RE: Incest Kahani बीबी से प्यारी बहना
मुझे चाची का गर्म गर्म पानी अपने लंड साफ महसूस हो रहा था चाची ने काफी ज़्यादा अपना पानी छोड़ा था अब योनी के अंदर चाची के पानी के कारण योनि के अंदरगीला हो चुका था मेरा लंड जब भी अंदर जाता पिच पिच की आवाज निकल रही थी और शायद मेरा पानी निकलने का समय भी आ गया था कंधे पर रखे चाची के पैरो को आगे की ओर दबा दिया और अपना पूरा जोर आगे लगाकर पूरी ताकत के साथ धक्के पर धक्के मारने लगा और फिर मैंने भी 3 से 4 मिनट के बाद चाची योनी के अंदर अपना पानी छोड़ दिया उसी स्थिति में आगे होकर चाची पर गिर पड़ा और हाँफने लगा
जब मेरे लंड का पानी निकलना बंद हो गया तो मैंने अपना लंड योनी से बाहर खींच लिया और एक साइड पर हो कर लेट गया चाची भी कुछ देर लेट कर अपनी सांसें बहाल करती रही फिर कुछ देर बाद उठकर बाथरूम में चली गई और फिर अपनी साफ सफाई करके वापस बेड पर नंगी ही आकर लेट गई। में भी उठा बाथरूम में गया और अपने लंड और अपना मुंह हाथ धोकर बाहर आकर बेड पर लेट गया और मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और पता ही नहीं चला कब नींद आ गई और मैं सो गया सुबह तकरीबन 8 बजे के करीब मेरी आँख उस वक्त खुली जब मुझे अपने लंड पर कोई नरम सी गर्म चीज़ महसूस हुई मैंने अपनी आंख खोल कर देखा तो चाची मेरे लंड को मुंह में लेकर चुसाइ लगा रही थी चाची की चुसाइ ने मेरे लंड को फिर पत्थर जैसा बना दिया था, अब की बार मैंने चाची को घोड़ी बनाकर उनकी गाण्ड में लंड डाल कर अच्छी तरह चोदा और अपना पानी गाण्ड में ही छोड़ दिया चाची भी गाण्ड मरवा कर मस्त हो चुकी थी । और फिर उठकर बाथरूम में चली गई नहाने लगी जब नहा कर बाथरूम से निकली तो मुझे कहा वसीम उठ कर नहा लो मैं किचन में जा रही हूँ नाश्ता बनाने के लिए तुम नहा धोकर टीवी लाउंज में ही आ जाओ। और फिर वह कमरे से बाहर चली गई मैं भी कुछ देर बाद उठा और बाथरूम में जाकर नहाने लगा और नहा धोकर फ्रेश हो गया और फिर तैयार हो कर टीवी लाउंज में बैठ गया चाची ने नाश्ता तैयार कर दिया था तो मैंने और चाची ने मिलकर नाश्ता किया और नाश्ते के बाद समय देखा तो 9:30 हो गए थे मैंने चाची से कहा कि मुझे मकान के कागज दे अभी उस प्रॉपर्टी वाले की ओर जाऊँगा उसने मुझे आज सुबह का समय दिया हुआ है वहाँ दूसरी पार्टी भी आएगी और आज ही सारा काम निपट जाएगा।
फिर चाची अपने कमरे में गई और कुछ देर बाद मकान के कागज मुझे दिए और वह कागज लेकर मैं प्रॉपर्टी वाले के पास आ गया और वहां कुछ देर के इंतजार के बाद दूसरी पार्टी भी आ गई और वहाँ लगभग 2 घंटे हमारी बातें चलती रहीं और फिर मकान के कागज उनके हवाले किए और उन्होंने मुझे पैसों का चेक दे दिया और फिर वहाँ कुछ देर और बैठकर प्रॉपर्टी वाले के बाकी के काम करके वहां से निकल आया मुझे कल सामान गाड़ी में रखवा कर घर की चाबी प्रॉपर्टी वाले के हवाले करना था। मैं वहाँ से