RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
मौसी का गुलाम---19
गतान्क से आगे………………………….
मैंने मौसी से पूछा कि गुदा चिकना करने के लिए क्या लगाऊ मौसी अब काफ़ी सेडिस्टिक मूड में थी बोली "नहीं राजा, साली की सूखी ही मारो, रोने दो दर्द से, बाद में देखना कैसे मस्त गान्ड मरवाएगी मादरचोद, फालतू में नखरा करती है"
मैंने एक क्षण भी इंतजार नहीं किया और ललिता के ओन्धे बदन पर चढ कर अपना बुरी तरह से सूजा सुपाडा उसकी भूरी ज़रा सी गुदा में पेलने लगा ललिता छटपटा उठी रोते हुए अपनी मौसी के नीचे दबे मुँह से अस्पष्ट आवाज़ में बोली "दीदी, मेरा छेद सचमुच बहुत सकरा है, दुखेगा, मत चोदो इसे, इसमें तो मैं कभी उंगली भी नहीं करती, तुम्हारे पैर पड़ती हूँ दीदी, मेरी गान्ड मत मारो और कुछ भी करवालो मुझसे मारना ही है तो कम से कम गान्ड के छेद को चिकना तो कर लो"
साथ ही अपनी गुदा को सिकोड कर वह मेरे लंड को बाहर ही रोकने की कोशिश करने लगी मैंने अपने हाथों से उसके चुतड अलग किए और सुपाडा अंदर उतार ही दिया असल में मेरा लंड अब इतना कड़ा हो चुका था कि लोहे के राड जैसा मैं उसे कहीं भी घुसा सकता था मेरी मार को ललिता की गान्ड ना सह सकी और जवाब दे गयी उसकी गुदा खुल गयी और सट्ट से मेरा आधा लंड अंदर चला गया
ललिता ऐसे तडपी जैसे कोई उसका गला दबा रहा हो उसने चीखने की भी कोशिश की पर मौसी ने उसका मुँह दबोच कर उसे चुप कर दिया मैंने फिर ज़ोर से अपना लौडा पेला और एक ही बार में जड तक लंड ललिता की गान्ड में उतार दिया मौसी भी मस्त होकर बोली "शाब्बास मेरे शेर, ऐसी मारी जाती है गान्ड, साली को अब ऐसे चोदो कि उसकी गान्ड फट जाए
मैं ललिता की गान्ड मारने लगा ललिता का गुदा उसकी चुनमूनियाँ से बहुत ज़्यादा टाइट था बल्कि मौसाजी की मर्दानी गान्ड से भी ज़्यादा टाइट था लंड को ऐसे ज़ोर से पकड़ा था कि सरकता ही नहीं था चिकनाई भी नहीं थी इसलिए घर्षण भी हो रहा था उस सूखी मखमली टाइट गरमागरम म्यान को चोदने में इतना आनंद आया कि क्या कहूँ
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