Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
10-09-2018, 03:33 PM,
#57
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
लो जो भी होता है इस में से काट लो।
( विनीत को यू नोट थमाते हुए देखकर अलका बोली।)

अरे अरे यह क्या कर रहे हो! मैं दे रही हूं ना।

तब तक दुकानदार ने पैसे काट कर बाकी के पैसे विनीत को लौटा दीया। अलका देखती ही रह गई। दुकानदार ने मिठाई और समोसे को एक थैली में डालकर अलका को थमा दीया। अलका भी आवाक सी उस थैली को पकड़ ली, वीनीत दुकान से बाहर आ गया पीछे पीछे अलका भी आ गई। वीनीत ने अलका से बोला।

आप यहीं रुकिए मैं गाड़ी लेकर आता हूं। ( विनीत के इतना कहते ही अलका बोली।)

नहीं नहीं मेरे लिए तकलीफ मत उठाओ में खुद चली जाऊंगी। 

अरे इसमें तकलीफ केसी, आप ऐसा कह कर मुझे शर्मिंदा कर रही हैं। आप यहीं रुकिए मैं लेकर के अाता
हुं। ( इतना कहकर वह मोटरसाइकिल लाने चला गया। वीनीत मोटरसाइकल चालू करके सीधे अलका के सामने लाकर खड़ा कर दिया और अलका को बेठने का इशारा किया। अलका भी बिना कुछ बोले मोटर साइकिल पर बैठ गई। विनीत भी धीरे-धीरे एक्सीलेटर देते हुए मोटरसाइकिल को आगे बढ़ाने लगा। वह ज्यादा से ज्यादा वक्त अलका के साथ बिताना चाहता था इसलिए उसे कोई जल्दी नहीं थी अंधेरा छा रहा था। अलका असमंजस में थी तनख्वाह मिल चुकी थी विनीत को ₹2000 लौटाने थे लेकिन अगर लौटा देती तो महीने भर का खर्चा चलाना मुश्किल हो जाता। इसलिए वह बड़े सोच में पड़ी हुई थी। फीर भी औपचारिकता तो यही बनती थी कि विनीत का पैसा लौटा दिया जाए क्योंकि बड़े मुसीबत की घड़ि में उसने पैसे देकर मदद किया था। बातों के दौऱ को आगे बढ़ाते हुए अलका बोली।
तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। मैं दुकानदार को पैसे चुका रही थी ना फिर देने की क्या जरूरत थी।

अरे आंटी जी ईसमें क्या हुआ मैं चुकाऊ या आप चुकाओ बात तो एक ही है। रही बात पैसे की तो हमें बिजनेस में बहुत ज्यादा मुनाफा हुआ है। और आज मैं बहुत खुश हूं मेरे रिश्तेदार तो है नहीं , की उनके साथ में अपनी खुशी शेयर कर सकूं। घर पर सिर्फ भाभी है और भैया तो बिजनेस में ही मस्त रहते हैं जो कुछ भी है आप ही हैं इसलिए मैं आपके साथ अपनी खुशी सेयर करता हूं। और आप हैं कि मेरी खुशी में शामिल नहीं होना चाहती, 

ऐसी बात नहीं है वीनीत , मुझे अच्छा लगेगा अगर मैं तुम्हारी खुशी में शामिल हो सकूं तो लेकिन इस तरह से बार बार पैसे की मदद करना....( अलका बोलते बोलते अचानक रुक गई, रुक क्या गई जानबूझकर बात का रुख बदलते हुए बोली।) 
अरे हां विनीत पैसे से याद आया कि आज मेरी तनख्वाह हो गई है और मुझे तुम्हारे ₹2000 लौटाने हैं आगे चलो चौराहे पर वही देती हूं। 
( पैसे की बात आते ही विनीत सकपका गया, क्योंकि वह जानता था कि अलका को दिए हुए उधार पैसे की ही वजह से वह थोड़ी बहुत छूट छाट ले पाता था। अगर वह अलका से पैसे वापस ले लिया तो,मिलने वाली छुट छाट भी बंद हो जाएगी। इसलिए वह बोला।)

