Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
10-09-2018, 03:37 PM,
#84
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
छुट्टी का दिन आते ही राहुल का रोम रोम पुलकित होने लगा क्योंकि उसे मालूम था कि आज सारा दिन उसे नीलू की नंगी बाहों में गुजारना है। उसकी कोमल बूर की
मादक गंध को अपने बदन में उतारकर उत्तेजित होकर उसे जी भरकर चोदना है यह सब सोचकर ही राहुल मस्त हुए जा रहा था उसके लंड का तनाव पैंट में बढ़ने लगा था । वह अपने लंड के बढ़ते हुए आकार को पेंट के ऊपर से ही मसनते हुए रसोईघर में गया और फिर दरवाजे पर ही खड़ा होकर अपनी मां का पिछवाड़ा घूरने लगा। गोल-गोल भरावदार पिछवाड़ा देवकर राहुल से बिल्कुल भी सब्र करना मुश्किल होने लगा। वैसे भी सुबह से ही नीलू का ख्याल करते करते उसके बदन में उत्तेजना रह-रहकर बढ़ती जा रही थी वह एकदम से चुदवासा हो चुका था और इस समय उसे बुर की जरूरत थी जिसमें वह अपना लंड डालकर शांत हो सके। वैसे भी सारी रात अलका ने उसे सोने नहीं दि थी, रात भर चुदाई का खेल जोरों शोर पर चलता रहा कभी राहुल ऊपर तो कभी आलका उपर कभी झुक कर तो कभी घोड़ी बनकर सारे संभोग के आसन वह रात को आजमा चुके थे। लेकिन फिर भी यह बदन की प्यास एेसी थी की बुझाने से भी नहीं बुझ रही थी। राहुल से रहा नहीं गया और वह पीछे से जाकर अपने तने हुए लंड को अपनी मां की भरावदार नितंबों से सटाते हुए उसे पीछे से अपनी बाहों में भर लिया तने हुए लंड का स्पर्श अपने भारी नितंबों पर होते ही हल्का उचक ते हुए बोली। 

छोड़ मुझे छोड़ पागल हो गया है क्या तू देख नहीं रहा है कि सोनू भी यहीं बैठा हुआ है। ( अपनी मां की बात सुनते ही उसका ध्यान सोनु पर गया तो वह भी हड बढ़ाते हुए सोनू की तरफ देखने लगा जोकि रसोईघर के बाहर बैठकर पढ़ाई कर रहा थ

राहुल सोनू को देखते ही तुरंत अपनी बाहों के घेरे से अपनी मां को आजाद करते हुए दूर खड़ा हो गया।
अलका यह देख कर मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए सब्जी चलाने लगी और सब्जी चलाते हुए बोली।

रात भर मेरे अंदर डाल कर मेरे ऊपर चढ़ा रहा और फिर भी तुझे अभी नशा चढ़ा है।

क्या करूं मम्मी तुम्हारा पिछवाड़ा देख कर मुझसे रहा है जाता न जाने मुझे क्या होने लगता है । देखो तो सही(लंड की तरफ ईशारा करते हुए) मेरी हालत कैसे हुए जा रही है। मुझसे इस समय सब्र करना नामुमकिन सा हूआ जा रहा है। 

हां वह तो दिख ही रहा है तेरा तो यही हाल रहता है न जाने मुझ में क्या देख लेता है कि तु अपना सब्र खो बैठता है।

मम्मी ये तुम्हारी भरावदार बड़ी-बड़ी गांड, जिसे देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है और फिर तुम्हारी रसीली बुर मे लंड डालके चोदने की तड़प बढ़ जाती है। 


तेरी बातों से तो मेरा भी मन बहकने लगा है। ( सब्जी में मसाला डालते हुए)

