RE: Incest Kahani बीबी से प्यारी बहना
मेरी बहन नबीला का फोन आया और वह चीख चीख कर रो रही थी और कह रही थी भाई अब्बा जी हमें छोड़कर चले गए वह हमें छोड़ कर चले गए। मेरे लिए यह जीवन का सबसे बड़ा घाव था। मेरे अब्बा जी हार्ट अटैक के कारण मर गए। मुझे जिस दना्ला मिली मैंने अपने बैंक से पैसे निकाले मेरी कंपनी का मालिक बहुत अच्छा अरबी था मैंने लगभग उसके साथ 9 साल बिताए थे उसने मुझे एक दिन में पाकिस्तान भेज दिया मेरा सारा 9 साल का पैसा भी मुझे दिया और मैं पाकिस्तान लौट आया
में अंतिम संस्कार से कोई 1 घंटे पहले ही अपने घर पहुंचा और फिर अपने पिता जी को दफन कर घर आ गया घर में मेरी मां दोनों बहन मेरे गले लगकर बहुत रोई और मुझे भी बहुत रुलाया। अब्बा जी को मर हुए 1 सप्ताह हो गया था लेकिन घर में सब शांत और दुखी थे। मैं भी बस अपने कमरे में ही पड़ा रहता बस खाना खाने के लिए कमरे से निकलता। फिर कोई 10 दिन बाद एक दिन मेरी बाजी मेरे कमरे में आई और मुझसे से अब्बा जी और सभी की बहुत बातें की और मुझे समझाया अब घर की जिम्मेदारी सारी तुम पे है। में बाजी की सारी बातें चुपचाप सुनता रहा और हाँ में बोलता रहा। फिर बाजी आगे 1 सप्ताह रही और फिर अपने ससुराल चली गई। मैं अपने जीवन को धीरे धीरे अपने पुराने मोड़ पे लेकर आने की कोशिश करने लगा। फिर अब्बा जी का 40 दिन बाद समाप्त आ गया वह करवा के कुछ दिन बाद घर से बाहर निकला मेरा अब अगला काम कोई कारोबार शुरू करना था। कोई 15 दिन तक यहाँ वहाँ व्यापार के लिए जानकारी लेता रहा। फिर मैंने मुल्तान शहर में 3 दुकान खरीद ली और उन्हें रेंट पे लगा दिया उनका मासिक रेंट मुझे लगभग 45000 मिलता था मेरे पास पहले एक घर के लिए गाड़ी ली थी वो छोटी थी मैंने उसे बेच कर और पैसे डाल कर बड़ी कार ले ली और फिर अपने इस्लामाबाद वाले दोस्त को बोलकर किसी सरकारी महकमे में अपनी कार को रेंट पे लगा दिया वह मुझे महीने के 60000 तक निकाल कर देती थी। खुद घर के लिए एक मोटर बाइक ले ली। और जब मेरे दो जगह पे जुगाड़ फिट हो गये तो मैं अब घर की ओर ध्यान देने लगा
मुझे अब बाजी और ज़ुबैदा और नबीला और चाची का सब ठीक करना था सब की समस्या हल करनी थी मुझे पाकिस्तान आए लगभग 3 महीने से अधिक वक्त हो गया था। मैं सऊदी में पूरा प्लान बना कर आया था कि किस समस्या को कब और किस वक्त हल करना है। पहले मेरा प्लान अपनी बाजी जमीला की समस्या का हल करना था। एक दिन सुबह नाश्ता आदि करके मैं सीधा बाजी जमीला के घर चला गया वहाँ चाची से भी मिला वह मुझे देख कर काफी खुश हुई और वहां मैंने शाजिया बाजी को भी देखा था। वह भी मुझे मिली वह मेरी बाजी जमीला की ही हमउम्र थी मेरी चाची बीमार रहती थी। इसलिए उन्हें ज़्यादा दिखाई नहीं देता था। सो दिन मे बाहर आंगन में और रात को अपने कमरे में ही पड़ी रहती थी वहीं पे उन्हें खाना-पीना मिल जाता था। फिर बाजी ने कहा वसीम अंदर चल मेरे कमरे में बैठ कर बातें करते हैं।
मैं उठकर बाजी के साथ कमरे में आ गया जब बाजी के साथ कमरे में आ रहा था तो शाजिया बाजी बोली वसीम तू अपनी बाजी के पास बैठ वहाँ ही तेरे लिए चाय बना कर लाती हूँ। में बाजी कमरे में आ गया और बाजी के साथ बातें करने लगा और बाजी ने मुझसे काम पूछा तो मैंने उन्हें सब बता दिया जिसे सुनकर वह खुश हो गई और फिर हम यहाँ वहाँ की बातें करने लगे। थोड़ी देर बाद शाजिया बाजी चाय ले आई और जब वह मुझे चाय दे रही थी तो मैंने देखा उन्होने दुपट्टा नहीं लिया था और