Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
10-09-2018, 03:39 PM,
#92
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
स्कूल छुटने के बाद राहुल सीधे अपने घर पर चला गया
क्योंकि वह अपनी मां की बात याद थी उसे बाजार जाना था इसलिए शाम को दोनों साथ में ही बाजार चले गए। पूरी खरीदी हो चुकी थी अलका सामान का थैला लेकर मिठाई की दुकान के बाहर खड़ी होकर राहुल का इंतजार कर रही थी जो कि मिठाई की दुकान में मिठाई खरीद रहा था। 
अलंका कीे ताक में बैठा वीनीत अलका का इंतजार कर रहा था तभी मिठाई की दुकान के आगे से खड़ी देखकर विनीत अंदर ही अंदर बहुत खुश हुआ, वह अलका की खूबसूरती देखकर हैरान हुए जा रहा था क्योंकि दस पंद्रह दिनों में अलका और ज्यादा खूबसूरत हो गई थी। अलका को देखते ही राहुल के लंड में सुरसुराहट होने लगी। वह अलका की तरफ बड़ा ही था कि तभी एका एक मिठाई की दुकान में से मिठाई खरीद कर राहुल निकला और मिठाई की थैली को अलका को थमाने लगा। राहुल को वहां देख कर वह भी अलका के साथ वीनीत तो दंग रह गया । उसके पांव जहां थे वहीं ठीठक गए। विनीत को तो कुछ समझ में ही नहीं आया कि आखिर यह हो क्या रहा है। वह बस आंखें फाड़े अलका और राहुल को देखे जा रहा था अलका राहुल से हंस-हंस के बातें कर रही थी जो कीे विनीत को जरा भी अच्छा नहीं लग रहा था। उसके मन में राहुल और अलका को लेकर के ढेर सारे सवाल पैदा होने लगे उसे समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार राहुल और अलका के बीच संबंध कैसा है दोनों का रिश्ता क्या है? 
यह सवाल विनीत के मन में उठना लाजमी था क्योंकि राहुल का दोस्त होते हुए भी उसने आज तक उसके ना घर गया था ना उसकी मां से ही मिला था। इसलिए अलका को राहुल के साथ देखकर इस समय वह हैरान हो रहा था। वीनीत वहीं खड़ा रहा ,अलका और राहुल अपने रास्ते जाने लगे तो विनीता से रहा नहीं गया वह दोनों के बीच के संबंध को जानना चाहता था इसलिए वह भी उनके पीछे-पीछे नजरें बचाकर जाने लगा। राहुल रह रहकर चलते समय अपनी मां का हाथ पकड़ ले रहा था। जो कि यह बात वीनीत को कांटे की तरह चुभ रही थी। क्योंकि एक तरह से वो अलका को अपनी प्रेमिका समझ बैठा था जिसके साथ इस में अस्पताल में शारीरिक सुख का आनंद ले लिया था इसलिए वह नहीं चाहता था कि अगर किसी गैरों के साथ घूमती फिरे । विनीत दोनों से कुछ दूरी बनाकर उन दोनों के पीछे पीछे जाने लगा। उन दोनों की बातें भी उसे सुनाई दे रही थी ।

