RE: Incest Kahani बीबी से प्यारी बहना
शाम को सो कर उठा तो ज़ुबैदा चाय बना कर ले आई और। यहाँ वहाँ की बातें करने लगी और मुझे कहने लगी आप और मैं कुछ दिन लाहौर में अम्मी के पास रह आएँ मैंने कहा ज़ुबैदा अब थोड़े दिन पहले तुम आई हो और अब फिर लाहौर जाने का कह रही हो। मेरी छुट्टी थोड़ी रह गई है मेरे चले जाने के बाद खुद चली जाना और जितने दिन इच्छा हो रह लेना। वह मेरी बात सुनकर चुप हो गई। फिर ऐसे ही कुछ दिन बीत गए नबीला मुझे और मैं नबीला से कतरा रहे थे फिर जब मेरा 1 सप्ताह शेष रह गया तो एक दिन मेरी अम्मी और ज़ुबैदा मेरी मौसी के घर गए हुए थे मौसी का घर दूर नहीं था पास में ही था। और अब्बा जी बाहर किसी काम से गए हुए थे और घर पे शायद मैं और नबीला अकेले ही थे। लेकिन मुझे बाद में पता चला हम दोनों घर में अकेले हैं क्योंकि सुबह अपने कमरे में ही था। फिर लगभग 11 बजे का वक्त था नहाने के लिए अपने अटैच बाथरूम में घुस गया मुझे पता था मेरे कमरे के बाथरूम में मेरे या मेरी पत्नी के अलावा कोई नहीं आता था। इसलिए मैंने दरवाज़ा बंद नहीं किया और बाथरूम में जाकर नहाने लगा। जब मैं ने बाथरूम में प्रवेश करके अपने कपड़े उतार लिए और शावर चला दिया फिर अपने शरीर पे साबुन लगाने लगा जब मैं अपने लंड पे साबुन लगा रहा था तो मेरा लंड खड़ा होने लगा और कुछ देर साबुन लगाने से मेरा लंड तन के खड़ा हो गया और धीरे धीरे मुठ वाले स्टाइल में साबुन लंड पे लगाने लगा मुझे पता ही नहीं चला कि कब नबीला मेरे बाथरूम में आ गई और उसकी सीधी नजर मेरे लंड पै गई तो वह एक बार फिर शर्म से लाल हो गई और दरवाजा बंद करके बाहर से बस इतना ही बोला कि सॉरी भाई मेरा शैम्पू समाप्त हो गया था इसलिए भाभी का लेने के लिए आई थी और यह बोल कर वो चली गई।
मैं भी जल्दी से नहाया और और नहाकर कपड़े पहन कर घर से बाहर निकल गया यह 3सरी बार मेरे और नबीला के बीच हो चुका था। और मुझे तो अब अपने आप पर भी शर्म आने लगी थी हर बार मेरी बहन के साथ ही क्यों हो जाता है वह बेचारी क्या सोचती होगी। मैं सारा दिन बाहर घूम-फिर कर शाम को घर वापस आया और आकर सीधा अपने कमरे में लेट गया। अब तो मेरी पूरी हिम्मत जवाब दे चुकी थी अगर मेरा सामना नबीला से होता है या वह मुझे यह 3 बार की दुर्घटना के बारे में कोई सवाल पूछेगी तो किस मुंह से और क्या जवाब दूंगा। अगले 2 से 3 दिन तक नबीला का सामना नहीं किया और यूं ही दिन बीत गए। वापसी से दो दिन पहले शाम के वक्त छत पे बैठा हुआ था और सऊदी में किसी से फोन पे बात कर रहा था। तो नबीला मेरी चाय लेकर ऊपर आ गई नबीला को देखने में थोड़ा घबरा सा गया क्योंकि मुझे इसका सामना करते हुए शर्म आ रही थी। नबीला आकर खाट पे बैठ गई और चाय मेरी आगे रक्खदी मेंने भी कोई 2 मिनट बात करके कॉल कट कर दिया। फिर नबीला बोली भाई आप अब कब वापस आएंगे। तो मैंने कहा नबीला तुम्हें तो पता है छुट्टी 2 साल बाद ही मिलती है अब 2 साल बाद ही आऊँगा। तो नबीला बोली भाई अब तो हमारे पास खुदा का दिया सब कुछ है तो आप पक्के पक्के वापस पाकिस्तान क्यों नहीं आ जाते और यहां आकर अपना कोई व्यवसाय शुरू कर दें। आपकी यहाँ ज्यादा जरूरत है और अपना घर भी बच जाएगा। मैंने कहा हां नबीला कहती तो तुम ठीक हो लेकिन अब मैं वहां जाकर पैसे जोड़कर पाकिस्तान ही आने की कोशिश करूँगा
मैंने नबीला से कहा मेरा घर कैसे बच जाएगा यह बात तुम क्यों कह रही हो। तो नबीला ने कहा कुछ नहीं वो आपको बताना चाहूंगी। मैंने नबीला को कहा तुमने मुझे कहा था साना की कुछ व्यवस्था कर दो तुम मुझे ज़ुबैदा और चाची के बारे में कुछ बताओगी तुम मुझे अब बताओ भी दो आख़िर समस्या क्या है।