तभी तो कह रहा हूं कुछ करो ना ताकी हम दोनों का काम बन जाए।

क्या करूं कैसे करूं सोनू सामने बैठा है उसे कहीं जाने के लिए भी नहीं कह सकती क्योंकि उसने पहले ही कह दिया है कि मैं पढ़ाई कर रहा हूं और मुझे कहीं भी कुछ लेने भेजना नहीं। वरना मसाला लेने ही भेज देती। 


तो फिर कैसे होगा मम्मी (राहुल के लं का तनाव बढ़ता ही जा रहा था।) 

मन तो मेरा भी बहुत करने लगा है। रुक जा कोई उपाय ढुंड़ती हुं । ( वह सब्जी चलाते-चलाते उपाय ढूंढने लगी तभी उसके चेहरे पर एक चमक आई और वह रसोई घर के दरवाजे की तरफ कदम बढ़ाते हुए बोली। ) 

बेटा उस दिन की तरह आज भी दरवाजा ठीक से बंद नहीं हो रहा है।( दरवाजे को बंद करते हुए) ले फिर से इसे ठीक कर तो( राहुल की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए आंख मारी) मैं तो इस दरवाजे से तंग आ गई हूं। 
( राहुल अपनी मां का इशारा पूरी तरह से समझ गया था, उस दिन की तरह आज भी सोनू के सामने दरवाजे का बहाना बनाकर अपनी प्यास बुझाने का पूरा जुगाड़ बना चुकी थी। राहुल खुशी से अपनी मां को बाहों में भरते हुए बोला।)

ओहह मम्मी तुम बहुत अच्छी हो बड़ी शातिर की तरह तुम्हारा दिमाग चलता है। 

( अलका भी राहुल को अपनी बाहों में कसते हुए बोली)

चल अब बिल्कुल भी देर मत कर समय बहुत कम है। 
( रसोई घर का दरवाजा अलका ने एक बहाने से बंद कर दी थी ताकि सोनू को यही लगेगी दरवाजे में प्रॉब्लम की वजह से बंद किया हुआ है। अलका का रोमांच बढ़ता जा रहा था क्योंकि आज पहली बार वह इस तरह से संभोग सुख का आनंद उठाने जा रही थी उसके बड़े लड़के और छोटे लड़के के बीच में बस यह दरवाजा ही था। अलका भी इस रोमांच के चलते की रसोई घर में वह अपने बड़े बेटे से चुदने जा रही हे जबकि उसका छोटा बेटा रसोई घर के बाहर बैठ कर पढ़ रहा है। इतना सोच कर ही वह रोमांचित हुए जा रही थी । राहुल के साथ-साथ अलका भी पूरी तरह से चुदवासी हो चुकी थी। तभी अलका अपने दोनों हाथ से साड़ी को कमर तक उठा दी और गांड को उचकाते हुए थोड़ा झुक कर दरवाजे के हत्थे को पकड़ते हुए बोली । 

