Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
10-09-2018, 03:32 PM,
#54
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
उस पल का रोमांच अलका के बदन को अभी तक झनझना दे रहा था। 
सोनू और राहुल दोनों पढ़ाई कर रहे थे। अलका सोनू के सर पर हाथ रखकर दुलार करते हुए बोली।

बेटा कल मैं ऑफिस जाते समय तुम्हारी फीस भरते हुए जाऊंगी। ( अपनी मम्मी की बात सुनकर सोनू बहुत खुश हुआ। और अलका उसके बालों को सहलाते हुए किचन की तरफ चल दी। वह मन ही मन गुनगुना रही थी। 
वह मन ही मन बैगन का भरता बनाने की सोच रही थी इसलिए सब्जी के ठेले को पलटने लगी तो उसमे से बेगन नीचे गिरने लगा। अलका उस बेगन को इकट्ठा करके पानी से धोने लगी। अलका मन में कोई गीत गुनगुनाते हुए एक एक बेगन को हथेली में लेकर उसे ठीक से धोने लगी। तभी एक बेगन थोड़ा ज्यादा लंबा और मोटा तगड़ा था, कुछ बेगन को हथेली में लेते ही तुरंत अलका को सुबह वाला दृश्य याद आ गया यह बेगन भी उतना ही मोटा तगड़ा था जितना की राहुल का लंड था। उस बेगन को लिए लिए ही अलका उत्तेजित हो गई और अपने बेटे के लंड को याद करके उसकी बुर फुलने पिचकने लगी।

अलका की हालत खराब हो रही थी बैगन को देख देख कर उस की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। अलका उस मोटे तगड़े बेगन को यूं पकड़ी थी की मानो वह बैगन ना हो करके राहुल का लंड हो। उत्तेजना में अलका बेगन को ही मुठ्ठीयाने लगी। बैगन का निचला भाग बिल्कुल राहुल के लंड के सुपाड़े के ही तरह था। जिस पर अलका अपना अंगूठा रगड़ रही थी। 
सुबह वाला नजारा उसकी आंखों के सामने नाच रहा था जिस को याद कर करके अलका और भी ज्यादा उत्तेजित हुए जा रही थेी। 

