Chudai Story मौसी का गुलाम
10-12-2018, 12:47 PM,
#2
RE: Chudai Story मौसी का गुलाम
मौसी का गुलाम 

---------------

जब मेरा यौन जीवन शुरू हुआ और वह भी मेरी सग़ी मौसी के साथ, तब मैं एक कमसिन किशोर था अब मैं एक बड़ी कंपनी में उँचे ओहदे पर हू और हर तरह का मनचाहा संभोग कर सकने की स्थिति में हू मुझमें सेक्स के प्रति इतनी आस्था और चाहत जगाने का श्रेय मेरी प्यारी शन्नो मौसी को जाता है और बाद में यह मीठी आग हमारे पूरे परिवार में लगी उसका कारण भी शन्नो मौसी से सेक्स के बाद मैं ही बना

अपने बारे में कुछ बता दूं मैं बचपन में एक दुबला पतला, छरहरा, गोरा चिकना किशोर था मेरे गोरे चिकने छरहरे रूप को देख कर सभी यह कहते कि ग़लती से लडका बन गया, इसे तो लड़की होना चाहिए था!

मुझे बाद में मौसी ने बताया कि मैं ऐसा प्यारा लगता था कि किसी को भी मुझे बाँहों में भर कर चूम लेने की इच्छा होती थी ख़ास कर औरतों को इसीलिए शायद मेरे रिश्ते की सब बड़ी औरतें मुझे देखकर ही बड़ी ममता से मुझे पास लेकर अक्सर प्यार से बाँहों में ले लेती थीं मुझे तो इस की आदत हो गयी थी बाद में मौसी से यह भी पता चला कि सिर्फ़ ममता ही नहीं, कुछ वासना का भी उसमें पुट था और मैं सिर्फ़ औरतों को ही नहीं, कुछ मतवाले मर्दों को भी अच्छा लगता था!

मेरी माँ की छोटी बहन शन्नो मौसी मुझे बचपन से बहुत अच्छी लगती थी माँ के बजाय मैं उसी से लिपटा रहता था उसकी शादी के बाद मिलना कम हो गया था बस साल में एक दो बार मिलते पर यहा बचपन का प्यार बिलकुल भोला भाला था मौसी थी भी खूबसूरत गोरी और उँची पूरी, काली कजरारी आँखें, लंबे बाल जिन्हें वह अक्सर उस समय के फैशन में याने दो वेनियों में गुंठती थी, और एक स्वस्थ कसा शरीर

अब मैं किशोर हो गया था तो स्त्रियों के प्रति मेरा आकर्षण जाग उठा था ख़ास कर उम्र में बड़ी नारियों के प्रति मेरी कुछ टीचर्स और कुछ मित्रों की माओं के प्रति मैं अब बहुत आकर्षित होने लगा था अकेले में उनके सपने देखते हुए हस्तमैथुन करने की भी आदत लग गयी थी शन्नो मौसी के प्रति मेरा यौन आकर्षण अचानक पैदा हुआ

एक शादी के लिए सारे रिश्तेदार जमा हुए थे सिर्फ़ रवि अंकल याने शन्नो मौसी के पति, मेरे मौसाजी, नहीं आए थे शन्नो मौसी से एक साल बाद मिल रहा था वे अब अडतीस उनतालीस साल की थीं और उसी उम्र की औरतें मुझे अब बहुत अच्छी लगती थीं शादी के माहॉल में बड़ी भीड़ थी और कपड़े बदलने के लिए एक ही कमरा था जल्दी तैयार होकर सब चले गये और सिर्फ़ मैं और शन्नो मौसी बचे

शन्नो मौसी सिर्फ़ पेटीकोट और ब्रा पहने टावल लपेटकर बाथरूम में से बाहर आई मुझे तो वह बेटे जैसा मानती थी इसलिए बेझिझक टावल निकालकर कपड़े पहनने लगी मैंने जब काली ब्रा में लिपटे उनके फूले उरोज और नंगी चिकनी पीठ देखी तो सहसा मुझे महसूस हुआ कि चालीस के करीब की उम्र के बावजूद मौसी बड़ी आकर्षक और जवान लगती थी टाइट ब्रा के पत्ते उनके गोरे मांसल बदन में चुभ रहे थे और उनके दोनों ओर का माँस बड़े आकर्षक ढंग से फूल गया था

मेरे देखने का ढंग ही उसकी इस मादक सुंदरता से बदल गया और सहसा मैंने महसूस किया कि मेरा लंड खड़ा हो गया है झेंप कर मैं मुड गया जिससे मेरी पैम्ट में से मौसी को लंड का उभार ना दिख जाए मैं भी तैयार हुआ और हम शादी के मंडप की ओर चले

