RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
मौसी का गुलाम---3
गतान्क से आगे………………………….
तृप्त होकर मौसी ने मुझे उठाया और पलंग पर ले गई "बड़ा फास्ट लरनर है रे तू, चुनमूनियाँ का अच्छा गुलामा बनेगा तेरे मौसाजी की तरह अब चल बेटे, आराम से लेट कर मज़ा लेंगे" पलंग पर लेट कर मेरे फनफनाए लंड को सहलाती हुई वह बोली "झडेगा तो नहीं रे जल्दी?"
मैंने उसे आश्वस्त किया और मौसी मुझे पलंग पर लिटा कर मेरे मुँह पर चढ बैठी अपनी दोनों टाँगें मेरे सिर के इर्द गिर्द जमाते हुए वह बोली "अब घंटे भर तेरा मुँह चोदून्गि और तुझे चुनमूनियाँ का रस पिलावँगी मैंने वादा किया था तुझे परीक्षा में तीसरा आने पर इनाम देने का, सो अब ले, मन भर कर अपनी मौसी के अमृत का पान कर"
अपनी चुनमूनियाँ मेरे होंठों के इंच भर उपर जमाते हुई वह बोली"अब देख, तुझे इतना चूत रस पिलाऊन्गि कि तेरा पेट भर जाएगा तू बस चाटता और चूसता रहा" मैं पास से उसकी रसीली चुनमूनियाँ का नज़ारा देख रहा था और उसे सूंघ रहा था
इतने में वह चुनमूनियाँ को मेरे मुँह पर दबाकर मेरे चेहरे पर बैठ गई और मेरा चेहरा अपनी घनी झांतों में छुपा लिया मैंने मुँहा मारना शुरू कर दिया और उसे ऐसा चूसा कि मौसी के मुँह से सुख की सिसकारियाँ निकलने लगीं "तू तो चुनमूनियाँ चूसने में अपने मौसा की तरह एकदमा उस्ताद हो गया एक ही घंटे में" कसमसा कर स्खलित होते हुए वह बोली
कुछ देर मेरे मुँह पर बैठने के बाद मौसी बोली "राज बेटे, अपनी जीभ कड़ी कर और मेरी चूत में डाल दे, तेरी जीभ को लंड जैसा चोदून्गि" मेरी कड़ी निकली हुई जीभ को मौसी ने अपने भगोष्ठो में लिया और फिर उछल उछल कर उपर नीचे होते हुई चोदने लगी उसकी मुलायम गीली चुनमूनियाँ की म्यान मेरी जीभ को बड़े लाड से पकड़ने की कोशिश कर रही थी
मेरी जीभ कुछ देर बाद दुखने लगी थी पर मैं उसे निकाले रहा जब तक मौसी फिर एक बार नहीं झड गई मेरे चुनमूनियाँ रस पीने तक वह मेरे मुँह पर बैठी रही और फिर उठ कर मेरे पास लेट गई और बड़े लाड से मुझे बाँहों में भर कर प्यार करने लगी "मज़ा आया बेटे? कैसा लगा मेरी चुनमूनियाँ का पानी?" उसने पूछा
मैं क्या कहता, सिर्फ़ यही कह पाया कि मौसी, अगर अमृत का स्वाद कोई पूछे तो मैं तो यही कहूँगा कि मेरी मौसी की चुनमूनियाँ के रस से अच्छा तो नहीं होगा मेरी इस बड़े बूढ़ों जैसी बात को सुनकर वह हँस पडी
जल्द ही मेरी माँ की वह चुदैल छोटी बहन फिर गरमा हो गई और शायद मुझे चुनमूनियाँ चूसाने का सोच रही थी पर मेरा वासना से भरा चेहरा देख कर वह मेरी दशा समझ गई "राज, तू इतना तडप रहा है झडने के लिए, मैं तो भूल ही गयी थी चल अब सिक्स्टी-नाइन करते हैं, तू मेरी चूत चूस और मैं तेरा लंड चूसती हूँ"
मुझे अपने सामने उल्टी तरफ से लिटा कर मौसी ने अपनी एक टाँग उठाई और मेरे चेहरे को अपनी चुनमूनियाँ में खींच लिया फिर अपनी टाँग नीचे करके मेरे सिर को जांघों में जकडती हुई बोली "मेरी निचली जाँघ का तकिया बना कर लेट जा मेरी झांतों में मुँहा छिपाकर चूस मेरी टाँगों के बीच तेरा सिर दबता है उसकी तकलीफ़ तो नहीं होती तुझे? असल में मुझे बहुत अच्छा लगता है तेरे सिर को ऐसे पकडकर"