बेटा पहले दरवाजे की सिटकनी को ( पेंटी की तरफ इशारा करते हुए )थोड़ा नीचे की तरफ सरका के ठीक से देख ले ताकि कुंडी बराबर अंदर जा सके। 
( मम्मी की बात सुनते ही मैं दंग रह गया क्योंकि मम्मी द्वीअर्थी भाषा मैं बात कर रही थी। उनकीे बातों के मतलब को राहुल अच्छी तरह से समझ गया था। अलका अपनी पैंटी को नीचे सरकाने की बात कर रही थी। जोकि दरवाजे के उस पार बैठे सोनू को ऐसा ही लग रहा था कि ऊसकी मम्मी दरवाजे को रिपेयर करने की बात कर रही है। अलका का कामी दिमाग बहुत ही गजब का काम कर रहा था। राहुल अपनी मां के इस अदा को देखते ही उत्तेजना से भर गया उसकी मां इस समय साड़ी को कमर पर उठाए दरवाजे के हेंडल को पकड़ कर झुकी हुई थी। जिससे उसके भरावदार नितंब राहुल की आंखों के सामने नग्न नाच करते नजर आ रहे थे गुलाबी रंग की पैंटी उसके गोरे-गोरे गांड पर बहुत ही खूबसूरत फब रही थी। राहुल के लंड में खून का दौरा इतनी तीव्र गति से हो रहा था कि उसे ऐसा लग रहा था कहीं यह लंड की नसें फट ना जाए। राहुल धीरे से अपने हाथ को बढ़ाकर अपनी मां की गुलाबी पेंटी के दोनों छोर को उंगलियों में फंसा लिया और धीरे-धीरे पेंटी को नीचे सरकाने लगा। उसकी मां पीछे निचले को माफ कर राहुल की हरकतों पर नजर रखी हुई थी। अलका की भी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी। अगले ही पल राहुल ने अपनी मां की गुलाबी पेंटी को सरका कर नीचे जांघो तक ला दिया। अब उसकी आंखों के सामने उसकी मां की बड़ी-बड़ी भरावदार गांड एकदम नंगी थी
और गांड की फांको के बीच की लकीर के नीचले हीस्से से उसकी फुलीी हुई रसीली बुर झांक रही थी। जिसे देखते ही राहुल का लंड मोर बनकर नाचते हुए ठुनकी लेने लगा। राहुल से रहा नहीं गया और वह अपने दोनों हथेलियों को गांड पर रखकर मसलने लगा। अलका जल्दबाजी में थी इसलिए रह-रहकर वह दरवाजे की कुंडी को दरवाजे पर पीटते हुए बोलती।

ठीक है बेटा ठीक से देख कुंडी बराबर लग नहीं रही है। ( ताकि बाहर बैठा सोनू यही समझे की दोनों मिलकर दरवाजे की रिपेयरिंग कर रहे हैं। राहुल ने तुरंत अपने पैंट की बटन खोल कर उसे नीचे घुटने तक सरका दिया
अलका गहरी सांसे लेते हुए पीछे नजरे घुमाकर राहुल को ही देख रही थी उसे इंतजार था कि कब उसका मोटा लंड उसकी बुर में समा जाए। राहुल अपनी मां के नितंबों को पकड़े हुए ठीक उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया बुर की गुलाबी छेद की पोजीशन लंड के बराबर आ नहीं रही थी इसलिए वह नितंबों को पकड़े हुए ही बोला।

मम्मी थोड़ा दरवाजे को मेरी तरफ खींचो ताकि दरवाजे में कुंडी ठीक से लग जाए। ( राहुल की बात सुनते ही अलका अपनी भारी भरकम गांड को थोड़ा और उचकाते हुए बोली।) 

ले बेटा मुझसे अभी से ज्यादा नहीं हो पाएगा तो ही अपने हाथ से एडजस्ट कर ले। 
( अपनी मां की बात सुन कर रहुल खुद ही भरावदार गांड को पकड़कर अपने लंड के स्तर तक ले आया और गर्म सुपाड़े को बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच सटा कर बोला। ) 

मम्मी अब मैं थोड़ा धक्का दूंगा देखना तुम हैंडल पकड़ कर रखना ऐसा ना हो की कुंडी छटक जाए वरना सारा मेहनत बेकार जाएगा। 

तू चिंता मत कर बेटा तू धक्का लगा मैं संभाल लूंगी( अलका कसमसाते हुए बोली। और राहुल अपनी मां की भरावदार गांड को हथेलियों में कसके दबोचे हुए अपनी कमर को आगे की तरफ बढ़ाने लगा और उसका लंड बुर की चिकनाहट पाकर धीरे धीरे अंदर की तरफ सरकने लगा जैसे जैसे राहुल के लंड का सुपाड़ा बुर के अंदर उतर रहा था अलका के मुंह से वैसे-वैसे सिसकारी छूट रही थी । अलका बार-बार कुंडी को दरवाजे पर पटकती दरवाजे पर अपनी हथेली ठोकती ताकि सोनू को यही लगे की रसोई घर के भीतर कुछ और नहीं चल रहा है बल्कि दरवाजे की रिपेयरिंग हो रही है। 
धीरे धीरे करके राहुल ने अपना समूचा लंड अपनी मां की बुर में डाल दिया और कमर को थामे हुए धीरे-धीरे लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में अलका की सिसकारी छूटने लगी लेकिन यह सिसकारी की आवाज बाहर बैठा सोनू ना सुन न ले इसलिए अपने होंठ को दांतों तले जोर से दबाते हुए अपनी उत्तेजना को दबाने की पूरी कोशिश करने लगी। राहुल धड़ाधड़ अपने लंड को बुर के अंदर बाहर करते हुए चोद रहा था। और अलका बीच-बीच में दरवाजे को रोकते हुए बोले जा रहीे थी।

