RE: Incest Kahani बीबी से प्यारी बहना
मैं उस से अनुमति लेकर कार्यालय से बाहर निकल आया और फिर अगले कार्यालय की ओर चल पड़ा मैंने अगले 2 कार्यालय के बाहर जाकर अंदर का अनुमान लगाया तो मुझे कोई ढंग का बंदा नजर नहीं आया। जब बाजार के अंत में स्थित कार्यालय के पास गया तो अंदर देखा तो एक सफेद दाढ़ी वाला बंदा बैठा अखबार पढ़ रहा था। मैं अंदर चला गया और उसे सलाम किया तो उसने अखबार नज़र हटाकर मुझे देखा और सलाम का जवाब दिया और बोला जी बेटा मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ। तो मैं वहां पर रखी कुर्सी पर बैठ गया और उसे पहले अपना बताया कि मैं किस मकान से आया हूँ। वह बंदा मुझे गौर से देखने लगा और मेरे चाचा का नाम लेकर बोला आप उनके क्या लगते हो तो मैं भी थोड़ा हैरान हुआ और बोला वो मेरे चाचा जी हैं उसने आगे होकर मेरे सिर पर हाथ फेरा और बोला- बेटा तुम्हारा चाचा महान और ईमानदार आदमी था मेरा यार था और अक्सर घर में जब उसका मन नहीं लगता था तो मेरे पास आ जाता था मैं उससे उसकी चिंता के बारे में पूछता रहता था लेकिन उसने कभी भी अपनी समस्या के बारे मे नहीं बताया लेकिन मैं जानता था वह अंदर से खुश नहीं रहता था। लेकिन मेरे बार बार पूछने के बावजूद भी उसने कुछ नहीं बताया और फिर एक दिन इस दुनिया को छोड़ कर चला गया। और बेटा तुम्हें पता है जिस मकान में तुम्हारा चाचा रहता था वह मैंने ही लेकर दिया था तब से तुम्हारा चाचा मेरा यार था।
मैंने कहा बस में भी अपने चाचा की परेशानी को हल करने के लिए मुल्तान से लाहौर आया हूँ वास्तव में मैं अपने चाचा के परिवार को यहां से वापस लेकर मुल्तान जाना चाहता हूँ इसलिए यह वाला मकान हमें बेचना है। अगर आज आप फिर मदद कर दें तो बहुत कृपा होगी। तो उस बुजुर्ग ने कहा बेटा तुम चिंता क्यों करते हो। अपने दोस्त काम का नहीं करेंगे तो किसका करेंगे . तुम बताओ कब बेचना चाहते हो तो मैं ने कहा मैं आज रात को जरूरी काम से इस्लामाबाद जा रहा हूँ आप जितना जल्दी जल्दी हो सके तो यह काम करवा दें तो समस्या हल हो जाएगा। तो उस बुजुर्ग ने कहा बेटा आज ही 1 या 2 पार्टी से बात करता हूँ तुम अभी इस्लामाबाद चले जाओ मैं अपने दोस्त के घर का अच्छा सा सौदा करवा दूंगा जिससे आपके परिवार को फायदा हो सके तुम बेफिक्र हो जाओ ।
मैंने उस आदमी को अपना नंबर दे दिया और बोला जिस दिन भी कोई पार्टी मिल जाए और सौदा पक्का हो जाए तो मुझे कागजी कार्यवाही के कॉल करें मैं उसी दिन ही यहां आ जाऊँगा। लेकिन कोशिश कर के यह काम 1 सप्ताह के भीतर करवा दें। तो बुजुर्ग आदमी ने कहा बेटा तुम बेफिक्र हो जाओ। मैं करवा दूंगा और तुम्हें भी कॉल कर दूंगा। फिर कुछ देर और बैठ कर वापस आ गया और कार्यालय से बाहर निकल कर मैंने अपने इस्लामाबाद वाले दोस्त को कॉल किया और उसे बता दिया सुबह ट्रेन से इस्लामाबाद आ रहा हूँ तुम मुझे वहाँ से पिक करवा लेना और उससे कहा मुझे तुम्हारा कुछ खाली समय चाहिए मुझे आपसे बहुत जरूरी बातें करनी हैं। तो उसने कहा कोई समस्या नहीं है तुम कल आ जाओ मैं कल अपने कार्यालय नहीं जाऊँगा और सारा दिन तुम्हारे साथ ही रहूंगा तब तुम अपनी समस्या भी बता देना और मैं तुम्हें साना की भी बात आराम से समझा दूंगा। फिर मैं अपने दोस्त से संतुष्ट होकर कुछ देर घूमने के लिए लाहौर शहर की ओर चला गया और घूमता रहा और लगभग 3 बजे के करीब थक सा गया और फिर रिक्शे पर बैठकर वापस घर आ गया और आकर चाची ने दरवाजा खोला घर में दाख़िल हो कर बाथरूम चला गया और नहा धो कर बाहर आया तो चाची ने खाना लगा दिया था मैं और चाची खाना खाने लगे तो चाची ने कहा इतनी देर क्यों लगा दी
