RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
मौसी का गुलाम---13
गतान्क से आगे………………………….
दर्द से बिलबिला कर मैंने चीखने के लिए मुँह खोला ही था कि उनके शक्तिशाली हाथ ने मेरा मुँह दबा कर मेरी चीख रोक दी बचे हुए लंड को अब बेरहमी से मेरी गान्ड में खोँसते हुए वे वासना से हाम्फते हुए बोले "चिल्ला मत राज बेटे, कोई फ़ायदा नहीं होगा, तेरी नरम नरम कमसिन गान्ड तो मैं मार के रहूँगा, ऐसी हाथ में आई चीज़ छोड़ने के लिए क्या मैं पागल हूँ? आज तो दिन भर मारूँगा तेरी, ले लूँगा आज"
जड तक लंड मेरी गान्ड में घुसेड कर वे मेरे उपर चढ कर सटासट मुझे चोदने लगे मेरा मुँह उन्होंने अपने हाथ से दबोचे रखा और मस्त घचाघाच गान्ड मारते रहे दर्द से ऐम्ठता हुआ मेरा शरीर शायद उन्हें और उत्तेजित कर रहा था आख़िर जब मैंने हार मान ली और रोता हुआ निढाल होकर पड गया तब धीरे से उन्होंने मेरा मुँह छोड़ा उस हाथ से वे अब मेरे निपल मसलने लगे और दूसरे हाथ से मेरा लंड रगड कर मुझे मस्त करने लगे जल्द ही लंड में मस्ती चढ़ने से मेरा रोना कुछ कम हुआ, पर दर्द अब भी बहुत हो रहा था
मौसी ने हल्ला सुना तो देखने को आई कि क्या गडबड चल रही है मैंने रोते हुए उससे मौसाजी की शिकायत की "मौसी, मौसाजी को डान्टो ना, देखो फिर मेरी गान्ड मार रहे हैं, बहुत दर्द हो रहा है मौसी, मैं मर जाउन्गा आज तो मख्खन भी नहीं लगाया"
उसने अपने पति का ही साथ दिया वासना से भरी उनकी आँखों को चूम कर वह मेरे पास बैठ गयी वह पूरी नग्न थी और बड़ी मादक लग रही थी "मारने दो बेटे, इतनी चिकनी गान्ड जब मिली है तो पूरा मज़ा लेंगे ही खाने की चीज़ है तो खाएँगे नहीं? ले मेरी चूची चूस ले और ज़रा दर्द सहन करना सीख" फिर अंकल की ओर मुड कर बोली "मारो जी, और ज़ोर से मारो इस बच्चे की गान्ड पूरा मज़ा वसूल कर लो इतना मस्त छोकरा है, मेरा लंड होता तो मैं भी ऐसे ही चोदती इसे"
रोते बच्चों को चुप कराने के लिए जैसे औरतें करती हैं वैसे मेरे मुँह में उसने एक निपल दे दिया कि मैं शांत हो जाऊ अब तक मेरा दर्द कम हो गया था और मुझे गान्ड मराने में मज़ा आने लगा था रोना बंद करके अब मैं अपने चुतड उछाल कर और ज़ोर से मरवाने की कोशिश कर रहा था
मौसाजी मेरे इस उतावलेपन पर लाढ़ से हँसने लगे "देख रानी, अभी तक रो रहा था बदमाश, अब कैसा मस्ती से मरा रहा है, अपने चूतड उछाल उछाल के डार्लिंग, आज तो मैं कसम ले लेता हूँ, दिन भर इसकी गान्ड मारूँगा" इस वायदे के साथ वे पूरी शक्ति से मुझे चोदने लगे पंद्रहा मिनिट मज़ा लेकर आख़िर वे झडे
जब अंकल ने लौडा निकाला तो फिर मेरा दर्द बढ़ गया पर अब मैं रोया नहीं सच तो यह है कि अब मैं गान्ड मराने का आदी हो चला था मौसी ने कहा कि सब अब नहाने को चलें पर जब मैंने पलंग से उतर के चलने की कोशिश की तो गान्ड में ऐसी दर्द की हुक उठी की तडप कर गिरते गिरते बचा आख़िर मौसाजी मुझे बाँहों मे उठा कर बाथरूम में ले गये मुझे चूमते चूमते वे बोले "तू तो मेरा खिलौना है, मेरा गुड्डा है, आज दिन भर कर अपने गुड्डे से मैं खेलूँगा" मैं यह सुनकर मन ही मन खुश हुआ पर घबराया भी मैंने समझ लिया कि आज मेरी गान्ड की खैर नहीं
गरमा गरम पानी के शोवर से मुझे आराम मिला मेरा लंड अब खड़ा हो गया था और मैं मचल रहा था मौसी ने सोचा कि चूसने का अच्छा मौका है पर अंकल ने मना कर दिया बोले "डीयर, इसे ऐसा ही खड़ा रहने दो, जब तक राज मस्त रहेगा, प्यार से मरवाएगा अगर झडाना ही हो, तो मैं इसे चूसूंगा आज इसका वीर्य सिर्फ़ मेरे लिए है"
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