निकल कर एक ट्रक के अड्डे पर आ गया और लाहौर से सामान लेकर मुल्तान ले जाने के लिए बात की और इसके साथ पैसे और समय का क्लीयर करके वापस घर आ गया और चेक चाची के हवाले कर दिया चाची काफी खुश हो गई और फिर मैंने चाची को बताया कि ट्रक वाला सुबह 8 बजे आ जाएगा इसलिए आपको और मुझे आज का दिन और रात लगाकर सामान पैक करना है और फिर कल रवाना होना है। और कल ट्रक वाला अपने साथ 4 मजदूर भी लाएगा वह सारा सामान ट्रक में रख देंगे। और फिर मैं और चाची मिलकर सारा सामान पैक करने लगे और हम दोनों को सारा सामान पैक करने में रात के 2 बज गए और हम दोनों काफी थक चुके थे और सुबह निकलना भी था इसलिए मैं और चाची बेड पर लेटते ही सो गए
सुबह मेरी आँख उस वक्त खुली जब मेरा मोबाइल बज रहा था देखा तो ट्रक वाले का नंबर था उसने कहा, मैं आधे घंटे में आ रहा हूँ आप लोग तैयार हो जाओ। मैंने चाची को भी उठा दिया और फिर मैं पहले नहा लिया और चाची भी नहा ली और फिर हम दोनों तैयार हो गए। आधे घंटे बाद ट्रक वाला आ गया और उसके साथ 4 नौकर और भी थे उन्होंने सामान उठा कर ट्रक में रखना शुरू कर दिया और लगभग 11 बजे के करीब हमारा सारा सामान ट्रक में रखा गया था। फिर मैंने घर को ताला लगा दिया और चाची को मैंने सुबह ही 8: 30 पर स्टेशन के लिए रवाना कर दिया और खुद ट्रक वाले के साथ आने का कार्यक्रम बनाया और 11 बजे के करीब मैं घर की चाबी प्रॉपर्टी वाले के हवाले करके और अनुमति लेकर ट्रक पर सवार होकर मुल्तान के लिए निकल पड़ा . सफ़र के दौरान शाम को 6 बजे के करीब मुझे चाची का फोन आया कि वह राजी-खुशी से घर पहुंच गई है और मैंने भी बता दिया हम लोग भी रात 9 बजे तक पहुंच जाएंगे। और आखिरकार हम भी लगभग 9 और 10 के बीच घर पहुंच गए। मैंने अपने दोस्तों को पहले से ही फोन पर बता दिया था इसलिए वह सब लोग आ गए और हम सब ने मिलकर 2 घंटे में सारा सामान ट्रक से उतरवा कर हमारे घर के ऊपर वाले पोर्शन में रख दिया और फिर ट्रक वाले को पैसे देकर उसको रवाना कर दिया रात के 12 बज चुके थे इसलिए मैं बहुत अधिक थक चुका था और बिना खाना खाए ही सो गया
सुबह मेरी आँख लगभग 11 बजे खुली मैं बेड से उठ कर बाथरूम में घुस गया और नहा धोकर फ्रेश हो गया और फिर बाहर आंगन में आ गया बाहर आज काफी रौनक लगी हुई थी चाची अम्मी और नबीला और जमीला बाजी और उनके बच्चे सब जमा थे फिर ज़ुबैदा ने मुझे देखा तो मुझे कहा वसीम आप बैठें में आपके लिए नाश्ता तैयार करके लाती हूँ और फिर मैं वहाँ बैठकर सभी के साथ बातें करने लगा मैंने नोट किया कि नबीला काफी शांत और चुपचाप थी। और मैं उसकी चुप्पी की वजह जानता था। खैर ज़ुबैदा मेरे लिए नाश्ता बना कर ले आई मैंने वहाँ बैठ कर ही नाश्ता किया और फिर मैं चाची पूछा चाची आपके सामान का अब क्या करना है आप बोलें कैसे सेट करना है तो चाची ने कहा बेटा मैंने कौन सा सारी उम्र यहां रहना है बस 10 या 15 दिन की बात है मेरा दिल है कि जो जरूरी सामान है उसे थोड़ा सेट कर दूँ बाकी पैक ही रहने दूँ ताकि उसे उठाकर नए घर में जा कर एक बार में ही सेट कर लूँगी। तो मैंने कहा ठीक है चाची जैसी आपकी मर्जी ज़ुबैदा ने कहा वसीम तुम आराम करो मैं अम्मी के साथ आवश्यक सामान सेट करवा देती हूँ। मैंने हाँ में सिर हिला दिया और फिर कुछ देर बैठ कर फिर अपने कमरे में आ गया और टीवी लगा कर बैठ गया लगभग