मेरी बात सुनकर वह एकदम लाल लाल हो गई और बोली भाई मैं आपके सामने नहीं बता सकती मेरे अंदर इतनी हिम्मत नहीं है। जब आप वापस सऊदी जाओगे तो यहाँ मेरे सामने नहीं होगे तो मैं आप को सब कुछ फोन पे बता दूंगी। मैंने कहा नबीला तुम मुझसे वादा करो तुम मुझे एकएक बात विस्तार से और सच सच बताओगी तो नबीला बोली भाई आप कैसी बात कर रहे हो तुम्हारे अंदर तो हमारी जान है। मैं तुम्हारे साथ कभी झूठ नहीं बोल सकती। मैं तुम्हें सब कुछ सच सच बताना चाहूंगी। फिर मैंने कहा नबीला तुमसे माफी मांगनी है। तो नबीला तुरंत बोली भाई किस बात की माफी। तो मैंने कहा मुझसे उस दिन बहुत गलत हो गया था जब तुम फर्श धो रही थी और ज़ुबैदा वाली हरकत और बाथरूम वाली हरकत पे मैं तुमसे माफी माँगता हूँ मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। नबीला मेरी बात सुनकर शर्मा के लाल लाल हो गई और चुप कर नीचे चली गई।
फिर वह दो दिन भी बीत गए और मैं वापसी के लिए जब एयरपोर्ट आया तो मुझे ज़ुबैदा और नबीला और अब्बा जी छोड़ने के लिए आए जब मैं अंदर जाने लगा तो मेरे अब्बा जी मुझे गले लगाकर मिले और फिर ज़ुबैदा भी मुझे मिली, लेकिन जो मुझे अजीब और आश्चर्यजनक बात लगी जब नबीला आगे हो कर मुझे गले मिली तो उसका कद मेरे से थोड़ा ही छोटा था तो उसने अपने दोनों हाथ मेरी कमर में डाल कर मुझे जोर की झप्पी डाली मुझे उसके मोटे और नरम नरम मम्मे मुझे अपने सीने पे महसूस किया। और धीरे से मेरे कान में बोला भाई मेरी वापसी वाली बात पे ध्यान देना और फिर नबीला के बारे में ही सोचते सोचते एयरपोर्ट के अंदर चला गया और वापस सऊदी आ गया। मुझे वापस आए कोई 3 महीने से अधिक समय गुजर चुका था और जीवन अपने सामान्य रूप मे चल रही थी मेरी घर भी बात होती रहती थी। लेकिन मेरी नबीला से अब तक ज़ुबैदा और चाची के विषय पे बात ही नहीं हो रही थी। ज्यादातर अब्बा जी और ज़ुबैदा से बात होकर कॉल कट हो जाती थी।
फिर एक दिन रात को लगभग 10 बजे का समय था और पाकिस्तान में 12 का समय था मुझे नबीला के नंबर से कॉल आई। पहले मैं थोड़ा हैरान हुआ आज इतने टाइम नबीला कॉल क्यों कर रही है। मैंने उसकी कॉल कट कर खुद कॉल मिलाई और तो नबीला से अभिवादन किया तो वह मेरा हाल पूछने लगी। वह शायद मेरे से कोई बात करना चाहती थी लेकिन उसे समझ नहीं आ रही थी बात कैसे शुरू करे। फिर मैंने ही थोड़ी देर यहाँ वहाँ की बात करके पूछा कि ज़ुबैदा कैसी है तो वह बोली वह आज लाहौर चली गई है।
मैंने कहा नबीला आज समय मिला है तो मुझे आज ज़ुबैदा और चाची के बारे में बताओ। ताकि मेरे दिल को कुछ आराम हो। फिर नबीला बोली भाई आप से चाचा ने आखिरी बार क्या कहा था। मैं उसे चाचा से हुई बात बता दी। तो नबीला बोली भाई चाचा ने बहुत मुश्किल वक्त देखा है ज़ुबैदा और चाची ने चाचा को आख़िरी वक्त में बहुत यातना दी और बेचारे दुनिया में अपनी पत्नी और बेटी की करतूत की वजह से घुट घुट कर दुनिया से चले गए। मैंने नबीला से पूछा नबीला साफ सॉफ बताओ तुम कहना क्या चाहती हो क्यों घुमा फिरा कर बात कर रही हो। तो नबीला बोली भाई चाची और ज़ुबैदा दोनों ठीक औरतें नही हैं ज़ुबैदा का शादी से पहले ही किसी के साथ चक्कर था और वह उसके साथ शादी से पहले ही सो चुकी है। और चाची का भी नौकर के साथ चक्कर है और वह भी नौकर के साथ सब कुछ करती है जैसे ज़ुबैदा करती है और दोनों माँ बेटी को एक दूसरे का पता है। और चाची के 2 दोस्त हैं जिनके साथ उसका चक्कर है। इसलिए मैंने साना को उस घर से निकाला है ताकि उसका जीवन बर्बाद न हो।
|