RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
ललिता आकर मेरे मुँह पर अपनी चुनमूनियाँ रख कर तैयार हो गयी अब तक मैं उसकी चुनमूनियाँ चूसने को बड़ा लालायित हो चुका था ललिता की झांते मौसी से छोटी और घूंघराली थीं काले पेट पर काली झांतें बड़ी प्यारी लग रही थीं उस साँवली चुनमूनियाँ में लाल लाल छेद और उसमें से टपकता सफेद रस देखकर मेरे मुँह में पानी भर आया
मेरी आँखों में झलक रही भूख को देखकर ललिता हँसकर मेरे मुँह में चुनमूनियाँ देकर बैठ गयी और मैं उस पूरी चुनमूनियाँ को मुँह में लेकर चूसने लगा उसका रस मौसी से बहुत अलग था, मानों एक अँग्रेज़ी शराब थी और दूसरी देसी ठर्ऱा भले ही उस उम्र में मैंने कभी शराब नहीं पी थी पर फिर भी यह मैं कह सकता हूँ ललिता का क्लिट भी एक छोटे कंकड़ जैसा कड़ा था और उसे मैं जब भी जीभ से चाटता तो साली उछल कर चीख देती
मौसी अब तक पीछे से ललिता के दोनों स्तन हाथों में लेकर धीरे धीरे मसल रही थी ललिता ने आख़िर मस्ती में मेरे मुँह को चोदते हुए अपना सिर घुमाया और गुहारने लगी "दीदी, ज़रा ज़ोर ज़ोर से मसलो मेरी चूचियों को, बहुत सताते हैं यह साले मम्मे मुझे कुचल डालो दीदी, सालों को पिलपिला कर दो"
मौसी ने भी ऐसे चुचियाँ मसली कि सुख और यातना की मिली जुली मार से ललिता सिसक सिसक कर तडपने लगी और अपना मुँह खोल कर अपनी जीभ मौसी को दिखाने लगी मौसी ने उस लाल जीभ को मुँह में पकड़ा और चूसने लगी, साथ ही दाँतों में दबाकर धीरे धीरे चबाने लगी मुझे अब दोनों मिलकर ऐसे ज़ोर से चोद रही थीं कि जैसे घुडसवारी कर रही हों बेंच भी चर्ऱ मर्ऱ चर्ऱ मर्ऱ करती हुई हिलने लगी
मैं झडने को मरा जा रहा था पर मेरी चुदैल एक्स्पर्ट मौसी के सामने मेरी क्या चलती मुझे बिना झडाये दोनों ने खूब मज़ा किया ललिता ने झड झड कर करीब कटोरी भर चिपचिपा देसी ठर्ऱा तो मुझे ज़रूर पिलाया होगा आख़िर मन भर कर झड कर दोनों रुकीं और उठ कर खडी हो गयीं
मौसी ने पहले मेरे लंड को ललिता से चटवाया "साली, चाट ले लंड को, मेरा रस उसपर लगा है, बेकार नहीं जाना चाहिए" फिर उसने ललिता से अपनी चुनमूनियाँ चुसवाई "इतना रस निकाला है मेरी चूत से इस लडके के लंड ने, तू ही पी ले मेरी रानी" ललिता अब झड झड कर बिलकुल ठंडी हो गयी थी और अपनी मालकिन की हर आग्या का पालन कर रही थी
मौसी ने अब मेरे बंधन खोले और कहा कि मैं सच में बड़ा प्यारा मुन्ना हूँ और मैंने उन दोनों को बहुत सुख दिया है इनाम के तौर पर मौसी ने मुझसे कहा "चल मेरे राजा बेटा, अब तुझसे ललिता की गान्ड मरवाती हूँ तुझे भी मज़ा आ जाएगा इस नालायक की टाइट गान्ड मारकर"
ललिता घबरा गयी और मुकरने लगी मैंने पहले ही देखा था कि उसका गुदा सच में काफ़ी सकरी था और उंगली डालने पर भी दर्द होता था वह अब धीरे धीरे सरकती हुई हमसे दूर जा रही थी और भागने का रास्ता ढुन्ढ रही थी मौसी समझ गयी और झपट से कस कर दबोच लिया "भागती कहाँ है रानी, काम बाद मे कर लेना गान्ड तो मरा ले, फिर चली जाना"
गिडगिडाती ललिता को धकेल कर मौसी बिस्तर पर ले गयी और उसे ओन्धे मुँह पटककर उसके हाथ पकडकर खुद उसके सिर पर बैठ गयी कि वह भाग ना सके ललिता की गान्ड में मेरा लंड ठूँसने की कल्पना ही मौसी को इतना उत्तेजित कर रही थी कि वह अपनी चुनमूनियाँ में खुद ही उंगली करने लगी और मुझसे ललिता पर चढ जाने को कहा
क्रमशः……………………
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