1 घंटे बाद जमीला बाजी मेरे कमरे में आई और आकर मेरे साथ बिस्तर पर बैठ गयी मेरे हाल हवाले पूछ कर बोली वसीम एक बात पूछूँ तो मैंने कहा जी बाजी पूछो क्या बात है तो जमीला बाजी ने कहा सुबह से आई हूँ मैं देख रही हूँ नबीला बहुत चुपचाप है क्या कारण है तुम्हें कुछ पता है। तो मैंने दीदी को उस दिन छत वाली सारी बात बता दी तो बाजी ने लंबी आह भरकर कहा वसीम मुझे खुशी है तुमने वही काम किया जो मैंने तुम्हें कहा था मुझे इस बात की खुशी है कि तुम हम दोनों बहनों बहुत ख्याल रखते हो। लेकिन तुम अब चिंता मत करो तूने बात कर ली है अब मैं नबीला को खुद समझा लूंगी और उसको मना लूँगी। मैं अभी थोड़ी देर में घर चली जाऊँगी और नबीला को भी साथ ले जाऊँगी और उसे आराम से तसल्ली से समझाकर भेज दूँगी। फिर मैं और दीदी यहाँ वहाँ की बात करने लगे तो मैंने कहा बाजी मुझे एक बात की थोड़ी सी चिंता है तो बाजी ने कहा हां वसीम बताओ किस बात की चिंता है तो मैंने कहा बाजी आपको पता है मेरे और नबीला के रिश्ते का और अगर नबीला शादी के लिए मान जाती है तो शादी की रात अगर यह पता चला कि नबीला तो पहले ही ................और मैने अपनी बात अधूरी छोड़ दी
बाजी तुरंत बोली वसीम मेरे भाई तुम्हारी चिंता को समझ गई हूँ और तुम बेफिक्र हो जाओ मेरी वो डॉक्टर दोस्त है न जिससे मैं ज़ुबैदा का इलाज करवा रही हूँ उससे मैं बात करूंगी वह इन बातों की विशेषज्ञ डॉक्टर है वह कोई न कोई बेहतर हल निकाल देगी इसलिए तुम बेफिक्र हो जाओ। मैं बाजी की बात सुनकर काफी हद तक शांत हो चुका था। बाजी जब जाने लगी तो बाजी ने कहा वसीम कुछ दिनों बाद जफर और मौसी को शाजिया की ननद की बारात में जाना है मैं तुम्हें 1 दिन पहले फोन करके बता दूंगी उस दिन मैं घर पर अकेली होऊँगी तुम आ जाना और थोड़ा शरमा कर बोलीं कि वसीम विश्वास करो जब से तुम्हारा लंड देखा है रातों की नींद उड़ गई है कितने दिन से सोच रही थी कोई मौका मिले तो मैं भी अपने भाई का प्यार हासिल करूँ इसलिए उस दिन आ जाना अब मुझे अपने भाई के बिना मज़ा नहीं आता तो मैं बाजी की बात सुनकर मुस्कुरा पड़ा और बोला बाजी जब आप कहोगी मैं आ जाऊँगा।