और बाहर राहुल का मन पढ़ने में बिल्कुल भी नहीं लग रहा था। वह बार-बार नीलू और विनीत की भाभी के संग गुजारे गए पल को याद करके मस्त हुआ जा रहा था उसके पेंट का तंबू बढ़ने लगा था। और जब भी उसे उसकी मम्मी की भरावदार गांड के बारे में ख्याल आता तो उस की उत्तेजना दुगनी हो जाती थी। राहुल पढ़ने बैठा था लेकिन पढ़ाई में मन नहीं लग रहा था। वह अपने बदन की गर्मी को कैसे शांत करें इसका कोई जुगाड़ भी इस समय नहीं था। बार बार उसकी आंखों के सामने वीना की भाभी की बुर नीलू की चूचियां और उसकी मां की भरावदार बड़ी-बड़ी गांड नाच उठती थी।
राहुल से बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था वह इसी ताक में था कि कैसे अपने मन को ठंडा करें। कोई भी जुगाड़ नजर में नहीं आता देख राहुल ने सोचा कि चलकर एक गिलास ठंडा पानी भी पी लिया जाए ताकि उसका मन कुछ हद तक शांत हो जाए। इसलिए वह अपनी जगह से उठा। 
रसोई घर में अलका की हालत खराब हो रही थी वह खड़ी होकर सब्जी काटने लगी लेकिन उस मोटे तगड़े बेगन को उसने पास में ही रखी। अलका बार-बार उस बेगन को देख कर मस्त हुए जा रही थी उसके मन में उस बेगन को लेकर ढेर सारे ख्याल आ जा रहे थे। बैंगन की लंबाई और मोटाई साथ ही अपने ही बेटे का खड़ा लंड याद करके अलका से बर्दाश्त कर पाना मुश्किल हुए जा रहा था। तभी वह अपनी गर्मी को शांत करने के लिए बेगन को उठा ली और थोड़ा सा आगे की तरफ झुक गई जिससे कि उसकी भरावदार बड़ी-बड़ी गांड उभरकर सामने आ गई और अलका ने एक हाथ से बेगन को लेकर साड़ी के ऊपर से ही बुर वाली जगह पर हल्के हल्के से बैंगन को रगड़ने लगी। जैसे ही बेगन का मोटा वाला हिस्सा बुर वाली जगह के बीचो-बीच स्पर्श हुआ वैसे ही तुरंत अलका मदहोश हो गई और उसके मुख से गरम सिसकारी फूट पड़ी। 
राहुल ठंडा पानी पीने के लिए रसोई घर की तरफ आ रहा था और जैसे ही रसोई घर के दरवाजे पर पहुंचा तो सामने अपनी मां को झुकी हुई अवस्था में देखकर उसका लंड एक बार फिर से टनटना कर खड़ा हो गया। झुकने की वजह से हल्का की भरावदार गांड और भी ज्यादा उभरकर सामने की तरफ दिखाई दे रही थी। जिसे देखते ही राहुल की आंखों में मदहोशी छाने लगी
उसकी सांसे तेज चलने लगी। राहुल से रहा नही जा रहा था । वह पजामे के ऊपर से ही अपने लंड को मसलते हुए एक बार फिर से वही हरकत दौहराने की सोचा। क्योंकि राहुल को ऐसा लगता था कि उस दिन से अब उसने अपनी मां को पीछे से अपनी बाहों में भर कर पजामे के अंदर से ही सही ,लंड को उसकी गांड पर चुभाया था उससे राहुल को बेहद आनंद की प्राप्ति हुई थी और वह यही समझता था कि उसकी मां को इस हरकत के बारे में बिल्कुल भी पता नहीं चला था इसलिए राहुल ने फिर से वही हरकत दोहराने के लिए धीमे कदमों से अपनी मां की तरफ बढ़ने लगा उसका तंबू पैजामे में सीधा तना हुआ था।। 
उसकी मां को बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि पीछे उसका बेटा उसकी बड़ी बड़ी गांड को देख रहा है । और अलका थी कि अपने में ही खोई हुई उस बैगन को साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर पर रगड़े जा रहीे थी। वैसे अलका इस तरह से खड़ी होकर बेगन को अपनी बुर पर रगड़ रही थी की उसकी हलन चलन से ऐसा ही लग रहा था कि वह सब्जी काट रही है। वह तो मस्त थी बैगन से अपनी बुर को रगड़ने में और पीछे पीछे धीमे कदमों से राहुल अपनी मां की तरफ बढ़ रहा था उसकी नजर बस उसकी मटकती गांड पर ही टिकी हुई थी।
उसका लंड ऊपर नीचे होकर खुशी व्यक्त कर रहा था। तभी राहुल अपनी मां के पिछवाड़े के बिल्कुल करीब पहुंच कर पीछे से अपनी मां को अपनी बाहों में भरते हुए बोला।

