RE: Parviar Mai Chudai ससुराली प्यार
मेरी दिली खाहिश थी कि अगर सरवर मुझे चोदना चाहे तो उस काम का आगाज़ खुद सरवर की जनाब से हो.
लेकिन में खुद को उन के सामने एक रंडी के रूप में पेश नही करना चाहती थी.
में अभी तक कमरे से बाहर और कमरे के पर्दे के पीछे ही खड़ी थी.
कमरे से बाहर हाल में चूंकि मुकम्मल अंधेरा था. इसलिए उन दोनो को मेरी मौजूदगी का अहसास नही हुआ था.
उन दोनो की गरम जोश चुदाई ने मेरी चूत को पानी पानी कर दिया और अब मेरे सबर का पैमाना लबरेज होने लगा.
इसलिए मैने अब मज़ीद इंतिज़ार किए बगैर दरवाज़े पर लगे पर्दे को एक दम हटाया और ये कहती हुई एक दम कमरे में घुस गई कि “ ये क्या ही रहा है नाज़”.
मुझे यूँ अपने सामने देख कर उन दोनो के जिस्म एक दम रुक गये .और अब वो दोनो बेड पर बिल्कुल नंगे खौफनाक नज़रों से मुझे देख रहे थे.
मैने बहुत ही गुस्से का इज़हार करते हुए कहा” तुम दोनो को शरम आनी चाहिए,एक दूसरे के साथ इस तरह की ज़लील हरकत करते हुए. आने दो तुम अम्मी,अब्बू और तुम्हारे भाई को में उन को बता दूँगी कि तुम लोग कितने गंदे हो”.
ज्यूँ ही में बेड रूम से अपने कमरे में जाने के लिए वापिस मूडी तो नाज़ एक दम उठ खड़ी हुई और मेरे सामने आकर मेरे सीने से लिपट गई और कह ने लगी “भाभी हम से ग़लती हो गई प्लीज़ प्लीज़ आप इस बात का ज़िक्र किसी से ना करें”.
नाज़ की आँखों में आँसू थे और वो रो भी रही थी.
उस का इस तरह रोना देख कर मैने मान जाने की आक्टिंग करते हुए उस को मजीद अपने जिस्म से चिम्टा लिया उस की पेशानी पर किस करते हुए उसे कहा” अच्छा नाज़ तुम लोगों की ये हरकत राज़ रहेगी तुम लोग घबराओ नहीं”.
इतनी देर में सरवर भी नंगा ही मेरे पीछे से लिपट गया. और कहने लगा कि “थॅंक यू भाभी आप बहुत अच्छी हैं”.
में दोनो नंगे भाई बहन के बीच में फँसी हुई थी और. दोनो के दर्मेयान मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और दिल चाह रहा था कि कहीं वो मुझे छोड़ नहीं दें.
मैने नाज़ की आँखों में झाँकते हुए कहा”कि प्यारी बच्ची में तुम दोनो को दुखी नहीं देख सकती”.
लेकिन वो दोनो जैसे अभी तक मेरी बात का यक़ीन नहीं कर रहे थे.
दूसरी तरफ सरवर के मेरे साथ इस तरह लीपटने की वजह से उस की बहन की चूत के पानी से तर बतर हुआ उस का गरम और सख़्त लंड मेरी टाँगों के बीच से होता हुआ शलवार में छुपी हुई मेरी चूत को टच करने लगा.
सरवर के लंड को अपनी चूत के इतने नज़दीक पा कर में और भी बे काबू होने लगी और मेरी आँखें मज़े और मस्ती की वजह से खुद ब खुद ही बंद होने लगी.
जब मेरे बिल्कुल सामने खड़ी नाज़ ने मेरी बदलती हुई ये काफियत देखी तो उस ने अपने भाई सरवर को आँखों ही आँखों में कोई मखसोस इशारा किया.
इस से पहले कि में कुछ समझ पाती. सरवर ने मुझे अपनी बाहों में भरे हुए कि मेरे जिस्म को अपनी तरह मोड़ा और में एक मोम की बनी गुड़िया की तरह उस की तरफ मुड़ती चली गई.
ज्यूँ ही मेरी चुचियाँ अपने देवर की नंगी और मज़बूत छाती से टकराई, मुझे ऐसे लगा जैसे कमीज़ और ब्रा पहना होने के बावजूद मेरी चुचियों के निपल्स तन कर खड़े हो गये.
सरवर ने मेरे लबों को अपने लबों में क़ैद किया तो मेरी तो जैसे रूह ही जिस्म से फरार हो गई.
नाज़ इतनी देर में दुबारा अपने भाई के बिस्तर पर चढ़ कर लेट गई. ज्यूँ ही सरवर ने उसे बिस्तर पर जाते देखा तो साथ ही उस ने मुझे अपने मज़बूत बाजुओं में उठा कर अपनी बहन नाज़ के साथ ही बिस्तर पर लिटा दिया.
में नाज़ के साथ लेट गई और दूसरी तरफ सरवर भी दुबारा मेरे पीछे आ कर मुझ से लिपट कर चिमट गया.
सरवर के मेरे पीछे आ कर लेटने की देर थी कि मेरे सामने से नाज़ ने आगे बढ़ कर मेरे होंठो को अपने होंठों में लिया और मेरे लिप्स पर किस्सस की बारिश कर दी.
मेरे लिए किसी औरत के साथ किस करने का ये पहला तजुर्बा था. जिस ने मेरे जिस्म में एक अजीब सी आग लगा दी.
में और नाज़ आपस में किस्सिंग में मसरूफ़ हो गये. जब कि सरवर मेरे साथ लिपटा हुआ था और उसका लंड मुझे पीछे से चुभ रहा था.
सरवर के लंड को अपनी गान्ड में घुसा हुआ महसूस करते ही में फॉरन सीधी हो कर बिस्तर पर लेट गई.
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