Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
10-09-2018, 03:33 PM,
#59
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
राहुल भी अपनी मां की अदाओं को देखकर एकदम ज्यादा उत्तेजित हो चुका था इतना ज्यादा उत्तेजित कि उसे डर था कि कहीं उसके लंड का लावा फूट ना पड़े।
लंड की नसों में खून का दौरा दुगनी गति से दौड़ रहा था। उसका लंड इतना ज्यादा टाइट हो चुका था कि टॉवल के दोनों छोर को जहां से बांधा हुआ था। लंड के तगड़ेपन की वजह से टॉवल का वह छोर हट गया था या युं कह सकते हैं कि लंड टॉवल फाड़कर बाहर आ गया था। अपनी मां को देखकर राहुल की सांसे बड़ी ही तीव्र गति से चलने लगी थी। वह एक टक अपनी मां को देखे ही जा रहा था अलका के अंदर ना जाने कैसी मदहोसी आ गई थी कि वह पानी में भीगते हुए लगभग नाच रही थी। अलका के बदन में चुदासपन का उन्माद चढ़ा हुआ था। उत्तेजना और उन्माद की वजह से उस की चिकनी बुर पूरी तरह से फुल चुकी थी। वह भीगने में मस्त थी। और राहुल उसे देखने में मस्त था। टॉवल से बाहर झांक रहे लंड को वापस छुपाने की बिल्कुल भी दरकार नहीं ले रहा था बल्कि वह तो यही चाहता था कि
उसकी मां की नजर के नंगे लंड पर पड़े और उसे देख कर दोनों बहक जाएं। और यही हुआ भी बारिश में भीगते भीगते अलका की नजर अपने बेटे के टावल में से झांक रहे मोटे तगड़े लंड पर पड़ी ओर उसकी मोटाई देख कर अलका की बुर फुलने पिचकने लगी। उसके बदन में झनझनाहट सी फैल गई। राहुल अच्छी तरह से जान रहा था कि इस समय उसकी मां की नजर उस के नंगे लंड पर टिकी हुई है। और जीस मदहोशी और खुमारी के साथ वह लंड को देख रही थी राहुल को लगने लगा था कि बात जरूर बन जाएगी। 
अलका उत्तेजना के परम शिखर पर विराजमान हो चुकी थी वह इससे आगे कुछ सोच पाती थी तभी। इतनी तेज बादल गरजा की, पूरे शहर की बिजली गुल हो गई छत पर जल रहा बल्ब भी बंद हो गया ' चारों तरफ घोर अंधेरा छा गया इतना अंधेरा की ईस तेज बारिश में वह दोनों एक दूसरे का चेहरा भी नहीं देख पा रहे थे। रह रह कर बिजली चमकती तब जाकर कहीं दोनों एक दूसरे को देख पा रहे थे।

पूरे शहर की लाइट गुल हो चुकी थी, अलका और राहुल दोनों छत पर भीग रहे थे। अंधेरा इस कदर छाया हुआ था कि एक दूसरे को देखना भी नामुमकिन सा लग रहा था। बारिश जोरों पर थी बादलों की गड़गड़ाहट बढ़ती ही जा रही थी। यह ठंडी और तूफानी बारिश दोनों के मन में उत्तेजना के एहसास को बढ़ा रहे थे। अलका की सांसे तो चल नहीं रही बल्कि दौड़ रही थी, राहुल बेताब था तड़प रहा था उसका लंड अभी भी टावल से बाहर था। जिसे देखने के लिए अलका की आंखें इस गाढ़ अंधेरे में तड़प रही थी लेकिन देख नहीं पा रही थी। राहुल इस कदर उत्तेजित था उसकी लंड की नसें उभर सी गई थी। ऐसा लगने लगा था कि कहीं यह नसे फट ना जाए। तभी राहुल बोला।

