RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
वह वासना की मारी युवती अब उठ कर अपने कपड़े उतारने लगी उसने जब जींस और टीशर्ट उतार फेका तो मेरा लंड मस्ती से उछल पड़ा डॉली ने एक गुलाबी रंग की लेस वाली बड़ी प्यारी ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी जो उसके गोरे चिकने बदन पर खूब खिल रही थी डॉली ने अब मौसी की साड़ी और ब्लओज़ निकाले और फिर ब्रा के हुक खोल कर खींच कर वह काली ब्रा भी अलग कर दी तब तक मौसी ने भी डॉली की ब्रेसियर और पैंटी उतार दी थी
दोनों औरतें अब एकदम नग्न थीं मौसी के मस्त मांसल बदन के जवाब में डॉली का छरहरा यौवन था मौसी की घनी काली झांतें थीं और उसके ठीक विपरीत डॉली की चिकनी चुनमूनियाँ पर एक भी बाल नहीं था पूरी शेव की हुई चुनमूनियाँ थी पहले तो खिलखिलाते हुए वे एक दूसरे से लिपट गईं और चूमा चाटी करने लगीं फिर पलंग पर चढ कर उन्होंने आगे की कामक्रीडा शुरू की
डॉली ने मौसी को पलंग पर लिटाया और खुद उसकी छाती के दोनों ओर घुटने टेक कर झुक कर तैयार हुई फिर सीधा अपनी चुनमूनियाँ को मौसी के मुँह पर जमा कर वह बैठ गई और उछल उछल कर मौसी का मुँह चोदते हुए अपनी चुनमूनियाँ चुसवाने लगी "माँ, मेरी मामी, अपनी बेटी की चुनमूनियाँ चूस लो, दिन भर से चू रही है हाय माँ हाय दीदी जीभ घुसेडो ना जैसे हमेशा करती हो" कहते हुए डॉली मदहोश होकर मौसी के सिर को अपनी मजबूत जांघों में जकडकर उसके होंठों पर हस्तमैथुन करने लगी मौसी ने भी शायद उसे बड़ी खूबी से चूसा होगा क्योंकि पाँच ही मिनट में डॉली एक हल्की चीख के साथ स्खलित हो गई और लस्त होकर मौसी के शरीर पर ही पीछे लुढक गई
पर मौसी ने उसे नहीं छोड़ा और उसकी टाँगें पकडकर डॉली की चुनमूनियाँ चाटती रही झडी हुई डॉली को यह सहना नहीं हुआ और वह सिसक सिसक कर पैर फटकारती हुई छूटने की कोशिश करने लगी पर मेरी कामुक अनुभवी मौसी के सामने उसकी क्या चलती आख़िर जब वह दूसरी बार झडी और हाथ पैर पटकने लगी तब मौसी ने उसे छोड़ा डॉली पडी पडी हाँफती रही और शन्नो मौसी ने बड़े प्यार से उसकी जांघें और चुनमूनियाँ पर बह आए रस को चाट कर उन्हें बिलकुल सॉफ कर दिया फिर डॉली को बाँहों में भर कर प्यार करते हुए आराम से वह बिस्तर पर लेट गई
"लगता है, बहुत दिन से भूखी थी मेरी लाडली बेटी, तभी तो ऐसे मचल रही थी, और रस भी कितना निकला तेरी चुनमूनियाँ से !" मौसी ने लाड से कहा "हाँ दीदी, एक महना हो गया तुम से मिले उसके बाद सिर्फ़ रोज हस्तमैथुन से संतोष कर रही हूँ तुम्हारी चुनमूनियाँ का रस पीने के लिए मरी जा रही थी कब से"
मौसी ने हँसकर बड़े दुलार से डॉली को चुम्मा लिया और डॉली ने भी बड़े प्यार से मौसी का चुम्मा लौटाया मौसी पलंग के सिरहाने से टिक कर बैठ गई और डॉली को गोद में लेकर प्यार करने लगी बिलकुल ऐसा नज़ारा था जैसे हमेशा माँ बेटी के बीच दिखता है, फ़र्क यही था कि यहाँ बेटी छोटी बच्ची ना होकर एक युवती थी और माँ बेटी दोनों नंगी और उत्तेजित थीं मौसी ने बड़े प्यार से हौले हौले डॉली के गाल, नाक, आँखें और होंठ चूमे और उससे पूछा "डॉली बेटी, अपनी माँ को अपना मीठा प्यारा मुँह चूमने नहीं देगी? ठीक से, पूरे रस के साथ?"