अरे आंटी जी मुझे पैसे की जरूरत नहीं है और मैंने कहा आपसे पैसे मांगे हैं आपको जरूरत हो तो अभी रख लीजिए। मुझे जरूरत होगी तो मैं खुद ही मांग लूंगा।( कहते हुए विनीत धीरे-धीरे मोटरसाइकिल को आगे बढ़ा रहा था अंधेरा छा चुका था और जिस रास्ते से वे दोनों गुजर रहे थे वहां पर कम ही गाड़ी आ जा कर रही थी यह वही जगह थी जहां पर बरसात और अंधेरे का फायदा उठाते हुए विनीत ने अलका को अपनी बाहों में भर कर अपनी मर्यादा को लांघने की कोशिश किया था। वह दृश्य याद आते हैं विनीत के बदन मे सुरसुराहट सी फेल गई। तभी उत्तेजना में हल्के से ब्रेक मारकर जैसे ही एक्सीलेंटर छोड़ा अलका का बदन झटका खाकर विनीत के बदन से टकरा गया जिससे अलका की चूची विनीत की पीठ से रगड़ खा गई जिसका एहसास महसुस करते ही विनीत का लंड खड़ा हो गया। ओर ब्रेक लगते ही अलका अपने आप को संभाल नहीं पाए थे और उसके मुंह से आउच निकल गया।)

आाउच....( विनीत के कंधे पर अपना हाथ रख कर संभलते हुए) बात ऐसी नहीं है विनीत अब उधार लेी हुं तो उसे लौटाना भी तो होगा ना। ( अलका पैसे लौटाने के लिए तो बोल रही थी लेकिन अंदर ही अंदर पैसे ना लौटाने का लालच भी बना हुआ था लालच कैसा यह लालच नहीं उसकी मजबूरी थी। और विनीत तो चाहता ही था कि अलग का उसे पैसे ना लौटाए, ताकि पैसों के बहाने उस से नज़दीकियां बढ़ाई जा सके। इसलिए वह बोला।)

ऐसी कोई बात नहीं है आंटी जी मुझे क्या, जरूरत होगी तो मैं आपसे खुद ही कह दूंगा। ( विनीत की बात सुनकर अलका अंदर ही अंदर खुश होने लगी क्योंकि उसके महीने भर का खर्चा चलाने का टेंशन दूर हो चुका था। लेकिन वह अपनी खुशी जाहिर नहीं होने दी। अंधेरा बढ़ चुका था बड़े-बड़े उठ हमें पेड़ की वजह से अंधेरा और गाढ़ा लगने लगा था जगह जगह पर स्ट्रीट लाइट लगी हुई थी लेकिन कुछ-कुछ स्ट्रीट लाइट नहीं जलती थी जिसकी वजह से अंधेरा ही अंधेरा नजर आता था। तभी विनीत जिस चीज में माहीर था, अपना वही हथियार उपयोग करने की सोचा। अपनी मीठी मीठी् फ्लर्टी बातों से अलका को खुश करने का पूरा मन बना लिया और अलका से बोला।)

एक बात कहूं आंटी जी। 

हां बोलो (हवा से उड़ रहे अपने जुल्फों को अपनी नाजुक उंगलियों के कान के पीछे ले जाते हुए बोली।)

आप बुरा तो नहीं मानेगी ना। 

बुरा ! मैं भला बुरा क्यों मानुंगी हां अगर कुछ गलत कहागे तो जरुर बुरा मान जाऊंगी। ( अलका अब थोड़ी बेफिक्र हो चुकी थी उसका एक हाथ विनीत के कंधे पर था और उसका मांसल खूबसूरत बदन विनीत के बदन से सटा हुआ था। जिसकी वजह से रह रहे कर विनीत के बदन में सुरसुराहट फैल जा रही थी। )

बुरी बात तो नहीं है आंटी जी लेकिन फिर भी मेरे मन की बात है इसलिए कहता हूं पहले प्रॉमिस करिए तभी कहूंगा।


