गयी. जाने क्यूँ हम लोवर मिड्ल क्लास के लोग हर बात पर शर्मिंदा हो जाते हैं.चाहे हमारी ग़लती हो या ना हो. ये अमीर लोग और रुतबे वाले अगर कोई बात ज़ोर से कहें तो हम उनकी बात मान लेते हैं. हमारा मुल्क चाहे गुलामी से आज़ाद हो गया हो लेकिन हम अपनी ग़रीबी से अभी तक आज़ाद नही हुए.
मुझे कोने मे पड़े एक सोफे बार बैठ कर इंतेज़ार करना का इसारा किया गया. कुछ देर बाद एक और लड़की पार्लर मे दाखिल हुई. मुझसे एक खाली पड़ी कुर्सी पर बैठने को कहा गया. उस लड़की ने मुझसे वही सवाल किया ही था कि पहले से मौजूद दो लड़कियो मे से एक ने कहा कि मेडम को लड़के वाले देखने आ रहे हैं लेकिन इस बात पर इस लड़की हो हसी नही आई. वो तुनक कर बोली कि इन "लोगो ने लड़कियो को बाज़ार मे सजी हुई एक चीज़ समझ रखा है".
फिर वो शुरू हो गयी मेरी चेहरे,गर्दन,पैर के नाख़ून, हाथ के नाख़ून, पॅल्को और ना जाने क्या क्या. मुझे एहसास ही नही था कि ये सब भी होता है.
खैर काफ़ी टाइम बाद उन्होने मुझे 850 रुपये माँगे, जो मैने अपने भाई आरिफ़ जो बाहर खड़ा था उससे ले कर पार्लर वाली लड़कियो को दे दिए.
घर पहुँची तो घर को पहचान ना पाई, घर मे कुछ फूलों के गमले, नयी चद्दर,नया फर्निचर था. ये सब मेरी खाला के यहाँ से आया था.
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