RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
मौसी का गुलाम---25
गतान्क से आगे………………………….
मूतना समाप्त होने तक डॉली ऐसी फडक उठी कि सीधा मेरे मुँह पर बैठकर मेरे मुँह को चोदने लगी और झड कर ही दम लिया मुझे मेरी मेहनत का खूब फल भी मिला, उसकी चुनमूनियाँ के स्वादिष्ट रस के रूप में
उठकर उसने मौसी को बधाई दी कि मेरे जैसा प्यारा गुलाम उसे मिला डॉली अब मुझसे इतनी खुश थी कि मेरे तडपते लंड को चूसने में भी वह मौसी के साथ कदम से कदम मिला कर चली बारी बारी से उसने मौसी के साथ मेरा लौडा चूसा और जब मैं आख़िर झडा तो ज़रा भी ना झिझके उसने भी मेरा वीर्य अपने मुँह में लिया मेरे लिए यह बहुत गर्व की बात थी कि डॉली जैसी पक्की लेस्बियन को भी मैं इतना खुश कर सका
जब आख़िर डॉली जाने लगी तो मेरा गाल चूमकर बोली कि आगे से मौसी मुझे भी अपने कामकर्म में शामिल करेगी, उसे बहुत अच्छा लगेगा जाते जाते मेरे आग्रह करने पर एक बार फिर डॉली ने मेरे मुँह का टॉयलेट जैसा इस्तेमाल किया मौसी को वह बोली कि अब हर हफ्ते कम से कम एक बार वह आया करेगी मुझे प्यार से चूम कर वह बोली"राज, तैयार रहना, अब जब भी आऊँगी तो खूब पानी पीकर आऊन्गि, दिन भर नहीं मुतुँगी, तेरे लिए इतना चुनमूनियाँ का शरबत लाऊंगी कि तू घंटों पीता रहेगा"
उसके जाने पर बतौर इनाम के मौसी ने सारे दिन और रात मुझे अपनी गान्ड मारने दी इसके बाद जब भी डॉली आती, हम तीनों धुँआधार कामुक रति करते बस एक बात का मुझे अफ़सोस है कि डॉली ने कभी मुझे उसे चोदने या गान्ड मारने नहीं दिया, हाँ, उसका अमृत जैसा चुनमूनियाँ का रस और शरबत जैसा मूत उसने मुझे खूब पिलाया
इस बार जब मौसाजी दौरे से वापस आए तो मौसी दो दिन के लिए एक शादी अटेंड करने के लिए बाहर गयी तब मैंने मौसाजी के साथ भी खूब मज़ा किया मौसाजी ने मौसी को कहा कि वह बेझिझक हो आए, वे उसके भांजे का पूरा ख़याल करेंगे मौसी हँसने लगी "मालूम है, तुम उसकी कैसी हिफ़ाज़त करोगे"
मौसाजी ने उन दो दिनों में इतना प्यार मेरे से किया कि वैसा कभी किसी ने नहीं किया होगा ओफिस से उन्होंने छुट्टियाँ ले ली कि पूरा समय मेरे साथ बिता सकें उन्होंने मुझे ऐसे भोगा कि जैसे मैं नयी नवेली दुल्हन हूँ और वे कामातूर दूल्हा वे मुझे खुद प्यार से बच्चे जैसा नहलाते, अपना लंड चुसवाते और फिर उपर से गिरते ठंडे शोवर के नीचे दीवाल से मुझे सटाकर खड़े खड़े मेरी गान्ड मारते
उन्होंने उन दो दिनों में मेरी इतनी गान्ड मारी कि मानों जैसे जनम भर की तृप्ति उन दो दिनों में ही पा लेना चाहते हों मेरी गान्ड मारते हुए मेरे सुख का भी वे पूरा ख़याल रखते थे डाइनिंग टेबल पर चोदने का एक बड़ा प्यारा आसन उन्होंने आजमाया जो बहुत ही मादक सिद्धा हुआ मैं टेबल पर अपने चुतड किनारे पर रख कर लेट गया मेरे सामने वे खड़े हो गये और मेरे पैर पकडकर अपने कंधे पर रख लिए अब मेरे नितंब थोड़े उठ गये थे और ठीक उनके लौडे के सामने थे
धीरे धीरे उन्होंने मेरी गान्ड में लंड उतारा और मुझसे चिपक कर खड़े हो गये मैंने उनके सिर को अपने पैरों के बीच पकड़ लिया और उन्होंने मेरी जांघें पकडकर खड़े खड़े ही आगे पीछे होकर मेरी मारना शुरू कर दी यह बहुत आराम का आसन था क्योंकि मेरे शरीर पर उनका ज़रा भी बोझ नहीं पड़ता था वे भी मुझसे बातें करते हुए, मेरे चिकने शरीर को सामने से नंगा देखने का मज़ा लेते हुए और मेरे लंड के साथ खेलते हुए बहुत देर मुझे चोद सकते थे
मेरी आँखों में देखकर मुस्कराते हुए मुझे दूर से ही फ्लाइंग किस देते हुए और मेरे लंड को मुठियाते हुए वे गान्ड मार रहे थे बीच में प्यार से उन्होंने पूछा "राज बेटे, तू चुद तो रहा है ना ठीक से?" मैंने सुख की सिसकारियाँ भरते हुए कहा "हाँ अंकल, बहुत मज़ा आ रहा है ऐसे मरवाने में" खेल खेल में मैं अपने पैर उनके गालों और मुँह पर रगडने लगा उनकी शेव ना की हुई ज़रा सी बढ़ी दाढी के बाल मेरे तलवों को बड़ी प्यारी गुदगुदी कर रहे थे
उन्होंने अचानक मेरे पैरों को चूमना और चाटना शुरू कर दिया फिर मेरे पैर के अंगूठे और दूसरी उंगलियों को मुँह में लेकर चूसने लगे और मेरे तलवे चाटने लगे एक बड़ी मीठी अनुभूति से मैं सिहर उठा मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि तलवों को चटवाने से इतना मज़ा आता है
मैं उनसे और करने के लिए कहने लगा "हाय मौसाजी, बहुत अच्छा लग रहा है, आप मेरे तलवे चाटते हैं तो बहुत प्यारी गुदगुदी होती है" वे भी बोले "मेरे राजा, तेरे पैर कितने खूबसूरत हैं, बिलकुल गोरे गुलाबी और चिकने, मैं तो इन्हें हमेशा चाटता रहूं ऐसा लगता है" आख़िर वे मस्त ज़ोर से झडे और फिर मेरी गान्ड में से लंड निकालकर वहीं टेबल पर मुझे लिटाकर मेरा लंड चूस लिया
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