RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
मौसी का गुलाम---12
गतान्क से आगे………………………….
मौसाजी को उसने जताया "देखो जी, इतनी मेहनत से घुसाया है तो अब कम से कम एक घंटे तक राज की गान्ड मारो मैं भी तो देखूं कि कितना दमा है तुममें और मेरे इस प्यारे भांजे में"
मौसाजी अब धीरे धीरे मुझे चोदने लगे उनका लौडा मेरे फैले चुतडो में एक इंच अंदर बाहर हो रहा था फिर मेरे गुदा में यातना होने लगी पर मज़ा इतना आ रहा था कि मैंने दर्द पर ध्यान नहीं दिया जल्द ही मौसाजी ने ज़ोर के धक्के लगाना शुरू किया और तीन चार इंच लंड मेरी गान्ड में अंदर बाहर करने लगे मख्खन से मेरा गुदा इतना चिकना हो गया था कि लंड आसानी से पच-पुच-पच की आवाज़ से अंदर बाहर हो रहा था उसका वह मीठा घर्षण मुझे बहुत सुख दे रहा था
जल्द ही मौसाजी एक लय से मुझे चोदने लगे "राज बेटे, मेरे लंड को अपनी गान्ड से पकड़ , ऐसे सिकोड और छोड़ जैसे दूध निकाल रहा हो" मौसाजी का आदेश मैंने माना और गान्ड सिकोडते ही मीठी चुभन से भरा ऐसा दर्द हुआ कि मैं सिहर उठा
लंड पर मेरी गान्ड का दबाव बढ़ते ही मौसाजी ऐसे उत्तेजित हुए कि मेरा सिर अपनी ओर खींच कर मुझे चूमने लगे "आहा हाइईईईई, मज़ा आ गया, बस ऐसे ही बेटे, बहुत सुख दे रहा है तू मुझे, अब मुझे चुम्मा दे, तेरे मुँह का मीठा रस तो चूसूं ज़रा" हमारे होंठ अब एक दूसरे के होंठों पर जमे थे और जीभ लडाना, जीभ चूसना, गले में जीभ गहरे तक उतारना इत्यादि मीठी क्रियाएँ जोरों से चल रही थीं
हमने घंटे भर तक जम के चुदाई की दस दस मिनिट बाद जब अंकल झडने को आते तो रुक जाते रुके रुके वे मुझे खूब चूमते और मेरे लंड को सहला कर मुझे मस्त करते मेरा लंड अब लोहे के डंडे जैसा खड़ा था अंकल जैसे मस्ताने मर्द से मराने में और एक रंडी की तरह खुद को चुदवाने में वह मज़ा आ रहा था कि कहा नहीं सकता मौसी भी अब मतवाली होकर हमारी कामक्रीडा को देखती हुई एक डिल्डो से खुद को चोद रही थी
आख़िर एक घंटे बाद मौसाजी की सहनशक्ति खत्म हो गयी और वे उछल उछल कर ज़ोर से मेरी गान्ड चोदने लगे मैं भी पक्के गान्डू जैसा अपनी गुदा सिकोड सिकोड कर अपने नितंब उछाल उछाल कर गान्ड मरा रहा था वासना के आवेश में मैं चिल्लाने लगा "अंकल, मेरी गान्ड और ज़ोर से मारिए, पूरा घुसाइए ना, फट जाने दीजिए, मेरे निपल भी खींचिए प्लीज़, पटक पटक कर मेरी गान्ड मारिए"
अंकल मेरे निपलो को खींच खींच कर मसलते हुए अब हचक हचक कर चूतड़ उछाल उछाल कर मुझे पूरी शक्ति से चोद रहे थे उनका लंड करीब करीब पूरा सात आठ इंच मेरी गुदा में से निकल और घुस रहा था मेरा गुदा का छल्ला अब ढीला होकर पूरा खुल गया था स्पीड बढने से अब गान्ड में से पचाक-पचाक-पचाक की आवाज़ आ रही थी मौसी भी डिल्डो चलाती हुई गरम कर बोली "डार्लिंग, अब बिलकुल दया नहीं करना इस गान्डू पर, भले साले की नरम गान्ड फॅट जाए, तुम्हे मेरी कसम कस के हचक हचक के मारो इस हरामी की, इतनी मारो कि कल यह मादरचोद चल ना पाए"
मौसाजी अचानक इतनी ज़ोर से झडे कि एक घोड़े की तरह हिनहिनाए तपते उबलते वीर्य का फुहारा मेरी गान्ड की गहराई में निकल पड़ा मुझे ऐसी तृप्ति महसूस हुई जैसी किसी औरत को चुद कर होती है प्यार से मैंने अंकल के होंठ अपने दाँतों में दबा लिए और उन्हें चूसने लगा
हाम्फते हुए अंकल के मुँह से रस छूट रहा था जो मैं पूरे जोश से निगल रहा था मेरे दाँतों मे दबे होने से अंकल की सीतकारियाँ भी दब कर बस उनके मुँह से हल्की हिचकियाँ भर निकल रही थीं मैं बड़ा गर्व महसूस कर रहा था कि उस मस्ताने मर्द को मैंने इतना सुख दिया था मौसाजी को पूरा झडने में पाँच मिनट लग गये और आख़िर उनका लंड सिकुड कर ज़रा सा हो गया
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