मैंने झूठ बोला दिया बस मकान के सौदे के लिए आगे पीछे भागदौड़ में समय का पता ही नहीं चला और फिर चाची को उस बुजुर्ग प्रॉपर्टी वाले की बातें बताईं तो चाची भी संतुष्ट हो गई थी। फिर खाना खाकर मुझे कुछ थकावट सी महसूस हो रही थी मैं चाची को कहा में कुछ देर आराम करूँगा थोड़ा थक गया हूँ और आज रात 8 बजे मुझे निकलना भी है। और यह बोलकर चाची वाले कमरे में आ गया और बेड पर लेट गया और पता ही नहीं चला कब सो गया तरीबन 6: 30 पर मुझे चाची ने जगा दिया और बोली बेटा उठो और नहा धोकर तैयार हो जाओ समय थोड़ा है तुम्हारी ट्रेन निकल जाएगी। मैने घड़ी में समय देखा और फिर उठकर बाथरूम में घुस गया और नहाने लगा और नहा धोकर फ्रेश हो गया चाची ने मेरे कपड़े तैयार करके बाहर बेडरूम में बेड पर रख दिए थे मैंने तौलिया बाँधा हुआ था और मैने बाहर आकर कपड़े पहन लिए और बन संवर कर कमरे से निकलकर टीवी लाउंज में आ गया 5 मिनट बाद ही चाची चाय लेकर आ गई और मैंने चाय पी और घड़ी में टाइम देखा तो 7 10 हो रहे थे तो अपना बैग लिया और चाची से अनुमति लेकर घर से निकल आया और स्टेशन की ओर आ गया स्टेशन पर आकर समय देखा तो अभी 10 मिनट बाकी थे। फिर मैंने टिकट लिया और ट्रेन में सवार हो गया ट्रेन अपने वक्त पर चल पड़ी। मैं भी अपना बैग रख कर अपनी सीट पर बैठ गया और बाहर देखने लगा।
लगभग 10 बजे नींद मुझे फिर आ गई और मैं सो गया। मुझे बड़ी ही मजे की नींद आई और लगभग सुबह 4 बाज रहे थे जब मेरी आँख खुली तो मैं अपनी सीट से उठकर ट्रेन के बाथरूम में गया मुंह हाथ धोकर फिर कुछ देर बाद आकर सीट पर बैठ गया। लगभग 5 बजे के करीब ट्रेन रावलपिंडी स्टेशन पहुंच गई और मैं भी ट्रेन से बाहर निकल आया अब मैं ट्रेन से उतर कर स्टेशन पर ही चल कर बाहर आ रहा था मेरा मोबाइल बजने लगा मैंने फोन सुना तो आगे से किसी बंदे ने कहा सर आप कहाँ मैं आप को लेने के लिए आया हूँ उसने मुझे मेरे दोस्त का नाम बताया और कहा उन्होंने आपको लाने के लिए भेजा है। फिर उसने स्टेशन से बाहर निकल कर पार्किंग में खड़ी अपनी जगह और अपना हुलिया बताया और मैं उसे खोजता हुआ उसके पास आ गया वह भी शायद मुझे देखकर समझ गया था वह मेरे दोस्त का ड्राइवर था यह एक सरकारी मुलाज़िम था मैं उसके साथ बैठ गया और फिर वह मुझे लेकर मेरे दोस्त के घर ले आया जब मैं अपने दोस्त के घर पहुंचा तो 6 बज चुके थे। मेरा दोस्त भी उठ चुका था और मुझे बाहर आकर मिला और फिर मुझे घर ले गया
उसकी पत्नी भी उठी हुई थी मैंने उन्हें सलाम किया और फिर मेरा दोस्त बोला तुम एक कमरे में जाकर आराम कर लो 9 बजे तक एक छोटा सा काम निपटा कर वापस आता हूँ फिर वापस आकर दोनों नाश्ता करते हैं और अपने नौकर को बोला मुझे कमरे में ले जाए। नौकर मुझे एक कमरे में ले गया जो बहुत अच्छा बना हुआ था डबल बेड लगा यह एक सरकारी घर था जो मेरे दोस्त को सरकार की ओर से मिला हुआ था। फिर मैंने बैग रखा और बेड पर लेट गया मैंने अपने मोबाइल पर 8: 30 अलार्म लगा दिया और सो गया फिर जब मेरा अलार्म बजा तो मैं उठ गया और बाथरूम भी अटैच था उसमें घुस गया और नहा धोकर फ्रेश हो गया और फिर बाहर निकल कर बेडरूम में बैठा समय देखा तो 9 होने में 10 मिनट बाकी थे। मैंने दीवार पर लगी एलसीडी को चालू कर दिया और देखने लगा लगभग 9:20 पर नौकर आया और बोला सर आप को सर नाश्ते पर बुला रहे हैं। मैंने एलसीडी को बंद किया और उसके साथ नाश्ते की टेबल पर आकर बैठ गया मेरा दोस्त और उसकी पत्नी वहां ही बैठे थे तो मैंने नाश्ता किया और लगभग 10 बजे के करीब मेरा दोस्त अपनी पत्नी से बोला मैं अपने दोस्त के साथ थोड़ा बाहर जा रहा हूँ थोड़ी देर हो जाएगी तुम बाजार चली जाना ड्राइवर के साथ और फिर यह बोलकर मुझे लिया और मैं और वह उसकी निजी कार मे बैठ कर बाहर निकल आए .