अच्छा बाबा प्रॉमिस बस।


आंटी जी वैसे तो आप बहुत खूबसूरत हैं लेकिन आज और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही हो। ददद...।देखो आंटी जी बुरा मत मानिएगा यह तो मेरे दिल की बात थी इसलिए मैंने कह दिया अगर आप को बुरा लगा हो तो इसके लिए भी माफी मांगता हूं। 
( भला ऐसी कौन औरत होगी जो अपनी सुंदरता की तारीफ सुनकर नाराज होगी। अपनी तारीफ सुनकर तो अलका अंदर ही अंदर खुश हो रही थी। उसे तो इस बात की और ज्यादा खुशी थी कि एक बेटी की उम्र का लड़का अपने मां के उम्र की औरत की खूबसूरती की तारीफ कर रहा था। )

आप नाराज हो आंटी जी।

नहीं तो।


फिर आप कुछ क्यों बोल नहीं रही है। क्या आपको मेरी बात अच्छी नहीं लगी।( विनीत की बातों का अलका क्या जवाब देती विनीत की बातें सुनकर अलका अंदर ही अंदर प्रसन्नता के साथ साथ शर्म भी महसूस कर रहे थे कि एक बित्ते भर का छोकरा उसकी तारीफ कर रहा था। तभी वह चौराहा आ गया जहां से अलका को अपने घर की तरफ मुड़ना था और अलका तुरंत बोली।)

बस बस यहीं रोक दो में चली जाऊंगी।
( विनीत भी ब्रेक दबाते हुए मोटरसाइकिल को चौराहे के किनारे रोक दिया रोज की तरह इधर भी अंधेरा था कुछ लोग ही आ जा कर रहे थे। वैसे भी कोई यह मुख्य सड़क नहीं थी। यहां का रास्ता आजूबाजू के सोसाइटियों में ही जाता था इसलिए इस रोड पर आवन जावन कम ही होता था। अलका मोटरसाइकिल से उतर गई उसे शर्म सीे महसूस हो रही थी विनीत अभी भी मोटर साइकिल पर बैठा हुआ था। अलका विनीत का शुक्रिया अदा करने के लिए उस से बोली।

थैंक्यू विनीत( शरमाते हुए)

इसमें थैंक यू की क्या बात है अांटी जी लेकिन आपने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया।

क्या( अलका मुस्कुराते हुए पूछी)

यही कि मेरी बात आपको अच्छी लगी या बुरी।

बुरी लगने जैसी कोई बात ही नहीं थी तो भला मुझे क्यों बुरी लगती।( अलका मुस्कुराते हुए बोली।)

