Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
10-09-2018, 03:32 PM,
#53
RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
विनीत की हालत खराब होतेे जा रही थी एक तो उसकी नरम नरम उंगलियां जैसे की एक दम रूई और दूसरे उसके आगे की तरफ झुकने की वजह से ब्लाउज से झांकती आधे से भी ज्यादा उसकी चूचियां,ऊफ्फफ.... यह सब नजारा उसके लंड पर ठोकर मार रही थी। जिसके चलते वह उत्तेजना से सरोबोर हो चुका था। कुछ देर तक यु ही विनीत अलका की हथेलियो को अपनी हथेली मे लेकर मींजता रहा।

तब तक वेटर ने ठंडे पानी का गिलास रख कर चला गया। विनीत पानी का गिलास लेकर अलका को थमाते हुए बोला. 

लीजीए आंटी पहले पानी पीजीए . 

अलका ने पानी का ग्लास विनीत के हाथों से थाम ली। और पीने लगी गलत का पानी खत्म करने के बाद अलका ने राहत की सांस ली। अलका को सामान्य होता देख विनीत बोला।

क्या हुआ क्या बात है आंटी आप इतनी उदास क्यूं हैं? 

क्या कहु बेटा इतनी परेशान में कभी नहीं थीी जितनी कि आज मैं महसूस कर रही हूं। ( इतना कहने के बाद अलका है चुप हो गई विनीत फिर से उससे बोला।)

आंटी जी आप बताएंगी नहीं तो मुझे पता कैसे चलेगा कि आप परेशान क्यों हैं कि आपके परेशानी का कारण क्या है। आप बिल्कुल भी चिंता मत करिए हो सकता हो कि कहीं मैं आपकी मदद कर सकता हूं । आप बताइए। 
( अलका को समझ में नहीं आ रहा था कि वह वीनीत से बताए कि ना बताए। और बताएं भी तो कैसे क्या वह उसकी मदद कर पाएगा क्योंकि रकम बड़ी थी और विनीत की उम्र देखते हुए लगता नहीं था कि वह इतनी मदद कर पाएगा। फिर भी डूबते को तिनके का सहारा रहता है उसी तरह से अलका को भी शायद दिन एसे ही कोई मदद मिल जाए इसी उम्मीद से अलका उससे बोली।)

बेटा अब में तुम्हें कैसे बताऊं. दूसरों के लिए यह शायद उतनी बड़ी मुसीबत नहीं है जितनी कि मेरे लिए है। बड़ी उम्मीद लेकर आज मैं ऑफिस के लिए निकली थी लेकिन कोई बात नहीं बनी।


आंटी जी (इतना कहने के साथ ही विनीत ने फिर से अनुष्का की हथेली को अपनी हथेली में भर लिया ) आप सीधे सीधे बताइए कि आप को क्या परेशानी है आप बिल्कुल भी चिंता मत करिए।

विनीत की हथेलियों में अपनी हथेली होते हुए भी अलका अपना हाथ पीछे खींचने की बिल्कुल भी दरकार नहीं ली शायद ऐसी मुसीबत की घड़ी में विनीत का यह सहारा उसे अच्छा लग रहा था। विनीत के इतने आग्रह करने के बाद अलका ने अपनी मुसीबत बताते हुए बोली।

बेटा तुम तो जानत हीे हो कि ऑफिस में तनख्वाह अपनी नियत समय पर ही मिलती है। और अभी तनख्वाह होने में 10 दिन बाकी है। 


( अलका की हथेलियों को अपनी हथेली में भरकर जब आते हुए विनीत फिर बोला।) 
तो आंटी जी यह तो बताइए कि आपकी तकलीफ क्या है।

यही तो बता रही हूं बेटा। तनख्वाह होने में अभी 10 दिन बाकी है और तनख्वाह तक घर कर्ज चलाने के लिए भी मेरे पास इतनी रकम नहीं है और ऐसे में मेरे छोटे बेटे की स्कूल की फीस बाकी है। जैसे तुरंत भरने के लिए उस कूल वाले ने सूचना भेजी है अगर मैं फैसला कर पाई तो मेरे बेटे का नाम स्कूल से काट दिया जाएगा बस मे फीस का बंदोबस्त नहीं कर पाई यही चिंता मुझे पल पल खाए जा रही है। की अब मैं फीस का बंदोबस्त कैसे करूं कैसे भरूंगी 3 महीने की फीस।

( अलका की परेशानी का कारण जानकर वीनीत मुस्कुराने लगा. तब तक वेटर ने भी ऑर्डर ले आया विनीत कॉफी के कप को अलग का की तरफ बढ़ाते हुए बोला।)

