RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
मौसी का गुलाम---20
गतान्क से आगे………………………….
ललिता मेरी इस हरकत पर हँसती हुई बोली "देखो दीदी, कैसा मचल गया दूध का नाम सुनकर असल में सब मर्द मन ही मन ऐसा ही सोचेते हैं बड़ा होकर भी दूध पीने की इच्छा मन से नहीं जाती! कल ही रश्मि बेटी को ले आती हूँ, पर दीदी वह भी काम करती है एक जगह, उसे छुट्टी लेनी पडेगी, तनखा कट जाएगी बेचारी की"
मौसी ने कहा कि उसका काम छुडवा दे और रोज साथ ले आया कर मौसी उसकी तनखा अलग से देने को भी राज़ी हो गयी
ललिता मुस्करा पडी एक तीर से उसके दो निशान लग गये थे बेटी को भी हमारे कामकर्म में शामिल होने का मौका मिल गया और तनखा भी मिली उसे खुश देखकर मौसी ने पूछा "ललिता, अब खुश है ना? चल अब सच सच बता अगर बच्चा नहीं पीता तो आज कल उस दूध का क्या करती है? फेक देती है?"
ललिता बड़ी शैतानी से मुस्कराते हुए बोली "नहीं दीदी, फेकूँगी क्यों इतना बढ़िया माल? मैं पी जाती हूँ" यह उल्टी गंगा बहने की बात सुनकर, कि एक माँ अपनी बेटी का दूध पीती है, मैं ऐसा मचला कि एक जोरदार धक्का ललिता की चुनमूनियाँ में मारकर स्खलित हो गया
मौसी ने भी ललिता की रसती चुनमूनियाँ चूसकर उस मिश्रण को बड़े चाव से निगला और फिर ललिता से पूरी कहानी सुनाने को कहा आज वह भी मूड में थी इसलिए सब बताने को तैयार हो गयी
हम दोनों को ललिता की कहानी सुनते सुनते यह पता चला गया कि ललिता और उसकी बेटी रश्मि, दोनों लेस्बियन थीं और उनका आपस में चक्कर बहुत दिनों से चल रहा था इसी कारण रश्मि अपनी माँ के पास ही रहती थी और पति के घर नहीं वापस जाना चाहती थी
यह चक्कर तब से चल रहा था जब से रश्मि जवान हुई थी ललिता का पति शराबी था और कब का घर छोड़ कर भाग गया था चुदाई की प्यासी ललिता अपनी किशोर कमसिन बेटी की ओर आकर्षित हुई और उसे बड़ा आनंद हुआ जब रश्मि भी इस नाजायज़ संबंध के लिए आसानी से तैयार हो गयी उसे भी अपनी माँ बहुत अच्छी लगती थी दोनों का काम संबंध इतना पनपा की ललिता को फिर से शादी करने की इच्छा ही नहीं हुई उसकी बेटी उसकी हर ज़रूरत पूरी करती थी उधर रश्मि भी शादी नहीं करना चाहती थी
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