RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
"क्यों दीदी, पान कैसा है?" ललिता ने लडिया कर पूछा मौसी ने पान चबाते हुए ललिता का सिर अपने हाथों में पकडकर कहा "तेरे मुँह का स्वाद भरा है तो मस्त ही होगा मेरी चुदैल बाई"
अब दोनों औरतें वासना से फनफनाकर एक दूसरे से लिपटकर चुम्मा चाटी करती हुई एक दूसरे के कपड़े उतारने लगीं ललिता पहले नंगी हो गयी क्योंकि उसने सिर्फ़ साड़ी चोली पहनी थी मौसी को नंगा होने में कुछ समय लग गया क्योंकि वह साड़ी, ब्लओज़, पेटीकोट, ब्रेसियार और पैंटी, सारे वस्त्र पहने हुए थी ललिता अब तैश में थी और मौसी के कपड़े खींचती हुई थोड़ी चिढ कर बोल पडी "क्या दीदी, तरसाती क्यों हो? पहले ही कपड़े निकालकर तैयार रहना था हमेशा की तरह"
"लेट आने की और मुझे इतने दिन तडपाने की सज़ा दे रही हूँ तुझे हरामज़ादी" मौसी ने भी खुलकर गाली दी मादरजात नंगी होकर दोनों औरतें अब एक दूसरे को चिपटकर सोफे पर गिरकर बेतहाशा एक दूसरे को चूमते हुए एक दूसरे के बदन को वासना से नोंचने लगीं बड़ा मादक सीन था, मौसी की गोरी चिकनी भरी हुई मांसल काया और ललिता का काला सांवला गठा हुआ छरहरा देसी बदन आपस में लिपटे हुए गजब ढा रहे थे
"ललिता, पहले मेरी चुनमूनियाँ चूस, सुबह से गीली है, चल जल्दी कर, चुनमूनियाँ का पानी पी ले फटाफट" कहते हुए मौसी ने ललिता को अपने सामने ज़मीन पर अपनी फैली टाँगों के बीच बिठा लिया ललिता ने झपटकर मौसी की चुनमूनियाँ में सिर छुपा लिया और चूसने लगी उसका सिर मौसी की जांघों में उपर नीचे होने लगा वह मौसी की पूरी चुनमूनियाँ उपर से नीचे तक चाट रही थी
मौसी ने उसका सिर अपनी झांतों में दबा लिया और उसे पकडकर अपने नितंब आगे पीछे करते हुए धक्के लगाने लगी "साली हरामी, ठीक से चूस, जीभ घुसेड अंदर तक, और ज़रा मेरे बटन को गुदगुदा उसपर जीभ रगड"
दो ही मिनिट में शन्नो मौसी ऐसी झडी कि एक चीख के साथ सोफे में ढेर हो गई"हाइईईईईईईईईईई रीईईईईईईईईईईई झड गयी रेईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई &, मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गयी रे कितने दिन के बाद तेरी जीभ से चुदवाने का मज़ा आया ललिता रानी, साली चुदैल, अब तूने चूस ली तो देख क्या करती हूँ!" ललिता ने स्वाद ले लेकर मौसी की चुनमूनियाँ से पूरा रस चाट चाट कर सॉफ कर दिया
क्रमशः……………………
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