( अलका के चेहरे पर मुस्कुराहट देखकर विनीत बहुत खुश हुआ और तभी अचानक अलका के हाथ से नास्ते वाली थैली छूट कर नीचे गिर गई। नाश्ते की हथेली उठाने के लिए अलका नीचे झुकी तो वैसे तो कुछ साफ दिख नहीं रहा था लेकिन फिर भी वीनीत को उसके ब्लाउज मै से झांकते दोनों कबूतर नजर आ गए। जिसे देखकर विनीत का मन मचल उठा और वह अलका की मदद करने के लिए तुरंत मोटरसाइकिल को स्टैंड पर लगाकर नाश्ते की थैली में से बिखरे सामान को इकट्ठा करके थेली में भरने लगा। नीचे बिखरे हुए पैकेट को उठाने में अलका के नाजुक हाथ विनीत के हाथ में आ गया जिससे अलका शरमा गई। बिखरे हुए पैकेट इकट्ठा करके थैली में रख चुका था, लेकिन उसने अलका के हाथ को नहीं छोड़ा था उसका हाथ पकड़े-पकड़े ही वह दोनों खड़े हुए। विनीत की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी, अलका के बदन में भी कुछ कुछ उत्तेजना का प्रसार हो रहा था। वह दोनों अंधेरे में भी एक दूसरे की आंखों में झांक रहे थे। दोनों अपने आपे से बाहर हो रहे थे। दोनों की नजदीकियां बढ़ती जा रही थी विनीत अपने होठों को अलका के होठों पर नजदीक ले जा रहा था। विनीत के होटो से अलका के होठों की दूरी मात्र तीन चार अंगुल भरी ही रह गई थी। विनीत को यह दूरी बर्दाश्त नहीं हो रही थी और उसने तुरंत एक झटके से ही अपने होठों को अलका के गुलाबी होठो पर रखकर तुरंत चूसने लगा इस तरह से होठों की चुसाई करने परअलका भी संयम खो बैठी और अलका भी विनीत का साथ देते हुए उसके होठों को भी चूसना शुरू कर दी। कुछ ही पल में दोनों उत्तेजना के परम शिखर पर सवार हो गए। विनीत एक पल की भी देरी किए बिना तुरंत अपनी हथेली को ब्लाउज में फुदक रहे उसकी चूची पर रख दिया और दबाना शुरु कर दिया इससे अलका के बदन में उत्तेजना का प्रसार दुगनी गति से होने लगा और वह भी विनीत और अपनी उम्र के बीच की खाई को भुलाते हुए विनीत को अपनी बाहों में भर ली और अपने गुलाबी होंठ का रस उसको पिलाते हुए खुद भी उसके होठों को चूसने लगी। कामुकता की वजह से अलका का बदन कांप रहा था। एक दूसरे के होठों को चूसने की वजह से च्च्च्च....च्च्च्च.....की कामुक आवाजे दोनों के मुंह से आ रहीे थी। विनीत ने तो अपने दोनों हाथों को अलका के पूरे बदन पर इधर उधर घुमाने लगा। कभी इस चूची को दबाता तो कभी दूसरी चूची को, और कभी तो साड़ी के ऊपर से ही उसकी बुर वाली जगह पर अपनी हथेली से कुरेदने लगता । अलका काम विह्वल हुई जा रही थी।
आज फिर बरसात वाला दृश्य दोहराया जा रहा था। दोनों की सांसे तेज चल रही थी। गालों का रंग लाल सुर्ख पड़ता जा रहा था और चूची मर्दन करने से चुचीयों का भी रंगलाल हुआ जा रहा था। गाढ़े अंधेरे में दोनों एक दूसरे के बदन में समा जाने को पूरी तरह से तैयार थे। तभी अचानक विनीत ने ऐसी हरकत कर दिया कि अलका की बुर से मदन रस टपकने लगा। विनीत ने फिर से उस दिन की तरह अपने दोनों हथेलियों को अलका की भरावदार नितंब पर रखकर गांड को कस के अपनी हथेलियों में दबोचते हुए उसे अपनी तरफ खींच कर अपने बदन से सटा लिया जिससे पेंट में तना हुआ उसका लंड सीधे अलका की जांघों के बीच बुर वाली जगह पर घर्षण करने लगा। विनीत की इस हरकत पर अलका इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई कि जैसे ही उसका लंड साड़ी के ऊपर से ही ठीक बुर वाली जगह पर स्पर्श हुआ तुरंत ही अलका की बुर से मदन रस टपकने लगा।
अपनी हालत को देखते हुए अलका एकदम से शर्मसार हो गई। उसे शर्म इस बात की महसूस होने लगी की बेटे की उम्र के लड़के ने उसका पानी निकाल दिया था। और मदन रस टपकने की ही वजह से उसे जैसे होश आया हो इस तरह से तुरंत उसके बदन पर अपने बदन को दूर कर ली,

और फिर से उस दिन की तरह ही बिना कुछ बोले झट से तेज कदमों के साथ अपने घर की तरफ मोड़ रहे सड़क पर चलने लगी, विनीत एक बार फिर से पीछे से आवाज़ देते हुए अपना हाथ मलता रह गया।

अलका अपने घर पर पहुंच चुकी थी। दरवाजा खोलते ही सामने सोनू पढ़ाई कर रहा था अपनी मां को देखते ही खुश हो गया और अपनी मां से जाकर लिपट गया।

