RE: Parviar Mai Chudai ससुराली प्यार
मेरा नाम ग़ज़ल अफ़सर है. में अपनी तारीफ खुद क्या करूँ मगर मुझ देखने वाले और मेरे शोहर मुझ कहते हैं कि में एक खूबसूरत लड़की हूँ.
21 साल की उमर में मेरी एंगेज्मेंट हो गई. जब कि 5 साल बाद 26 साल की उमर में ब्याह (शादी हो) कर में अपने शोहर के घर चली आई.
जिस वक़्त की कहानी में बयान करने जा रही हूँ. उस वक़्त मेरी शादी को छह (6) महीने हुए थे. और में अपनी ससुराल और शोहर से बहुत ही खुश थी.
मेरे ससुराल में,मेरे शोहर, मेरी सास,ससुर एक देवर और एक ननद 6 सदस्य एक बड़े घर में रहते थे.
मेरे देवर और ननद की अभी तक शादी नही हुई थी.
मेरे शोहर अफ़सर जिन की उमर 30 साल है वो बहुत अच्छे हैं.वो ना सिर्फ़ मुझ से मोहब्बत करते हैं बल्कि मैरा हर तरह ख्याल भी रखते थे.अफ़सर एक शरीफ इंसान थे और रिज़र्व रहते थे.
जब कि मेरा 25 साला देवर सरवर उनके मुक़ाबले में बहुत ही शरीर जोल्ली और लंबा तड़ंगा था.जो कि पहली ही नज़र में मुझे बहुत अच्छा लाघा था.
इस की वजह शायद ये भी थी .कि वो मुझ से अक्सर बहुत मज़ाक़ करता और में उस की बातों को एंजाय करते हुए बहुत हँसती थी.
रात को अफ़सर अख़बार वग़ैरह पढ़ने के लिए जल्द ही अपने बेड रूम में चले जाते.
जब कि में ड्रॉयिंग रूम में रात देर गये तक सरवर और उन की 23 साला छोटी बहन नाज़ के साथ गॅप शॅप में मसरूफ़ रहती.
नाज़ एक नाज़ुक सी बहुत प्यारी लड़की थी. अपने भाइयों की तरह कद में लंबी होने के साथ साथ वो निहायत दिल कश जिस्म और इंतिहा हसीन शकल की मालिक भी थी.
उस का हुश्न इतना क़यामत खेज था कि उस को देखने वालों की नज़र उस के हुश्न पर नहीं ठहर ती थी.
जैसा कि में पहले ही बता चुकी हूँ कि मेरा देवर सरवर मुझे बहुत अच्छा लगता था.
और में उसके साथ हँसी मज़ाक़ को बहुत पसंद करती थी. बल्कि जब से उस ने मुझ से हाथा पाई वाला मज़ाक़ शुरू किया तो मुझे और भी मज़ा आने लगा.
में अपने ससुराल में अपनी इस खुश नसीबी से बहुत खुश थी. कि मेरी सास ससुर देवर और मेरी ननद नाज़ मेरे बहुत ही क़रीब थे. और इन सब के साथ मेरा खलूस और प्यार का रिश्ता कायम हो गया था.
अफ़सर मेरे साथ एक अच्छे शोहर की तरह सुलूक रखते थे. लेकिन मेरे साथ सेक्स वो सिर्फ़ एक ज़रूरत और फ़र्ज़ समझ कर करते थे.
सेक्स के दौरान वो बस नंगे हुए चूमा चाट की अंदर डाला डिसचार्ज हुए और बस सो गये.
जब कि इस के मुकाबले मेरी सहेलियाँ जब बातों बातों में अपनी निजी ज़िंदगी के बारे में कभी कभार बात करते हुए मुझ से अपनी अपनी शादी शुदा जिंदगी का एक्सपीरियेन्स शेयर करती थीं.
तो मुझे अंदाज़ा होता कि उन के शोहर उन से बहुत ही दिलचस्प और दिल कश सेक्स करते हैं.
मुझे अपनी सहेलियों कि ये बातें सुन कर बस एक ख्वाहिस थी. कि काश मेरे शोहर अफ़सर भी मेरे साथ ऐसा ही करें जैसे में अपनी सहेलियों की ज़ुबानी सुनती हूँ.
मेरे ससुराल वाले काफ़ी अमीर और मॉडर्न लोग हैं. जिस की वजह से उन का रहन सहन भी हम जैसे मिड्ल क्लास ख़ानदानों से काफ़ी अलग है.
इस बात का अंदाज़ा मुझे उस वक़्त हुआ. जब में शादी के बाद अपने ससुराल में रहने लगी.
मेरे अपने भाइयों के मुकावले मेरा देवर सरवर घर में शॉर्ट पहनता था.
में चूंकि इस तरह के माहौल की आदि नही थी. इसलिए शुरू में मुझे ये बात अजीब सी लगी. मगर फिर वक़्त के साथ आहिस्ता आहिस्ता में भी इस तरह की बातों की आदि होने लगी.
जब मेरा देवर शॉर्ट्स पहन कर मेरे सामने सोफे पर बैठ कर टीवी लाउन्ज में टीवी वग़ैरह देखता. तो कई बार मेने उस के सामने से उस के लंड को शॉर्ट्स में से बाहर हल्का सा झाँकते हुए देखा था.
जब पहली दफ़ा बैठे बैठे मेरी नज़र उस के लंड पर पड़ी थी. तो शरम और घबराहट के मारे मेरे पसीने छूट गये.
मुझे ऐसा महसूस हुआ कि जैसे अंजाने में मुझ से को बहुत बड़ा गुनाह हो गया हो.
मगर सरवर का यूँ अपने घर में अपनी ही अम्मी और बहन के सामने शॉर्ट्स पहन कर घूमना और बैठना एक मामूली सी बात थी.
इसलिए फिर में भी इस बात की भी आदि होने लगी. और फिर में खुद भी आँखें बचा कर अक्सर उस के सामने से शॉर्ट में से बाहर आते हुए उस के बड़े लंड का दीदार करने की कोशिस करती और मुझे इम में मज़ा भी आता था.
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