RE: Antarvasna kahani मासूम
मेरी बात सुनकर दीदी चुप चाप उल्टी लेट गई और मैं उनकी जाँघो पर बैठ गया मेरा लंड हार्ड हो गया था अब मैं झुका और दीदी की पीठ पर किस करने लगा झुकने की वजह से मेरा लंड दीदी की गान्ड से टकराने लगा और फिर मैं दीदी की गान्ड को फील करते हुए उनकी पीठ और कमर को किस करने लगा साथ ही साथ चाटने और जगह जगह चूसने भी लगा
दीदी को बहुत मज़ा आरहा था दीदी ने तकिया बहुत मजबूती से पकड़ रखा था मेरा लंड उनकी गान्ड के बीच मे था और दीदी मेरा लंड पूरी तरह फील कर रही थी और मैं दीवानो की तरह उनकी बॅक को चूमने और चाटने मे लगा हुआ था
मैं दीदी की गान्ड की हर हरकत की महसूस कर रहा था दीदी अपनी अपनी गान्ड को हिला कर मेरे लंड को फील कर रही थी दीदी की पीठ से खेलते खेलते मैने उनकी ब्रा के हुक खोल दिए और ब्रा की स्ट्रीप उनकी दोनो साइड हो गई दीदी कुच्छ नही बोली मैं उन्हे वासना मे मदहोश कर देना चाहता था और बहुत हद तक कर भी चुका था
दीदी की पीठ पर किस करते करते मैने अपने दोनो हाथ साइड से ले जाकर दीदी के दोनो बूब्स ब्रा के उपर से ही पकड़ लिए और दबाने और मसल्ने लगा
दीदी मज़े मे थी और मेरी आसानी के लिए उन्होने अपनी छाती थोड़ी उपर को उठा ली तो मैने खींच कर उनकी ब्रा अलग कर दी और अब उनके बड़े बड़े बूब्स नंगे मेरे हाथो मे थे
दीदी के निपल्स हार्ड थे उन्हे छेड़ने मे मुझे बहुत मज़ा आरहा था और मेरा लंड दीदी की सलवार के उपर से ही उनकी गान्ड मे घुसे जा रहा था मैं दीदी की पीठ पर किस करते हुए दीदी के बूब्स को मसले जा रहा था
काफ़ी देर बाद मैं उठा और दीदी की सलवार नीचे करने लगा आप यकीन नही करोगे कि दीदी ने मुझे कुच्छ भी नही कहा और ना ही रोका बल्कि दीदी ने अपनी गान्ड उपर उठा ली जिस से उनकी सलवार आराम से उतर गई अंदर दीदी ने पैंटी नही पहनी थी मैने उनकी सलवार को उनके घुटनो तक कर दिया और अब दीदी की गोरी गोरी गोल मटोल मोटी गान्ड मेरी आँखो के सामने थी और वो भी बिल्कुल नंगी.......................