डॉली ने सिसककर अपनी आँखें बंद कर लीं और अपने रसीले गुलाबी होंठ खोल कर अपनी लाल लाल लोलीपोप जैसी जीभ बाहर निकाल दी शन्नो मौसी के होंठ खुले और उसकी जीभ निकालकर डॉली की जीभ से अठखेलियाँ करने लगी आख़िर मौसी ने अपनी जीभ से धकेलकर डॉली की जीभ वापस उसके मुँह में डाल दी और फिर अपनी जीभ भी उस युवती के मुँह में घुसेड दी डॉली ने अपने होंठ बंद कारा के मौसी की जीभ अपने मुँह में पकड़ ली और चॉकलेट जैसे चूसने लगी यह चुंबन तो ऐसा था जैसे वे एक दूसरे को खाने की कोशिश कर रही हों पूरे दस मिनट बिना मुँह हटाए वे एक दूसरे के मुखरस का पान करती रहीं मैंने ऐसा चुंबन कभी नहीं देखा था और मेरा लंड ऐसा तन्नाया कि लगता था वासना से फट जाएगा
मौसी का हाथ सरककर धीरे धीरे डॉली की जांघों के बीच पहुँच गया अपनी दो उंगलियाँ मौसी ने डॉली की चुनमूनियाँ में डाल दीं और अंदर बाहर करने लगी दूसरे हाथ से वह डॉली की ठोस कड़ी चूची दबाने लगी डॉली ने भी ऐसा ही किया और मौसी की चुनमूनियाँ को अपनी उंगलियों से चोदने लगी अगले बीस पच्चीस मिनट चुपचाप उन दोनों सुंदर मादक औरतों का यह प्रणय चलता रहा
आख़िर तृप्त होकर दोनों शिथिल पड गईं और अलग होकर सुस्ताने लगीं मौसी ने अपनी उंगलियाँ चाटी और प्यार से डॉली को कहा "तेरा स्वाद तो दिन-बा-दिन मस्त होता जा रहा है मेरी जान, चल मुझे ठीक से तेरी चुनमूनियाँ चूसने दे" अपनी टाँगें खोल कर मौसी एक करवट पर लेट गई और डॉली ने उलटी तरफ से उसकी जांघों में सिर छुपा लिया दोनों का मनपसंद सिक्सटी-नाइन आसन शुरू हो गया
मौसी ने अपने हाथों में डॉली के गोल चिकने नितंब पकड़े और उसकी चुनमूनियाँ को अपने मुँह पर सटाकर चूसने लगी डॉली के काले बाल मौसी की गोरी जांघों पर फैले हुए थे उधर मौसी ने डॉली का सिर अपनी गुदाज जांघों में जकड रखा था और उसे अपनी चुनमूनियाँ चुसवाते हुए उसके लाल होंठों पर मुठ्ठ मार रही थी एक दूसरे के गुप्तांगों के रस का पान करते हुए वे अपनी साथिन के चुतड भी मसल और दबा रही थीं लगता है कि यहा दोनों का प्रिय आसन था क्योंकि बिना रुके घंटे भर यह चुनमूनियाँ चूसने की कामक्रीडा चलती रही
जब दोनों आख़िर तृप्त होकर उठीं तो शाम होने को थी डॉली के जाने का समय हो गया था कुछ देर वह शन्नो मौसी से लिपट कर उसकी मोटी मोटी लटकती छातियों में मुँह छुपाकर उनसे बच्चे जैसी खेलती हुई बैठी रही मौसी ने भी प्यार से अपना एक निपल उसके मुँह में दे दिया डॉली छोटी बच्ची जैसे आँखें बंद करके मौसी की चूची चूस रही थी और मौसी प्यार से बार बार उसकी आँखों की पलकों को चूम रही थी बड़ा ही मादक और भावनात्मक दृश्य था क्योंकि यह सॉफ था कि एक दूसरे के शरीर को वासना से भोगने के साथ साथ दोनों औरतें सच में एक दूसरे को बहुत प्यार करती थीं
क्रमशः……………………
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