RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
सारे दिन हम इसी तरह से काम क्रीडा करते रहे मेरा इनाम देने के बाद मौसी ने उसे मुझसे पूरा वसूला और दिन भर अपनी चुनमूनियाँ चुसवाई कभी खड़े होकर, कभी लेट कर कभी पीछे से कुतिया जैसी पोज़ीशन में रात को आख़िर उसने मुझे फिर से एक बार चोदने दिया और फिर हम थक कर सो गए
अगले कुछ दिन तो मेरे लिए स्वर्ग से थे मौसी ने पहले तो मुझे दिन दिन भर बिना झडे लंड खड़ा रखना सिखाया इसके बाद वह मुझसे खूब सेवा करवाती जब वह खाना बनाती तो मैं उसके पीछे खड़ा होकर उसके मम्मे दबाता कभी कभी मैं पीछे बैठकर उसकी साड़ी उठाकर उसकी गान्ड चूसा करता था मूड हो तो मौसी मुझे अपने आगे बिठा कर साड़ी उठाकर मेरे सिर पर डाल देती और फिर मुझसे चुनमूनियाँ चुसवाते हुए आराम से चपातियाँ बनाती
मौसी अब अक्सर मुझे पलंग पर लिटा कर मेरे उपर चढ कर मुझे चोदती मेरे पेट पर बैठे बैठे वह उछल उछल कर मुझे चोदती और मैं उसकी चुचियाँ दबाता उछलते उछलते मौसी का मंगलसूत्र उसके स्तनों के साथ डोलाता तो मुझे बहुत अच्छा लगता इस आसन में मैं उसके पैर चूमने का अपना शौक भी पूरा करने लगा मुझे चोदते चोदते मौसी अपने पैर उठाकर मेरे चेहरे पर रख देती और मैं उसके तलवे, आइडियाँ और उंगलियाँ चाटा और चूसा करता
और दिन में कम से कम एक बार वह मुझे गान्ड मारने देती अगर मैं उसकी ठीक से सेवा करता इस एक इनाम के लिए ही मैं मानों उसका गुलाम हो गया था
मौसी का पसीना भी मुझे बहुत मादक लगता था यह ऐसे शुरू हुआ कि एक दिन बिजली नहीं थी और मैं मौसी को चोद रहा था मौसी को बड़ा पसीना आ रहा था और उसे चूमते समय मैं बार बार उसके गालों और माथे को चाट लेता था अचानक मुझे उसकी कांखो का ख्याल आया और मैं बोला "मौसी, अपनी बाँहें सिर के उपर कर लो ना" उसने गान्ड उछालते उछालते पूछा "क्यों बेटे?"
मैं बोला "आप की कांख के बालों को चूमने का मन कर रहा है पसीने से भीगे होंगे" मौसी को मेरी इस हरामीपन की बात पर मज़ा आ गया और उसने तुरंत बाँहें उपर कर लीं उन घने काले बालों को देखकर मेरे मुँह में पानी भर आया और उनमें मुँह डाल कर मैं उन्हें चाटने और फिर मुँह मे बाल ले कर चूसने लगा खारा खारा पसीना मुझे इतना भाया कि मेरा लंड तन्नाकार और खड़ा हो गया मेरे चोदने की गति भी बढ़ गई और मैंने उसे इतनी ज़ोर से चोदा की जैसे शायद मौसाजी भी नहीं चोदते होंगे
मौसी को उस दिन जो कामसुख मिला उसके कारण वह हमेशा मुझसे कांखें चटवाने की ताक में रहने लगी"राज राजा, मेरे प्यारे मुन्ना, कितनी ज़ोर से चोदा मुझे आज तूने, बिलकुल तेरे मौसाजी की तरह मेरी कमर लचका कर रख दी अब तुझसे ज़ोर ज़ोर से चुदवाना या गान्ड मराना हो तो पहले अपनी कांख का पसीना चटवाऊम्गी तुझे"
मौसी के यहाँ मैं दो महने रहा और बहुत कुकर्म किए कुछ दिन बाद की बात है मौसाजी अभी वापस नहीं आए थे और मैं मौसी के साथ अकेला ही रह रहा था हमारी चुदाई दिन रात जोरों से चल रही थी
एक दिन जब हम खाना खा रहे थे तो फ़ोन की घंटी बजी फ़ोन उठाते ही मौसी के चेहरे पर एक आनंद की लहर दौड गई उसने फ़ोन पर ही चुम्मे की आवाज़ की और बड़े प्यार से पूछा "उम्म्म, डॉली डार्लिंग, तू कहाँ थी? एक हफ्ते के लिए गयी थी और आज एक महना हो गया!"