इसके बाद उन दो दिनों में मैं छुप छुप कर मौसी को घुरता और अपने लंड को सहलाता हुआ उसके शरीर के बारे में सोचता रात को मैंने हाल में सोते समय चादर ओढ कर मौसी के नग्न शरीर की कल्पना करते हुए पहली बार मुठ्ठ मारी मुझे लगा कि उसे मेरी इस वासना के बारे में पता नहीं चलेगा पर बाद में पता चला कि मौसी ने उसी दिन सब भाँप लिया था और इसलिए बाद में खुद ही पहल करके मुझे प्रोत्साहित किया वह भी मेरी तरफ बहुत आकर्षित थी

शादी के बाद भी रिश्तेदारों की बहुत भीड़ थी जो अब हमारे घर में आ गयी सोने का इंतजामा करना मुश्किल हो गया एक बिस्तर पर दो को सोना पड़ा मौसी ने प्यार से कहा कि मैं उसके पास सो जाऊ मेरा दिल धडकने लगा थोड़ी डर भी लगा कि मौसी के पास सोने से उसे मेरे नाजायज़ आकर्षण के बारे में पता तो नहीं चलेगा

पर मैं इतना थका हुआ था कि दस बजे ही मच्छरदानी लगाकर रज़ाई लेकर सो गया पास ही एक दूसरे पलंग पर भी दो संबंधी सो रहे थे मौसी आधी रात के बाद गप्पें खतम होने के बाद आई और रज़ाई में मेरे साथ घुस गई मच्छरदानी लगी होने से अंधेरे में किसी को कुछ दिखने वाला नहीं था और मौसी ने इस मौके का फ़ायदा उठा लिया

किसी के स्पर्ष से मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि मौसी ने प्यार से मुझे बाँहों में समेट लिया है पास से उसके जिस्म की खुशबू और नरम नरम उरोजो के दबाव से मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया मैंने घबराकर अपने आप को छुड़ाने का प्रयास किया कि करवट बदल लूँ; कहीं पोल ना खुल जाए

पर मौसी भी बड़ी चालू निकली मेरे खड़े लंड का दबाव अपने शरीर पर महसूस करके उसने मुझे और ज़ोर से भींच लिया और एक टाँग उठाकर मेरे शरीर पर रख दी रज़ाई पूरी ओढ ली और फिर कान में फुसफुसा कर बोली "राज, तू इतना बदमाश होगा मुझे पता नहीं था, अपनी सग़ी मौसी को देख कर ही एक्साइट हो गया? परसों से देख रही हू कि तू मेरी ओर घूर घूऱ कर देखता रहता है! और यह तेरा शिश्न देख कैसा खड़ा है!"

मैं घबरा कर बोला "सॉरी मौसी, अब नहीं करूँगा पर तुम इतनी सुंदर दिखती हो, मेरा बस नहीं रहा अपने आप पर" मेरे आश्चर्य और खुशी का ठिकाना ना रहा जब वह प्यार से बोली "अरे इसमें सॉरी की क्या बात है? इस उम्र में भी मैं तेरे जैसे कमसिन लडके को इतनी भा गई, मुझे बहुत अच्छा लगा और तू भी कुछ कम नहीं है बहुत प्यारा है"

और मौसी ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और मुझे चूमने लगी उसके मुँह का स्वाद इतना मीठा और नशीला था कि मैं होश खो बैठा और उसे बेतहाशा चूमने लगा चूमते चूमते मौसी ने अपना ब्लओज़ उतार दिया मेरा चुम्मा लेते लेते अब मौसी अपनी ब्रा के हुक खोल रही थी चुंबना तोड कर उसने मेरे सिर को झुका कर अपनी छातियों में दबा लिया दो मोटे मोटे कोमल मम्मे मेरे चेहरे पर आ टिके और दो कड़े खजूर मेरे गालों में गढ्ने लगे मैं समझ गया कि ये मौसी के निपल हैं और मुँह खोल कर मैंने एक निपल मुँह में ले लिया और बच्चे जैसा चूसने लगा

मौसी मस्ती से आहें भरने लगी और मुझे डर लगा कि कहीं कोई सुन ना ले पर रज़ाई से पूरा ढका होने से कोई आवाज़ बाहर नहीं जा रही थी मौसी अब बहुत कामुक हो गयी थी और उसे अपनी वासनापूर्ति के सिवाय कुछ नहीं सूझ रहा था इसलिए उसने फटाफट मेरे पायजामे से मेरा लंड निकाल लिया मौसी के कोमल हाथ का स्पर्श होते ही मुझे लगा कि मैं झड जाउन्गा पर किसी तरह मैंने अपने आप को संभाला

मौसी अपने दूसरे हाथ से कुछ कर रही थी जो अंधेरे में दिख नही रहा था बाद में मैं समझ गया कि वह अपनी चड्डी उतार रही थी अपनी टाँगें खोल कर मौसी ने मेरा लंड अपनी तपी हुई गीली चुनमुनिया में घुसेड लिया { दोस्तो यहाँ मैं आपको बता दूं कि मैं चूत को चुनमूनियाँ कह रहा हूँ आशा है आपको अच्छा लगेगा } उसकी चुनमुनिया इतनी गीली थी कि बिना किसी रुकावट के मेरा पूरा शिश्न उसमें एक बार में ही समा गया