विनीत को तो तब झटका लगा जब राहुल के मुंह से वह अलका के लिए मम्मी मम्मी शब्द सुना। उसे अपने कानों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हुआ वह तो जब अलका भी उसे बेटा बेटा करके संबोधित कर रही थी तब उसे यकीन हुआ कि राहुल अलका का ही बेटा है जो कि उसका मित्र भी है। विनीत को तो आप और भी ज्यादा राहुल से जलन होने लगी। क्योंकि उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि राहुल की मम्मी इतनी ज्यादा खूबसूरत और सेक्सी होगी जिसका वह खुद दीवाना हो चुका है। जिसके साथ अस्पताल में एक रात भी गुजार चुका है। दोनों के पीछे जाते-जाते वह चौराहे तक आ गया। जहां से राहुल और अलका अपने घर के लिए मुड़ गए। इतनी गहरी दोस्ती होने के बावजूद भी विनीत आजतक राहुल के घर कभी नहीं गया था इसलिए वह उसका घर भी नहीं देखा था। इसलिए वह राहुल का घर भी देखना चाहता था इसलिए ऊन दोनों के पीछे पीछे लगा रहा है। अलका की भारी-भरकम भटकती हुई गाने को देखकर इस समय भी विनीत की हालत खराब हुए जा रही थी। राहुल के प्रति जलन की भावना के बावजूद अलका की खूबसूरत गांड को देखकर उसका लंड ठुनकी ले रहा था। इसमें वीनीत का बिल्कुल भी दोष नहीं था क्योंकि हालात चाहे कैसे भी हो अलका की खूबसूरती सब पर अपना जादू चला ही देती थी।
धीरे धीरे चलते हुए अलका ओर राहुल का घर भी आ गया । विनीत आज पहली बार अपने दोस्त का घर देख रहा था। घर देखने के बाद विनीत वहां से चला गया लेकिन उसके मन में राहुल के प्रति नफरत होने लगी और अलका को पाने कि उसकी चाहत बढ़ने लगी। 
ऐसे कुछ समझ में भी नहीं आ रहा था एक तरफ तो वह सोचता था कि अलका राहुल की मां है इसलिए कुछ करना ठीक नहीं है क्योंकि अभी तक जो हुआ उसके बारे में राहुल को बिल्कुल भी नहीं पता था अगर कहीं राहुल को कुछ पता चल गया तो वह भी वीनीत के बारे में क्या सोचेगा। लेकिन तभी बार बार उसकी आंखों के सामने अलका का कामुक बदन उसकी खूबसूरती उसकी बड़ी बड़ी चूचियां और उसकी भराव दार गांड नजर आने लगती, और उसकी खूबसूरत चिकनी बुर नजर आती जिसमें वह अपना लंड डालकर उसे चोद रहा था। यह सब ख्याल आते हैं विनीत का दिमाग फिर बदलने लगा। वह किसी भी हालत में अलका को फिर से पाना चाहता था वह उसको फिर से चोदना चाहता था उसकी खूबसूरत रसीली बुर का नमकीन पानी अपने होठों से लगाकर पीना चाहता था। विनीत यह चाहता था कि अलका खुद ऊसकी दीवानी हो जाए। वह यह चाहता था की अलका खुद अपनी बड़ी बड़ी गांड को उसके लंड पर रखकर अपनी बुर में उसका लंड ले और लंड पर उठक बैठक करते हुए चुदवाने का आनंद ले यह सब सोचकर ही ऊसका लंड पूरी तरह से पागल हो चुका था जिसे वह अलका के बारे में सोचकर मुठ मारकर शांतहुआ। 
विनीत मन में ठान लिया था कि चाहे जो भी हो जाए अलका को वह किसी भी कीमत पर पाकर रहेगा चाहे इसके लिए ऊसे कुछ भी करना पड़े। अलका को पाने के लिए वह यह भी भूल जाएगा कि अलका राहुल की मां है उसके परम मित्र की मां। वह राहुल से भी दुश्मनी लेने को पूरी तरह से तैयार हो गया था।

अलका और राहुल दोनों अपने जीवन में आने वाले तूफान से अनजान अपनी ही मस्ती में खोए हुए थे। राहुल अपनी मां के कमरे में एकदम नंगा हो कर के अपनी मां की कपड़े उतार रहा था। और साथ ही उसके बदन को चुंबन से नहला भी रहा था। अलका के लिए अपने बेटे के साथ अपने ही बिस्तर पर बिताए हुए हर एक पल अविस्मरणीय यादगार के रूप में उसके मन मस्तिष्क में बसता चला जा रहा था। जो आनंद कुछ नहीं ना से उसका बेटा उसे दे रहा था वह आनंद उसके लिए अतुल्य था वह मन में कभी कभी सोचती भी थी कि अगर राहुल के साथ उसके शारीरिक संबंध स्थापित नहीं होते तो वह इसे सूखे के लिए सारी जिंदगी तड़पती रह जाती और उसे ऐसा अद्भुत आनंद से भरा हुआ सुख कभी भी हासिल नहीं हो पाता। राहुल के लिए भी यह पल अविस्मरणीय था। राहुल एक-एक करके अपनी मां के खूबसूरत बदन पर से उसके लिबास को हटा रहा था। और कुछ ही देर में उसके बदन पर से अंतिम वस्त्र के रूप में उसकी पैंटी को भी उसकी चिकनी जानवरों से होते हुए उसकी गोरी टांग में से निकाल कर नीचे फर्श पर फेंक दिया। इस समय राहुल और अलका दोनों निर्वस्त्र अवस्था में एक दूसरे के बदन से चिपके हुए चुम्मा-चाटी कर रहे थे राहुल का टनटनाया हुआ लंड अलका की जांघों के बीच रगड़ खा रहा था। जिस की रगड़ को अपनी बुर के इर्द-गिर्द महसूस करके अलका चुदवासी हुए जा रही थी और खुद ही अपना एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर और अपने बेटे के लंड को पकड़ कर अपनी बुर की फांको के बीच रगड़ कर मस्त हुए जा रही थी। 

ससससससहहहहहह.... बहुत ही गर्म लंड है रे तेरा...आहहहहहहहह.... बस अब बिल्कुल भी देर मत कर डाल दे मेरी बुर में तेरा लंड...