कहां रह गई थी मम्मी आज इतनी देर क्यों लगा दी।( अपनी मां से लिपटते ही सोनू सवाल पर सवाल पूछने लगा। अलका का बदन अभी भी उत्तेजना से कांप रहा था। वह सोनू को नाश्ते की थैली पकड़ाते हुए सीधे बाथरूम में घुस गई। बाथरूम में घुसते ही वह ठंडे पानी के छींटे अपने चेहरे पर मारने लगी। हाथ मुंह धोने के बाद उसका मन कुछ शांत हुआ वह फिर पछताने लगी आज फिर से अपने आप को बचा ले गई थी। आज फिर से अपने दामन पर दाग लगते लगते बचा ली थी।
अलका यह बखूबी जानती थी कि ऐसे नाजुक समय में अपने आप को संभाल पाना बड़ा मुश्किल होता है वह कैसे बच जा रही थी यह वह भी नहीं जानती थी। 
लेकिन यह भी वह जानती थी कि अगर ऐसा ही होता रहा तो बहकने से अपने आप को बचा नहीं पाएगी। बरसों बीत चुके थे शारीरिक सुख का आनंद लिए हर शरीर का हर औरत की एक जरूरत होती है उसे ज्यादा दिन तक दबाए हुए रहा नहीं जा सकता था इसलिए बल का को भी डर लगने लगा था कि वह भी किसी भी ऐसे नाजुक पल में बहक सकती है। 
हाथ मुंह टॉवल से पोछने के बाद अलका बाथरुम से बाहर आ गई। बाहर आकर देखी तो सोनू नास्ते की थैली में से सारे पैकेट को बाहर निकाल चुका था। अलका सोनू के नजदीक पहुंच गई, अपनी मम्मी को पास आता देख सोनू बोला।

मम्मी आज नाश्ता लेकर आई हो( सोनू खुश नजर आ रहा था। अलका सोनू के सर पर हाथ फेरते हुए बोली।)

हां बेटा आज ऑफिस में कुछ ज्यादा काम था और आज तनख्वाह की तारीख की थी इस वजह से लेट हो गया। आज खाना नहीं बनाऊंगी इसलिए तुम लोगों के लिए नाश्ता ले कर आई हूं अरे हां राहुल कहां गया। 

वह तो अपने कमरे में है मम्मी शायद पढ़ाई कर रहा है। बुला कर लाऊं क्या?

नहीं तुम यहीं रुको मैं बुला कर लाती हूं।
( इतना कहकर अलका राहुल के कमरे की तरफ जाने लगी, वह मन मे सोच रही थी कि राहुल जरुर मेरा इंतजार करते-करते सो गया होगा भूख भी लगी होगी , आज वाकई में कुछ ज्यादा ही लेट हो गया। यही सोचते सोचते वह राहुल के कमरे के सामने खड़ी हो गई जैसे ही वह दरवाजे पर दस्तक देने के लिए अपना हाथ रखी दरवाजा खुद-ब-खुद खुलने लगा । दरवाजा थोड़ा सा ही खुला था कि अंदर का नजारा देख कर उसके होश उड़ गये , उसे ऐसा लगने लगा जैसे कि उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई हो। अलका की नजर सीधे अपने बेटे के लंड पर पड़ी थी जो कि एकदम टनटना के खड़ा था, और राहुल उसे मोटे तगड़े लंड को अपनी मुट्ठी में भर कर ऊपर नीचे करते हुए मुट्ठ मार रहा था। एक पल को तो उसे ऐसा लगा कि अंदर जाकर राहुल के गाल पर चार-पांच तमाचा जड़ दें। लेकिन अलका अपने गुस्से को दबा ले गई। ओर वही खड़े होकर अंदर का नजारा देखने लगी। राहुल बिस्तर पर पूरी तरह से निर्वस्त्र अवस्था में था बिल्कुल नंगा उसके पूरे बदन में उत्तेजना छाई हुई थी और उत्तेजना के मारे उसकी आंखें मूंद चुकी थी। वह जोर जोर से अपने लंड को हीलाते हुए अपनी कमर को ऊपर नीचे कर रहा था। यह देख कर थोड़ी ही देर में अलका की बदन में भी उत्तेजना की चीटियां रेंगने लगी , कुछ पल पहले ही जो अपने बेटे के इस हरकत पर उसे तमाचा जड़ने की सोच रहीे थी। वही इस समय उत्तेजित हुए जा रहीे थी। राहुल के मोटे लंड को देख कर उसे अपनी बुर में सुरसुराहट सी महसूस होने लगी। उसे वीनीत की हरकत याद आने लगी। विनीत द्वारा किए गए हरकत को याद करके अलका भी फिर से चुदवासी होने लगी और अंदर राहुल चरम सुख की तरफ बढ़ रहा था। राहुल की हालत को देखकर अलका भी मस्त हुए जा रही थी , अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड को देखकर उसका हाथ खुद ब खुद अपने ही बुर पर पहुंच चुका था जिसे वह साड़ी के ऊपर से मसल रही थी। अंदर के नजारे का लुत्फ अलका ज्यादा देर तक नहीं उठा पाई क्योंकि तभी राहुल जोर-जोर से मुठ मारते हुए गरम नमकीन पानी की तेज धार छत की तरफ लंड से छोड़ने लगा, और लंड से तेजधार छोड़ते हुए जोर जोर से सिसकारी भी ले रहा था।
लंड से निकली इतनी तेज पिचकारी को देखकर अलका के मुंह के साथ साथ उसकी बुर में भी पानी आ गया। अब ज्यादा देर तक यू दरवाजे पर खड़ा रहना ठीक नहीं था इसलिए अलका भी बिना कुछ बोले वहां से सीधे सोनू के पास आ गई।