हां हां बस ऐसे ही हां बेटा बस ऐसे ही थोड़ा जोर से ठोक तो बराबर जाएगा हां बस ऐसे ही थोड़ा पकड़ दरवाजे को हां बस ऐसे ही अब अच्छे से ठोक आज इसका काम तमाम कर दे मैं तो इस दरवाजे से तंग आ गई हूं बार-बार रिपेयरिंग की जरूरत पड़ती है । 

हां मम्मी बस तुम ही सही दरवाजे को पकड़कर खड़ी रहो आज एकदम से ठीक कर देता हूं( जोर जोर से धक्के लगाते हुए) ऐसे ही ठोकु ना मम्मी। 

हां बेटा बस ऐसे ही, देख दरवाजे की कड़ी बराबर जा रही है हां ऐसे दो चार बार और कर लगता है एकदम ठीक हो जाएगा। 

दोनों के द्वीअर्थी संवाद की वजह से माहौल और भी ज्यादा गरमा चुका था आज दोनों अपने अपने बदन में एक नई उत्तेजना का एहसास कर रहे थे। जबरदस्त माहौल बना हुआ था रसोई घर में बड़ा बेटा अपनी मां की जमकर चुदाई कर रहा था और छोटा बेटा कैसे घर के बाहर बैठ कर पढ़ रहा था। राहुल की उत्तेजना पल-पल बढ़ती जा रही थी उसे और ज्यादा नशा चढ़ने लगता जब अलका की मोटी मोटी जांघें उसकी जांघों से टकराती, ऊफ्फ गजब का नशा चढ़ जाता । धीरे-धीरे दोनों अपने चरमोत्कर्ष की तरफ बढ़ने लगे अलका कि सिशकारी बढ़ रही थी लेकिन वह दांतों को भींच कर दबा ले रही थी। राहुल के धक्के तेज होने लगे।

बस बेटा बस लगता है आज ठीक हो जाएगा। हां बस ऐसे ही दो चार धक्के और लगा कड़ी जा रही है बराबर बस बेटा बस, अलका का बदन एंठने लगा साथ ही राहुल की भी सांसे तेज चलने लगी और दो चार धक्कों में ही दोनों एक साथ झड़ गए। दोनों बड़ी तेजी से हांफ रहे थे। थोड़ी देर में जब दोनों की सांसे दुरुस्त हुई तो राहुल ने अपनी मां की बूर से लंड को बाहर खींच लिया
और अपने कपड़ों को भी दुरुस्त करने लगे। अलका अपनी पेंटिं को कमर पर चढ़ाते हुए बोली।
अब देख इसकी कड़ी बिल्कुल सटीक अंदर बाहर हो रही है अब बराबर हो गया है। ( यह बात वह सोनू को सुनाने के लिए बोली थी थोड़ी देर में वहां रसोई घर का दरवाजा खोल दी दोनों बिल्कुल सामान्य नजर आ रहे थे वह दोनों को देखते ही सोनू बोला।) 

मम्मी दरवाजा ठीक हो गया।

हां बेटा अब दरवाजा बिल्कुल ठीक हो गया है (इतना कहने के साथ ही अलका राहुल की तरफ देख कर मुस्कुराने लगी)
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RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो - by sexstories - 10-09-2018, 03:37 PM

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