मम्मी यहां तो बहुत अंधेरा हो गया कुछ भी देख पाना बड़ा मुश्किल हो रहा है। 

हां बेटा नहाने का पूरा मजा किरकिरा हो गया अब हमें नीचे चलना होगा।( इतना कहते हुए अलका राहुल की तरफ बढ़ी ही थी कि हल्का सा उसका पैर फिसला और वह राहुल की तरफ गिरने लगी कि तभी अचानक राहुल ने अपनी मां को थाम लिया उसकी मां गिरते-गिरते बची थी वह तो अच्छा था कि राहुल के हाथों में गीरी थी वरना उसे चोट भी लग सकती थी। लेकिन बचते-बचाते में अलका सीधे अपने बेटे की बाहों में आ गई थी। जिससे अलका का बदन अपने बेटे के बदन से बिल्कुल सट गया था। दोनों के बदन से बारिश की बूंदें नीचे टपक रही थी। हवा इतनी तेज थी कि दोनों अपने आप को ठीक से संभाल नहीं पा रहे थे। अचानक जो एक दूसरे के बदन से सटने पर टॉवल से बाहर झांक रहा राहुल का तना हुआ लंड पेटीकोट सहित उसकी मां की जांघों के बीच सीधे उसकी बुर वाली जगह पर हल्का सा दबाव देते हुए धंस गया , अलका को अपनी बुर पर अपने बेटे के लंड के सुपाड़े का गरम एहसास होते ही अलका एकदम से गरम हो कर मस्त हो गई। आज एकदम ठीक जगह लंड की ठोकर लगी थी। लंड की रगड़ बुर पर महसुस होते ही , अलका इतनी ज्यादा गर्म हो गई थी कि उसके मुंह से हल्की सी सिसकारी छूट पड़ी , लेकिन शायद तेज बारिश की आवाज में वह सिसकारी दब कर रह गई। अलका को भी अच्छा लग रहा था वह तो ऊपर वाले का शुक्र मनाने लगे कि फिसल कर ठीक जगह पर गई थी फिर भी औपचारिकतावश बोली।

