RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
पर परिवार वालों के दबाव में आकर उसे रश्मि की शादी करना पडी उसने पहले ही रश्मि के ससुराल वालों को कह दिया कि शादी के बाद भी ज़्यादातर उसकी बेटी उसी के पास रहेगी, बस कभी कभी अपने पति के यहाँ जाएगी दहेज भी उसने खूब दिया इसलिए ससुराल वाले भी आसानी से मान गये रश्मि का पति वैसे भी दुबई में नौकरी करता था इसलिए यहाँ रहता ही नहीं था बस, रश्मि शादी के बाद भी अक्सर अपनी माँ के यहाँ ही रहती
रश्मि की सास को पोते की चाह थी और उसके आग्रह पर आख़िर रश्मि बच्चा जनने को राज़ी हो गयी उसने अपनी सास से यह मनवा लिया कि बच्चे का पालन पोषण सास ही करेगी बच्चे को जन्म देकर और तीन माह पाल पोस कर वह उसे अपनी दादी के यहाँ छोड़कर खुशी खुशी माँ के यहाँ लौट आई और उनका लफडा फिर चालू हो गया
माँ बेटी की यहा विकृत मादक यौनकता सुनकर हम सब ऐसे उत्तेजित हो गये कि तीनों ने मिलकर फिर एक बार जोरदार चुदाई की आख़िर ललिता रश्मि को कल लाने का वायदा करके दो घंटे बाद घर वापस गयी
दूसरे दिन हम दोनों बड़ी बेसब्री से ललिता और रश्मि का इंतजार कर रहे थे अचानक फ़ोन आया और मौसी को कुछ घंटे के लिए ज़रूरी काम से एक संबंधी के यहाँ जाना पड़ा वह जल्दी से तैयार हो गयी और जैसे ही ललिता रश्मि के साथ आई, मुझे उनके सुपुर्द करके मेरा चुंबन लेकर चल पडी
जाते जाते ललिता को हिदायत दे गयी "पहले घर का काम ख़तम करो ललिता रानी और फिर मेरे भांजे के साथ जो करना है वह करो उसे खिला पिला देना, मैं तब तक वापस आ ही जाऊन्गी हाँ इसे मस्त रखना, हो सके तो ज़्यादा झडाना नहीं" जाते जाते वह बड़े गौर से रश्मि को देख रही थी लगता है कि रश्मि उसकी निगाह में भर गयी थी
मैं भी रश्मि को घूर रहा था ललिता यह देखकर मुस्कराने लगी माल ही ऐसा था पहली नज़र में तो रश्मि एक सीधी सादी जवान नौकरानी जैसी दिखती थी जैसी घर घर में होती हैं उम्र करीब बीस बाईस होगी वह ललिता जितनी ही उँची थी पर बदन ज़्यादा भरा पूरा था एक सादा सफेद ब्लओज़ और गुलाबी साड़ी उसने पहन रखी थी चेहरा आकर्षक और सुंदर था और होंठ मोटे मोटे रसीले थे नाक में वह नथ पहने थी
गौर से देखने पर रश्मि की रेशम जैसी चिकनी साँवली त्वचा, और गठे बदन की खूबसूरती दिखती थी उसके स्तनों का विशाल आकर उसकी साड़ी और चोली में से भी सॉफ दिखता था वह नौकरानियाँ पहनती हैं, वैसी सस्ती नुकीले शंकु जैसी ब्रेसियर पहने थी और वे तन कर खड़े शंकु उसकी साड़ी के आँचल में से भी उभर आए थे
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