मैंने सिर्फ़ सिर हिलाया क्योंकि मेरे होंठ तो मौसी की चुनमूनियाँ के होंठों ने, उन मोटे भगोष्ठो ने पकड़ रखे थे उसकी रेशमी सुगंधित झांतों में मुँह छुपाकर मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसी सुंदरी की ज़ुल्फों में मैं मुँह छुपाए हू मौसी ने अब धक्के दे देकर मेरे मुँह पर अपनी चुनमूनियाँ रगडते हुए हस्तमैथुन करना शुरू कर दिया
फिर मौसी ने मेरी कमर पकडकर मुझे पास खींचा और मेरे लंड को चूमने लगी कुछ देर तक तो वह मेरे शिश्न से बड़े प्यार से खेलती रही, कभी उसे चूमती, ज़ोर से हिलाती, कभी हल्के से सुपाडा चाट लेती मस्ती में आकर मैं उसकी चुनमूनियाँ के भगोष्ठ पूरे मुँह में भर लिए और किसी फल जैसा चूसने लगा
मौसी हुमककर मेरे मुँह में स्खलित हो गई मुझे चुनमूनियाँ रस पिलाने के बाद उसने मेरा लंड पूरा लालीपोप जैसा मुँह में ले लिया और चूसने लगी मैं तो मानों कामदेव के स्वर्ग में पहुँच गया मौसी के गरम तपते मुँह ने और मेरे पेट पर महसूस होती हुई उसकी गरमा साँसों ने ऐसा जादू किया कि मैं तिलमिला कर झड गया मौसी चटखारे ले ले कर मेरा वीर्यापान करने लगी
मेरी वासना शांत होते ही मैंने चुनमूनियाँ चूसना बंद कर दिया था मौसी ने मेरा झडा हुआ ज़रा सा लंड मुँह से निकाला और मुझे डाँतती हुई बोली "चुनमूनियाँ चूसना क्यों बंद कर दिया बेटे? अपना काम हो गया तो चुप हो गये? तू चूसता रह राजा, मेरी चुनमूनियाँ अब भी खेलने के मूड में है, उसमें अभी बहुत रस है अपने लाल के लिए"
मैं सॉरी कहकर फिर चुनमूनियाँ चूसने लगा और मौसी मज़े ले लेकर मेरे लंड को चूस कर फिर खड़ा करने के काम में लग गयी आधे घंटे में मैं फिर तैयार था और तब तक मौसी तीन चार बार मेरे मुँह में झडकर मुझे चिपचिपा शहद पिला चुकी थी
हम पड़े पड़े आराम करने लगे वह मेरे लंड से खेलती रही और मैं पास से उसकी खूबसूरत चुनमूनियाँ का मुआयना करने लगा उंगलियों से मैंने मौसी की चुनमूनियाँ फैलाई और खुले छेद में से अंदर देखा ऐसा लग रहा था कि काश मैं छोटा चार पाँच इंच का गुड्डा बन जाऊ और उस मुलायम गुफा में घुस ही जाऊ पास से उसका क्लिटोरिस भी बिलकुल अनार के दाने जैसा कड़ा और लाल लाल लग रहा था और उसे मैं बार बार जीभ से चाट रहा था मौसी की झांतों का तो मैं दीवाना हो चुका था "मौसी, तुम्हारी रेशमी झांतें कितनी घनी हैं इनमेंसे खुशबू भी बहुत अच्छी आती है, जैसे डाबर आमला वाली सुंदरी के बाल हों"
मौसी आराम करने के बाद और मेरे उसकी चुनमूनियाँ से खेलने के कारण फिर कामुक नटखट मूड में आ गयी थी मुझसे बोली "मालूम है मैं जब अकेली होती हूँ तो क्या करती हूँ? यह मेरी बहुत पुरानी आदत है और कभी कभी तो तेरे मौसाजी की फरमाइश पर भी यह नज़ारा उन्हें दिखाती हूँ"
मैंने उत्सुकता से पूछा कि वह क्या करेगी "अरे, हस्तमैथुन करूँगी, जिसे आत्मरती भी कहते हैं, या खडी बोली में कहो तो मुठ्ठ मारूँगी, या सडका लगाऊन्गि मुझे मालूम है कि तेरे जैसे हरामी लडके भी हमेशा यही करते हैं बोल तू मेरे नाम से सडका मारता था या नहीं?" मैंने झेंप कर स्वीकार किया कि बात सच थी
