RE: Incest Kahani बीबी से प्यारी बहना
भाई मैंने उसे कहा तुम यह सब बकवास कर रही हो मेरी बहन इतना तुम से नहीं बोल सकती। तो ज़ुबैदा आगे कहती है ठीक है आने दो तुम्हारी बहन को फिर तुम्हें खुद ही उसके सामने करवा दूंगी तो पूछ लेना और मैं बकवास कर रही हूं या सच बोल रही हूँ।
मैंने पूछा नबीला आप फिर ज़ुबैदा आगे क्या जवाब दिया। तो नबीला कहा भाई खुद तो शायद बाजी अकेले ये बातें पूछ सकती थी लेकिन ज़ुबैदा आगे नहीं पूछ सकती थी हम दोनों बहन एक दूसरे के सामने इज्जत नहीं रहनी थी। लेकिन भाई फिर ज़ुबैदा ने उस दिन मेरे साथ इतना बुरा वर्ताव किया कि में आपको बता नहीं सकती।
मैंने कहा नबीला जितना कुछ तुमने सुना और बोल चुकी हो अब तुम्हें कुछ अभी छुपा ना नहीं चाहिए। बता दो उसने क्या किया तुम्हारे साथ। ।
नबीला आगे बोली वह भाई वह भाई। ।
मैंने कहा क्या वो में वो लगाई हुई है सीधी तरह बताओ क्या हुआ था। तो नबीला कहा भाई ज़ुबैदा ने अपना हाथ नीचे ले जाकर सलवार के ऊपर से ही मेरी योनी वाली जगह पे रख दिया और थोड़ा मसला तो उसका हाथ गीला हो गया और अपने गीले हाथों को अपनी नाक के पास ले जाकर सूंघने लगी और बोली वाह मेरी नबीला रानी मुझे तो पाक प्रसार व्याख्यान ऐसे दे रही थी और अपने आप को देखा है अपने भाई के लंड और अपनी बहन की योनी और गाण्ड की गर्म गर्म बातें सुनकर तुम भी नीचे झड हो चुकी हो इसका मतलब है तुम्हे अपने भाई का लंड बहुत पसंद है और मैं ज़ुबैदा बात सुनकर ही अपने कमरे में भाग गई और नबीला ने यह बात कहकर फोन काट दिया था। और नबीला की सारी बातें सुनकर मेरा मन तो भटक ही गया था
लेकिन जब मेरी नज़र नीचे अपनी सलवार पै गई तो मेरा लंड तन के फुल खड़ा था और मेरी सलवार भी गीली हुई थी शायद मेरा अपना भी कुछ वीर्य निकल चुका था मैंने समय देखा तो 12 बज चुके थे और पाकिस्तान में 2 बज गए थे। अब अपनी बहन और ज़ुबैदा से सब कुछ जान चुका था और मेरी चिंता खत्म हो चुकी थी लेकिन इन सब बातों के कारण मेरा रिएक्शन यानी मेरे लंड का खड़ा होना और पानी छोड़ना यह मुझे अजीब भी और मजेदार भी लगा । फिर मैं उठ कर नहाया कपड़े बदल दिए और फिर अपने बेड पे लेट गया और सोचते सोचते पता नहीं कब नींद आ गई और सो गया। उस दिन के बाद मुझे और नबीला को फिर इस विषय पे बात करने का मौका न मिला जब भी पाकिस्तान घर में बात होती तो नबीला से भी बस थोड़ी बहुत हाल हवाले पूछ कर बात समाप्त हो जाती थी। मुझे अब नबीला से इस विषय पे बात किए हुए कोई 4 महीने बीत चुके थे। और मुझे पाकिस्तान से वापस सऊदी आए हुए भी लगभग 8 महीने बीत चुके थे समय तेजी से गुजर रहा था मुझे सऊदी में रहते हुए लगभग 8 साल हो चुके थे मैंने बहुत ज्यादा पैसा कमाया था और उसे अपनी और घर की जरूरतों पे खर्च भी किया था और काफी सारा पैसा जमा भी किया था कुछ पाकिस्तान में बैंक में रखा था अब्बा जी के खाते में जो बाद में संयुक्त खाता बन गया था। और कुछ पैसा सऊदी में ही बैंक में जमा किया हुआ था जब से मेरी नबीला से उस विषय पे बातें हुई थी मैंने पक्के तौर पर पाकिस्तान जाने की योजना बनाना शुरू कर दिया था और यह भी प्लान करने लगा था कि पाकिस्तान जाकर अपना व्यवसाय शुरू करूँगा। और ज़ुबैदा और नबीला और बाजी जमीला की समस्या भी घर में रह कर हल कर सकता था। और फिर मैंने काफी सोच विचार के बाद फैसला कर लिया मुझे बाकी 1 साल और कुछ महीने और मेहनत करनी होगी और फिर अपना सारा पैसा लेकर इस बार 2 साल पूरे होने पे हमेशा के लिए सऊदी से वापस अपने देश पाकिस्तान चला जाऊँ जाएगा। इसलिए मैंने अपने बाकी समय में अधिक मेहनत शुरू कर दी और एक बार