RE: Desi Sex Kahani होता है जो वो हो जाने दो
अपनी मम्मी के कारण पेंट में बने हुए तनाव पर नजर पड़ते ही एक बार फिर से राहुल को अपने ऊपर क्रोध आ गया अपने आप पर गुस्सा करने लगा और अपना ध्यान दूसरी तरफ बंटाने लगा। राहुल और सोनू भी दरवाजे पर लॉक लगाकर अपने अपने स्कूल की तरफ चल दीए।
आज क्लास में विनीत बड़ा ही गुम सुम बैठा हुआ था गुमसुम क्या था वह सिर्फ अलका के ख्यालों में ही खोया हुआ था। उसकी आंखोे के सामने कल की बीती सारी घटना के वह लाजवाब पल एक एक करके नजर आ रहे थे। उसके बदन मे झनझनाट फैल गई जब उसे याद आया कि उसने पहली बार एक बहाने से कैसे उसकी चूची को स्पर्श किया था, ऊफफफफ.... गजब की नरमी और गुदाजपन था उसकी चूची में, वीनीत का लंड टनटना के खड़ा हो गया जब उसे वह पल याद आया जब उसने अंधेरे का लाभ उठाते हुए अलका को अपनी बाहों में कस के भींच लिया था और लगे हाथ अपने दोनों हथेलियों काे अलका की गदराई हुई बड़ी-बड़ी गांड पर रख के कस कस के दबाए जा रहा था और पूरा मन बना लिया था की आज तो अलका को चोदकर ही रहेगा और इसीलिए उसने अलका की साड़ी को कमर तक उठा कर अपने लंड को बाहर भी निकाल लिया था अलका को घुमाकर इससे ज्यादा और कुछ कर पाता इससे पहले ही मोटरगाड़ी की लाइट में सारा मजा किरकिरा कर दिया था। वह उस समय इतना ज्यादा उत्तेजित हो चुका था कि अगर अलका वहां से भाग ना खड़ी हुई होती तो उसे वो मोटर गाडी वाले का जरा भी ़ परवाह नहीं था, विनीत अलका को वही खुली सड़क पर ही चोद दीया होता, लेकिन उसका नसीब खराब था । घर पर पहुंचने पर भी उस की उत्तेजना जरा सी भी कम नहीं हुई थी । अलका के बदन की गर्मी का गरम एहसास उसे उत्तेजित किए हुए था। तभी तो घर पहुंचते ही जैसे ही उसकी भाभी चुदवासी होकर उसके बदन से लिपटी तो वीनीत ने तुरंत अपनी भाभी को अलका समझ कर अपनी बाहों में भीच लिया
और बिस्तर पर पटक कर ऐसी जबरदस्त चुदाई किया कि उसकी भाभी का पोर पोर दर्द करने लगा था।
वह क्लास में बैठे-बैठे भी उस मोटर गाड़ी वाले को कोस ही रहा था कि पीछे से अपने कंधे पर थपथपाने से उसकी तंद्रा भंग हुई। पीछे मुड़कर देखा तो राहुल था। राहुल उसे यूं गुमसुम होकर बैठा हुआ देख कर बोला।
क्या हुआ यार तू इतना उदास क्यों है? क्या कोई प्रॉब्लम है क्या।( इतना कहने के साथ ही राहुल उसके बगल में बैठ गया। अब वीनीत उसे बताएं भी तो क्या बताएं, पहले तो वह सब कुछ बता भी देता था लेकिन ना जाने क्यों अब राहुल से वह अपनी प्राइवेट बातें नहीं बताता था। इसलिए सर दुखने का बहाना कर के राहुल से कन्नी काट लिया। राहुल भी उससे ज्यादा पूछताछ करना ठीक नहीं समझा। तो राहुल का पूरा ध्यान उसकी मम्मी पार ही लगा हुआ था उसकी मम्मी के ऊपर से ध्यान हटता दो विनीत की भाभी पर चला जाता, दोनों औरतों की वजह से आप उसका ध्यान पढ़ाई में बिल्कुल भी नहीं लग रहा था।
राहुल के बदन मे चुदाई की खुजली मच रही थी। वह जानबूझकर विनीत से नोट्स ले जाने के बारे में बोलता था ताकि विनीत नोट ले जाए तो उसे लेने के लिए वह भी वीनीत के घर जा सके। लेकिन विनीत को अभी नोट्स की जरूरत नहीं थी इसलिए वह इंकार कर देता।
दूसरी तरफ मधु थी जिसकी जवानी ऊफान मार रही थी
जिसकी बुर में आग लगी हुई थी राहुल के लंड को लेने के लिए, लेकिन उसे कोई मौका हाथ नहीं लग रहा था।
राहुल से चुदवाने के लिए वह किसी भी हद तक तैयार थी।
रिशेेष में वह मौका देखकर राहुल से बोली।
राहुल तुमसे मुझे जरूरी काम था क्या तुम मेरी मदद करोगे।( मधु दौड़ते हुए राहुल के पास गई थी इस वजह से वह हांफ रही थी। और तेज तेज सांस लेने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी गाेलाईयां ऊपर-नीचे हो रही थीे जिस पर राहुल की नजर पड़ ही गई। और राहुल भी थूक निगलते हुए एकदम मधु की चूचियों को देखने लगा। मधु की तेज नजरों ने राहुल की नजरों के निशाने को भांप ली और अंदर ही अंदर खुश होने लगी। राहुल एकटक उसकी चूचियों को ही देखे जा रहा था तो मधु मुस्कुराते हुए फिर से बोली।)
क्या हुआ राहुल मेरी मदद करोगी या नहीं?