सोनू के पास आकर अलका सोनू को नाश्ता देने लगी लेकिन उसके बदन में आग लगी हुई थी। अपने बेटे को लंड मुठियाता देखकर अलका एकदम से चुदवासी हो गई थी। उसकी बुर से नमकीन पानी रिसने लगा था। पहले वीनीत और अब राहुल दोनों ने मिलकर अलका के बदन में आग लगा दीया था। अब तक राहुल नहीं आया था इसलिए सोनू बोला।

क्या हुआ मम्मी भाई अब तक नहीं आया।

(राहुल का भी नाश्ता निकालते हुए) आता ही होगा बेटा।

अलका अच्छी तरह से जानती थी कि उसने राहुल को बुलाई ही नहीं तो आएगा कैसे। इसलिए सोनू को दिखाने के लिए वह वहीं बैठे बैठे ही जोर से राहुल को आवाज लगाई। और राहुल ने अपनी मां की आवाज सुनी भी इसलिए वह जल्दी जल्दी कपड़े पहन कर नीचे आ गया और आते ही अपनी मम्मी से बोला।

आज इतनी देर कहां लगा दी मम्मी और यह क्या( नाश्ते की तरफ देखते हुए) आज लगता है तनख्वाह हो गई। ( अपनी मम्मी की तरफ देखते हुए) 