अलका अपने बेटे के लंड की गर्मी महसूस करके बदहवास हुए जा रही थी। और खुद ही अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठा कर ल़ंड को अपनी बुर में डालने की नाकाम कोशिश कर रही थी। अपनी मां के उतावलेपन को देखकर राहुल से भी रहा नहीं गया और उसने तुरंत अपने खड़े लंड को अपनी मां की बुर में उतारना शुरू कर दिया। राहुल बहुत ही तीव्र गति से अपनी मां की चुदाई कर रहा था और अलका लगातार सिसकारी लेते हुए मजे ले रही थी। राहुल हर आसन का प्रयोग करके अपनी मां को भोग रहा था लेकिन जैसे ही वह अपनी मां को पीछे से चोदने के लिए अलका को घुटने और पैर के बल झुकाया तो उसकी नजर अलका के भूरे रंग के उस छेंद पर चली गई। ऊस कामुक छोटे से छेद को देखकर राहुल का मन बदल गया, उसे वह पल याद आ गया जब उसने विनीत की भाभी के कहने पर उसकी गांड मारा था गांड मारने का अनुभव राहुल को बड़ा ही बेहतरीन लगा था लेकिन उसके बाद से उसे गांड मारने का सुख हासिल नहीं हो सका । इसलिए इस समय वह अपनी मां की गांड के भूरे रंग के छेद को देख कर उसकी वही सोई हुई इच्छा फिर से जाग गई। और राहुल ने खुद थोड़ा सा थुक लगाकर उस छेद को गीला करने लगा। गिला करने के बाद जैसे ही उसने अपने लंड के सुपाड़े को उस भूरे रंग के छेंद पर टिकाया ही था की अलका को आभास हो गया की उसका बेटा कुछ अलग करने जा रहा है, वह तुरंत झुके हुए ही अपनी नजरें पीछे करके राहुल की तरफ देखिए और उसे ऐसा ना करने के लिए कहने लगी।

नहीं बेटा ऐसा मत करो मैंने आज तक ऐसा कभी नहीं करवाई मुझे तो ऐसा मालूम भी नहीं है कि उस जगह पर करवाया भी ज्यादा है कि नहीं। तू तो देख ही रहा है कि उसका अच्छे अभी कितना छोटा है और तेरा लंड का सुपाड़ा ही इतना मोटा है कि अंदर जाएगा ही नहीं अभी नहीं बेटा।

बस मम्मी एक बार एक बार थोड़ा ट्राई तो करने दो।

नहीं राहुल बिल्कुल भी नहीं तुझे मेरी कसम आज ऐसा मत कर किसी दिन मौका देखकर जरूर तेरा लंड अपनी गांड में लूंगी। 
( एक बार राहुल अपनी मां की बात मान गया और एक छोटे से छेद में लंड ना डाल कर उसकी रसीली मदन रस से टपकती हुई बुर में डाल कर चोदना शुरू कर दिया और कुछ मिनटों बाद दोनों गरम आहें भरते हुए झड़ गए। ) 