उनकी शर्ट का गला काफी अधिक खुला था और उनके मोटे मोटे मम्मे साफ नजर आ रहे थे । बाजी शाजिया ने मेरी नज़र अपने मम्मों पे देख ली थी और एक बहुत कमीनी सी स्माइली दी और फिर बाहर चली गई लेकिन जब वह बाजी के दरवाजे के पास पहुंची मैं देख रहा था उसने अपना हाथ पीछे करके अपनी गाण्ड की दरार में डाल कर जोर से खुजली की और फिर बाहर चली गई शायद उन्होंने यह हरकत जानबूझकर थी। और यह हरकत बाजी जमीला ने भी देख ली थी और उसके बाहर जाते ही बोली छिनाल पूरी कंजरी औरत है।
मैं बाजी की बात सुनने का चौंक गया और बाजी का मुंह देखने लगा तो बाजी ने कहा कि इस कंजरी से बचकर रहना इसका एक आदमी से गुजारा नहीं होता . बाजी का चेहरा बता रहा था उन्हें शाजिया बाजी पे काफी गुस्सा आ रहा था। मैंने धीरे से कहा बाजी आप ऐसा क्यों बोल रही हैं क्या हुआ है। तो बाजी का अपना चेहरा मेरी बात पे लाल हो गया और बोली वसीम तू जवान है शादी की है अच्छे बुरे का भेद जानता है इसलिए मैं भी शादीशुदा होने और तेरी बड़ी बहन होने के नाते बता रही हूँ शाजिया कंजरी से बचकर रहना । इसका एक आदमी से गुजारा नहीं होता पता नहीं कितने और लोगों को खा जाएगी कंजरी तो मैंने कहा बाजी आप कहना क्या चाहती हैं खुलकर साफ साफ बताओ क्या कहना चाहती हो। तो बाजी ने कहा वसीम मेरे भाई मेरे बेटे में तुम्हें सब बताना चाहूंगी और मुझे तुम से और भी ज़रूरी बातें करनी हैं 2 दिन तक घर आऊँगी फिर बैठ कर तेरे कमरे में बात करेंगे यहाँ बातें हो नहीं सकती।
मैंने कहा ठीक है बाजी जैसे आप चाहती हैं। मैं कुछ देर और वहां बैठा और फिर घर वापस आ गया। घर में मुझे नबीला मिली और बोली भाई कहाँ गए थे मैंने कहा कहीं नहीं बस मौसी की ओर गया था और बाजी से मिलकर अब घर वापस आ गया हूँ। मैंने नबीला पूछा यह ज़ुबैदा कब तक लाहौर से वापस आएगी कुछ तुम्हें पता है। तो वह गुस्से से बोली भाई आप को भी पता है वह लाहौर किस लिए है जब उसका दिल भर जाएगा और आग ठंडी हो जाएगी तो फिर वापस आ जाएगी। वैसे अब तो उसको गये हुए एक सप्ताह ही हुआ है शायद अगले हफ्ते आ जाए वैसे 15 दिन बाद अपनी आग शांत करवा कर आ जाती है। आपको नहीं बताकर गई। मैंने कहा मुझे तो एक सप्ताह की बोल कर गई थी। फिर नबीला ने कहा छोड़ो भाई कंजरी से जान छूटी हुई है। वैसे आप क्यों इतने परेशान हैं कहीं आप को भी तो अपनी पत्नी की ज़रूरत तो नहीं हो रही।
में नबीला की बेबाकी पे हैरान रह गया कि पहले तो वह बात सुनते हुए भी शर्मा जाती थी और अब खुला बोल देती है। फिर मैंने भी नबीला की जाँच करने की कोशिश की और यह कहा हां बहन हर मर्द को अपनी पत्नी की ज़रूरत होती है अब हर एक की किस्मत ज़ुबैदा जैसी या चाची जैसी या शाजिया बाजी जैसी तो नहीं होती न एक न मिला तो कोई दूसरा
अब शायद नबीला मेरी बात सुनकर लाल लाल हो गई और शर्म के मारे मुंह नीचे कर लिया। मैंने कहा नबीला तुम क्यों लज्जित हो रही हो जो खुल कर खेल रहे हैं वह बेशर्म बने हुए हैं और तुम कुछ ना कर के भी लज्जित हो रही हो। और उसे पकड़ कर अपने गले से लगा लिया और सर पे प्यार से हाथ फेरने लगा। लेकिन जब मुझे नबीला के तने हुए मम्मे मेरे सीने पे लगे तो मेरे शरीर में करंट दौड़ गया और यह दूसरी बार था जब मैं नबीला के मम्मे अपने सीने पे महसूस कर रहा था और नबीला भी मुझसे सी चिपकी हुई थी उसके मम्मे बहुत नरम और मोटे थे। फिर उसने कहा भाई काश ऐसा सुकून मेरे नसीब में भी होता
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