मैं दीदी के नंगे चुतड़ों को देख कर अपना आपा खो बैठा और उन्हे पागलो की तरह चूमने लगा दीदी को भी बहुत मज़ा आरहा था और उन पर वासना का नशा चढ़ चुका था वो भी अपनी बड़ी गान्ड को मस्ती मे हिलाने लगी थी
मैं दीदी के चुतड़ों को चूमने के साथ सक भी कर रहा था और उन्हे अपने दाँतों से काट भी रहा था मेरी हरकतों से दीदी का बुरा हाल था फिर मैने दीदी के दोनो कुल्हो को फैला कर उनकी गान्ड को खोला और उनकी गान्ड का छेद देखने लगा दीदी ने इस बात अपनी गान्ड उपर को उठाई हुई थी लेकिन उनकी जांघे चिपकी हुई थी जिससे उनकी चूत नज़र नही आरहि थी
मैने दीदी की गान्ड को अच्छे से देखने के बाद अपना लंड बाहर निकाल कर उसे थूक से गीला किया और दीदी की गान्ड पर भी बहुत सा थूक डाल दिया और इससे पहले कि दीदी कुच्छ समझ पाती या करती मैने अपना लंड उनकी गान्ड पर सेट करके एक ज़ोर का धक्का लगा दिया जिससे मेरा आधा लंड एक बार मे ही उनकी गान्ड मे घुस गया
जैसे ही मेरा लंड उनकी गान्ड मे आधा घुसा दीदी दर्द से चीख उठी और अपना सिर बेड पर पटकने लगी दीदी ने गान्ड को हिलाना शुरू कर दिया और मेरा लंड बाहर निकालने को कोशिश करने लगी लेकिन मैने उन्हे जोरो से पकड़ रखा था इसलिए वो कामयाब नही हो पाई फिर मैं उनकी गान्ड मे लंड फसाए ही उन पर लेट गया और उनको दोबारा पीठ पर और गर्दन पर किस करने लगा और दीदी के बूब्स दबाने लगा
"उल्लू के पट्ठे, कामीने मेरी गान्ड फाड़ दी तुमने, आराम से नही कर सकते थे क्या, हआइईए.........मैं मर गई रे........मेरी गान्ड फाड़ दी रे..........बेटा दिपु तुमने मेरी गान्ड फाड़ दी है......हैए......मेरी गान्ड बहुत जल रही है बहुत दर्द हो रहा है........हेयैयी ये क्या कर दिया बेटा तुमने मेरी गान्ड फाड़ कर रख दी आराम से नही कर सकते थे क्या........" दीदी दर्द से तड़पति हुई बोली
"दीदी आपने मुझे जितना तरसाया और तडपाया है ना अभी तक इसीलिए आज मैने उसका बदला लिया है आप से" मैं बोला
और इतना कह कर मैने तोड़ा लंड बाहर निकल कर फिर ज़ोर का धक्का लगाया और मेरा पूरा लंड दीदी की मस्तानी गान्ड मे घुस गया
"ऊओ......माआआअ......मर गई रे......आहह......भैया फट गई मेरी गान्ड तूने मेरी गान्ड फाड़ दी भाई, अब प्ल्ज़ अपनी दीदी की गान्ड को माफ़ कर दो प्ल्ज़ अब आराम से करना मैं माफी मांगती हूँ आगे से कभी तंग नही करूँगी आअहह.......भगवान के लिए प्ल्ज़ आराम चोदो भाई मेरी गान्ड फट गई है और बहुत दर्द हो रहा है, प्ल्ज़ बेटा अभी कुच्छ नही करना यहीं रोक लो प्ल्ज़" दीदी तड़प्ते हुए बोली
कविता दीदी तड़प रही थी मुझे भी लगा कि कुच्छ ज़्यादा ही हो गया है तो मैं फिर से दीदी को किस करने लगा अब मैं उन्हे मज़ा देना चाहता था मैने अपना लंड दीदी की गान्ड मे घुसा रहने दिया और उन्हे प्यार करने लगा कोई हिस्सा नही छोड़ा उनके बदन पर उनकी कमर पर पीठ पर गर्दन पर हर जगह किस किया और उनके बूब्स से भी खेलते रहा काफ़ी देर बाद दीदी को कुच्छ आराम मिला तो उन्होने अपनी गान्ड हिलाना शुरू कर दिया मुझे दीदी की टाइट गान्ड मे अपने लंड को अंदर बाहर होते देख बहुत मज़ा आरहा था