मेरे सामने फिर मौसी ने मुठ्ठ मार कर दिखाई अपनी उपरी टाँग उठा कर घुटना मोड कर पैर नीचे रखा और अपनी दो उंगलियाँ अपनी चुनमूनियाँ में डाल कर अंदर बाहर करने लगी मैं अभी भी मौसी की निचली जाँघ को तकिया बनाए लेटा था इसलिए बिलकुल पास से मुझे उसके हस्तमैथुन का सॉफ दृश्य दिख रहा था मौसी का अंगूठा बड़ी सफाई से अपने ही मनी पर चल रहा था बीच बीच में मैं मौसी की चुनमूनियाँ को चूम लेता और हस्तमैथुन के कारण निकलते उस चिकने पानी को चाट लेता मेरी तरफ शैतानी भरी नज़रों से देखते देखते मौसी ने मन भर कर आत्मरती की और आख़िर एक सिसकारी लेकर झड गई
लस्त होकर मौसी ने तृप्ति की साँस ली और अपनी दोनों उंगलियाँ चुनमूनियाँ में से निकालकर मेरी नाक के पास ले आई "सूंघ राज, क्या मस्त मदभरी सुगंध है देख मुझे भी अच्छी लगती है, फिर पुरूषों को तो यह मदहोश कर देगी" मैंने देखा कि उंगलियाँ ऐसी लग रही थीं जैसे किसीने सफेद चिपचिपे शहद की बोतल में डुबोई हों मैंने तुरंत उन्हें मुँह में लेकर चाट लिया और फिर मौसी की चुनमूनियाँ पर मुँह लगाकर सारा रस चाट चाट कर सॉफ कर दिया मौसी ने भी बड़े प्यार से टाँगें फैलाकर अपनी झडी चुनमूनियाँ चटवाई
मैं अब वासना से अधीर हो चुका था और आख़िर साहस करके शन्नो मौसी से पूछ ही लिया "मौसी, चोदने नहीं दोगी तुम मुझे? उस रात जैसा? "
मौसी बोली "हाई, कितनी दुष्ट हूँ मैं! भूल ही गई थी अरे असला में चोदना तो मेरे और तेरे मौसाजी के लिए बिलकुल सादी बात हो कर रह गयी है हमारा ध्यान इधर उधर की सोच कर और तरह की क्रिया करने में ज़्यादा रहता है आ जा मेरे लाल, चोद ले मुझे"
टाँगें फैला कर मौसी चुतडो के नीचे एक तकिया लेकर लेट गई और मैं झट से उसकी जांघों के बीच बैठ गया मौसी ने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चुनमूनियाँ में घुसेड लिया उस गरम तपती गीली चुनमूनियाँ में वह बड़ी आसानी से जड तक समा गया मैं मौसी के उपर लेट गया और उसे चोदने लगा
मौसी ने मेरे गले में बाँहें डाल दीं और मुझे खींच कर चूमने लगी मैंने भी अपने मुँह में उसके रसीले लाल होंठ पकड़ लिए और उन्हें चूसता हुआ हचक हचक कर पूरे ज़ोर से मौसी को चोदने लगा इस समय कोई हमें देखता तो बड़ा कामुक नज़ारा देखता कि एक किशोर लडका अपनी माँ की उमर की एक भरे पूरे शरीर की अधेड औरत पर चढ कर उसे चोद रहा है
कुछ मिनटों बाद मौसी ने मेरा सिर अपनी छातियों पर दबा लिया और एक निपल मेरे मुँह में दे दिया फिर मेरा सिर कस कर अपनी चूची पर दबा कर आधे से ज़्यादा मम्मा मेरे मुँह में घुसेडकर गान्ड उचका उचका कर चुदाने लगी साथ ही मुझे उत्तेजित करने को वह गंदी भाषा में मुझे उत्साहित करने लगी "चोद साले अपनी मौसी को ज़ोर ज़ोर से, और ज़ोर से धक्का लगा घुसेड अपना लंड मेरी चुनमूनियाँ में, हचक कर चोद हरामी, फाड़ दे मेरी चुनमूनियाँ"
मैने भरसक पूरी मेहनत से मौसी को चोदा जब तक वह चिल्ला कर झड नहीं गई "झड गयी रे राजा, खलास कर दिया तूने मुझे! मर गई रे, हाइ रे" कहकर वह लस्त पड गई फिर मैं भी ज़ोर से स्खलित हुआ और लस्त होकर मौसी के गुदाज शरीर पर पड़ा पड़ा उस स्वर्गिक सुख का मज़ा लेता रहा
क्रमशः……………………..
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