हां बेटा आज तनिक वा का दिन भी था और ऑफिस में काम भी जा रहा था इसलिए मुझे इधर आने में देर हो गई और आते आते मैं तुम दोनों के लिए नाश्ता भी लेकर आई हुं, चलो अब जल्दी से नाश्ता कर लो समय भी काफी हो गया है। 
तीनों मिलकर नाश्ता करने लगे अलका की नजर बार-बार राहुल पर चली जा रहीे थी। खास करके उसके पेंट की तरफ, अलका पेंट के उभार को देखना चाहते थे लेकिन अभी अभी राहुल अपने लंड को शांत कर के आया था इसलिए उसका लंड भी आराम से सो रहा था।
ा नाश्ता करते हुए अपने बेटे के बारे में ही सोच रही थी। अपने बेटे को मुठ मारता हुआ देखकर वह समझ गई थी कि उसके बेटे ने जवानी पूरी तरह से आ चुकी है। अब वह बड़ा हो चुका था और उसके दमदार मोटे तगड़े और लंबे लंड को देख कर खुद उसकी बुर कुलबुलाने लगी थी। नाश्ता करते हुए राहुल के बारे में सोच-सोच कर ही उत्तेजित होने लगी थी उसकी सांसे भारी हो चली थी। बुर से रीस रहा नमकीन पानी उसे आंखों से निकले आंसू से कम नहीं लग रहे थे जो कि बुर की तड़प ना सह पाने की वजह से आंसु की तरह ही बुर से निकल रहा था। राहुल को देख देखकर अलका का बदन कसमसा रहा था। अलका के कमर के नीचे की हालत बिल्कुल खराब थी खासकर के जांघो के बीच की दशा के बारे में तो पूछो मत। बार-बार अपने बेटे के मुठ को याद कर करके उसकी बुर फुल पिचक रही थी। 
अलका या सोच-सोचकर और भी ज्यादा उत्तेजित हो जा रही थी कि अगर सच में राहुल का लंड जो की कुछ ज्यादा ही मोटा और तगड़ा था उसकी बुर में जब अंदर तक जाएगा तब कैसा महसूस होगा बुर लंड की मोटाई की वजह से एकदम फेलते हुए अंदर जाएगा। इतना कल्पना करते ही अलका की बुर से अमृत की बूंद टपक पड़ी। राहुल बड़े मजे ले लेकर समोसे और रसमलाई खा रहा था। सोनू भी बड़े चाव से नाश्ता कर रहा था। लेकिन अलका का हाल बुरा था हाथ में समोसा तो जरूर था लेकिन उसे खा नहीं रही थी। और रसमलाई तो बस कटोरे में ही रखी हुई थी और उसका रस अलका की बुर से निकल रहा था। अलका जिस्म की तपन में तप रही थी। उसकी तड़प बढ़ती जा रही थी उस से अब
बर्दाश्त कर पाना मुश्किल हुआ जा रहा था। एक बार तो उसके जी में आया कि राहुल को अपनी बाहों में भर ले और खुद ही उसके लंड पर अपनी बड़ी बड़ी गांड रख कर बैठ जाए। वासना तो पूरी तरह से अलका पर हावी हो चुका था। वह चाहती तो जरूर ऐसा कर लेतीे लेकिन रिश्तों की मर्यादा और उसके संस्कार ऐसा करने से उसे रोक रहे थे। हलका में अभी भी थोड़ी बहुत समझ बची थी जिससे वह बार बार बच जा रही थी। 
दोनों ने नाश्ता कर लिया था। अलका का मन खाने में नहीं लग रहा था लेकिन फिर भी थोड़ा बहुत खा कर उठ गई। 
राहुल और सोनू दोनों अपने कमरे में जा चुके थे। अलका रसोईघर में तड़प रही थी, बदन की आग बुझाए नहीं दिख रही थी उसका मन में आज बहुत चुदवाने का कर रहा था। अपने बेटे के ही लंड पर मोह गई थी वह।
रसोई घर में खड़े खड़े ही वह कल्पना कीे दुनिया में खोने लगती। उसे ऐसा महसूस होता है कि उसका ही बेटा उसको चोद रहा है उसका मोटा लंड उसकी बुर की गुलाबी पंखुड़ियों को फैलाते हुए अंदर की तरफ सरक रहा है और वह भी मजे ले ले कर खुद अपनी कमर को हिलाते हुए अपने बेटे से चुदवा रही हैं। और जब कल्पना की दुनिया से बाहर आती तो, उसकी सांसे भारी हो चली होती, और तेज चलती सांसों के साथ-साथ उसकी ऊपर नीचे हो रही विशाल छातियां उसकी कामुकता की गवाही देती। अलका रसोईघर में खड़े-खड़े ही अपने बेटे के लंड को याद करके साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर को मसल रही थी। लेकिन आज वो अच्छी तरह से जानती थी कि इस तरह से मसलने से रगड़ने से और उंगली डालने से भी उसकी प्यास बुझाने वाली नहीं थी इसलिए थक हार कर मटके से ठंडा पानी निकाल कर एक सांस में गटक गई, पानी पीने के बाद वह सीधे अपने कमरे में चली गई खिड़की से ठंडी ठंडी हवा आ रही थी और बाहर का मौसम भी बदलने लगा था दूर दूर हल्की-हल्की बिजली चमक रही थी। वह मन ही मन बड़बड़ाई कि आज बारिश होने वाली है। 