बस आंटी जी अब आप सारी चिंता मुझ पर छोड़ दीजिए और यह कॉफी पी जिए। ( अलका विनीत की बात का मतलब समझ नहीं पा रही थी वह विनीत को आश्चर्य से देखे जा रही थी। अलका को विनीत पर भरोसा नहीं था कि वह उसकी मदद कर पाएगा। अलका के चेहरे पर आए हाव भाव को विनीत अच्छी तरह से समझ पा रहा था इसलिए वह अलका को कॉफ़ी का कप थमाते हुए बोला आप आंटी जी बस कॉफी पी जिए। अब आपकी परेशानी की जिम्मेदारी मेरी है।( इतना कहने के साथ विनीत ने कॉफी के कप को अलका को थमा दिया और अलका भी कॉफी पीने लगी। अलका कॉफी पी जरूर रही थी लेकिन उसके मन में परेशानी बराबर बनी हुई थी। उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि पीने क्या सच में उसकी मदद करेगा या यूं ही बातें बना रहा था। 
थोड़ी ही देर में दोनों कॉफी की चुस्की लेते हुए कॉफी खत्म कर दिए। विनीत कॉफी के खाली कप को ट्रे में रखते हुए अलका से बोला। 

क्या आंटी जी बस इतनी छोटी सी बात के लिए आप इतना परेशान हो रही थी। अपने गुलाब से खूबसूरत चेहरे पर बस छोटी सी चीज के लिए इतनी उदासी लेकर चल रही थी आप। मुझसे पहले कह दी होती तो शायद यह सब की नौबत नहीं आती लेकिन मुझे लगता है कि आपको मुझ पर भरोसा नहीं है। ( विनीत के मुंह से अपनी सुंदरता की तारीफ सुनकर अलका एक पल के लिए अपनी चिंताओं को भूल गई और खुशी से गदगद हो गई। विनीत ने हाथ को पीछे ले जाकर अपनी जेब में से बटुवा निकालते हुए बोला।)

कितनी फीस की जरूरत है आंटी जी आपको।

1500( ना चाहते हुए भी अलका के मुंह पर झट से निकल गया।) 

विनीत ने अलका के मुंह से सुना भर था और तुरंत बटुए से 500 500 के 4 नोट निकालकर अलका के हाथ में थमा दिया। अलका आश्चर्य से विनीत की तरफ देखे जा रही थी उसका मुंह खुला का खुला था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि विनीत उसकी मदद कर रहा है। वह तनोट को हाथ में थाम तो ली थी । लेकिन पैसों को गिनने के लिए उसकी उंगलियां चल नहीं रही थी। मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि बित्ते भर का छोकरा उसकी इतनी बड़ी मदद कर रहा है। वह नोट को थामे हुए ही बोली।

इतने सारे पैसे तुम्हारे पास कैसे आए( अलका आश्चर्य से विनीत से सवाल पूछ रही थी।) 

वह वापस बटुए को अपने पेंट की पीछे की जेब में रखते हुए बोला।।

आंटी जी यह सारे पेसे मेरे ही हैं। मैं कोई ऐरा गैरा लड़का नहीं है मैं अच्छे खानदान से हूं। मेरे भैया बिजनेसमैन है। इसलिए आप इत्मीनान से यह सारे पैसे रख लीजिए। 
( अलका अभी भी आश्चर्य से विनीत की तरफ देखे जा रही थी। तब तक वीनीत ने फिर से अलका के हथेली में रखा हुआ पेसे को अपनी हथेली से अलका की मुट्ठी बांधते हुए बोला।)

रख लीजिए आंटी जी मुझे खुशी है कि मैं आपके इतना मदद कर सकने में काबिल तो हूं। 

मैं तुम्हारा यह एहसान कैसे चुकाऊंगी, मुझे शर्मिंदगी भी महसूस हो रही है । कि मैं अपने बेटे की उम्र के लड़के से मदद ले रही हूं। 

इसमें शर्म कैसी आंटी जी। आप बेवजह इतनी सारी बातें सोच रही हैं। आप रख लीजिए पैसे को ।