"दिपु अब ठीक है अब धीरे धीरे लेकिन जल्दी चोदो मुझे और निकालो अपने लंड को मेरी गान्ड से बाहर, मेरी गान्ड फट गई है आहह........आराम से धीरे धीरे करो बेटा वैसे मे दर्द नही होता.......हां बेटा दबाओ मेरे बूब्स को हामम्म्मममम........मज़ा आरहा है भाई अब मुझे ऐसे ही स्लो स्लो करो ज़ोर से नही हूंम्म्मम.. .." दीदी बोली
"दीदी आपकी गान्ड बहुत मजेदार है बहुत ही टाइट सॉफ्ट और क्यूट है मुझे बहुत मज़ा आरहा है आपकी गान्ड मारने मे" मैं दीदी की गान्ड मे धीरे धीरे लंड अंदर बाहर करते हुए बोला
"भैया मज़ा तो मुझे भी आता अगर तुम आराम से करते तो लेकिन अब पहले से ठीक है लेकिन आराम से धीरे धीरे चोदो मुझे आहह........आराम से बेटा कोई जल्दी नही है मेरा दर्द और जलन ख़तम होने दो फिर मैं चोदुन्गि तुम्हे और ऐसा चोदुन्गि कि याद करोगे तुम भी हामम्म्मम........बेटा मज़ा आरहा है और दबाओ अपनी दीदी के बूब्स को, मेरे निपल्स को मस्लो मुझे मज़ा आता है, बेटा तुम यही चाहते थे ना आख़िर चोद ही लिया ना अपनी दीदी को" दीदी बोली "भैया हमेशा पहले लड़की की चूत मे चोदा करो उसके बाद गान्ड मारा करो इससे लड़की को मज़ा आता है और वो भी मज़े लेकर पूरा साथ देती है"
"पता है दीदी मैं सब जानता हूँ लेकिन आपने तरसाया ही इतना था कि मैने गुस्से मे पहले आपकी गान्ड मे डाल दिया वरना मेरा प्रोग्राम तो बहुत मज़े करने का था" मैं धक्के लगाते हुए बोला और लगातार मेरे धक्को की स्पीड बढ़ती रही और कुच्छ देर बाद ही मैं दीदी की गान्ड मे झड़ने लगा
"आहह......भाई बहुत मज़ा आरहा है तुम्हारी कम को अपनी गान्ड मे फील करके प्ल्ज़ धीरे धीरे अंदर बाहर करते रहो मेरा भी बस होने ही वाला है आहह भैया ऐसे ही आ बहुत मज़ा आरहा है उफ्फ......करते रहो रुकना नही मैं भी बस झड़ने ही वाली हूँ आहह......ऊ माँ........मैं तो गई........हूंम्म्ममम" दीदी बड़बड़ा रही थी एकाएक उनका बदन अकड़ गया और वो भी झड गई
दीदी भी झड गई थी लेकिन मैने अपना लंड उनकी गान्ड मे ही रखा था और फिर कुच्छ देर बाद मैने दोबारा दीदी को किस करना शुरू कर दिया और धीरे धीरे अपना लंड दीदी की गान्ड से बाहर निकाल लिया अब मैं थोड़ा नीचे हुआ और दीदी की गान्ड को किस करने लगा कभी एक कूल्हे पर तो कभी दूसरे पर ऐसा करते करते मैं दीदी के पैरो तक किस करते गया और फिर उपर आगया और दीदी को सीधी कर दिया
दीदी को सीधी करते ही मैने सबसे पहले उनकी चूत के पास किस किया दीदी की चूत बहुत गीली थी मैं उनकी चूत को पहली बार देख रहा था वो बहुत प्यारी थी और इस पर बाल भी नही थे उसकी खुश्बू भी बहुत सेक्सी और हॉट थी मैने वहाँ काफ़ी देर तक किस किए फिर मैं उपर आगया और दीदी के चिकने सपाट पेट और गहरी नाभि पर किस किए और फिर दीदी की चुचियो को भरपूर प्यार करने लगा उनके कड़क बूब्स और निपल्स को खूब दबाया और मसला अपने मूह मे भर कर सक भी किया