ऐसी गर्मी में ठंडी हवा उसे राहत पहुंचा रही थी इसलिए बिस्तर पर पड़ते ही उसे नींद आ गई। अर्धा एक घंटा ही बीता होगा कि उसे ऐसा लगने लगा कि, राहुल उसकी साड़ी धीरे धीरे ऊपर की तरफ सरका रहा है। उसकी गरम हथेलियों के स्पर्श से अलका पूरी तरह से गनंगना जा रही थी। अलका कुछ समझ पाती इससे पहले ही राहुल ने साड़ी को एकदम कमर तक चढ़ा दिया था। अलका भी अपने बेटे की इस हरकत पर पूरी तरह से उत्तेजित हो गई। इतनी ज्यादा उत्तेजित कि वह खुद ही अपने हाथों से अपनी पैंटी उतार कर अपनी बुर को अपने बेटे के सामने परोस दी। रसीली और फुली हुई बुर मे तुरन्त राहुल अपना लंड डालकर चोदने लगा। बुर में मोटा लंड घुसते हुी अलका से सहन नहीं हुआ और उसके मुंह से चीख निकल गई वह बार-बार राहुल से अपना लंड निकालने को कहती रही लेकिन राहुल अपनी मां की एक नहीं सुना और धड़ाधड़ अपने लंड को अपनी मां की बुक में अंदर बाहर करके चोदता रहा। अलका से यह चुदाई बर्दाश्त नहीं हो रही थी। थोड़ी ही देर में वो दर्द से कराहने लगी उसका पूरा बदन पसीना पसीना हो गया था। वह बार बार दर्द को दबाने के लिए
अपने दांतों को भींच ले रही थी । लेकिन दर्द था कि बढ़ता ही जा रहा था उस के दर्द का राहुल पर बिल्कुल भी असर नहीं पड़ रहा था। वह तो बस अपनी मां को चोदने में लगा था। तभी राहुल ने पूरी ताकत लगाकर जोरदार धक्का लगाया और अलका की बुरी तरह से चीख निकल गई। उसकी तुरंत आंख खुल गई। आंख खुली तो देखी कमरे में कोई नहीं था वह एक सपना देख रही थी। अलका अपनी हालत पर गौर की तो वह पसीने से पूरी तरह से तरबतर हो चुकी थी जबकि बाहर तेज हवा के साथ बारिश हो रही थी। वह अपनी हालत को देख कर परेशान हुए जा रही थी उसकी सांसे अभी भी तेज चल रही थी। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था इस तरह का सपना देखने का क्या मतलब था आज तक उसने इस तरह का सपना नहीं देखी थी जो कि इतना पूरी तरह से हकीकत लगे। वह सोचने लगी क्या वाकई में वह अपने बेटे के साथ चुदाई का सुख ले सकती है। कभी उसका मन कहता हां तो कभी इंकार कर देता। लेकिन फिर वह सोचने लगती कि आखिर बुरा ही क्या है उसकीे भी तो जरूरते हैं, आखिर कब तक तड़पती रहेगी चुदाई के लिए, राहुल भी तो तड़प रहा है चोदने के लिए तभी तो वह मुठ मार रहा था।। शायद वह भी मुझे चोदना चाहता है तभी तो रसोई घर में दो बार मुझे अपनी बाहों में भर कर जानबूझकर अपने लंड को मेरी गांड की फांको के बीचो बीच चुभा रहा था। वह सच मे मुझे चोदना चाहता है। यही सब बातें अलका के दिमाग में चल रहीे थी। और बाहर हवा के साथ बारिश हो रही थी जिससे पानी के छीटे अंदर कमरे तक आ रहे थे। अलंका खिड़की को बंद करने के लिए बिस्तर से उठी, और खिड़की को बंद करते हुए उसे ख्याल आया कि छत पर उसने कपड़े सूखने के लिए रखी थी। इतनी देर में तो कपड़े भीग चुके होंगे लेकिन लाना भी तो जरुरी था इसलिए मैं छत पर जाने के लिए कमरे से बाहर आ गई।
Reply


Messages In This Thread
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो - by sexstories - 10-09-2018, 03:33 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,576,472 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 552,926 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,265,250 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 956,595 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,696,489 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,116,994 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,013,865 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,268,083 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,105,846 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 292,138 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 9 Guest(s)