शन्नो मौसी ने अपनी टाँगों के बीच मेरे बदन को जकड लिया था फिर एकाएक पलट कर उसने मुझे नीचे किया और मेरे उपर लेट गई उसका निपल मेरे मुँह में था ही, अब उसने और ज़ोर लगा कर आधी चूची मेरे मुँह में ठूंस दी और फिर मुझे चुपचाप बिना कोई आवाज़ निकाले चोदने लगी पलंग अब हौले हौले चरमराने लगा पर उसकी परवाह ना करते हुए मौसी मुझे मस्ती से चोदती रही

मैं मौसी के बदन के नीचे पूरा दबा हुआ था पर उस नरम टेप चिकने बदन के वजन का मुझे कोई गिला नहीं था इस पहली मीठी चुपचाप अंधेरे में की जा रही चुदाई से मेरा लंड इस कदर मचला कि मैं दो मिनट की चुदाई में ही झड गया मुँह में मौसी का स्तन भरा होने से मेरी किलाकारी नहीं निकली, सिर्फ़ गोंगिया कर रह गया मौसी समझ गई कि मैं झड गया हु पर बिना ध्यान दिए वह मुझे चोदती रही जैसे उसे कोई फरक ना पड़ता हो

झड कर भी मेरा लंड खड़ा रहा, मेरी कमसिन जवानी का यह जोश था मौसी को यह मालूम था और उसकी चुनमूनिया अभी भी प्यासी थी उसकी साँस अब ज़ोर से चल रही थी और वह बड़ी मस्ती से मुझे खिलौने के गुड्डे की तरह चोद रही थी पाँच मिनट में मेरा लंड मौसी की चुनमुनिया के घर्षण से फिर तन कर खड़ा हो गया था इस बार मैंने अपने आप पर काबू रखा और तब तक अपने लंड को झडने नहीं दिया जब तक एक दबी सिसकारी छोड़ कर मौसी स्खलित नहीं हो गई

मौसी ने करवट बदली और मुझे प्यार से चूम लिया वह हांफ रही थी, ठंड में भी उसे पसीना आ गया था उसके पसीने के खुशबू भी बड़ी मादक थी मेरे कान में धीमी आवाज़ में उसने पूछा कि चुदाई पसंद आई? मैंने जब शरमा कर उसे चूम कर उसकी छातियों में अपना सिर छुपा लिया तो उसने मुझे कस कर बाहों में भींच लिया और पूछा "राजा बेटे, कल मैं चली जाऊन्गी, तेरी बहुत याद आएगी" मैंने उससे प्रार्थना की कि मुझे अपने साथ ले जाए वह हँस कर मेरे बाल सहलाती हुई बोली कि मैं गर्मी की छुट्टियो तक रुकू, फिर वह माँ से कह कर मुझे अपने यहाँ बुला लेगी

हम थक गये थे और कुछ ही देर में गहरे सो गए मौसी ने मेरा लंड अपनी चुनमुनिया में क़ैद करके रखा और रात भर मेरे उपर ही सोई रही मौसी के मांसल गदराए शरीर का काफ़ी वजन था पर मैं चुपचाप रात भर उसे सहता रहा सुबह मौसी ने मुझे एक बार और चोदा और फिर मुझे एक चुम्मा दे कर वह उठ गई थकान और तृप्ति से मैं फिर सो गया मौसी के नग्न बदन की सुंदरता को मैं अंधेरे में नहीं देख पाया, यह मुझे बहुत बुरा लगा

दूसरे दिन मौसी ने माँ को मना लिया कि गर्मी की छुट्टियो में मुझे उसके यहाँ भेज दे फिर मेरी ओर देखकर मौसी मुस्कराई उसकी आँखों में एक बड़ी कामुक खुमारी थी और मुझे बहुत अच्छा लगा कि मेरी सग़ी मौसी को मैं इतना अच्छा लगता हू कि वह इस तरह मुझ से संभोग की भूखी है

पर जाते जाते मौसी मुझे जता गई कि अगर मुझे कम मार्क्स मिले तो वह मुझे नहीं बुलाएगी मैंने भी जी जान लगा दिया और अपनी क्लास में तीसरा आया मौसी को फ़ोन पर जब यह बताया तो वह बहुत खुश हुई और मुझे बोली "तू जल्दी से आजा बेटे, देख तेरे लिए क्या मस्त इनाम तैयार रखा है" और फिर फ़ोन पर ही उसने एक चुम्मे की आवाज़ की मेरा लंड खड़ा हो गया और माँ से उसे छिपाने के लिए मैं मुड कर मौसी से आगे बातें करने लगा

क्रमशः……………………
Reply


Messages In This Thread
RE: Chudai Story मौसी का गुलाम - by sexstories - 10-12-2018, 12:47 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,556,480 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 550,693 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,256,464 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 949,800 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,685,796 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,107,869 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,997,458 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,210,276 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,087,930 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 290,302 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)