अच्छा हुआ बेटा तुमने मुझे थाम लिया वरना में गिर गई होती।

मेरे होते हुए आप कैसे गिर सकती है मम्मी।( राहुल अपनी मम्मी को थामने से मिले इस मौके को हांथ से जाने नही देना चाहता था इसलिए वह अपनी मम्मी को अभी तक अपनी बाहों में ही भरा हुआ था उसकी मां भी शायद इसी मौके की ताक में थी तभी तो अपने आप को अपने बेटे की बाहों से अलग नहीं कर रही थी।
और राहुल भी था मिलने के बहाने अपनी कमर को और ज्यादा आगे की तरफ बढ़ाते हुए अपने लंड को अपनी मां की बुर वाली जगह पर दबा रहा था। राहुल का ल** रसोईघर की तरह पेंट में नहीं था बल्कि एकदम नंगा था और एक दम शुरुर में था और इतना ज्यादा ताकतवर था कि इस बार पेटीकोट सहित लंड का सुपाड़ा अलका की बुर में हल्का सा अंदर घुस गया। सुपाड़ा बुर के ऊपरी सतह पर ही था। लेकिन अलका के लिए इतना ही बहुत था आज बरसों के बाद लंड उसकी बुर के मुहाने तक पहुंच पाया था। इसलिए तो अलका एकदम से मदहोश हो गई उसके पूरे बदन में एक नशा सा छाने लगा और वह खुद ही अपने बेटे को अपनी बाहों में भींचते हुए अपनी बुर के दबाव को अपने बेटे के लंड पर बढ़ाने लगी। दोनों परम उत्तेजित हो चुके थे। अपनी मां की बुर के और लंड के बीच सिर्फ वह पटना का पेटीकोट ही दीवार बना हुआ था यह दीवार पेटीकोट की नहीं बल्की शर्म की थी। क्योंकि उसकी मां की जगह अगर कोई और औरत होती तो यह पेटीकोट रुपी दीवार राहुल खुद अपने हाथों से गिरा दिया होता ' और अलका खुद अगर इस समय यह उसका बेटा ना होता तो वह खुद ही इस दीवार को ऊपर उठा कर लंड को अपनी बुर में ले ली होती। 
सब्र का बांध तो टूट चुका था लेकिन शर्म का बांध टूटना बाकी था। मां बेटे दोनों चुदवासे हो चुके थे। एक चोदने के लिए तड़प रहा था तो एक चुदवाने के लिए तड़प रही थी। दोनों की जरूरते एक थी मंजिले एक थी और तो ओर रास्ता भी एक था। बस उस रास्ते के बीच में शर्म मर्यादा और संस्कार के रोड़े पड़े हुए थे। 
मां बेटे दोनो एक दूसरे में समा जाना चाहते थे। दोनों एक दूसरे की बाहों में कस के चले जा रहे थे बारिश अपनी ही धुन में नाच रही थी अलका की बड़ी बड़ी चूचियां उसके बेटे के सीने पर कत्थक कर रहीे थी। राहुल का सीना अपनी मां की चुचियों में समा जाना चाहता था। तेज बारिश और हवा के तेज झोंकों में राहुल की टावल उसके बदन से कब गिर गई उसे पता ही नहीं चला राहुल एकदम नंगा अपनी मां को अपनी बाहों में लिए खड़ा था। उसका तना हुआ लंड उसकी मां की बुर में पेटीकोट सहित धंशा हुआ था। अलका की हथेलियां अपने बेटे की नंगी पीठ पर फिर रहीे थी। उसे यह नहीं पता था कि उसका बेटा पूरी तरह से नंगा होकर उससे लिपटा पड़ा है। अलका की बुर एकदम गर्म रोटी की तरह फूल चुकी थी। बुर से मदन रस रिस रहा था जो कि बारिश के पानी के साथ नीचे बहता चला जा रहा था। तभी आसमान में इतनी तेज बादल गरजा कि जैसे दोनोे को होश आया हो , दोनों एक दूसरे की आंखों में देखे जा रहे थे लेकिन अंधेरा इतना था कि कुछ दिखाई नहीं दे रहा था वह तो रह रह कर बिजली के चमकने हल्का-हल्का दोनों एक दूसरे के चेहरे को देख ले रहे थे। अलका मस्त हो चुकी थी' बुर में लंड लेने की आकांक्षा बढ़ती ही जा रही थी। मैं थोड़ा बहुत अपने बेटे से दुखी थी और दुखी इस बात से थी कि उसका बेटा ये भी नहीं जानता था कि औरत के मन में क्या चल रहा है क्योंकि वह जानती थी कि राहुल की जगह अगर कोई और लड़का होता तो इस मौके का भरपूर फायदा उठाते हुए कब से उसकी चुदाई करने लगा होता। 
अलका भी इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी छत पर नजर दौड़ाते हुए कुछ सोचने लगे क्योंकि आज वह भी यही चाहती थी कि होता है जो वो हो जाने दो। 
बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी बारिश पल-पल तेज होती जा रही थी छोटी-छोटी बुंदे अब बड़ी होने लगी थी जो बदन पर पड़ते ही एक चोट की तरह लग रही थी। अलका कोई उपाय सोच रही थी क्योंकि उसे रहा नहीं जा रहा था बारिश के ठंडे पानी में उसकी बुर की गर्मी को बढ़ा दिया था। जिस पर अभी भी उसके बेटे का लंड पेटीकोट सहित सटा हुआ था। अलका अपने बेटे की नंगी पीठ पर हाथ फिराते हुए बोलि।

अच्छा हुआ बेटा कि तू छत पर आ गया वरना मुझे गिरते हुए कौन संभालता।( इतना कहते हुए एक हाथ से अपनी पेटीकोट की डोरी को खोलने लगी, क्योंकि वह जानती थी की डोरी खुलते ही उसे पेटीकोट उतारने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी क्योंकि बारिश इतनी तेज गिर रही थी कि बारिश की बोछार से खुद ही उसकी पेटीकोट नीचे सरक जाएगी। और अगले ही पल उसने पेटीकोट की डोरी को खोल दी। राहुल जवाब देते हुए बोला।)