फिर 14 घंटे टैक्सी चलाने की ड्यूटी देने लगा अब मैं आधा वक्त दिन और आधा वक्त रात को टैक्सी चलाता था। और इस तरह ही मुझे 1 साल पूरा हो गया। और मेरा 1 साल और बाकी सऊदी में रह गया था। एक दिन रात को अपनी टैक्सी में ही बाहर खड़ा एक सवारी का इंतजार कर रहा था लगभग 10: 40 का समय होगा मुझे नबीला के नंबर्स से मिस कॉल आई। मैं थोड़ा परेशान हो गया इतनी रात खैर ही हो कुछ समस्या तो नही हो गई मैंने तुरंत कॉल मिलाई तो नबीला मुझे अभिवादन किया और बोली भाई माफी चाहती हूँ इतनी रात को आप को तंग किया है। दरअसल वो आज ज़ुबैदा फिर अचानक लाहौर चली गई है दोपहर 2 बजे उसकी अम्मी का फोन आया था तो मैं अचानक ज़ुबैदा कमरे के आगे से गुजर रही थी तो मुझे हल्की हल्की ज़ुबैदा की फोन पे बात करने की आवाज़ आ रही थी मैं ने बस यह सुना था केउम्मी आप चिंता न करें कोई भी बहाना बनाकर आ जाऊँगी। आप इसे कहो मेरा स्टेशन पे इंतजार करे और जब तक मैं घर से निकल नहीं आती तो मेरे नंबर पे कॉल ना करे। और फिर फोन बंद हो गया बाहर खड़ी मैं सोचने लगी यह कंजरी फिर किसी चक्कर में ही अपनी माँ के पास जा रही है।
मैंने कमरे में देखा ज़ुबैदा अपने कपड़े बैग में रख रही थी तो कोई 15 मिनट बाद फिर ज़ुबैदा के नंबर पे कॉल आई शायद इस बार किसी और की कॉल थी बाद में पता चला वह उसके दोस्त इमरान की कॉल थी वह उसका मुल्तान स्टेशन पे इंतजार कर रहा था और उसे लाहौर लेने आया था ज़ुबैदा ने थोड़ा गुस्सा करते हुए अपने दोस्त को फोन पे कहा इमरान आप धैर्य नहीं होता मैंने अम्मी को फोन किया था न मुझे तुम फोन न करना जब तक मैं घर से निकल नहीं आती और तुम बाज नहीं आए भाई उसका यार पता नहीं आगे क्या बात कर रहा था। लेकिन ज़ुबैदा ने उससे कहा अच्छा अच्छा ज़्यादा बकवास मत करो ट्रेन में कर लेना। और इंतजार करो में बस 6 बजे तक वहां आ जाऊँगी और ज़ुबैदा ने अपना फोन बंद कर दिया।
वह घर से 5 बजे निकली थी और 7 बजे ट्रेन का समय था मुझे लगता है वो अभी भी वह शायद ट्रेन में ही होगी आप उसे कॉल करो और अपने साथ लो और पूछो कि वह रात के समय में लाहौर के लिए अकेली क्यों निकली है । मैंने कहा नबीला मेरी बात सुनो मेरी यहाँ से क्लास लेने से उसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। उल्टा शायद वह कोई और बकवास करे और मैं गुस्से में आ जाऊंगा तो समस्या हो जाएगी तो उस कंजरी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि उसकी माँ गाँव से सब कुछ छोड़कर लाहौर में रहती है यह भी उसके पास चली जाएगी और उसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन हमारे घर पे बहुत फर्क पड़ेगा । क्योंकि जब दूसरों से अम्मी को बाजी को उसके ससुराल वालों को और परिवार के लोगों को सारी सच्चाई पता चलेगी तो हमारे घर की बदनामी ज्यादा होगी सब यही कहेंगे इतने सालों से ज़ुबैदा और उसकी माँ यह सब कुछ कर रही और क्यों हमने पहले दिन से ही परिवार में किसी को उनकी असलियत नहीं बताई। इसलिए मेरी बहन जोश से नहीं होश से काम लेना है। और वह मेरी पत्नी भी है और सबसे बड़ी बात चाचा की बेटी है। मुझे उसे और उसकी माँ को उनकी ही भाषा में जवाब देना होगा और दोनों माँ बेटी को परिवार के योग्य और ठीक करना होगा। और यह मत भूलो कि साना बेचारी भी परिवार का हिस्सा है। इसका भी सोचना है। ज़ुबैदा ने तो अपनी जवानी में गलत काम किया है लेकिन चाची को उसके भाई तक तो मैं कुछ हद तक सहन कर ही लेता लेकिन वह अपनी बेटी के हमउम्र गैर लड़के को अपना सम्मान लूटा रही है और यह पहले ठीक करना है।
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