दूसरे दिन स्कूल में नीलू राहुल से बात करने के लिए मौके की तलाश करने लगी लेकिन विनीत के होते हुए उसे मौका हाथ नहीं लगा। नीलू राहुल को दिलों जान से चाहने लगी थी इसलिए उसके बगैर एक पल भी काटना उसके लिए मुश्किल हो जाता था। राहुल से मिलकर उसे राहत मिलती थी लेकिन जब से वीनीत वापस आया था वह ठीक से राहुल से मिल भी नहीं पाई थी। इसलिए जब भी थोड़ा सा भी समय मिलता है तो दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़कर मुस्कुरा लेते थे। नीलू भी विनीता से कन्नी काटने लगी थी वह भी मौके की तलाश में थी कि जब भी उसे मौका मिलेगा तो वह वीनीत से सारे रिश्ते तोड़ देंगी क्योंकि राहुल के मिल जाने से वह वीनीत कोई भी रिश्ता आगे नहीं बढ़ाना चाहती थी। वह भी बस मौका ही ढूंढ रही थी विनीत से मिलकर वह सब कुछ क्लियर कर लेना चाहती थी। वैसे उसके लिए खुशी की बात आज यह थी कि उसके पापा बिजनेस टूर को पूरा करके महीनो बाद आज घर लौट रहे थे। नीलू उसके पापा की चहिती थी। नीलू भी अपने पापा से बहुत प्यार करती थी उसके पापा ने भी उसकी हर जिद पूरी की थी उसकी हर ख्वाहिशों का ख्याल रखा था इसलिए वह घर पर अपने पापा के आने का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रही थी क्योंकि आज वह अपने पापा से राहुल के बारे में बात करना चाहती थी। और उसे यकीन भी था कि उसके पापा उसकी यह ख्वाहिश भी जरुर पूरी करेंगे क्योंकि अपने पापा की वह ईकलौती संतान थी। धन-दौलत की कोई भी कमी नहीं थी। सब कुछ उसके पास था बस वह अब राहुल को पाना चाहती थी यही बात वह राहुल से करना चाहती थी लेकिन विनीत की मौजूदगी में वह राहुल से कुछ भी कह नहीं पाई।
विनीत राहुल से मिला जरूर लेकिन उसकी आंखों में आज राहुल खटक रहा था। राहुल से जलन सी होने लगी थी क्योंकि जिस तरह से वह अलका का हाथ पकड़कर रास्ते पर चला जा रहा था और जिस तरह से हंस हंस कर दोनों बातें कर रहे थे यह सब वीनीत से देखा नहीं जा रहा था। राहुल को क्या पता था कि विनीत के मन में क्या चल रहा है। राहुल तो उसे हंस कर बातें कर रहा था लेकिन विनीत ही कुछ खींचा खींचा सा लग रहा था। स्कूल से छूटने के बाद राहुल घर चला आया। 
अलका शाम को ऑफिस से छूटने के बाद बहुत खुश नजर आ रही थी उसे अब हमेशा घर पर पहुंचने के बहुत जल्दी पड़ी रहती थी। इसलिए मैं ऑफिस से बाहर निकलते ही जल्दी-जल्दी घर की तरफ जाने लगी उसके चेहरे पर हमेशा मुस्कुराहट रहती थी उसके चेहरे पर खूबसूरती की लालिमा साफ साफ नजर आती थी। 
अलका आने वाली मुसीबत से बिल्कुल अनजान थी क्योंकि बाजार में विनीत ऊसका इंतजार कर रहा था। अलका मन में रोमांटिक गीत गुनगुनाते हुए पैदल चली जा रही थी। वह मिठाई की दुकान से आज फिर से रसमलाई खरीदना चाहती थी क्योंकि जिस तरह से राहुल ने पिछली रात को रसमलाई का सही उपयोग करते हुए उसकी बुर की चटाई किया था ऊस आनंद के वशीभूत होकर के आज अलका फिर से वही चाहती थी कि उसका बेटा फिर से रात को रस मलाई के रस को उसकी बुर टपकाते हुए अच्छे से उसकी बुर की चटाई करें, यही सोचकर वह बाजार में पहुंचते ही मिठाई की दुकान पर चली गई और वहां से रसमलाई पर करवा कर जैसे ही दुकान पर बाहर निकली , अपने ठीक सामने विनीत को देखकर उसका पूरा वजूद कांप गया
पंकज तू विनीत को पूरी तरह से भूल चुकी थी कुछ दिनों में राहुल ने ढेर सारा प्यार देकर उसे सारी दर्द देने वाली बातों को भुलवा चुका था। उसे ना तो विनीत ही याद रहा और ना ही ऊससे लिए गए पैसे और ना ही उसके साथ अस्पताल में बिताया वह पल याद रहा जिसे याद करके वह अपने आपको ही कोसती रहती थी। सारी भुली बाते वीनीत को देखते ही एक बार फिर से याद आ गई। अलका की तो सांसे ही अटक गई थी। ऊसमें इतनी भी हिम्मत नहीं थी कि अपने कदम आगे बढ़ा सकें। तब तक विनीत उसके बिल्कुल करीब आ गया चेहरे पर कामुक मुस्कान लिए वह अलका से बोला।