ओह मम्मी आज कुछ स्पेशल बना रही हो क्या? ( इतना कहने के साथ ही राहुल ने अपने पेंट में बने तंबू को अपनी मां की गांड की फांकों के बीचो-बीच धंसा दिया। एकाएक हुए इस हमले से अलका एकदम से घबरा गई और उसके हाथ से लंड समान मोटा तगड़ा बैगन छुट कर नीचे गिर गया , और राहुल था कि अपनी मां को बाहों में भरे हुए अपने लंड को अपनी मां की गांड के बीचोबीच धंसाए ही जा रहा था उसकी कमर आगे की तरफ खींची चली जा रही थी। राहुल के ऊपर वासना पूरी तरह से सवार हो चुकी थी। 
राहुल के इस तरह से पकड़ने पर हड़बड़ाहट में बैंगन गिरने की वजह से हल्का अपने बेटे को डांटती इससे पहले ही अलका को अपनी गांड के बीचोबीच कुछ धंसता हुआ सा महसूस होने लगा, उस धंसतेे हुए चीज के बारे में समझते ही अलका का पूरा बदन उत्तेजना की असीम लहर में लहराने लगा उसके होठ खुद-ब-खुद बंद हो गया । वीनीत को डांटने के लिए जो शब्द मुंह से बाहर निकलने वाले थे वह शब्द उत्तेजना की गर्मी में पिघलकर अंदर ही अंदर समा गए। 
अलका को पलभर में ही समझते देर नहीं लगी कि बैगन से कई गुना दमदार उसके बेटे का लंड था। राहुल था कि अपनी मां को बाहों में कसे हुए ही अपनी कमर को एक बहाने से अपनी मां की गांड पर गोल-गोल घुमाते हुए जितना हो सकता था उतना साड़ी के ऊपर से ही लंड को धंसाने लगा। उसकी मां उसकी इस हरकत पर शक ना करने लगे इसलिए वह प्यार से पुचकारते हुए बोला।


बोलो ना मम्मी क्या बना रही हो आज। वैसे भी आज आप बहुत खुश नजर आ रही हो। ( अलका उसे यह जताने के लिए कि जो वह हरकत कर रहा है इस हरकत से वह अनजान है इसलिए वह सब्जी को काटते हुए बोली।) 
आज मैं तुम लोगों के लिए बेगन का भर्ता बना रहे हो तुझे भी पसंद है ना राहुल। ( बड़ी मुश्किल से उत्तेजना के बावजूद अलका के मुंह से शब्द निकल रहे थे वह बोल जरूर रही थी लेकिन उसका पूरा ध्यान अपने बेटे के लंड की चुभन पर ही बना हुआ था। अपनी मां का जवाब सुनकर राहुल खुश होता हुआ बोला। खुश क्या गांड में लंड घंसाने की उत्तेजना से सराबोर होकर वह बोला।) 

ओह मम्मी तुम कितनी अच्छी हो तुम हम लोग कब बहुत ज्यादा ही ख्याल रखती हैं तभी तुम हम आपसे इतना प्यार करते हैं।( इतना कहने के साथ ही राहुल ने अपनी कमर को अपनी मां के बदन से और ज्यादा सटा लिया, और अपने हाथों का कसाव अपनी मां की सीने पर बढ़ा दिया जिससे अलका कि दोनों चूचियां राहुल के हाथों के नीचे दब गई अलका की हालत खराब होने लगी। राहुल को मालूम था कि उसके हाथ के नीचे उसकी मम्मी की चूचियां दबी हुई थी फिर भी वह चूचियों पर से हाथ हटाने की दरकार बिल्कुल भी नहीं ले रहा था। कल का सब कुछ जानते हुए भी अनजान बनी रहे और सब्जी काटती रही और राहुल था कि अपने लंड को जितना हो सकता था उतना ज्यादा अंदर तक चुभाने की कोशिश कर रहा था। राहुल इस कदर उत्तेजित हो चुका था कि अगर इस समय उसकी मां बिल्कुल नंगी खड़ी हुई होती तू ना जाने कब से है राहुल अपने लंड को अपनी मां की बुक में डाल दिया होता।
अलका को भी मजा आ रहा था अपने बेटे के लंड की चुभन उसे मदहोश बना रही थी उसकी आंखों में खुमारी झलकने लगी थी। अलका का गला सूखता जा रहा था।
वह भी उत्तेजना में अपनी बड़ी बड़ी गांड को इस तरह से गोल गोल घुमा कर अपने बेटे के लंड को चुभवा रही ठीक है राहुल को जरा सा भी शक ना हो वह यही समझता रहे की सब्जी काटने की वजह से उसका बदन हलन चलन कर रही है। 
राहुल को तो मजा आ ही रहा था लेकिन अलका भी पूरी तरह से मस्त हो चुकी थी। वह कुछ देर तक यूं ही झूकी रही और मजा ले ले कर सब्जी काटती रही। 
अलका बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी अपने बेटे के लंड की चुभन की वजह से उसे साफ-साफ महसूस हो रहा था कि उसकी बुर से नमकीन पानी रिस रहा है। 
अपनी मां की बड़ी बड़ी चूचीयो पर राहुल अपने हाथ का कसाव बढ़ा रहा था। अलका की सांसे भारी हो चली थी। राहुल खाकी बस मम्मी मम्मी करते हुए उसके बदन से लिपटा चला जा रहा था। 
अलका को जैसे होश अाया हो इस तरह से अपने आप को छुड़ाते हुए बोली।