मैं इसलिए तो यहां आया था मम्मी ताकि मुसीबत में मैं काम आ सकुं, और तुम्हें गिरते हुए बचा कर मुझे अच्छा लग रहा है। 
( अपनी बेटे की बात को सुनकर अलका खुश हो गई और लंड की रगड़ से एकदम रोमांचित हो गई। और रोमांचित होते हुए अपने बेटे के गाल को चुमने के लिए अपने होठ आगे बढ़ाई अंधेरा इतना गाढ़ा था कि एक दूसरे का चेहरा भी नहीं दिखाई दे रहा था इसलिए अलका के होठ राहुल के गाल पर ना जाकर सीधे उसके होंठ से टकरा गए। होठ से होठ का स्पर्श होते ही राहुल के साथ साथ खुद अलका भी काम विह्ववल हो गई। राहुल तो लगे हाथ गंगा में डुबकी लगाने की सोच ही रहा था इसलिए तुरंत अपनी मां के होठों को चूसने लगा बारिश का पानी चेहरे से होते हुए हॉठ चुसाई की वजह से एक दूसरे के मुंह में जाने लगा। दोनों मस्त हो गई. राहुल तो पागलों की तरह अपनी मां की गुलाबी होंठों को चुसे जा रहा था। उसकी मां भी अपने बेटे का साथ देते हुए उसके होठों को चूस रही थी । यहां चुंबन दुलार वाला चुंबन नहीं था बल्कि वासना में लिप्त चुंबन था। दोनों चुंबन में मस्त थे और धीरे-धीरे पानी के बाहावं के साथ साथ अलका की पेटीकोट भी उसकी कमर से नीचे सरक रही थी। या यों कहो कि बारिश का पानी धीरे-धीरे अलका को नंगी कर रहा था। दोनों की सांसे तेज चल रही थी राहुल अपनी कमर का दबाव आगे की तरफ अपनी मां पर बढ़ाए ही जा रहा था और उसका तगड़ा लंड बुर की चिकनाहट की वजह से पेटीकोट सहित हल्के हल्के अंदर की तरफ सरक रहा था। दोनों का चुदासपन बढ़ता जा रहा था की तभी बहुत जोर से फिर बादल गरजा ओर ईस बार फीर से दोनों की तंद्रा भंग हो गई। अलका की सांसे तीव्र गति से चल रही थी। वह लगभग हांफ रही थी। और इस बार खुद को राहुल की बाहों से थोड़ा अलग करते हुए बोली। 


बेटा शायद यह बारिश रुकने वाली नहीं है वैसे भी लाइट चले जाने पर नहाने का सारा मजा किरकिरा हो गया है अब हमें नीचे चलना चाहिए। ( वैसे तो राहुल का नीचे जाने का मन बिल्कुल भी नहीं था उसे छत पर ही मजा आ रहा था। फिर भी वह एतराज जताते हुए बोला।)

हां मम्मी लेकिन कैसे जाएंगे नहीं थे यहां इतना अंधेरा है कि हम दोनो एक दूसरे को भी नहीं देख पा रहे हैं। हम दोनों का बदन भी पानी से पूरी तरह से भीग चुका है, ऐसे नहीं सीढ़ियां चढ़कर नीचे उतर कर जाना हम लोग फेशल भी सकते हैं और वैसे भी सीढ़ी भी दिखाई नहीं दे रही है।

( मन तो अलका का भी नहीं कर रहा था नीचे जाने को लेकिन वह जानती थी कि अगर सारी रात भी छत पर रुके रहो तो भी बस बाहों में भरने के सिवा आगे राहुल बढ़ नहीं पाएगा। और वैसे भी अलग का आगे का प्लान सोच रखी थी इसलिए नीचे जाना भी बहुत जरूरी था।

नीचे तो चलना पड़ेगा बेटा और वैसे भी जब तुम मुझे संभाल सकते हो तो क्या मैं तुम्हें गिरने दूंगी। ( अलका इतना कह रही थी तब तक पेटिकोट सरक कर घुटनों से नीचे जा रही थी अलका मन ही मन बहुत खुश हो रही थी। क्योंकि नीचे से वह पूरी तरह से नंगी होती जा रही थी। माना कि उसका बेटा उसे नंगी होते हुए देख नहीं पा रहा था लेकिन फिर भी अंधेरे मे ही सही अपने बेटे के सामने नंगी होने में।

