RE: Incest Kahani बीबी से प्यारी बहना
मैं उसकी बात सुनकर चौंक गया और उससे कहा नबीला क्या कहा तुमने लेकिन वह ये बात बोल कर भाग कर अपने कमरे में चली गई और अपना दरवाजा बंद कर लिया तो मैं भी यह बात सोचते सोचते अपने कमरे में आकर बेड पे लेट गया। खैर कुछ दिन बीत जाने के बाद मेरी बाजी जमीला 3 दिन बाद घर आई हुई थी उनके साथ पहले दिन तो कोई खास बात नहीं हुई लेकिन दूसरे दिन दोपहर का खाना खाकर मैं अपने बेडरूम में बैठा टीवी देख रहा था और घर के सारे लोग दोपहर को सो जाया करते थे मैं भी कभी सो जाता था और कभी टीवी देखता रहता था। आज भी मैं टीवी देख रहा था जब जमीला बाजी कोई 3 बजे के वक्त मेरे कमरे में आ गई और मेरे कमरे का दरवाजा बंद कर दिया कुंडी नहीं लगाई और आकर मेरे साथ बेड पे एक साइड पे बैठ गई।
मैंने टीवी की आवाज धीरे की और बोला बाजी और सुनाएं कैसी हैं मौसी आदि जफर भाई सब ठीक हैं। तो बाजी ने कहा हां वसीम सब ठीक हैं मौसी का तुम्हे पता ही है वह बीमार रहती हैं। और जफर को क्या होना है ठीक ही है हटा कटा है।
मैंने देखा जफर की बात बाजी बड़ी नागवारी से कर रही थी। फिर बाजी ने कहा वसीम तुम सुनाओ क्या नई ताज़ी है। ज़ुबैदा की सुनाओ उसने कब वापस आ ना है। मैंने कहा बाजी मैं ठीक हूँ और ज़ुबैदा मुझे तो एक सप्ताह का बताकर गई थी आज एक सप्ताह से अधिक दिन हो गए हैं लेकिन वापस नहीं आई। बाजी समझ नहीं आती जब से पाकिस्तान वापस आया हूँ वह 2 बार लाहौर जाकर रहती रही है। और जब पाकिस्तान में नहीं होता था तो ज्यादातर वो अपनी माँ के घर में होती थी।
फिर जमीला बाजी मेरे पास होकर बैठ गई और मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली भाई मुझे पता है। लेकिन तुम चिंता मत करो सब ठीक ही होगा। मैंने कहा जी बाजी दुआ है ऐसा ही हो। फिर बाजी ने कहा मैंने कुछ बातें तुम जरूरी करनी थी। लेकिन समझ नहीं आती कहां से शुरू करूं और कहां से न करूं।
मैंने कहा बाजी क्या बात है खैर तो है न। तो जमीला बाजी ने कहा हां वसीम सब ख़ैरियत है। वास्तव में बात यह है कि तुम मेरे छोटे भाई हो बेटे की तरह भी हो। अब्बा जी के बाद तो अम्मी या मैं ही हूँ हम विचार करेंगे और तुम्हें कोई परेशानी नहीं होने देंगे। मैंने कहा बाजी आप क्या कहना चाहती हैं खुलकर बात बताइए मुझे पता है आप मेरा कभी भी नुकसान या बुरा नहीं सोचेंगे।
वसीम दरअसल मैं आपसे ज़ुबैदा के बारे में बात करनी थी। बाजी ने कहा
मैंने कहा कहो बाजी क्या बात है।
तो बाजी ने कहा वसीम मेरे भाई ज़ुबैदा और उसकी माँ ठीक औरत नहीं हैं। और तेरी पत्नी ने तो जानबूझकर हम सब और तुम्हें धोखा दिया है। फिर मैंने पूछा बाजी कैसा धोखा। तो बाजी ने वो ही नबीला वाली सारी स्टोरी जो ज़ुबैदा और उसकी माँ की थी मुझे सुनाती रही और मैंने भी अपने चेहरे के भाव से उन्हें यह महसूस नहीं होने दिया कि मुझे सब कुछ पता है। मैंने बाजी की पूरी बात सुनकर थोड़ा परेशानी वाला चेहरा बना लिया और मैंने कहा बाजी इसलिए मैं कहूं वह इतना अपनी माँ के पास क्यों रहती है। आज पता चला कि वह तो मुझे ही नही हम सभी को धोखा दे रही है। फिर मैंने कहा बाजी मुझे अपनी सुहागरात पे ही शक हो गया था लेकिन आज आपकी बातें सुनकर शक यकीन में बदल गया है। तो बाजी ने कहा वसीम सुहाग रात का तुम्हें उसके ऊपर कैसे शक था।
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