( वीनीत की बात सुनकर और उसकी की गई मदद की वजह से अलका की आंखों से खुशी के आंसू टपक पड़े, लेकिन तुरंत विनीत ने अलका के आंखों से टपके हुए आंसू को नीचे गिरने से पहले ही अपनी हथेली बढ़ा कर अपनी हथेली में अलका के आंसू को थाम लिया। और अलका की आंखों के सामने ही अपनी बंद मुट्ठी को चूम कर अलका के आंसू को अपने होठ पर लगा कर चूमते हुए पी गया। अलका विनीत की इस हरकत को देखकर एकदम से रोमांचित हो गई। उसे ऐसा लगने लगा था कि वह कोई फिल्म देख रही है और हीरो हीरोइन की आंखों से निकले हुए आंसू को पी रहा है।
दिनेश की इस हरकत पर अलका को शर्मा भी आने लगी थी। वह अंदर ही अंदर कसमसाने लगी और विनीत अलका की हालत को देख कर मुस्कुरा रहा था। और अलका की तरफ देखते हुए बोला।

आंटी जी आपके आंसु बहुत अनमोल है इसे बेवजह जाया मत करिए। ( इतना कहने के साथ ही विनीत आगे बढ़कर अलका के हाथ को चूम लिया। वीनीत के होठों का स्पर्श अपने हाथ पे होते हैं अलका पूरी तरह से गनगना गई। वह तुरंत रेस्टोरेंट में चारों तरफ नजर घुमाकर देखने लगी कि कहीं कोई उन दोनों की तरफ देख तो नहीं रहा है। लेकिन सब अपने-अपने में मशगूल थे। अलका शर्म से अपने हाथ को पीछे की तरफ खींचते हुए बोले अब मुझे चलना चाहिए काफी देर हो चुकी है। ( इतना कहने के साथ ही कंधे पर टिका हुआ बैग को टेबल पर रख कर उसकी चेन को खोल कर पर्स में पैसे रखने लगेी लेकिन तभी उसे एहसास हुआ कि पैसे कुछ ज्यादा है। इसलिए वह पर्स में पैसे डालने के पहले उसे गिनने लगी। 500रु उसमे ज्यादा था। 
अलका 500 की एक नोट निकालकर विनीत को वापस थमाने लगी। लेकिन विनीत ने उस नोट को वापस पर्स में रख वाते हुए बोला

यह भी रख लीजीए आंटी जी आपको इस की ज्यादा जरूरत है। 
( अलका मजबूर थी और इस वक्त विनीत के आगे उसकी एक ना चली और वह नोट को पर्श में रखते हुए बोली।

बेटा आज जो तुमने मुझ पर एहसान किया है ईस एहसान का बदला मैं कैसे चुका पाऊंगी। 

आंटी जी इस एहसान का बदला आपने कब से चुका दिया है। मुस्कुरा कर,। 
( वीनीत की ऐसी रोमांटिक बातें सुनकर अलका फिर से मुस्कुरा दी। और अलका को मुस्कुराता हुआ देखकर वीनीत फिर बोला।)

यह हुई ना बात बस आंटी जी इसी तरह से मुस्कुराते रहिए आप पर मुस्कुराहट और ज्यादा अच्छी लगती है।

( अलका मुस्कुराते हुए कुर्सी पर से उठी और बाय कहकर रेस्टोरेंट के बाहर जाने लगी विनीत कुर्सी पर बैठे-बैठे अलका को गांड मटका कर जाते हुए देखता रहा। एक बार फिर से अलका की बड़ी बड़ी मस्त गांड को देखकर विनीत का लंड खड़ा होने लगा था, विनीत और कुछ सोच पाता इससे पहले वेटर बिल लेकर आ गया। विनीत भी खुश होकर बिल के पैसे चुकाया और मुस्कुराता हुआ रेस्टोरेंट के बाहर आ गया। 
आज विनीत के लिए बहुत बड़ा दिन था। विनीत धीरे धीरे अपने इरादे में कामयाब होता जा रहा था। वह अपने साथ अलका को कुर्सी पर तो ले ही आया था अब उसका इरादा अलका को बिस्तर तक ले जाने का था और अलका की माली हालत देख कर उसे लगने लगा था कि आगे चलकर यह काम आसान हो जाएगा।

अलका अपने घर पहुंच चुकी थी आज वह बहुत खुश थी एक तो उसकी मुसीबत जो थी वह टल चुकी थी। और दूसरा यह कि आज वह अपने आप को एक लड़की की तरह महसूस कर रही थी। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसके बेटे की उम्र का लड़का उसका इस कदर दीवाना हो जाएगा कि बिना सोचे समझे ही झट से पर्स में से निकाल कर दो हजार रुपया थमा देगा। विनीत की रोमांटिक बातोें ने अलका को अंदर तक हिला दिया था। जिस तरह से विनीत में किसी रोमांटिक हीरो की तरह उसकी आंख से निकले आंसू को थामकर अपने होठों से लगाया था उसकी इस अदा पर अलका
कुर्बान हो गई थी।
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RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो - by sexstories - 10-09-2018, 03:32 PM

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