दीदी के बूब्स बहुत बड़े बड़े थे लेकिन बहुत सॉफ्ट थे एकदम गोरे रंग के और उनके निपल्स मिड्ल साइज़ के थे लेकिन बहुत हार्ड थे मैं बहुत देर तक उनके साथ खेलता रहा कुच्छ देर बाद मेरा लंड फिर से हार्ड हो गया और दीदी को भी बहुत मज़ा आरहा था
अब मैं उठा और दीदी की टाँगो के बीच आकर उनकी दोनो टाँगे अपनी जाँघो पर रख ली और अपना लंड पकड़ कर दीदी की चूत पर घुमाने लगा
"भैया अबकी बार आराम आराम से प्यार से लंड डालना मेरी चूत आज पहली बार चुदने जा रही है प्ल्ज़ अब मुझे बहुत मज़ा देना" दीदी मेरी आँखो मे देखते हुए बोली
"दीदी आप चिंता मत करो अब मैं आपको हमेशा सिर्फ़ मज़ा ही दूँगा जितनी सज़ा देना था पहले ही दे चुका हू" मैं बोला
अब मैने लंड पकड़ कर दीदी की चूत पर रखा और धीरे धीरे करके दबाव बनाने लगा मेरा लंड दीदी की गीली चूत को खोलते हुए अंदर जाने लगा
दीदी की चूत बहुत टाइट थी और अंदर से गरम भी थी मैं लगातार अपना लंड अंदर को घुसा रहा था और साथ साथ दीदी के बूब्स से भी खेल रहा था
मेरे लंड का सुपाडा दीदी की चूत मे घुसा ही था कि अचानक ही डोर बेल बज उठी
"दिपु उठो और देखो कि कॉन आया है" दीदी घबराते हुए बोली
"एक मिनिट दीदी पहले आपकी सील तोड़ लूँ फिर देखता हूँ" कहते हुए मैने लंड बाहर खींच कर एक ज़ोर का धक्का लगाया तो मेरा लंड दीदी की सील तोड़ते हुए उनकी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया दीदी ने मुझे ज़ोर से पकड़ा हुआ था लेकिन दीदी ये झटका बर्दाश्त कर गई उनकी आँखो मे सील टूटने के दर्द से आँसू आ गये थे लेकिन मूह से कोई आवाज़ नही निकली थी
मैं दीदी की सील तोड़ चुका था इसलिए मैने अपना लंड बाहर निकाल लिया और फिर हम दोनो ने अपने कपड़े पहने और अपनी हालत ठीक की और फिर मैं डोर खोलने बाहर चला गया....
दरवाजा खोला तो देखा कि सभी लोग वापस आगये थे मैं सोचा कि ये लोग इतनी जल्दी कैसे आगये लेकिन जब टाइम देखा तो पता चला कि 3 घंटे हो गये है मतलब मैं 3 घंटे तक कविता दीदी के साथ मस्ती करता रहा था
खैर सब बैठ गये हमने बादल भैया का हाल पुछा तो पता लगा कि भैया अभी पहले से ठीक है फिर कविता दीदी नहा कर बाहर आ गई तो भाभी ने मेरी तरफ सेक्सी नज़रो से देखा और मुस्कुरा दी मैं भी मुस्कुराया तो वो समझ गई कि मैं ने कविता दीदी को भी चोद लिया है
भाभी मेरे पास आई और धीरे से मेरे कान मे कहा "देवर जी आज भी मेरे रूम मे सोना प्लीज़"
कुच्छ देर बाद कविता दीदी ने भी यही बात की वो बोली "बेटा आज मेरे रूम मे सोना मैं वेट करूँगी, प्लीज़....."
थोड़ी देर बाद जब भाभी और कविता दीदी अपने रूम मे चली गई तो प्रीति दीदी ने रूपा और दीपा को भी उनके रूम मे भेज दिया और मेरे पास बैठ गई और वही फरमाइश कर दी
"भैया आज मेरे रूम मे आ जाना रात भी मैने तुम्हे बहुत उठाया लेकिन तुम उठे नही तो भाभी ने कहा कि सोने दो तो मैं वापस अपने रूम मे आ गई और सारी रात तड़पति रही, प्ल्ज़ भाई आज मेरी आग को ठंडी कर देना प्ल्ज़" प्रीति दीदी बोली
फिर वो भी अपने रूम मे चली गई और मैं अकेला बैठा सोचता रहा कि अब क्या करूँगा? मैं अकेला और लड़किया 3 उफ्फ..... अब क्या होगा मेरा
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