कुछ देर डॉली की बात सुनने के बाद वह गुस्से से बोली "क्या? तू कल फिर जा रही है? फिर मुझसे, अपनी प्यारी दीदी से नहीं मिलेगी क्या?" डॉली की सफाई कुछ देर सुनने के बाद बीच में ही बात काट कर वह और गरम होकर चिल्लाई "आज दोपहर भर मेरे साथ नहीं रही तो तेरी मेरी दोस्ती खतम बात भी मत करना फिर मुझसे"
मौसी ने गुस्से से फ़ोन पटक दिया कुछ देर बाद शांत होकर वह मुस्कराने लगी मैंने पूछा तो बोली "मेरी गर्ल फ्रेन्ड डॉली का फ़ोन था कहती है बहुत बीज़ी है और कल फिर यू एस जा रही है बिना मिले ही भागने वाली थी पर मैंने धमकाया तो कैसे भी करके आज दोपहर आएगी ज़रूर"
मेरे आग्रह पर मौसी ने पूरी कहानी सुनाई औरतों के आपस के कामसंबंध के बारे में यह बड़ा रसीला उदाहरण था डॉली एक साफ्टवेअर इंजीनियर थी मौसी से उसकी मुलाकात एक पार्टी में हुई थी तब मौसी घर में अकेली ही थी क्योंकि मौसाजी दौरे पर गये थे मौसी और डॉली के बीच पहली मुलाकात में ही एक घनी दोस्ती हो गयी मौसी ने यह भी भाँप लिया कि डॉली बार बार उसे ऐसे देख रही थे जैसे उसपर मर मिटी हो उसकी आँखों मे झलकती वासना भी मौसी ने पहचान ली थी
मौसी ने डॉली को दूसरे दिन रात के डिनर पर बुला लिया और डॉली ने यह निमम्त्रण बड़ी खुशी से स्वीकार कर लिया डिनर खतम होते होते दोनों एक दूसरे से ऐसी बंधीं क़ि सीधा बेडरूम में चली गईं रात भर डॉली वहाँ रही और उस रात उनमें जो कामक्रीडा शुरू हुई, आज तक उसका क्रम टूटा नहीं था
मौसी को पता चला कि डॉली एक लेस्बियन थी पुरुषों से उसे नफ़रत थी और इसीलिए छब्बीस साल की होने के बावजूद उसने शादी नहीं की थी और ना करने का इरादा था उसे दूसरी औरतें बहुत आकर्षित करती थीं, ख़ास कर उम्र में बड़ी, भरे पूरे बदन की अम्मा या आँटी टाइप की औरतें चालीस साल होने को आई हुई मौसी और उसका मांसल शरीर तो मानों उसे ऐसे लगे कि भगवान ने उसकी इच्छा सुन ली हो उनका कामसंबंध पिछले साल से जो शुरू हुआ वह आज तक कायम था और बढ़ता ही जा रहा था डॉली मौसी को कभी दीदी कहती तो कभी मामी, ख़ास कर संभोग के समय
मौसी ने हँसते हुए यह भी बताया कि काफ़ी बार मौसी की बाँहों में डॉली यह कल्पना करती कि वह अपनी माँ के आगोश में है और उससे कामक्रीडा कर रही है डॉली को अक्सर बाहर जाना पड़ता पर जब भी वह शहर में होती और मौसाजी दौरे पर होते, तब वह मौसी के यहाँ रहने को चली आती और दोनों एक दूसरे के शरीर का भरपूर आनंद उठाते आज डॉली आने वाली नहीं थी पर मौसी के धमकाने से घबराकर आने का वायदा ज़रूर निभाएगी ऐसा मौसी का विश्वास था
क्रमशः……………………
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