( राहुल हड़ बड़ाते हुए बोला।)
हां हां कककक...क्यों नही। जरूर करूंगा तुम्हारी मदद लेकिन कैसी मदद। ( राहुल को भी नहीं पता था कि मधु को किस तरह की मदद चाहिए थी । और वैसे भी मधु को तो किसी और चीज में मदद चाहिए थी लेकिन इस तरह से खुल्लम खुल्ला तो बोल नहीं सकती थी इसलिए कोई ना कोई बहाना तो चाहिए ही था। और पढ़ाई के बहाने से बेहतर बहाना और क्या हो सकता था इसलिए वह बोली।)
मुझे मैथ्स में कुछ प्रॉब्लम पड़ रही है जिसका सोल्युशन मिल नहीं रहा, क्या तुम मैथ के प्रश्नों को हल करने में मेरी मदद करोगे।
हां हां जरूर करूंगा यह तो मेरे बाएं हाथ का खेल है।
तो चलो वही ऊपर की मंजिल पर जहां पर सारी क्लास खाली रहती हैं वहां कोई शोर शराबा भी नहीं होगा और मैं ठीक से समझ भी लूंगी। ( ऊपर की क्लास की बात सुनते ही राहुल का रोम रोम संजना गया क्योंकि कुछ दिन पहले ही मधु उसे ऊपर की क्लास में ले गई थी और क्लास में जो उसने की थी उसकी यादें अभी भी उसके मानस पटल पर ताजा थी। राहुल के लिए मना करने का सवाल ही नहीं उठता था इसलिए वह तुरंत तैयार हो गया क्योंकि उसे भी मधु का साथ बहुत ही प्यारा लगता था।
दोनों नजरे बचाकर ऊपर की मंजिलें पर चले गए।
ऊपर की मंजिल पर पहुंचते ही नीलू ने राहुल को क्लास में ले गई। नीलू के करीब होते ही राहुल की धड़कन बढ़ जाती थी, एक तरह से उसकी सिट्टी पिट्टी गुम हो जाती थी। ऊपर की मंजिल पूरी तरह से खाली थी कोई भी विद्यार्थी नहीं था। नीलू को अक्सर ऐसे ही मौके की तलाश रहती थी। नीलू और राहुल दोनों एक ही बेंच पर बैठ गए। बेंच पर बैठते ही राहुल ने बोला।
लाओ बताओ तो नीलू तुम्हें कौन से प्रश्न में उलझन हो रही है। ( अब नीलू क्या कहें उसे कोई उलझन हो ताे ना बताए लेकिन फिर भी उसने झूठ मूठ का मैथ्स की बुक खोलकर एक सवाल राहुल को बता दी।
राहुल ने किताब अपनी तरफ खींच कर नोट में सवाल हल करने लगा सवाल हल करते जाता था और नीलू को समझाता भी जाता था लेकिन नीलू का ध्यान किधर था उसे सवाल हल करना होता तो ना ध्यान देती। उसे तो बस बहाना चाहिए खराब होने के नजदीक रहने का और हमेशा मौके की ही ताक में रहती थी। नीलू की आंखों के आगे तो हमेशा राहुल के पेंट में बना हुआ तंबू ही नजर आता था। वह बहुत दिनों से तड़प रही थी राहुल के लंड को लेने के लिए लेकिन उसकी नसीब खराब थी कि मौका मिलते हुए भी वह मौके का लाभ नहीं उठा पा रही थी कोई ना कोई उलझन सामने खड़ी हो ही जा रही थी। आज इस मौके का लाभ उठाना चाहती थी। राहुल नीलू के मन में क्या चल रहा था इन बातों से वह बिल्कुल भी बेखबर था।
नीलू मन ही मन में कोई न कोई बहाना ढूंढ ही रही थी कि क्लास में राहुल के साथ थोड़ा बहुत मजा ले लिया जाए लेकिन कैसे? वह मन ही मन में राहुल को कोस भी रही थी कि कैसा लड़का है एक सुंदर, जवानी से भरपूर नवयौवना उसके सामने अकेले ही बैठी है और यह मौका है कि सवाल हल करन मेे लगा है इस उमर में तो इसको जवानी के सवाल हल करने चाहिए न की किताबों के। इसकीे जगह कोई ओर लड़का होता तो ना जाने कब से मेरे ऊपर टूट पड़ता मेरी जवानी के रस को अपने मोटे ताजे लँड से खींच खींचकर चूस लिया होता।
यही सब सोच-सोच कर परेशान हुए जा रही थी उसे कोई बहाना सुझ नहीं रहा था। बहुत दिनों बाद जो उसे मौका मिला है उसे हांथ से गंवाना नहीं चाहती थी ।
नीलू आंखें मटका मटका कर राहुल के चेहरे को गौर से देखे जा रही थी राहुल था कि सवाल हल करने में ही मस्त था उसने एक बार भी नजरें उठाकर नीलु की तरफ नहीं देखा था।