वह मुझे इस्लामाबाद के पहाड़ी क्षेत्र की ओर ले गया फिर एक जगह पर कार खड़ी की और मुझे एक मोबाइल दिया और बोला यह मोबाइल साना का है मैंने अभी तक इस मोबाइल को ऑन करके देखा भी नहीं है। लेकिन मुझे साना के छात्रावास के वार्डन ने जो कुछ कहा वह मेरे लिए बहुत तकलीफ़ वाला था। अब तुम इस मोबाइल को चालू करो और देखो और फिर खुद ही तय कर लो क्या करना है। और मेरा दोस्त मोबाइल देकर गाड़ी से बाहर निकल गया वह थोड़ी दूर जाकर खड़ा हो गया और सिगरेट पीने लगा मैंने मोबाइल चालू किया और फिर उसे देखने लगा पहले नंबर चेक किए मुझे कोई चीज नजर नहीं आई मैंने उसकी मेमोरी ओपन की और उसकी फाइलों की जाँच की कुछ नजर नहीं आया वीडियो वाला ओपन किया वहाँ पर कुछ गाने पड़े थे फिर अंत में तस्वीरों वाला खोला तो जो पहली तस्वीर पर मेरी नज़र पड़ी मेरे तो पैर के नीचे से जान ही निकल गई। फिर मैंने एक एक करके सभी तस्वीरों को देखा तो जैसे-जैसे देखता गया मैं हैरान और परेशान होता गया। क्योंकि ये तस्वीरें सामान्य नहीं थीं वह साना की अपनी और कुछ उसके साथी किसी लड़के के साथ नग्न तस्वीरें थीं। कुछ तस्वीरों में साना अकेली नंगे होकर एक बेड पर बैठी हुई थी। और कुछ तस्वीरों में साना किसी लड़के की गोद में नंगी होकर बैठी हुई थी। और नीचे से वह लड़का भी नंगा था। एक तस्वीर में वह साना को फ्रेंच किस कर रहा था और हाथों से साना के गोल गोल गोरे गोरे मम्मे मसल रहा था। और एक तस्वीर में साना उस लड़के के लंड को हाथ में पकड़ कर मसल रही थी और दोनों फ्रेंच किस कर रहे थे। मेरा तो साना की तस्वीरें देखकर दिमाग़ भन्ना गया था। फिर कुछ देर देखता रहा और फिर मोबाइल को बंद करके अपनी जेब में रख लिया और कार से बाहर निकल आया। और अपने दोस्त के पास चला गया जिस जगह हम खड़े थे वहाँ दूर-दूर तक कोई बंदा या बंदे की जाति नही थी। मैं अपने दोस्त के पास गया तो उसने कहा यार विश्वास कर मैंने मोबाइल चालू करके नहीं देखा क्योंकि जो कुछ मुझे हॉस्टल के इनचार्ज ने बताया था मुझे मोबाइल ऑन कर देखने की जरूरत नहीं पड़ी और सारी बात समझ गया था और बहुत परेशान हुआ। और मैंने अभी तक फिर से साना से मुलाकात नहीं की है और न ही उसे अभी तक पता है कि उसका मोबाइल मेरे पास है और मुझे सब कुछ पता लग चुका है। क्योंकि मैं अपने सामने उसे लज्जित नहीं देख सकता था। फिर मेरे दोस्त ने कहा यार तुम ने अब सब कुछ देख लिया है और समझ गए हो अब मुझे बताओ मैं तुम्हारे लिए क्या कर सकता हूँ।
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