बेटा यूं ही दुलार दिखाता रहेगा या मुझे खाना बनाने भी देगा बहुत समय हो चुका है जाकर तू पढ़ तब तक मे जल्दी से खाना बना लेती हूं। राहुल का मन अपनी मां को यू बाहों से अलग करने को बिल्कुल भी नहीं था। ओर नाहीं अलका चाहती थी कि उसका बेटा हट जाए लेकिन अलका अपने बेटे को यह जताना चाहती थी कि राहुल जो उसे अपनी बाहों में भर कर गंदी हरकत कर रहा है उस हरकत से वह बिल्कुल अनजान है। उसे कुछ भी पता नहीं है। इसीलिए अलका उसकी चूचियों पर कसो हुए हाथ को अपने हाथ से ही छुड़ाते हुए कटी हुई सब्जी को पानी से धोने लगी। राहुल वहीं खड़ा होकर अपनी मां को देख रहा था उसके पेजामे में अभी भी तंबू तना हुआ था। जिसे अलका सब्जी धोते हुए देख ली थी। इस समय भी वह राहुल के पजामे में बने हुए तंबू को देखकर दंग रह गई थी। राहुल रसोई घर में ही खड़ा था। अलका शब्जी धोते हुए राहुल से फिर बोली।
क्या हुआ बेटा कुछ काम है क्या?

(अपने पहचाने में बने तंबू को छिपाते हुए वह बोला)

कुछ नहीं मम्मी बस प्यास लगी थी तू है यूं मेरी मनपसंद का खाना बनाते हुए देखा तो रुक गया।

तो बेटा पानी लेकर पी लो ' और जाकर पढ़ाई करो तब तक मैं खाना बना लेती हूं।

ठीक हे मम्मी ( इतना कह कर राहुल पानी पीकर बाहर चला गया।)

राहुल के जाने के बाद हल्का ने महसूस की कि वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी उसने साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर वाली जगह टटोली तो हैरान रह गई थी क्योंकि उसके काम रस ने पेंटी को गीली कर दिया था।
आज दूसरी बार अपने बेटे की वजह से इतनी जल्दी झड़ी थी।।

थोड़ी देर बाद सभी लोगों ने खाना खाकर अपने अपने कमरे में चले गए और अलका घर और रसोई घर की सफाई करने के बाद वह भी अपने कमरे में चली रसोई घर से वही बेगन लेकर अपने कमरे में गई थी