तभी उसने अपने पैर से सैंडल को पेऱ का सहारा लेकर उतार दी और उस पैर को राहुल की टांगो पर रगड़ने लगी। अपने पैर पर नीलू के पैर की रगड़ने को महसूस करके राहुल आश्चर्यचकित होकर नीलू की तरफ देखने लगा और नीलू थी कि राहुल को देखते हुए मुस्कुराए जा रही थी।
नीलू ने अपने पैर के अंगूठे के बीच राहुल के पेंट की किनारी को दबाकर हल्के से पेंट को ऊपर की तरफ उठाने लगी' और उतने से भाग पर अपनी नरम नरम ओर मुलायम गोरी टांग को रगड़ने लगी। नीलू की हरकत पर राहुल पूरी तरह से गनगाना गया' , नीलू की आंखों में अजीब सी ख़ुमारी छाई हुई थी उसके चेहरे पर बिखरी हुई कामुक मुस्कान किसी के भी कलेजे पर छुरिया चलाने के बराबर था। नीलु राहुल की तरफ देखते हुए बड़े ही मादक अंदाज में अपने लाल-लाल होठों को दांत से चबाने लगी। नीलू का यह रुप देख कर राहुल उत्तेजना से भर गया उसकी जांघों के बीच फन दबाए बैठे मुसल मे सुरसुराहट होने लगी। नीलू लगातार अपने पैरों का कमाल दिखाई जा रही थी राहुल का गला सुर्ख होने लगा था अजीब से सुख की अनुभूति करके उसके बदन में कंपकंपी सी मची हुई थी।
नीलू के लगातार प्रयास करने पर भी राहुल बिना कुछ किए सिर्फ मुक दर्शक बनकर नीलू की हरकतों का आनंद उठा रहा था, बल्कि राहुल की जगह कोई और होता है तो कब से इस इशारे को अपने लिए आमंत्रण समझ कर टूट पड़ता। लेकिन नीलु समझ चुकी थी कि जो भी करना था उसे ही करना था। अब इससे ज्यादा वह क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन इतना तो उसे ज्ञात हो चुका बात है कि राहुल पूरी तरह से ऊत्तेजीत हो चुका था। और उत्तेजित हुआ है तो उसका लंड भी पूरी तरह से टन टना कर खड़ा हो चुका होगा। यही सोचकर नीलू के मन में गुदगुदी मचने लगी।
उसने तो मन ही मन में राहुल के मोटे तगड़े लंड का चित्रांकन करके मस्त होते हुए अपनी बुर को पनिया चुकी थी। वह मन में ही सोच रही थी कि राहुल की जगह अगर कोई और लड़का होता तो बिना बोले ही उसकी पनियाई बुर में लंड डालके चोद दीया होता।
नीलू अभी भी अपनी हरकतों से राहुल को बहकाने की कोशिश कर रही थी पर ऐसा नहीं था कि राहुल का हक ना रहा हो राहुल के चेहरे से साफ पता चल रहा था कि वह पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका है। उसका चेहरा उत्तेजना के कारण तमतमा गया था। वह थूक निकलते हुए नीलू को ही घूरे जा रहा था और नीलू थी की अपने होठों को दांतों से चबाते हुए अपनी उत्तेजना को दबाए जा रही थी। क्या करें उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन कुछ तो करना ही था ऐसा मौका वह हाथ से जाने भी नहीं देना चाहती थी। तभी उसके दिमाग में एक युक्ति सूझी और वह तुरंत बेंच पर से उठ खड़ी हुई।
खड़े होते ही मैं उसी जगह पर उछलने लगी , जैसे कि उसके कपड़ो में कुछ घुस गया हो और वाकई में वह उछलते हुए अपने दोनों हाथो को पीछे पीठ की तरफ करके खुजाते हुए राहुल से बोली।
ककककककककुछ काट रहा है कुछ काट रहा है राहुल मुझे....
( नीलू का चिल्लाना सुनकर वह भी झट से बेंच पर से खड़ा हुआ और घबराते हुए बोला।)
क्या काट रहा है नीलु कहां काट रहा है?
( अभी भी जोर-जोर से उछलते हुए अपनी हथेली से पीठ को खुजला रही थी और बोली।)
यहां पीठ पर राहुल कुछ बहुत जोरों से काट रहा है मुझ से रहा नहीं जा रहा। कुछ करो राहुल कुछ करो।
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