RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
कुछ देर बाद वे अपने मुँह पोछती हुई अलग हुईं ललिता बोली "रश्मि बेटी, तेरी चूत तो आज ज़्यादा ही रसीली है, लगता है इस चिकने छोकरे को देखकर तू और मस्त हो रही है"
रश्मि मुस्करा कर मेरी ओर खा जाने वाली नज़र से देखते हुए बोली "चलो ना माँ, मैं इस मुन्ना को चोदना चाहती हूँ"
ललिता बोली "पहले इसे कुछ खिला पिला दे बेटी, भूखा होगा बेचारा, अब इस लडके को ज़्यादा मत तडपा" मुझे वैसे ही बँधा हुआ उन्होंने एक गुड्डे की तरह उठाया और लाकर बिस्तर पर पटक दिया
रश्मि की ब्रेसियर की दोनों नोकें अब गीली हो गई थीं ललिता बोली "दूध टपक रहा है तेरा, अब पिया नहीं तो सब बेकार जाएगा बेटी" रश्मि की नज़र अब मेरे लंड पर थी वह झुक कर उसे चूसने लगी ललिता ने उसे रोकना चाहा जब रश्मि ने एक ना सुनी तो उसे सावधान करते हुए ललिता बोली "बेटी, धीरे चूस नहीं तो यह झड जाएगा" रश्मि ने अनसुना करके मेरा पूरा शिश्न मुँह में भर लिया और गन्ने जैसा चूसने लगी
ललिता ने उसकी इस हरकत पर मुस्काराकर आख़िर हार मान ली और मेरे मुँह पर चढते हुए बोली "राज राजा, यह भूखी है, अब चूस के ही छोडेगी, चल तब तक तू मेरी चूत चूस ले" उसकी गीली चुनमूनियाँ में मुँह छुपा कर मैं चूसने लगा रश्मि ने उधर ऐसा ज़ोर से मुझे चूसा कि ललिता की चुनमूनियाँ में ही एक हल्की चीख निकालकर मैं झड गया
रश्मि ने ऐसे मेरा वीर्य निगला जैसे आइसक्रीम हो बूँद बूँद निकालकर ही उसने मुझे छोड़ा उठकर एक तृप्ति की डकार लेकर उसने अपनी माँ का चुंबन लिया "अम्मा, बहुत मज़ा आया, तू सच कहती थी, इस बच्चे की मलाई में जादू है" ललिता ने शायद पहले ही उसे हमारे चलाने वाले कामकर्म के बारे में सब बता दिया था अब तक ललिता मेरे मुँह में झडकर मुझे अपनी चुनमूनियाँ का पानी पिला चुकी थी वह नीचे उतरी और रश्मि मेरे होंठों को वासना से चूसने लगी
तब तक ललिता ने अपनी बेटी की ब्रेसियर उतार दी थी उसकी बड़ी बड़ी तोतापरी आमों जैसी चुचियाँ ब्रेसियर से ही अपने वजन से डोलने लगीं उनके बीच में रश्मि का मंगलसूत्र फंसा हुआ था जो उसने नहीं उतारा था उनके मोटे मोटे भूरे निपलो से अब सफेद बूँदें टपक रही थीं ललिता ने एक निपल मुँह में लिया और चूसने लगी मैं गुस्से से चिल्ला उठा मेरे हिस्से का दूध कोई पी जाए यह मुझे सहन नहीं हो रहा था "रश्मि, मुझे पीने दे ना, देख तेरी अम्मा ही पिए जा रही है" अब तक ललिता ने दूसरा निपल मुँह में ले लिया था
रश्मि ने हँसकर मुझे शांत किया "घबरा मत भैया, माँ तो बस इसलिए चूस रही है कि टपकाना बंद हो जाए नहीं तो इसे तो दिन रात मेरा दूध मिलता है अभी अभी सुबह पेट भर पिलाया था मैंने इसे"
ललिता अपने होंठ चाटते हुए सीधी हुई और मेरे लंड को चूमते हुए बोली "अब इसे खड़ा कर जल्दी जिससे मेरी बेटी इसे चोद सके जब चोदने लायक हो जाएगा तो तुझे चोदते हुए फिर अपना दूध पिलाएगी" दोनों मिलकर मेरे लंड को खड़ा करने में जुट गयी साली चुदैलो ने मेरे लाख कहने पर भी मेरे हाथ पैर नहीं खोले, उन्हें एक बँधे हुए किशोर से खेलने में इतना मज़ा आ रहा था जैसे बच्चों को गुड्डे से खेलने में आता है
मेरा लंड अब काफ़ी कड़ा हो गया था ललिता उसे अपनी चुनमूनियाँ में घुसेड कर मुझपर चढ बैठी और चोदने लगी "पहले मैं चोदती हूँ अपने प्यारे मुन्ना को बेटी, तू तब तक इसे अपनी चुनमूनियाँ तो चटवा" ललिता ने मुझे चोदते चोदते ही रश्मि को मेरे मुँह पर चढ़ने में सहायता की रश्मि की चुनमूनियाँ मौसी की तरह घने बालों से घिरी थी इसलिए उसने उंगलियों से बाल बाजू में करके फिर अपने भगोष्ठ मेरे होंठों से लगाए
मैंने उस रसीली मसालेदार चुनमूनियाँ को खूब चूसा अलग टेस्ट था पर रस बहुत था, पानी की तरह बह रहा था आख़िर जवान छोकरी थी जीभ भी मैंने अंदर डाली बड़ी मुलायम चुनमूनियाँ थी पर थोड़ी ढीली थी, अभी अभी आठ महने ही तो हुए थे उसे बच्चा जने
मैंने मन भर के चूसा और तब तक ललिता ने चोद कर मेरा लंड फिर तन्ना दिया दोनों ने अपनी जगहें बदल लीं रश्मि की ढीली ढाली गीली चुनमूनियाँ में मेरा लंड ऐसा समाया कि मुझे पता ही नहीं चला रश्मि जब मुझे चोदने लगी तो ललिता ने उसे समझाया "ढीला है ना बेटी, बच्चा छोटा है अभी पर तू भी तो अपना भोसडा लेकर आई है ज़रा कस ले अपना भोसडा, चुनमूनियाँ सिकोड और फिर चोद"
रश्मि ने अपनी चुनमूनियाँ सिकोडी तो ऐसे मेरे लंड को पकड़ा कि मैं सुख से सिहर उठा मैंने नहीं सोचा था कि उसकी ढीली चुनमूनियाँ इतने ज़ोर से मेरे लंड को पकड़ सकती है मेरे आश्चर्य पर मुस्काराती हुई ललिता बोली "तंदुरुस्त मेहनती बेटी है मेरी, चूत को कसना जानती है"
क्रमशः……………………
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