वाह आंटी वाह आप तो अब बहुत ज्यादा खूबसूरत लगने लगी हो। आपकी खूबसूरती का राज तो बता दो।
( अलका उस की ऐसी बात सुनकर हैरान नहीं हुई क्योंकि वह जानती थी कि अस्पताल में किस तरह का दोनों के बीच वाक्या हो चुका था उससे विनीत के द्वारा ऐसी ही बातों की उम्मीद की जा सकती थी। विनीत की ऐसी बात सुनकर अलका को बहुत गुस्सा आया लेकिन कर भी क्या सकती थी इसलिए वह सिर्फ इतना ही बोली।)

इस तनख्वाह पर मैं तुम्हारे पूरे पैसे लौटा दूंगी।( इतना कहकर वह आगे बढ़ने लगी तो उसके पीछे पीछे विनीत चलते हुए बोला।) 

मैं पैसे मांगने नहीं आया हूं आंटी मैं तो बस आप से बात करने आया हूं। 

मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी है रही बात पैसो की तो ईस तनख्वाह को मैं तुम्हें पूरे पैसे लौटा दूंगी और मुझसे यूं मिलने की कोशिश बिल्कुल भी मत करना। 

मैं कह तो रहा हूं आंटी के मुझे पैसे नहीं चाहिए। ( वह अलका के पीछे पीछे जाते हुए बोला। इस बार गुस्से में अलका वही फुटपाथ पर रुक गई और उसकी तरफ गुस्से में देखते हुए बोली।) 

पैसे नहीं चाहिए !क्यों नहीं चाहिए पैसे आखिर तुमने मुझे उतार दिए हैं उसे लौटाना मेरा फर्ज है और मैं तुम्हें जरूर लौटाऊंगी। 
( यहां सड़क पर लोगों का आना जाना कम था जो भी जा रहे थे वह लोग अपने अपने वाहन से निकल जा रहे थे फुटपाथ पर सिर्फ वीनीत और अलका ही थे इसलिए मौका देखकर वीनीत बोला। ) 

मैं तुमसे एक भी पैसा नहीं लूंगा आंटी और जो पैसे मैंने तुम्हें दाया हूं उसे लौटाने की भी जरूरत नहीं है । हां उसके बदले में आप मुझे....( इतना कहकर विनीत इधर उधर नज़र घुमाकर देखने लगा की कहीं कोई सुन तो नहीं रहा है। और अलका विनीत की बात को समझ नहीं पा रही थी इसलिए बोली।) 

बदले में क्या? ......

उन पैसों के बदले में आंटी मैं आपको..... मैं आपको....
चचचच.... चोदना चाहता हूं।( विनीत इससे पहले इतना गंदा लड़का कभी भी नहीं था लेकिन उसके सर पर वासना सवार हो गई थी वह अलका की खूबसूरती को अलका को पाना चाहता था उसे किसी भी कीमत पर भोगना चाहता था। जबकि वह जानता था की अलका उसकी मां की उम्र की है और उसके दोस्त की मां भी है।
लेकिन जब एक बार वासना का भूत सर पर सवार होता है तो अपनी मनमानी कर के ही छोड़ता है। वही हाल विनीत का भी था अलका के मदमस्त बदन ने उसके दिमाग पर अपना पूरी तरह से कब्जा बना चुका था। जिसके असर से निकल पाना विनीत के लिए बहुत ही मुश्किल था वह अलका को किसी भी कीमत पर भोगना ही चाहता था। विनीत के मुंह से अपने लिए इतने गंदे शब्द और इसकी इच्छा जानकर अलका को इतना गुस्सा आया कि उसने विनीत के गाल पर थप्पड़ मारने के लिए अपने हाथ उठा दि।) 

हरामजादे तेरी इतनी हिम्मत( इतना कहकर जैसे ही अलका ने विनीत को मारने के लिए जैसे ही हाथ उठाए विनीत झट से उसकी कलाई को थाम लिया। और इतने गंदे शब्दों में उसे बोला कि वह अंदर ही अंदर शर्मिंदा हो गई वह डर के मारे उसका बदन कांप गया। वह अलका की कलाई पकड़ते हुए बोला।) 

हाय जानेमन नाजुक हाथ मेरे गाल पर थप्पड़ मारने के लिए नहीं बल्कि मेरे लंड को हिलाने के लिए है।
( अलका को उम्मीद नहीं थी कि विनीत ईतने गंदे शब्दों का प्रयोग करेगा। वह अभी भी अलका की तलाई को अपनी मुट्ठी में दबोचे हुए था जिसे अलका छुड़ाने की पूरी कोशिश कर रही थी। लेकिन वीनीत उसकी कलाई को छोड़ नहीं रहा था।) 

