RE: कमीना पार्ट - II Incest
कविता- चुदने के बाद बहुत खुश दिख रही थी और कहने लगी, रुक जाओ मैं ज़रा खा लू फिर मुझे आगे बताना और क्या क्या
किया पापा ने मम्मी के साथ, और फिर कविता खाने मे लग गई और मैं टीवी के चॅनेल बदलने लगा, थोड़ी देर बाद कविता और
मैं फिर से एक दूसरे के करीब आकर चिपक गये,
कविता- अच्छा यह बताओ जब तुमने अपनी मोम को चुद्ते देखा तो सबसे अच्छा नज़ारा कौन सा लगा जिसे तुम कभी भूल नही
पाते हो,
सोनू- डार्लिंग जब मोम अपनी दोनो टाँगे हवा मे उठा कर अपनी जाँघो को फैला कर डॅड को दिखाती और चाटने को कहती वह
नज़ारा यानी उनका वह फूला हुआ चिकना भोसड़ा देख कर मैं पागल हो जाता था, औरत की कमर से लेकर जाँघो तक के बीच
का जो फैलाव होता है वह बहुत ही आकर्षित करता है और उस पर जब औरत अपनी मोटी मोटी चिकनी जाँघो को फोल्ड करके जब अपनी
मस्त चूत दिखती है उस समय वह देखने लायक नज़ारा रहता है,
कविता- उस समय तुम्हारा भी मन करने लगा होगा कि काश अपने डॅड की जगह तुम अपनी मों के मस्त भोस्डे को चाट रहे
होते,
सोनू- हाँ यह तुमने सच कहा और फिर मैने कविता की मोटी गंद को दबाते हुए उसे अपनी बाँहो मे भर लिया और फिर से
एक मस्त चुदाई का सिलसिला शुरू हो गया,
सुबह सुबह कविता नहा धोकर मंदिर चली गई थी और मोम फर्श पर पोछा लगा रही थी,
सोनू- मा तूने तो फर्श बिल्कुल चिकना कर दिया,
रति- मुस्कुराते हुए अपने साड़ी के पल्लू से अपने माथे का पसीना पोछती है और उसके मोटे मोटे तंदुरुस्त दूध उसके लाल
ब्लाउज से आधे से ज़्यादा बाहर की तरफ निकले आ रहे थे, हाँ बेटा चिकनाहट तो बहुत हो रही है पर तू संभाल कर चलना
कही फिसल ना जाना,
मेरा हाथ एक बार को तो मोम के मोटे मोटे खरबूजे देख कर अपने आप लंड पर चला गया जिसे मोम ने भी देख लिया फिर
मैने मुस्कुराते हुए कहा मोम ऐसी चिकनाहट पर तो कोई भी फिसल जाए,
रति भी आज ऐसा लग रहा था जैसे खूब चुदासि हो और कहने लगी...
रति- बेटा अभी तूने असली चिकनाहट देखी ही कहाँ है इससे भी चिकने चिकने फर्श होते है जिस पर चलते ही अच्छे अच्छे फिसल
जाते है, और फिर मोम खड़ी हो गई और उसका गुदाज उठा हुआ पेट और गहरी नाभि पूरी तरह मेरे सामने आ गई और मेरा लंड
पेंट के अंदर पूरी तरह तन चुका था, ऐसा लग रहा था कि मोम को पूरी नंगी करके उनसे कस कर चिपक जाओ और खूब उनके
मसल पेट और गहरी नाभि को उनके मोटे मोटे बोबे दबाते हुए चुसू चाटू, मोम का बदन पसीने मे भीग गया था और
उनकी बगल और ब्लाउज गीला हो चुका था,
सोनू- जानबूझ कर मोम की आँखो के सामने ही उनके मोटे मोटे दूध को देखता हुआ, मोम आप तो पूरी गीली हो रही है,
रति- मुस्कुराते हुए, क्या करू बेटे कुच्छ औरतो मे कुछ जल्दी ही गीलापन आ जाता है,
सोनू- मोम आप तो कुछ ज़्यादा ही गीली लग रही है,
रति- इधर उधर देखती हुई, क्या करू मैं तो रोज ही इसी तरह गीली हो जाती हू, और फिर मोम मेरे पाजामे के उठे हुए तंबू को
बड़ी हसरत भरी निगाहो से देखती हुई, ला अपना पाजामा उतार कर मुझे दे दे देख कितना गंदा हो रहा है ला मैं धो देती हू,
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