RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
मौसी का गुलाम---11
गतान्क से आगे………………………….
मेरे नितंब सहला कर मौसी ने बड़े प्यार से अपने पति को पेश किए मैं अब मौसाजी के हाथों को अपने नितंबों को सहलाते और दबाते हुए महसूस कर रहा था उनकी ज़ोर से चलती साँस से मुझे अंदाज़ा हो रहा था कि वे कितने उत्तेजित हैं अचानक उनकी गरमा गरम साँसें मेरे नितंबों पर लगीं और उनके मुँह का गीला स्पर्ष अपनी गुदा पर मैंने महसूस किया वे अब मेरे गुदा के छेद को और चाट रहे थे जल्द ही गुदा पर मुँह लगाकर वे चॉकलेट की तरह चूसने लगे
मेरा भी लंड इस सुखद स्पर्ष से और मौसी के चूसने से खड़ा हो गया मौसी ने पति से फरमाइश की "डार्लिंग, अपनी पूरी जीभ इसकी कोमल गान्ड में डाल दो, फिर देखो कैसे उचकता है, खुद ही मरवाने को बोलने लगेगा" मौसाजी के शक्तिशाली हाथों ने मेरे नितंबों को पकडकर फैलाया और गुदा का छेद चौड़ा किया दूसरे ही क्षण उनकी लंबी गीली जीभ मेरी गान्ड के अंदर थी इतना सुखद और मीठा स्पर्ष था कि मैं सिसककर और ज़ोर से मौसी की चुनमूनियाँ चूसने लगा मौसी ने भी अपनी जीभ मेरे लंड पर रगडना शुरू कर दी
दो मिनिट गुदा चूस कर मौसाजी उठ बैठे मख्खन का एक बड़ा लौम्दा उंगली पर लेकर मेरी गुदा पर रखा और फिर उंगली से उसे अच्छे से अंदर तक चुपड दिया इसके बाद वे एक के बाद एक मख्खन के गोले मेरी गान्ड में भरते गये ठंडे मख्खन के स्पर्ष से मेरी गुदा को बहुत आराम मिला पिघल कर अब मख्खन मेरी गान्ड में अंदर तक जाता हुआ मैं महसूस कर रहा था साथ ही साथ मौसाजी के कहे अनुसार मौसी भी दोनों हथेलियों पर ढेर सा मख्खन ले कर उनके लौडे पर चुपड रही थी मौसाजी उसे बोले "खूब मख्खन लगा दो डार्लिंग, लौडा डालूँगा तो इस लौम्डे को दर्द तो बहुत होगा पर कम से कम इसकी गान्ड फटेगी नहीं"
अब तैयारी पूरी हो चुकी थी मौसाजी अपनी उंगलियाँ चाटते हुए पीछे से मुझपर चढ गये मेरे मुँह से डर और वासना भरी एक हल्की चीख निकल गयी मौसी ने मेरे हाथ लेकर अपने नीचे दबा लिए और मेरा सिर कस कर अपनी जांघों में पकड़ लिया अपने हाथों से उसने मेरी टाँगें पकड़ रही थीं मैं अब बिलकुल विवश था, हिल डुल भी नहीं सकता था मौसी मेरा डर कम करने को बोली "घबरा नहीं बेटे, दर्द तो होगा पर गान्ड मराने में तुझे इतना मज़ा आएगा कि कल से तू मुझे छोड़ कर अपने अंकल के पीछे लग जाएगा, उनसे बार बार गान्ड मराने की ज़िद करेगा"
मेरे नितंब कस कर खींच कर अलग किए गये और मुझे ऐसा लगा कि जैसे एक टेनिस बाल मेरी गुदा पर रखी हो यह असल में अंकल का सुपाडा था बिना रुके वे उसे अंदर पेलने लगे अपने आप मेरी गुदा रीफलेक्स से बंद होने की कोशिश करने लगी कि इस आक्रमणकारी को बाहर ही रोक दिया जाए पर उनकी शक्ति के आगे मेरी क्या चलती! सुपाडा अंदर घुसने लगा और मुझे इतना दर्द हुआ कि मैं कसमसा कर कराह उठा
मेरी चीख को रोकने के लिए मौसी ने अपनी चुनमूनियाँ से मेरा मुँह बंद कर दिया और कस कर सिर को जांघों में और जकड लिया फिर मुझे समझाती हुई बोली "बेटे, गान्ड ढीली छोडो, बाहर को पुश करो जैसे टट्टी के समय करते हो, कम दर्द होगा" मैं अब यातना से तडप रहा था क्योंकि ऐसा लगता था कि गान्ड फट जाएगी
पर मैंने चुनमूनिया चूस कर भागने की कोशिश नहीं की मैं भी अपने उन खूबसूरत जवान अंकल से गान्ड मराने को बेकरार था गुदा अब पूरा तन कर चौड़ा हो गया था और सुपाडा आधा अंदर था किसी तरह मैंने गुदा की माँस पेशियाँ ढीली छोड़ीं और पक्क की आवाज़ से पूरा सुपाडा मेरी गान्ड के छल्ले को खोलकर अंदर समा गया मैंने चीखने की कोशिश की पर मौसी की चुनमूनियाँ में गोंगिया कर रहा गया
मौसाजी मुझे आराम देने को अब रुक गये सुपाडा अंदर जाने से गुदा के छल्ले को कुछ राहत मिली क्योंकि लंड का डंडा सुपाडे की तुलना में कम मोटा था फिर भी मुझे भयानक दर्द हो रहा था क्योंकि मेरी ज़रा सी किशोर गान्ड के लिए उनका लंड बहुत बड़ा था किसी तरह मैंने अपने आप को संभाला सहसा मैंने यह भी महसूस किया कि मेरा लंड बुरी तरह से खड़ा हो गया है मौसी उसे बड़े प्यार से चूस रही थी
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