वीनीत तुझसे मुझे ऐसी उम्मीद नहीं थी मैं तेरी मां की उम्र की बराबर है फिर भी तू मुझसे ऐसी चाहत रखता है तुझे शर्म आनी चाहिए। ( वह विनीत के हाथों से अपनी कलाई को छुड़ाने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली।) 

अच्छा मुझे शर्म आनी चाहिए और मेरी रानी अस्पताल में जो तुमने मुझसे चुदवा चुदवा कर मजा लि तब शर्म नहीं आ रही थी। उस समय तो अपनी उम्र का तुझे बिल्कुल भी ख्याल नही आया। और अब कहती है कि मैं तेरी मां की उम्र के बराबर हूं। देख मेरी रानी तुझे चोदने के बाद जो सुख जो आने में मुझे मिला वह आज तक किसी और औरत को चोदने के बाद भी नहीं मिला। इसलिए मैं तुझे फिर से चोदना चाहता हूं। बदले में मैं तेरा सारा कर्जा माफ कर दूंगा और ऊपर से तुझे पैसे भी दूंगा। ( इतनी गंदी बात अपने बारे में सुनकर अलका की आंखों में आंसू आ गए। वह सोच भी नहीं सकती थी कि उसकी जिंदगी में ऐसा भी दिन आएगा। वीनीत उसकी कलाई को छोड़ते हुए बोला।) 

तुझे सोचने का मैं पूरा वक्त देता हूं ठीक तरह से मान जा वरना मुझे दूसरे तरीके भी आते हैं।( इतना कहकर विनीत वहां से चला गया। विनीत की धमकी और उसके इरादे के बारे में जानकार अलका की हालत बिल्कुल खराब हो गई थी। उसकी आंखों से आंसू छलक रहे थे कोई देख ना ले इसलिए वह अपनी ही साड़ी से अपने आंसू पोंछते हुए धीरे-धीरे अपने घर की तरफ जाने लगी । ) 

दूसरी तरफ नीलू बहुत खुश थी क्योंकि बिजनेस टूर पर लौटकर उसके पापा घर पर आ चुके थे और उसके लिए ढेर सारे गिफ्ट और कपड़े भी लेकर आए थे जिन्हें वह बारी-बारी से देख कर खुश हो रही थी। वह अपने पापा से राहुल के बारे में बात करना चाहती थी लेकिन उसे अभी यह समय ठीक नहीं लगा वह सोच रही थी कि खाते समय वह अपने पापा से जरूर राहुल के बारे में बात करेगी उसकी मम्मी भी खुश थी। 
डिनर करने नहीं अभी अभी कुछ समय बाकी था नीलू अपने पापा से इधर उधर की बातें कर रही थी कि तभी अचानक नीलू के पापा के सीने में जोऱों का दर्द ऊभरने लगा। पलभर में ही नीलू के पापा का पूरा शरीर पसीने में भीग गया नीलू तो एकदम घबरा गई नीलू की मम्मी ने तुरंत एंबुलेंस को फोन कर दी। एंबुलेंस को आते ही तुरंत नीलू के पापा को अस्पताल पहुंचाया गया। 
नीलू की मम्मी ने विनीत को भी फोन करके अस्पताल में बुला ली। 
सभी लोग की नजर बंद दरवाजे पर ही टिकी हुई थी। करीब 1 घंटे बाद अंदर से डॉक्टर बाहर आया और उसने बताया कि उनको दिल का दौरा पड़ा था। यह सुनकर नीलू के साथ-साथ सभी लोग घबरा गए डॉक्टर ने बताया कि उनके सामने कुछ भी ऐसी बातें ना की जाए जिससे उनको दुख हो। वरना अगर ऐसा होगा तो इस बार फिर मुश्किल है वहां कुछ ही देर में होने होता जाएगा तब आप एक-एक करके उनसे मिल सकते हैं।
इतना कहकर डॉक्टर चला गया नीलू की आंखों से तो आंसू थम नहीं रहे थे। कुछ देर बाद नीलु के पापा को होश आया तो नीलू और उसकी मम्मी अपने पापा से मिलने कमरे में गई। डॉक्टर ने ज्यादा बोलने के लिए मना किया था इसलिए उन्होंने खुद बताया कि उनकी तबीयत अब ठीक है और बात ही बात में नीलू की मम्मी से वह विनीत के भैया और भाभी को भी बुलाने को कह दिया।
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RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो - by sexstories - 10-09-2018, 03:39 PM

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