तो बाजी मेरी बात सुनकर खिल उठी और फिर कुछ देर बैठ कर चली गई और मैं कमरे में ही बैठकर टीवी देखने लगा लगभग 2 बजे के करीब ज़ुबैदा कमरे में आई और बोली वसीम बाहर आ जाएं खाना तैयार है आकर खालो मैने उठकर हाथ मुंह हाथ धोया और बाहर आ गया वहाँ अम्मी चाची और ज़ुबैदा बैठी थीं मैंने पूछा बाजी और नबीला कहाँ हैं तो ज़ुबैदा ने कहा जमीला बाजी नबीला को लेकर अपने घर चली गईं हैं उन्हें नबीला से कुछ काम था और फिर हम वहाँ बैठ कर खाना खाने लगे और खाना समाप्त होते ही ज़ुबैदा बर्तन उठा कर किचन में रखने लगी फिर मैं अपने कमरे में आ गया और बेड पर लेट गया करीब 10 मिनट बाद ज़ुबैदा कमरे में आई और बोली वसीम में अम्मी के साथ ऊपर जा रही हूँ थोड़ा सा सामान रह गया है वह सेट करवा दूं तो मैं कामखत्म कर के नीचे आ जाती हूं तो मैंने कहा हां ठीक है मैं भी सोने जेया रहा हूँ और ज़ुबैदा चली गई मैं भी वहाँ पर लेटा लेटा सो गया। और शाम को 5 बजे मुझे ज़ुबैदा ने ही उठा दिया मैं मुंह हाथ धोकर बाहर आंगन में आया तो नबीला भी आ चुकी थी लेकिन अब की बार उसका चेहरा कुछ और था ऐसा लगता था कि वह कोई बड़ा फैसला कर चुकी थी। मुझे थोड़ा डर भी था कि पता नहीं उसने क्या तय कर लिया है। खैर मैं वहाँ बैठ कर चाय पीने लगा और बातें करने लगा तो वह दिन भी बीत गया और अगले दिन में 10 बजे उठकर नाश्ता आदि करके बाहर निकल गया मैं अपने दोस्तों से एक पास की गली में मकान देखने के लिए कहा ताकि चाची के लिए मकान देख सकूँ। तो दोस्तों ने कहा कि वह कुछ दिनों के भीतर खोज कर देंगे और फिर यूँ ही मैं खाने के वक्त घर आ गया खाना खाकर अपने बेडरूम में आकर लेट गया शाम को छत पर गया और टहलने लगा लगभग आधे घंटे बाद नबीला चाय का कप लेकर ऊपर आ गई और मुझे चाय दी और बोली भाई कैसे हो मैंने नोट किया तो उसका लहजा रुआंसा सा था।
मैंने चाय का कप लेकर एक तरफ रख दिया और उसका हाथ पकड़ कर खाट पर बैठा कर पूछा नबीला मेरी जान क्या हुआ तो वह मेरे गले लगकर सबकने लगी। इस दौरान मैंने उसे कुछ नहीं कहा जब उसने अपने दिल का गुबार निकाल लिया तो मैंने कहा जान क्या हुआ है मुझसे कोई गलती हो गई है क्या तो नबीला बोली भाई मुझे छोड़ तो नहीं दोगे अगर तुमने मुझे छोड़ दिया तो मैं मर जाऊँगी मैंने नबीला के मुंह पर हाथ रख कर कहा नहीं नबीला मेरी जान ऐसी बात नहीं दोहराना तुम्हारे अंदर मेरी जान है। हर किसी को छोड़ सकता हूं लेकिन अपनी जान अपनी बहन नबीला को नहीं छोड़ सकता लेकिन मुझे बताओ तो सही हुआ क्या है तो नबीला ने कहा भाई आपने उस दिन जो कहा, मैंने इस बारे में बहुत सोचा और आज बाजी की तरफ गई तो उन्होंने मुझसे मेरी उदासी का कारण पूछा तो मैंने उन्हे अपनी बातें बता दी और आज उन्होने भी मुझे बहुत प्यार और स्नेह से समझाया और मैंने भी फैसला किया है कि किसी से भी शादी करने के लिए तैयार हूँ लेकिन मेरी एक शर्त है मैंने पूछा नबीला मुझे तुम्हारी हर शर्त मंजूर है। तो नबीला ने कहा कि मैं शादी कर लूंगी लेकिन मेरी शर्त यह है मेरा जब दिल करेगा और जितना मन करेगा मैं यहाँ अपने घर में रहा करूंगी और आप से जब भी मैं कहूँगी तो आपको उसी वक्त मुझे प्यार करना होगा .
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