अलका के बदन में एक अजीब से सुख की अनुभूति हो रही थी। वह रोमांचित होते हुए बोली।

बेटा तू बिल्कुल भी चिंता मत कर बस तू मुझे पकड़कर
मेरा सहारा लेते हुए मेरे पीछे पीछे सीढ़ियां उतरना। ( इतना कहने के साथ ही सरक कर पैरों में गिरी हुई पेटीकोट को पैरों का ही सहारा देकर टांग से निकाल दी। अब अलका कमर के नीचे बिल्कुल नंगी हो चुकी थी, उसके मन में यह हूक रहे जा रहीे थीे कि काश उसे नंगी होते हुए उसका बेटा देख पाता तो शायद वह कुछ आगे करता लेकिन फिर भी जो उसने सोच रखी थी वह अगर कामयाब हो गया तो आज की ही रात दोनों एक हो जाएंगे। अलका के बदन पर मात्र उसका ब्लाउज ही रह गया था और अंदर ब्रा बाकी वह बिल्कुल नंगी हो चुकी थी। राहुल तो पहले से ही एकदम नंगा हो चुका था। आने वाले तूफान के लिए दोनों अपने आपको तैयार कर रहे थे। इसलिए तो अलका ने अपने बदन पर से पेटीकोट उतार फेंकी थी और राहुल बारिश की वजह से नीचे गिरी टावल को उठाकर लपेटने की बिल्कुल भी दरकार नहीं ले रहा था। और बारिश थी की थमने का नाम ही नहीं ले रही थी। अलका नीचे जाने के लिए तैयार थी बादलों की गड़गड़ाहट से मौसम रंगीन बनता जा रहा था तेज हवा दोनों के बदन में सुरसुराहट पैदा कर रही थी। 
अलका नीचे उतरने के लिए नीचे जाती सीढ़ियों की तरफ जाने के लिए कदम बढ़ाएं और एक हाथ से टटोलकर राहुल को इशारा करते हुए अपने पीछे आने को कही क्योंकि सीढ़ियों वाला रास्ता बहुत ही संकरा था वहां से सिर्फ एक ही इंसान गुजर सकता था इसलिए राहुल को अपने पीछे ही रहने को कहीं अंधेरा इतना था कि वह खुद राहुल का हाथ पकड़कर अपने कंधे पर रख दी ताकि वह धीरे धीरे नीचे आ सके। अलका सीढ़ियों के पास पहुंच चुकी थी क्योंकि रह रह कर जब बिजली चमकती तो उसके उजाले में ज्यादा तो नहीं बस हल्का हल्का नजर आ रहा था। बारिश का शोर बहुत ज्यादा था। अब वह सीढ़ियों से नीचे उतरने वाली थी इसलिए राहुल को बोली। 
बेटा संभलकर अब हम नीचे उतारने जा रहे हैं अगर डर लग रहा हो तो मुझे पीछे से पकड़ लेना। ( अलका ने टॉवल से बाहर झांकते उसके लंड को देख चुकी थी और वह यही चाहती थी कि राहुल सीढ़ियां उतरते समय उसे पीछे से पकड़ेगा तो उसका लंड गांड में जरूर रगड़ खाएगा। उसकी मां की यह बात राहुल के लिए तो सोने पर सुहागा था। इससे तो उसे खुला मौका मिल जाएगा। वह कुछ बोला नहीं बस हामी भर दीया। 
अलका धीरे धीरे सीढ़िया उतरने लगे और उसके पीछे पीछे राहुल, अलका आराम से दो तीन सीढ़ियां उतर गई, और राहुल भी बस कंधे पर हाथ रखे हुए नीचे आराम से उतर रहा था। दोनों तरफ रहे थे कल का चाह रही थी कि राहुल पीछे से उसे पकड़ ले राहुल भी यही चाह रहा था कि अपनी मां के बदन पर पीछे से जाकर सट जाए। लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा था। अलका तो तड़प रही थी उसे जल्द ही कुछ करना था वरना यह मौका हाथ से जाने वाला था दोनों अगर ऐसा ही होता रहा है तो शर्म के मारे यह सुनहरा मौका हाथों से चला जाएगा। इसलिए अलका ने शिढ़ी पर फिसलने का बहाना करते हुए आगे की तरफ झटका खाते हुए।

ऊईईईई....मां ....गई रे.....
( इतना सुनते ही राहुल बिना वक्त गवाएं झट से अपनी मां को पीछे से पकड़ लिया, अब लगा पीछे से अपने बेटे की बाहों में थी। राहुल का बदन अपनी मां के बदन से बिल्कुल सटा हुआ था इतना सटा हुआ कि दोनों के बीच में से हवा को आने जाने की भी जगह नहीं थी। लेकिन अपनी मां को संभालने संभालने मे उसका लंड जोकी पहले से ही टनटनाया हुआ था वह ऊसकी मां की बड़ी बड़ी भरावदार गांड की फांको के बीच जाकर फंस गया। राहुल के बदन मे आश्चर्य के साथ सुरसुराहट होने लगी।
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RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो - by sexstories - 10-09-2018, 03:33 PM

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