RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
मौसी नाराज़ हुई कि मौसाजी उसके प्यारे भांजे को अपने ही सुख के लिए पकड़ कर रखे हुए हैं, अपनी पत्नी का उन्हें ज़रा भी ख़याल नहीं मौसाजी ने चूम कर उसे मनाया "मैं तुझे भी खूब चोदून्गा और तेरी गान्ड मारूँगा मेरी रानी सिर्फ़ झड़ूँगा नहीं लंड अपना मैं सिर्फ़ इस बालक की गान्ड के लिए ही खड़ा रखूँगा यह गान्ड नहीं, मेरे लिए तो बड़ी प्यारी बच्चा चुनमूनियाँ है और फिर मैं बस दो दिन तो यहाँ हूँ, मुझे फिर दौरे पर जाना है तब तक तो मन भर के इसे भोगने दे"
मौसी की नाराज़गी दूर हुई और तुरंत मौसाजी को अपना वायदा पूरा करने के लिए कहती हुई वह झुक कर टब का किनारा पकड़ कर झुक कर खडी हो गई उसे कुतिया स्टाइल में चुदाना था अंकल ने उसके पीछे खड़े होकर उसकी चुनमूनियाँ में लंड डाला और चोदने लगे उसे उन्होंने आधे घंटे तक चोदा और तीन चार बार झडा कर खुश कर दिया सारे समय मैं मौसी के सामने खड़ा था और वह मेरा लंड चूस रही थी उसने मुझे झड़ाया नहीं, सिर्फ़ गरम रखा अपने पति के लिए अंकल के कहने पर मैंने उसके लटकते स्तन भी खूब दबाए वे अंकल के झटकों से पेम्डुलम जैसे हिल रहे थे
मैं इतना उत्तेजित था क़ी वासना से सिसकने लगा "मौसी, चूस ले मेरा लंड, प्लीज़, मुझसे नहीं रहा जाता" मौसी ने भी मौसाजी से कहा कि एक बार तो उसे चूसने दें, कल से उसने अपने प्यारे भांजे का वीर्य नहीं चखा था मौसाजी ने आख़िर परमिशन दे दी और मौसी के स्तन पकड़े पकड़े ही मैं ऐसा झडा की किलकारियाँ मारने लगा
मौसी ने मन लगाकर मेरा वीर्य पान किया और इस बीच अंकल ने उसे एक बार और चोद डाला मैंने गौर किया कि मौसाजी एक भी बार नहीं झडे वी और अपना तन्नाया लंड मेरे लिए बचाए हुए थे जब उन्होंने मुझे मौसी की चुनमूनियाँ में घुसते निकलते अपने लौडे को ताकते देखा तो मुझे आँख मार कर हँसने लगे कि ठहरा राजा, यह अब तेरे लिए है
मौसाजी अब फर्श पर लेट गये और शन्नो मौसी की तरफ देख कर हँसने लगे कल की रात की घटना याद करके मैं समझ गया कि अब क्या होगा मौसी तैयार नहीं थी और मेरी ओर इशारा कर के अंकल को आँख दिखाने लगी मौसाजी बोले "बच्चे को भी देखने दो रानी, क्या हुआ, उसे भी इसकी आदत लगा दो, उसे बहुत मज़ा आएगा तेरा मूत पीकर उसने शायद कल देख भी लिया है, क्यों राज बेटे? चलो, मुझे मत प्यासा रखो, पिला दो अपना शरबत"
मौसी आख़िर थोड़ा शरमा कर मेरी ओर कनखियों से देखती हुई मौसाजी के सिर के दोनों ओर पैर जमा कर घुटने मोड कर बैठ गयी और उनके मुँह में मूतने लगी आज वह बड़े प्यार से रुक रुक कर धीरे धीरे मूत रही थी कि उसके पति को स्वाद ले ले कर पीने का मौका मिले मुझसे ना रहा गया और मैं झुक कर मौसी के चुंबन लेता हुआ उसकी आँखों में झाँकने लगा मेरे कुछ ना कहने पर भी वह मेरी आँखों की याचना समझ गयी और धीरे से मेरे कान में बोली "बाद में बेटे, अकेले में"
नहाने के बाद हम नाश्ते पर बैठे मौसाजी ने मुझे अपनी गोद में बिठा रखा था उनका लंड मेरे नितंबों की बीच की लकीर में धँसा हुआ था और मैं उसपर ऐसा बैठा था कि साइकिल का राउन्ड हो मौसाजी बीच बीच मे अपना लंड मुठियाते तो लंड उपर होकर मुझे आराम से उठा लेता जैसे कोई क्रेन हो उनके ताकतवर लिंग की यह शक्ति देखकर मौसी भी खूब हँसी
नाश्ता खतम करके हम ड्राइंग रूम में गये मुझे बाँहों में लेकर चूमते हुए वे दोनों सलाह मशवरा करने लगे कि मेरे साथ अब क्या किया जाए, जैसे मैं कोई ज़िंदा बालक नहीं, उनका खिलौना हूँ जिससे चाहे जैसे खेला जा सकता है आख़िर मौसी मेरी तरफ दुष्ट निगाह से देखती हुई बोली "इसे मीठी सूली पे क्यों ना चढाया जाए जैसा उस दिन वीडीओ पर देखा था"
क्रमशः……………………
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