अलका कुछ और करना चाहती थी क्योंकि सुबह से और इस समय दो बार झड़ चुकी थी। इस समय भी वह आज के बारे में सोच सोच कर उत्तेजित हुए जा रही थी इसलिए अपने बदन की प्यास को बुझाने के लिए अलका ने एक नया रास्ता ढूंढ निकाली थी।
अलका जैसे ही अपने कमरे में पहुंची तुरंत दरवाजा बंद कर लि। उस मोटे तगड़े बेगन को बिस्तर पर फेंक कर खुद आईने के सामने खड़ी हो गई और तुम भी लेकर अपनी बिखरे हुए बाल को सवारने लगी। अपनी खूबसूरत बदन को आईने में देखकर वह अपने आप मुस्कुराने लगी यह तो वह अच्छी तरह से जानती थी कि वह काफी खूबसूरत थी। इसलिए तो इस उम्र में भी बेटे की उम्र का दीवाना मिला था। उसकी रोमांटिक बातो ने अलका को पूरी तरह से मोह लिया था। 
अलका ब्लाउज उतार कर फेंक चुकी थी और अपनी ब्रा को एडजस्ट करने लगी तभी उसे याद आया कि राहुल ने किस तरह से अपने हाथों से दोनों चूचियों को भींचा हूआ था। और किस तरह से उसका मोटा ताजा लंड उसकी गांड में घुसे जा रहा था। उस पल को याद करके अलका पूरी तरह से उत्तेजित हो गई और तुरंत अपने बिस्तर पर चली गयी लेकिन बिस्तर पर जाने से पहले उसने अपनी साड़ी ब्रा पेटी कोट पेंटी सब कुछ उतार कर बिल्कुल नंगी हो गई थी।
बरसों के बाद कुछ दिन से वह अपनी उंगली का सहारा लेकर के अपने बदन की प्यास को बुझा रही थी। लेकिन आज उसने कुछ और सोच रखी थी बेगन को हाथ में लेकर उसके मोटे वाले हिस्से को अपनी बुर पर रगड़ने लगी। तुरंत उसकी सांसे तेज चलने लगी उत्तेजना का संचार उसके पूरे बदन में हो रहा था। बरसों के बाद लंड के साइज की कोई वस्तु उसकी बुर मे जाने वाली थी।
सोच-सोच कर अलका रोमांचित हुए जा रही थी।
अलका इतना ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी कि एक पल का भी विलंब सहन करना उसके लिए मुश्किल हुआ जा रहा था इसलिए उसने थोड़े से थूक को अपनी बुर की पंखुड़ियों पर लगाई और थोड़े से तुम बेगन कि मोटे वाले हिस्से पर लगा दी। और तुरंत देखने का मोटा वाला हिस्सा अपने बुर की पतली दरार के गुलाबी छेद में प्रवेश कराने लगी। अगले ही पल धीरे धीरे करते हुए पूरा बेगन उसकी बुर में समा गया। बरसों के बाद उसकी बुर में कुछ मोटा सा गया था इसलिए उसे दर्द भी हो रहा था लेकिन वह जानती थी कि दर्द के बाद ही असली मजा मिलता है। अलका धीरे-धीरे उस बेगन को बुर के अंदर बाहर कर के चोदने लगी। 
थोड़ी ही देर में हाथ चलाने की गति तीव्र हो गई। अलका की सिसकारियां फूटने लगे खास करके यह सिसकारियां उस समय ज्यादा तेज हो जाती थी जब वह उस बेगन की जगह अपने बेटे के मोटे ताजे लंड की कल्पना करती थी। वासना के शिकंजे में पूरी तरह से वह गिरफ्त हो चुकी थी। इसलिए उसे कुछ सूझ नहीं रहा था और वह बेगन को अंदर बाहर करते हुए अपने बेटे का नाम ले लेकर, बेगन से अपनी बुर को चोद रही थी।
थोड़ी देर बाद ही बेगन से बुर को चोदते चोदते उसकी सांसे तेज चलने लगी उसकी सिसकारियां बढ़ने लगी। अलका कसमसाते हुए अपने बदन की अकड़न को देख रही थी उसे मजा आ रहा था। तभी भरभराकर वह झड़ने लगी। उसकी बुर से कामरस का फुवारा छुट पड़ा। अलका को आज उंगली से ज्यादा बेगन से चुदने में मजा आया था। अलका तृप्त हो चुकी थी' थोड़ी ही देर में वह बिना कपड़ों के ही बिस्तर पर सो गई।
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