Kamukta Kahani अनौखा इंतकाम
10-11-2018, 02:31 PM,
#10
RE: Kamukta Kahani अनौखा इंतकाम
रमीज़ ने पूरा लंड बाहर निकाल कर पूरे ज़ोर से अंदर पेला, ऐसे ही दो तीन ज़ोरदार धक्के मारने के बाद एक हुंकार भरते हुए रूबीना के उपर ढह पड़ा. रमीज़ के लंड से गाढ़ी मलाई निकल कर उस की बहन की चूत को भरने लगी. उन दोनो की हालत बहुत बुरी थी. 

रूबीना को एक अंजानी ख़ुसी का अहसास अपने पूरे जिस्म में महसूस हो रहा था.उसे लग रहा था जैसे उस का जिस्म एकदम हल्का हो कर आसमान में उड़ रहा हो. वो पल कितने मजेदार थे, एसा सुख, एसा करार उस ने ज़िंदगी में पहली बार महसूस किया था.

आहिस्ता आहिस्ता रूबीना की फुद्दि ने फड़कना बंद कर दिया. 

उधर रमीज़ का लंड भी अब पूर सकून हो चुका था और आहिस्ता आहिस्ता उस का लंड भी सॉफ्ट होता जा रहा था. 

रमीज़ अभी तक अपनी बहन के उपर ही गिरा पड़ा था. और उस के जिस्म के बोझ तले रूबीना के लिए अब हिलना भी मुश्किल था.

थोड़ी देर बाद रमीज़ रूबीना के उपर से उठ कर उस के बराबर में लेट गया.

जब दिमाग़ से चूत की गर्मी कम हुई तो तब रूबीना के होशो हवास वापिस लोटने लगे और अब रूबीना का सामना एक होलनाक हक़ीक़त से हो रहा था. अब उसे ये एहसास हो रहा था कि उन दोनो भाई बहन ने कैसा गुनाह कर दिया है. 

रूबीना ने जब उन अल्फ़ाज़ को अपने दिल में दोहराया जो उस ने कुछ लम्हे पहले रमीज़ से सेक्स करते हुए उस को कहे थे तो रूबीना के पूरे बदन में झुरजूरी सी दौड़ गयी.

“में इतनी बेशर्म और बेहया कैसे बन गयी? मेरे मुँह से वो अल्फ़ाज़ कैसे निकल गये? कैसे में भूल गयी कि में अब शादी शुदा हूँ? में क्यों खुद को ये गुनाह करने से रोक नही पाई?”

रूबीना के दिल में अब ये तमाम सवाल उठ रहे थे. जिन का कोई भी जवाब उसे सूझ नही रहा था. 
सब से बड़ा सवाल तो ये था कि अब में अपने भाई रमीज़ का सामना कैसे करूँगी!

“वो मेरे बारे में क्या सोच रहा होगा? कैसे में एक बाज़ारु औरत की तरह उस से पेश आ रही थी! मेरा काम तो अपने भाई को ग़लत रास्ते पर जाने से रोकना था मगर में तो खुद......खुदा मुझे इस गुनाह के लिए कभी माफ़ नही करेगा” रूबीना दिल ही दिल में खुद को दुतकार रही थी.

उधर बिस्तर पर रमीज़ की तरफ से भी कोई हलचल नही हो रही थी. शायद उसे भी अपनी बहन रूबीना की सोच का अंदाज़ा हो गया था. जिस वजह से शायद उसको भी अफ़सोस हो रहा था और वो भी अपनी बहन की तरह अपने किए पर अब पछता रहा था.

रूबीना ऐसे ही सोचों में गुम बिस्तर पर पड़ी रही. कोई रास्ता कोई हल उसे नही सूझ रहा था.

रूबीना जितना अपने किए हुए गुनाह के बारे में सोच रही थी उतना ही उसे खुद से नफ़रत हो रही थी. ऐसी ही सोचों में गुम काफ़ी वक़्त गुज़र गया.
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RE: Kamukta Kahani अनौखा इंतकाम - by sexstories - 10-11-2018, 02:31 PM

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